जल्दी ही हम दोनो की शादी गाँव में ही करवा दी गयी। क्यूंकि अब भाभी अकेली थी, तो मम्मी-पापा उन्हें भी हम लोगों के साथ रहने के लिये बुला लिये, और अब हम लोग एक साथ रहते है। शादी के बाद सारी रस्मे खत्म हुई, और रानी की मुंह दिखाई हुई। सब लोगों ने रानी की काफ़ी तारीफ़ की, और हम दोनों को आशिर्वाद दिया।
अगले दिन ही हमारी सुहागरात थी, पर मुझे हॉस्पिटल से कॉल आया कि कोई इमरजेंसी थी, और मुझे दिल्ली वापस आना पड़ेगा। तो मैंने यह बात मम्मी-पापा को बताई। उन्होने मुझे रानी और भाभी को अपने साथ दिल्ली ले जाने को कहा, ताकि रानी मेरी देखे-भाल कर सके। और क्यूंकि रानी पहली बार शहर जा रही थी, तो उसे वहां अकेले ना लगे, इसीलिए मम्मी-पापा ने भाभी को भी साथ ले जाने को कहा।मम्मी-पापा को गाँव में कुछ काम था, तो वो हम लोग के साथ दिल्ली नहीं जा सकते थे।
मैं, रानी और भाभी कल सुबह ही अपने घर दिल्ली वापस आए गये। आते ही मैं रानी और भाभी को खाना खिलाने बाहर ले गया। रानी पहली बार दिल्ली आई थी, लेकिन भाभी तो पहले दिल्ली में ही रहती थी। वो रानी के भाई के साथ फैक्ट्री में काम करती थी, इसलिए उनके लिए ये नया नहीं था। पर रानी के लिए यह माहौल नया था, इसलिए उसे कुछ समय लगेगा एडजस्ट करने में।
फिर हम लोग खाना ख़ाके घर वापस आए गये और मैं हॉस्पिटल जाने के लिए रेडी होने लगा। हाए मेरी फूटी किस्मत, शादी के बाद मैं अपनी नयी नवेली दुल्हन के साथ सुहागरात भी नहीं मना पा रहा था। जिसकी ऐसी खूबसूरत बीवी हो भला उसे छोड़ कर जाने का जी थोड़ी करेगा। लेकिन फिर भी एक डॉक्टर का काम होता है कि पहले वो लोगों का इलाज करे।
मैं क्लिनिक जाने से पहले अपनी भोली पत्नी रानी के पास गया और कहा कि: मैं जल्दी वापस आऊंगा। तब तक तुम और भाभी अपना ख्याल रखना।
रानी अभी मुझसे शर्मा रही थी, और थोड़ा हिचकिचा रही थी। मुझसे कुछ कहने में संकोच कर रही थी। जो कि जायज़ था, क्यूंकि अभी हम दोनों की ठीक से बात-चीत नहीं हो पाई थी। लेकिन उसने अपना सर उठाया और बड़े ही प्यार और मासूमियत से मुझे देखा। फिर अपना सर हाँ मैं हिला दिया। मन तो कर रहा था कि उसे अपनी बाहों मैं जकड़ लूँ, लेकिन अफसोस मेरे पास टाइम भी नहीं था, और मैं उसे डराना नहीं चाहता था।
मैंने भी उसे स्माइल दी और कमरे से जाने लगा। तभी हॉल मैं पिंकी भाभी मिली। उफ़ पिंकी भाभी कुछ कम नहीं थी। वो भी सफेद सारी मैं कयामत लग रही थी, और वो काफ़ी खुशमिजाज़ और मजाकिया औरत थी। उनकी हँसी बहुत अच्छी लगती थी।
पिंकी भाभी मेरी उदासी समझ गयी कि जनाब को अपनी नयी बीवी के साथ समय चाहिये।
मैं: हाँ भाभी आप को कुछ काम तो नहीं?
