नमस्कार दोस्तों मैं राहुल एक बार फिर से हाजिर हूं एक नई कहानी के साथ। मेरी पिछली कहानी पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी। बहुत अच्छा लगा, उसके लिए सभी दोस्तों का बहुत बहुत धन्यवाद। अब सीधे कहानी पे आता हूं।
मुझे भरे हुए बदन की आंटी बड़ी पसंद है। एक आंटी थी जो पेशे से एक टीचर थी, जो रोज मेरे सामने से निकलती थी, और मुझे बहुत सेक्सी लगती थी। मन करता था एक बार मिल जाए तो काम बन जाए। 5’6″ की लम्बाई, और चेस्ट 36″ कमर 34″, और गांड 38″ की होगी। मतलब सेक्सी फिगर की मालकिन थी।
उनको रोज मेरे एरिया में पढ़ाने आना होता था। एक बार वो सवारी का वेट कर रही थी, और मैं अपनी बाइक से निकाल रहा था, तो उनको देखा मैंने।
फिर बाइक रोक दी मैंने, और कहा: आंटी आपको जाना है?
उन्होंने बोला: हां जाना तो है। लेकिन सवारी नहीं मिल रही।
मैंने कहा: मैं भी उधर ही जा रहा हूं, अगर आपको चलना है तो आ जाओ।
उन्होंने कुछ देर देखा, और फिर बैठ गई एक तरफ पैर करके। मैंने कुछ दूर निकलने के बाद बात-चीत शुरू की। मैंने पूछा कहा रहती हो, कैसे-क्या सब पूछा, जबकि मैं सब कुछ जनता था। उन्होंने बताया भी और कहा-
आंटी: मैंने भी कई बार आपको देखा है।
थोड़ी देर बाद उनका घर आ गया, और रुकते ही उन्होंने मुझे चाय का ऑफर किया। पहले मना किया मैंने, फिर चला गया चाय पीने। वो अंदर ले गई मुझे, और मुझे गेस्ट रूम में बिठा के कपड़े चेंज करने लगी थी शायद। थोड़ी देर बाद चाय आ गई और बात-चीत में अच्छी जान-पहचान बना ली। कुछ दिन के बाद मेरी जॉब भी लग गई उनके एरिया में, और डेली का उनको लेके आना-जाना होने लगा। उनके घर में भी जान पहचान हो गई थी।
अब डेली मुझे उनके शरीर की स्मेल और स्पर्श मिलता था। वो भी मुझसे बहुत घुल-मिल गई थी, और हर तरह की बातें करनी लगी थी।
उन्होंने एक दिन पूछा: कोई गर्लफ्रेंड नहीं है तुम्हारी?
मैंने कहा: कोई समझ में ही नहीं आती। सोच रहा हूं आपको गर्लफ्रेंड बना लूं।
तो पहले तो हंसी, फिर बोली: मुझे बना के क्या मिलेगा?
मैंने कहा: जो आप में है, वो आज कल की लड़कियों में कहा।
फिर वो बोली: मेरे अंदर ऐसा क्या है?
मैंने भी खुल के बोल दिया: मुझे आपका फिगर बहुत अच्छा लगता है।
तो वो मुझे देख के हसने लगी और बोली: तुम तो ऐसे ही बोल रहे हो।
मैंने कहा: नहीं।
तब तक उनका घर आ गया, और वो बाय करके चली गई। एक दिन उन्हें उनके घर छोड़ा तो उन्होंने चाय के लिए बुला लिया, और मैं चला गया। इस बार वो अंदर ही ले गई, और बिठा दिया। शाम हो रही थी, और वो रूम में कपड़े चेंज करने लगी। जाके फिर बाहर आई, और चाय बना के ले आई और मेरे पास ही बैठ गई।
चाय पीने लगे हम लोग तो मैंने पूछा: आपको हस्बैंड की कमी नहीं लगती कभी? तो वो बोली: लगती तो है, पर क्या कर सकती हूं (उनके हस्बैंड बाहर जॉब करते थे)?
