पिछला भाग पढ़े:- पति की धोखेबाज़ी-2
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि राजेश चूत का रसिया था। हमारी शादी हुई तो उसने मेरी तीनों छेद पेल-पेल कर मुझे बीमार कर दिया। मैं गर्भवती भी थी, तो मेरी मां मुझे अपने साथ मायके ले गयी।
इधर राजेश का ट्रान्स्फर हुआ तो वो किराये का घर देख रहा था। राजेश के पास नयी बुलेट मोटरसाइकिल थी। वह बाबा के साथ उनके घर पहुंचा। एक पतली सी गली में घर था बाबा का। मकान तो ठीक-ठाक बना था। दरवाजा रागिनी (बाबा की बहू) ने ही खोला।
अब आगे जवान हॉट पड़ोसन की चुदाई-
अस्त व्यस्त, चेहरे पर झुंझलाहट भरी हुई! पर जब उसने कोई मेहमान देखा वह भी गबरू जवान, तो रागिनी थोड़ी संभली। राजेश ने आगे बढ़ कर नमस्ते की तो उसने मुस्कुरा कर जवाब दे दिया। राजेश अपने साथ मिठाई और कुछ फल लाया था, तो उसने रागिनी को देते हुए कहा-
राजेश: पहली बार घर आया हूँ। यह रख लीजिये।
मकान में नीचे वाली मंजिल पर बाबा और उनकी पत्नी रहते थे। ऊपर नया बना हुआ पोर्शन था जिसमें दो कमरे, एक स्टोर और एक बाथरूम और बाहर बरामदा था। एक कमरा बंद था और दूसरे में रागिनी रह रही थी। दोनों कमरे आपस में बीच के दरवाजे से मिले थे।
बाबा ने राजेश को बिठाया और बड़ी घबराहट से राजेश से पूछा: चाय पियोगे?
और दिन होता तो रागिनी तमक कर कुछ जवाब दे देती, लेकिन अभी उसने कुछ नहीं कहा।
इससे पहले की रागिनी कुछ कहती, राजेश ही बोल उठा: हाँ, भाभी के हाथ की चाय तो जरूर पियूँगा।
रागिनी चाय लायी।
तो राजेश ने हंस कर उससे कहा: भाभी मुस्कुरा कर चाय पिला रही हो, या इनकी तरह मुझसे भी नाराज हो?
रागिनी शायद पहली बार हंस पड़ी।
अब राजेश ने उसी से पूछा: क्या मैं यहाँ रह सकता हूँ। मुझे केवल एक कमरा चाहिए। और हाँ, इसका जो किराया होगा मैं दूंगा, वह सिर्फ तुम्हारा होगा। बाबा और अम्मा को नहीं देना होगा।
बाबा चुप रहे। उन्हें मालूम था कि उन्हें तो वैसे ही रोज के पैसे राजेश दे ही देता है।
बाबा बोले: आपसे किराया कैसा?
पर राजेश बोला: नहीं, मैं तीन हज़ार रूपये किराए के दूंगा। कम हों तो बता दीजिये। पर कमरा देना है या नहीं यह भाभी बतायेंगी। क्योंकि इन्हीं के हिस्से से ले रहा हूँ।
रागिनी बोली: मैं मना नहीं करूंगी। आप रह लीजिये। पर आप पीते तो नहीं हैं ना?