पिंकी भाभी बोली: नहीं, आप टेंशन फ्री होके जाइए। मैं घर का और रानी का ख्याल रख लूँगी।
मैं: थैंक यू भाभी। आप बहुत अच्छी हो। आप हो तो किस बात की टेंशन।
पिंकी भाभी: मैं जानती हूं कि आपको क्लिनिक जाने का मन नहीं होगा। लेकिन आप चिंता मत करिए, जब आप आएँगे तो मैं आपकी और रानी की सुहागरात की सारी तैयारी करके रखूँगी (भाभी ये बोल के खूब ज़ोर से हँसी)।
मैं शर्म के मारे लाल हो गया और भाभी से बोला: क्या भाभी, आप भी ना!
भाभी मुझे देखे कर मुस्कराई और वो शायद मुझ निहारे जा रही थी, मानो उनके मन में मेरे लिए एक अलग एहसास हो। पर मैं नज़र अंदाज करके अपनी कार मैं बैठ कर क्लिनिक के लिए निकल पड़ा। कुछ देर बाद मैं क्लिनिक गया और पेशेंट को चेक किया। फिर काम जल्दी ख़तम करके श्याम के 5 बजे घर जाने के लिए निकलने वाला ही था कि तभी मेरे दोस्तों ने मुझे शादी की मुबारक बाद दी, और मुझसे पार्टी माँगने लगे।
मैंने उन्हें जल्दी ही रिसेपशन पार्टी देने का वादा किया। तभी मेरा जिगरी दोस्त अमन मेरे पास आया और मुझसे शरारती अंदाज में बोला: कैसी रही सुहागरात?
तो फिर मैंने उसे सारी बात बता दी।
फिर उसने मुझसे बोला: कोई नहीं यार, अब तू घर जा, और रात को अपनी सुहागरात मना ले। और कुछ दिनों के क्लिनिक की चिंता मत कर, मैं संभाल लूँगा। तू अपनी हनीयमून पर ध्यान दे और रानी भाभी के साथ समय बिता।
मैंने उसे स्माइल दिया और थैंक यू बोला। फिर उसके कहने पर 2 हफ्ते की छुट्टी ली और जाने लगा। तब उसने व्हिस्की की बोतल और कंडोम मुझे गिफ्ट किया। मैं थोड़ा शरमाया और उसे थैंक यू बोला। फिर क्लिनिक से बाहर निकल के भाभी को कॉल करके कहा कि-
मैं: भाभी आज आप रात का खाना मत बनाना। मैं होटेल से खाना लेते आऊंगा।
क्यूंकि मैं जानता था कि वो लोग भी शादी के काम से काफ़ी थके गये थे। मैं बाहर होटेल से ही खाने लेके आऊंगा मेरे ऐसे बोलने पर भाभी ने मुझे थैंक यू बोला और ठीक है बोल के कॉल कट कर दिया। फिर मैं खाना पैक करा के घर 7 बजे वापस आए। तब मैंने खाना और व्हिस्की की बोतल भाभी को दे दी और अपने कमरे में जाने ही वाला था कि पिंकी भाभी आई।
पिंकी भाभी बोली: अरे नंदोई जी, इतनी भी क्या जल्दी है कमरे में जाने की? अभी तो सारी रात बाकी है।
मैं बोला: अरे भाभी, आप भी ना मुझे छेड़ती रहती है।
उन्होंने मुझे कमरे में जाने के लिए मना किया और इंतज़ार करने को कहा।
वो बोली: अब आप अपनी प्यारी बीवी से रात मैं मिलिएगा। अभी आपको उपर कमरे मैं नहीं जाना है।
तब मैंने भाभी को कहा: मुझे फ्रेश होना है।
तो उन्होने कहा: मैंने नीचे वाले कमरे में आपका सारा सामान और शेरवानी निकाल के रखा है। आप नहा कर वो पहन लीजिएगा।
मैं फ्रेश होने चला गया और फिर फ्रेश होके बाहर आया। फिर शेरवानी पहन के बैठ गया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक कि कहानी की फीडबैक ज़रूर दें।
अगला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-2