पिछला भाग पढ़े:- पापा की परी प्रीती-4
बाप-बेटी सेक्स स्टोरी अब आगे-
प्रीती ने टांगें उठाई हुए थी और हाथ नीचे करके अपनी फुद्दी की फांकें चौड़ी की हुई थी। प्रीती की गुलाब-गुलाबी गीली फुद्दी मेरे सामने थी। मेरी आंखें जवान प्रीती की गुलाबी फुद्दी से हट ही नहीं रही थी। मन तो कर रहा था, “मां चुदाने गयी चुसाई, सीधा लंड ही डालता हूं इस टाइट फुद्दी में और करता हूं इसकी चुदाई।”
प्रीती बोली, “क्या देख रहे हो लो पापा? क्या सोच रहे? ये तो रही आपकी बेटी की फुद्दी आपके सामने, आ जाओ, जो करना है करो – चूसो, चाटो, चोदो।”
मैं जैसे नींद से जागा और नीचे बैठ कर प्रीती की फुद्दी चूसने लगा। पंद्रह मिनट तक मैं सपड़-सपड़ करके प्रीती की फुद्दी का पानी चूसता चाटता रहा। ऐसा लग रहा था प्रीती की फुद्दी का पानी खत्म ही नहीं हो रहा। मैं चूसता जा रहा था और प्रीती की फुद्दी पानी छोड़ती जा रही थी।
तभी प्रीती ने मेरा सर अपनी फुद्दी पर दबा दिया और जोर से बोली, “पापा अब पानी छोड़ने वाली है मेरी फुद्दी, अब मत हटना। चूसो पापा, चूत का दाना चूसो पापा, मजा आने वाला है मुझे।”
मैंने अपनी जुबान प्रीती की फुद्दी के छेद में ऊपर-नीचे कर रहा था। मैंने जुबान छेद में निकाली और फुद्दी का दाना चूसने चाटने लगा। तभी प्रीती के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी, “आआह पापा आअह, चूसो पापा, और चूसो, और जोर से चूसो, आह निकला, निकला पापा, आह आ गया आह, आह।” और तभी प्रीती का जिस्म जैसे अकड़ गया। प्रीती ने मेरा सर अपनी फुद्दी पर दबा दिया।
ये तो शुक्र है कि मुझे इन औरतों की फुद्दी चूसने का तजुर्बा था, वरना जिस तरह से प्रीती ने मेरा सर अपने फुद्दी पर दबाया था तो मेरा दम ही घुट जाता।
असल में मेरी बीवी भूपिंदर भी जवानी में फुद्दी चुसवाते हुए यही कुछ करती थी। इसीलिए मुझे पता था कि जब लड़की को फुद्दी चुसवाते-चुसवाते मजा आ जाए, तो कैसे अपना दम घुटने से रोकना है।
पांच मिनट तक मैं ऐसे ही प्रीती की फुद्दी में मुंह डाले बैठा रहा। मेरे लंड सख्ती के कारण फटने लगा था। जैसे ही प्रीती जरा सी ढीली हुई, मैं उठ गया। प्रीती की टांगें तो चौड़ी ही थी, चूतड़ों के नीचे तकिया भी लगा ही हुआ था, मैंने प्रीति के घुटनों के नीचे हाथ डाल कर टांगें थोड़ी और ऊपर उठायी, और लंड फुद्दी के छेद पर रख कर पूरा लंड फुद्दी में डाल दिया।
प्रीती ने अपनी बंद आंखें जरा ऐसी खोली, मेरी तरफ देखा और बस इतना ही बोली,”आह पापा क्या लंड है, मजा आ गया।”
इसके बाद फिर से आंखें बंद कर ली और मजे लेने लगी। प्रीती की टांगें चौड़ी-चौड़ी ही थी, और मेरा लंड प्रीती की फुद्दी में अंदर तक गया हुआ था। मैंने प्रीती की टांगों पर से हाथ हटा कर प्रीती के बड़े-बड़े सख्त मम्मों के ऊपर हाथ रख दिए और प्रीती की चुदाई चालू कर दी।
दो मिनट के धक्कों के बाद ही प्रीती ने आंखें खोल दी, मेरी तरफ देखा और चूतड़ घुमाने लग। प्रीती के मुंह से फिर वहीं आवाजें आने लगी, “आह पापा सच में ही मस्त लंड है आपका, बढ़िया रगड़े लग रहे हैं फुद्दी में, बड़ा ही मस्त चोदते हो आप। जोर से चोदो पापा, और जोर से चोदो रगड़-रगड़ कर चोदो।”