राजेश बोला: नहीं, मैं नहीं पीता। और आप झगड़ा मत किया करो। बाबा को भी नहीं पीने दूंगा।
समस्या केवल यह थी कि इस पोर्शन में बाथरूम केवल एक था।
रागिनी को तीन हज़ार आते दिख रहे थे तो वह बोली: आप ये वाला बाथरूम इस्तेमाल कर लीजिएगा। मैं आपके उठने से पहले नहा लिया करुँगी, या नीचे वाला इस्तेमाल कर लूंगी।
तो बात तय हो गयी। अगले दिन राजेश सुबह ही होटल से अपना सामान ले आया। कमरे में बेड और कुर्सी मेज तो पड़े ही थे।बाबा ने बहुत कहा कि चाय आपको रागिनी दे दिया करेगी।
पर राजेश ने साफ़ कहा: नहीं, मेरे पास गैस स्टोव है, मैं बना लिया करूंगा। और खाना मेरा टिफिन का आता ही है, वह दे जाया करेगा।
पर रागिनी ने जोर देकर कहा: नहीं, मेरे रहते आप चाय वगैरह मत बनाइएगा।
अब रागिनी राजेश की मदद भी कर रही थी और मीठे से बोल भी रही थी। राजेश का टिफिन सुबह जल्दी ही आ जाता क्योंकि उसका फील्ड वर्क था। शाम का टिफिन घर पर आ जाता। उसके बहुत मना करने पर भी रागिनी उसके आने पर टिफिन गर्म कर देती। अगले दिन शनिवार को रागिनी का पति मनोज घर आया। उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि उसे रागिनी जैसे हूर मिली होगी।
उजड़े हुए से बाल, बाहर निकला पेट और सांवला रंग। चूँकि राजेश घर पर था तो मनोज ने उसे नमस्ते की और नहा कर उसके पास आकर बैठ गया। उसकी हैसीयत नहीं थी राजेश के पास बैठने की।राजेश इंस्पेक्टर और वह चपरासी। सबसे बड़ी बात वह नशेड़ी।
राजेश ने उससे कहा: नशा मत किया करो! वो तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं है।
तो वह मुस्कुरा दिया।
बार-बार किसी ना किसी बात पर रागिनी उसे झिड़क रही थी। रात को राजेश कमरे में सोने की कोशिश कर रहा था तो उसे रागिनी और मनोज के झगड़े की आवाज फिर आई। मनोज शायद उसके नजदीक जाने की कोशिश कर रहा था और रागिनी उसे झिड़क रही थी। शायद मनोज ने किसी तरह रागिनी को सेक्स के लिए मना लिया होगा। पर हमेशा की तरह वह फुस्स हो गया।
तो रागिनी उसे गाली दे रही थी, नामर्द और ना जाने क्या-क्या! वह कह रही थी कि कोई ठोर होता तो वह घर से भाग जाती। देर रात उसके धीरे-धीरे रोने की आवाज आती रही।
सुबह राजेश की आँख जब रागिनी से मिलीं तो उसकी आँख सूजी हुई थी। उसने राजेश से मुंह छिपा लिया। वह फिर सामने पड़ी ही नहीं। दोपहर बाद मनोज वापिस चला गया।
शाम को राजेश ने बाबा से कहा: मुझे कुछ खाने-पीने का सामान और एक तकिया लाना है। क्या आप रागिनी को मेरे साथ भेज सकते हैं? वह सामान पकड़ कर ले आएगी और हम एक घंटे में वापिस आ जायेंगे।
रागिनी सकुचाती रही।
पर उसकी सास ने कहा: दरोगा जी कह रहे हैं तो चली जा।
उसकी सास को भी मालूम था कि जब से राजेश बाबा को पैसे दे रहा था, तब से उनका घर खर्च आराम से चल रहा था। रागिनी की सास वैसे ऊंचा सुनती थी तो बात-चीत कम ही करती थी। राजेश ने अपने कमरे से रागिनी के कमरे के दरवाजे को हल्के से खटखटाया। तो रागिनी ने खोला।
राजेश बोला: यहाँ की बोरियत से तुम्हें बाहर ले जा रहा हूँ। अच्छे से तैयार हो जाना।
रागिनी मुस्कुरा दी और बोली: फिर पहले नहा लेती हूँ।
वह नहा कर सलवार-सूट पहन कर बाहर आयी और राजेश की बाइक पर संभल कर बैठ गयी। थोड़ी दूर जाकर राजेश ने उससे कहा कि अगर वह चाहे तो दोनों और पैर करके बैठ जाए, यहाँ उन्हें कौन जानता है। रागिनी ने एक पल तो सोचा, फिर वह दोनों और पैर करके बैठ गयी।
बाकी राजेश ने एक दो बार ब्रेक मारे तो वह आगे खिसक गयी। रागिनी को भी शादी के बाद पहली बार किसी मर्द का साथ मिला था। राजेश को कुछ लेना-वेना तो था नहीं, उसने रागिनी के साथ चाट-पकौड़ी खायी और रागिनी के मना करने के बावजूद भी उसे नेल पेंट, लिपस्टिक, पाउडर वगैरा दिलवा दिया।
अगला भाग पढ़े:- पति की धोखेबाज़ी-4