वो इमोशनल हो गई, और मेरे कंधे पे सर रख लिया। उस दिन कोई घर में भी नहीं था। मैंने भी कस के दबा लिया गले लगाने के बहाने। वो सूट पहने थी। उनकी ब्रा की स्ट्रिप महसूस हो रही थी मुझे। फिर एक-दम से वो उठी और बोली-
आंटी: छोड़ो, क्या फायदा इन बातों का?
मैंने मौक़े का फायदा उठा के फिर से उन्हें खींच लिया अपनी बाहों में, और होंठों पे लिपलॉक करने लगा। वो थोड़ा हिचकिचा कर अलग होने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने नहीं छोड़ा, और किस करते रहा। 5 मिनट बाद वो अलग हुई तो मैंने कहा-
मैं: मैं आपको बहुत पसंद करता हूं। आप मुझे बड़ी अच्छी लगती हो।
फिर वो हलके से मुस्कुराई और बोली: क्या पसंद है मेरे अंदर?
मैंने कहा: आपका सब कुछ पसंद है।
और मैंने खड़े होके फिर से पकड़ लिया बाहों में। मैं उनको बाहों मैं लेके उनके चूतड़ों को दबाने लगा। चूतड़ों पे चड्डी महसूस हो रही थी। मुझे चूतड़ दबाते हुए बड़ा मजा आ रहा था। उन्होंने फिर समर्पण कर दिया।
फिर वो बोली: ओके ठीक है, अभी नहीं ये सब। आज तुम यहीं रुक जाओ, आराम से शाम को करेंगे।
मैंने भी सोचा ठीक है, ये तो सब अपने आप हो गया। फिर वो घर का कुछ काम करने लगी, और मैं टीवी देखने लगा। बारिश का टाइम था, और गर्मी हो रही थी।
तो वो बोली: मैं नहा के आती हूं।
मैंने कहा: मैं भी चलता हूं।
पहले तो मना किया, फिर बोली: अच्छा ठीक है आ जाओ।
हम लोग बाथरूम में गए, और मैंने पीछे से कस के पकड़ लिया।
वो बोली: नहाने भी नई दोगे क्या?
मैंने कहा: नहाते है ना।
मैंने शावर चला दिया। पानी से गीले होने की वजह से कपड़े चिपक गए थे उसके शरीर से, और मैं सूट ऊपर करके सलवार के बाहर से ही देखने लगा। क्या लग रही थी यार वो। माल थी एक-दम। उसके चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे। फिर मैंने उसकी सलवार खोल के उसकी जांघों को चूमना शुरू किया। बहुत चिकनी जांघें थी उसकी।
फिर उसकी बुर को चड्डी के ऊपर से ही किस करने लगा। क्या खुश्बू थी उसकी बुर की वाह! फिर घुमा के उसके चूतड़ों को किश किया और चड्डी निकल दी। चड्डी निकलते ही मानो मुझे सब कुछ मिल गया। फूली हुई चूत उसकी शेव की हुई गजब की लग रही थी।
मैं बैठ के उसकी टांगो के बेच आ गया, और बुर जीभ से चाटने लगा। वो भी बहुत उत्तेजित हो गई थी। मैं उसकी बुर का सारा खट्टा-खट्टा पानी पी गया। उसकी बुर का शेप बहुत गजब था। वो भी चुदक्कड़ हो गई, उसने भी झुक के मेरा लंड पकड़ लिया, और तेज-तेज हिलाने लगी। मेरा लंड काफ़ी टाइट हो गया था, काफ़ी दिन से बुर ना मिलने के कारण।
मैं खड़ा हो गया और उसने भी झुक के लपक के लंड मुंह में घुसा लिया। शायद काफ़ी तजुर्बेकार औरत थी। लंड के टोपे को ऐसे चूस रही थी मानो अंदर से स्पर्म निकल लेगी चूस के। उसका मुंह गजब का नशा कर रहा था मेरे ऊपर। वो मेरा लंड हाथ से ऊपर उठा के गोली तक चूस रही थी। उसके बाद तब तक उसने सूट भी निकल दिया था, और उसके शरीर पे एक भी कपड़ा नहीं बचा था, ना मेरे।
आगे की कहानी अगले पार्ट में।
अगला भाग पढ़े:- आंटी का दीवाना-2