प्रीती नीचे से चूतड़ हिलाते घुमाती हुई ऊंची आवाज़ में बोल रही। किसी का डर तो था नहीं, घर में हम दो ही तो थे।
पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मेरे लंड का पानी निकलने वाला हो गया। मैंने एक हाथ प्रीती के मम्मे पर से हटा लिया और हाथ नीचे करके अपने अंगूठे से प्रीती की फुद्दी का दाना रगड़ने लगा।
प्रीती के मुंह से “आअह पापा, आह पापा” की आवाजें निकलने लगी। तभी प्रीती ने अपनी टांगें बंद करके टांगें मेरी कमर के पीछे करके मुझे टांगों में जकड़ लिया और चूतड़ घुमाते हुए मेरी तरफ देखते हुए बोली, “पापा लगाओ चार-पांच जोरदार धक्के, मेरी फुद्दी का मजा बस अटका ही हुआ है, निकाल दो इसका पानी।”
मैंने प्रीती की फुद्दी का दाना जोर-जोर से रगड़ते हुए लम्बे-लम्बे धक्के लगाए। तभी मेरे लंड में से गर्म-गर्म शहद निकला और प्रीती की फुद्दी में चला गया। जैसे ही मेरे लंड ने पानी छोड़ा, प्रीति ने भी नीचे से जोर के चूतड़ झटकाये और जोर से बोली, “निकल गया पापा, आ गया मुझे भी मजा।” और इसके साथ ही प्रीती ढीली हो गयी।
मैंने प्रीती को बाहों से पकड़ कर उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैं भी प्रीती के साथ ही लेट गया। मैंने प्रीती की फुद्दी पर हाथ फेरते हुए कहा, “प्रीती मस्त फुद्दी है तुम्हारी, एक-दम टाइट और चुदाई भी तुम मस्त करवाती हो चूतड़ घुमा-घुमा कर, बिलकुल अपने मम्मी की तरह।”
प्रीती मस्ती में थी। प्रीती मेरा लंड पकड़ कर बोली बोली, “मम्मी की तरह पापा? बिशनी की तरह नहीं?”
मैं भी हंसा और बोला, “हां प्रीती, चूतड़ तो बिशनी भी खूब घुमाती है, लेकिन बोलती बस यही है – आह सरदार जी मजा आ गया, आह सरदार जी मजा आ गया। मगर प्रीती तुम्हारे इन गोल गोल सेक्सी चूतड़ों की वजह से तुम्हारी फुद्दी ऐसी ऊपर उठ जाती है कि लंड पूरा का पूरा अंदर जाता है। साफ़ पता चलता है कि लंड अब और आगे नहीं जाएगा।”
प्रीती ने भी मेरा लंड पकड़ते हुए कहा, “पापा आखिर बेटी किसकी हूं मैं? चुदाई तो आप भी मस्त करते हो अभी भी सुखचैन के लंड से कम दम नहीं है आपके लंड में। अभी भी आपके लंड की ना सख्ती कम हुई है और ना ही आपका चुदाई करने का दम और ही कम हुआ है। आज भी आपने मेरी फुद्दी की तसल्ली कर दी। और पापा फ़िक्र ना करो आप, मम्मी के आने के बाद भी मैं आपसे चुदाई बंद नहीं करवाने वाली।”
प्रीती बोली, “पापा चलूं अब अब डिनर की तैयारी करूं।” कह कर प्रीती उठी और मैंने शर्म हया छोड़ कर प्रीती से कहा, “प्रीती बेटा एक बार मेरा लंड तो चूसती जाओ।”
प्रीती बोली, “पापा मैं भी यहीं हूं और आपका लंड भी यहीं है।” ये कह कर प्रीती ने मेरा लंड मुंह में लिया और और थोड़ा चूसने के बाद बोली, “बस पापा, कहीं ऐसा ना हो ये आपका ये लंड फिर खड़ा हो जाये और डिनर बीच में ही रह जाए, फिर अभी तो रात शुरू ही हुई है।”
प्रीती जाने लगी तो मैंने कहा, “प्रीती कांता कह रही थी चिकन मेरीनेट – मसाले लगा कर रखे हैं, वही ओवन में डाल लो। रात को हल्का ही खाना ठीक रहेगा। चिकन ओवन में रख कर लाऊंज में ही आ जाना।” ये कह कर मैं हंस दिया।
प्रीती भी हंसते हुए बोली, “क्या पापा पूरी रात चोदना है क्या?”
