पिछला भाग पढ़े:- पापा की परी प्रीती-5
चुदाई कहानी का अगला पार्ट-
“फिर एक दिन जब मैं कमलेश दीदी के साथ फुद्दी लंड के बातें कर रही थी, तो कमलेश दीदी बोली, “सिमरन तूने सच में ही देखना है लड़के-लड़की कैसे ये करते हैं? “मैंने हां में सर हिला दिया।” कमलेश दीदी बोली, “सिमरन तो फिर एक काम करना, रोज़ रात को भाई-भाभी के कमरे का दरवाजा जरा सा खोल कर देखना। किसी दिन वो ये सब कर रहे हुए दिखेंगे तो तुझे देख कर सब समझ आ जाएगा।”
प्रीती कमलेश दीदी की बात सुन कर मैं हर रोज रात भाई-भाभी के कमरे का दरवाजा जरा सा खोलती, और अंदर देखती। मगर मुझे तो कुछ दिखाई ही नहीं देता था। मैं जब भी देखती वो दोनों सोए ही होते थे।”
“पापा सिमरन बता रही थी, “फिर जब एक दिन मैंने भईया-भाभी के कमरे का दरवाजा जरा सा खोला, और फिर मैंने जो देखा, मेरे तो होश ही उड़ गए। मैंने देखा भाभी के हिप्स के नीचे दो तकिये रखे थे। भईया ने भाभी कि टांगें उठायी हुई थी और भाभी को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था।भईया कमर जोर-जोर से हिलाते हुए भाभी की फुद्दी पर कुछ-कुछ कर रहे थे।”
“प्रीती अब मैं क्या बताऊं, भैया भाभी को ये सब करते देख मेरा हाथ मेरी फुद्दी पर पहुंच गया और मैं अपनी पैंटी में हाथ डाल कर अपनी फुद्दी मैं उंगली करने लगी। मेरी टांगें तो जैसे जवाब ही गयी थी। मैं बस भईया-भाभी को ही देखती जा रही थी।”
“तभी भाभी ने अपने चूतड़ जोर से ऊपर-नीचे किया और भाभी ने भईया को कस कर पकड़ लिया। भईया ने भी जोर-जोर से कमर को आगे-पीछे किया। तभी दोनों कुछ बोले जो मुझे समझ नहीं आया।”
“इसके बाद भईया कुछ सेकण्ड ऐसे ही भाभी के ऊपर ही लेटे रहे। फिर जब भईया भाभी के ऊपर से उतरे, तब मुझे दिखाई दिया भईया का लंड भाभी के फुद्दी में से बाहर निकला। प्रीती क्या बताऊं, भैया का लटकता हुआ लंड मेरे हाथ से भी ज्यादा लम्बा दिख रहा था।”
“बस मैं तो भाग कर अपने कमरे में चली गयी, और रजाई ऊपर लेकर अपनी फुद्दी में उंगली करने लगी। जल्दी ही मुझे भी मजा आ गया जैसा आज आया है।”
“अगले दिन मैंने कमलेश दीदी को रात के सारी बात बताई तो कमलेश दीदी बोली, सिमरन कल रात जो तूने देखा है इसे चुदाई कहते हैं। लड़के लड़कियों के चुदाई करते हैं और लड़कियों बड़ा मजा आता है ये चुदाई करवाने में।”
“मैंने कमलेश दीदी से कहा, “कमलेश दीदी मुझे भी एक बार ऐसी चुदाई करवानी है।”
“कमलेश दीदी हंसते हुए बोली, “अभी सबर कर ले सिमरन। अभी तेरी उम्र नहीं हुई लड़कों का लंड लेने की और चुदाई करवाने की। अभी उंगली से ही काम चला। अभी अपने भईया-भाभी की चुदाई देख कर मजे ले। ज्यादा ही मन करे तो मुझे बोलना मैं तुझे मजा दे दिया करूंगी, जैसे आज दिया है।”
“सिमरन बोली, “बस प्रीती तब से मैं छुप-छुप कर भईया-भाभी की चुदाई देखती हूं।”
फिर सिमरन थोड़ा चुप हुई और बोली, “प्रीती तू भी क्यों नहीं देखती अपने मम्मी-पापा की चुदाई? एक बार ट्राई कर। बड़ा मजा आएगा अगर तूने उन्हें चुदाई करते देख लिया।”
प्रीति बोली, “बस पापा इसके बाद तो मैं आपकी और मम्मी की चुदाई देखने का मौक़ा ढूंढने लगी। और पापा मुझे इसके लिया ज्यादा वेट भी नहीं करनी पड़ी।”