मैंने भी वैसे ही कह दिया, “देखते हैं, कम से कम आज तो चोदूंगा ही। पूरी रात ना भी चोदा तो भी आधी रात तक तो चुदाई करूंगा ही। उससे कम चुदाई में तो आज ना तुम्हारे फुद्दी की तसल्ली होने वाली है और ही इस लंड की।”
प्रीती नंगी ही चूतड़ हिलती मटकाती किचन की तरफ चली गई और मैं भी बिना कपड़ों के लाउंज में आ गया।
प्रीती चिकन ओवन में लगा कर लाउंज में ही आ गयी और अपना जिन का भरा हुआ गिलास उठा कर मेरे पास ही बैठ गयी। प्रीती ने मेरा लंड हाथ में ले कर कहा, “पापा सच में बड़ा ही मस्त लंड है आपका। बड़ी ही किस्मत वाली है मम्मी जो जवानी में ऐसे लंड कि मजे लेती रही है।”
मैंने प्रीती की जांघ पर हाथ रखते हुए कहा, “प्रीती बताओ तो सही तुम कब से मेरी और भूपिंदर की चुदाई देखती रही हो?”
प्रीती बोली, “क्या बात है पापा मजे लेने हैं क्या कहानी के?”
और फिर बिना मेरे जवाब का इंतजार किये बोली, पापा ये तब की बात है जब इसको मैं फुद्दी भी नहीं बोलती थी – पेशाब वाली जगह बोलती थी। फुद्दी तो तब बोलना शुरू हुई जब समझ आयी के इसका असली मतलब लड़के का लंड इसमें डलवा कर मजा लेना होता है।”
“जब मैंने ये बात अपनी फ्रेंड सिमरन को बताई तो उसने तो जैसे पूरी पोर्न फिल्म ही चला दी।” ये कहते हुए प्रीती हंस दी और मेरा लंड दबा दिया।
अपनी बात जारी रखते हुए प्रीती बोली, “उस सिमरन ने ही मुझे बताया कि जिस छेद से ये लाल-लाल पानी निकला है उसे “फुद्दी” बोलते हैं। ये फुद्दी का छेद मजे लेने कि लिए होता है। लड़के की पेशाब वाली चीज जिसको लंड बोलते हैं, वो लड़की का ये वाला छेद देख कर एक-दम से लम्बा और मोटा हो जाता है, और फिर लड़के उसे लड़की के फुद्दी के अंदर डाल कर आगे पीछे करते हैं और दोनों को खूब सारा मजा आ जाता है।”
“पापा मैंने सिमरन से पूछा, “सिमरन तुझे ये सब कैसे पता है? क्या तेरे अंदर किसी ने डाला है क्या?”
“सिमरन बोली, “नहीं मेरे अंदर नहीं किसी ने नहीं डाला मगर हमारे घर काम करने वाली कमलेश दीदी ने मुझे बताया। कमलेश दीदी मेरे साथ बहुत से ऐसी बातें करती है और लड़कों का ”अपनी उसमें – पेशाब वाली जगह में” डलवाती है भी है।”
“पापा सिमरन ने मुझे जब मुझे ये बता रही थी तब पापा सिमरन की बातें सुन-सुन कर मेरी फुद्दी में कुछ-कुछ होने लगा था। जब मैंने सिमरन को ये बताया “सिमरन मेरी इसमें, मेरी फुद्दी में कुछ-कुछ हो रहा है।”
“पापा सिमरन बोली, “प्रीती मुझे पता है क्या हो रहा है और अब क्या करना है। कमलेश दीदी करती है मेरे साथ ये। अब तेरी फुद्दी मजा लेना चाहती है। चल टॉयलेट में चलते हैं, वहां मजे लेंगे।”
“हम मजे लेने के लिए कॉलेज के एक ही टॉयलेट में चलीं गयी। पापा कॉलेज में लड़कियों के टॉयलेट में एक ही टॉयलेट में दो लड़कियों का जाना बहुत आम बात होती है।”
“टॉयलेट में जा कर सिमरन ने अपनी स्कर्ट उठा कर अपना अंडरवियर नीचे कर दिया और मुझे भी ऐसा ही करने को बोली।”
“पापा मैंने भी ऐसा ही किया। उसके बाद सिमरन ने थूक लगा कर उंगली अपनी फुद्दी में ऊपर-नीचे करने लगी और मुझसे बोली, “चलो प्रीती तुम भी करो।” मैंने भी थूक लगा कर अपनी उंगली अपनी “नीचे वाली” में डाल कर ऊपर नीचे करनी शुरू कर दी।”
“पहले तो मुझे लगा के ये में क्या कर रही हूं, पर जल्दी ही मुझे अजीब सा लगने लगा। मैं तो उंगली ऊपर-नीचे कर ही रही थी कि सिमरन के मुंह से एक अजीब से आवाज निकली, “आह प्रीती, ओह प्रीती ऊंह ऊंह” बोलते हुए सिमरन ने मेरा कंधा जोर से दबा दिया। सिमरन की आंखे बंद थी। सिमरन लम्बे-लम्बे सांस ले रही थी।”
“मैंने सिमरन से पूछा,”सिमरन क्या हुआ?”
सिमरन बोली, “प्रीती मुझे तो मजा आ गया, तेरा नहीं निकला प्रीती?”
“मैंने अपनी फुद्दी में उंगली ऊपर-नीचे करते हुए जवाब दिया, “नहीं सिमरन – क्या निकलेगा?”
“ये सुनते ही सिमरन ने मेरी उंगली मेरी उसमें से मतलब फुद्दी में से निकाल दी और अपनी उंगली मेरी उसमें डाल कर ऊपर नीचे, अंदर-बाहर करने लगी।”
“दो मिनट में ही मुझे भी अजीब सा मजा आया जैसे मैं हवा में हूं। मैंने सिमरन को पकड़ लिया और बोली, “ये क्या हुआ था सिमरन?”
“सिमरन बोली, “प्रीती इसको कहते हैं फुद्दी का मजा। ये मजा सभी लड़कियों को आता है। अभी तो हमें ऐसे ही मजा लेना पडेगा, मगर बाद में ये मजा लड़के देंगे हमें अपना पेशाब वाला लंड हमारी पेशाब वाली फुद्दी में डाल कर।”
“मैं हैरान थी कि सिमरन को ये सब कैसे पता था।”
“पापा मैंने सिमरन से पूछा, “सिमरन तुझे ये सब कैसे पता था?
“सिमरन बोली, “प्रीती मुझे कमलेश दीदी ने ही एक दिन मुझे ये बताया था। ये जो मजा मैंने और तूने अभी अभी लिया है, कमलेश दीदी ऐसा मजा मुझे देती रहती है और वो लड़कों वाले बात भी उसने ही मुझे बताई थी। प्रीती मुझे कमलेश दीदी की इन बातों मैं बड़ा मजा सा आता था। मैं कमलेश दीदी की साथ जब भी टाइम मिलता यही लड़के-लड़कियों वाली बातें करने लग जाती।”
“फिर एक दिन जब मैं कमलेश दीदी के साथ फुद्दी लंड के बातें कर रही थी तो कमलेश दीदी बोली, “सिमरन तूने सच मैं ही देखना है लड़के-लड़की कैसे ये करते हैं?”
“मैंने हां में सर हिला दिया।”
कमलेश दीदी बोली, “सिमरन तो फिर एक काम करना, रोज़ रात को भाई भाभी के कमरे का दरवाजा जरा सा खोल कर देखना। किसी दिन वो ये सब कर रहे हुए देखेगी। तो तुझे देख कर सब समझ आ जाएगा।”
“प्रीती कमलेश दीदी की बात सुन कर मैं हर रोज रात भाई-भाभी के कमरे का दरवाजा जरा सा खोलती और अंदर देखती। मगर मुझे तो कुछ दिखाई ही नहीं देता था। मैं तो जब भी देखती वो दोनों सोए ही होते थे।”
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