“इससे तीसरे ही दिन रात को जब मैंने आपके कमरे का दरवाजा जरा सा खोला, तो जो मैंने देखा वो देख कर तो मेरा हाथ अपने आप ही मेरी फुद्दी पर पहुंच गया। मम्मी बेड के साइड में लेटी हुई थी, मम्मी ने अपनी टांगें ऊपर की हुई थी और आप मम्मी की फुद्दी को चाट रहे थे। थोड़ी देर के बाद जब आप उठे तो आपका आगे की तरफ सीधा हुआ पड़ा लंड देख कर तो मैं हैरान ही हो गयी।”
“पापा मैं सोचने लगी, इतना बड़ा भी होता है लंड? मैं सोच रही थी इतना बड़ा लंड फुद्दी में जाता कैसे होगा? फुद्दी तो बड़ी छोटी सी होती है।”
“बस पापा इसके बाद तो आपकी और मम्मी की चुदाई मैं हर दूसरे-तीसरे दिन देखती थी। मैंने मम्मी को आपका लंड चूसते और आपको मम्मी कि चूतड़ चाटते भी देखा है। पापा मैंने तो आपको मम्मी के चूतड़ों में अपना ये मोटा लंड डालते भी देखा है।”
“आप दोनों की चुदाई देखते-देखते ही मुझे मर्द औरत की चुदाई समझ आने लगी। मगर पापा मैंने कभी भी आपकी और मम्मी की चुदाई देखना नहीं छोड़ा।”
“आपका मोटा लंड मैंने कई बार मम्मी की फुद्दी में जाते हुए देखा है, और हर बार यही महसूस किया है कि आपका लंड मम्मी की नहीं मेरी फुद्दी में जा रहा है। जब आप मम्मी की फुद्दी और चूतड़ चाट रहे होते थे, तो मुझे लगता था आप मेरी ही फुद्दी और चूतड़ चाट रहे हो। जब मम्मी के मुंह में आपका लंड होता था, तो मैं अपने मुंह में आपका लंड महसूस करती थी।”
“पापा अब जा कर मेरे दिल की मुराद पूरी हुई है और आपका लंड मेरी फुद्दी में गया है। अब आप चोदो मुझे जैसा आपका मन चाहे, मेरी फुद्दी चूसो चाटो, मेरी चूतड़ों कि चाटो, मेरे चूतड़ों को दांतों से काटो, मेरी चूतड़ों में लंड डालो। पापा आप जो भी करना चाहो करो, दिन रात, जब चाहो तब चोदो।”
प्रीति की बातें सुन कर मैं उठा और बोला, “चल प्रीती, उल्टी हो जा, मेरा मन तेरे चूतड़ चाटने का हो रहा है।”
प्रीती उठते हुए बोली, “पापा क्या सिर्फ चाटोगे? लंड नहीं डालोगे चूतड़ों में?”
मैंने कहा, “ठीक है आज ही डालता हूं लंड तुम्हारी गांड में। चलो पहले कुछ खा पी ले।”
हम दोनों, मैं और मेरी “पापा की परी प्रीती” डिनर के लिए डाइनिंग हॉल में आ गए। प्रीती रोस्टेड चिकन ले आयी। मेरी व्हिस्की और प्रीती की जिन – चिकन खाने के साथ साथ हम अपने अपने गिलासों में से छोटे छोटे घूंट भी भर रहे थे।
नंगी बैठी प्रीती मस्त लग रही थी। बड़े-बड़े मम्मे, पतली कमर और कमर के नीचे के नरम मुलायम जो मुझे दिखाई तो नहीं दे रहे थे, मगर उनके ख्यालों से ही मेरा लंड सीधा खड़ा हो चुका था। मुझे बार-बार अपने लंड को हिलाना पड़ रहा था। प्रीती से भी ये छुपा नहीं था। आखिर में प्रीती ने बोल ही दिया, “पापा मेरी फुद्दी तो गीली होने लगी है, आपके लंड का क्या हाल है?
नंगा तो मैं भी था। मेरा लंड डाइनिंग टेबल के पीछे छुपा था। मैं खड़ा हो कर टेबल के एक साइड गया और कर कहा, “लो खुद ही देख लो।”
मेरे साढ़े सात इंची, सीधे खड़े लंड को देख कर हंसते हुए प्रीती बोली, “वैसे तो कमाल ही है पापा, आपका तो लंड हमेशा ही तैयार रहता है।”
मैंने भी बोल दिया, “प्रीती तुम्हारे जैसी खूबसूरत और सेक्सी जिस्म वाली लड़की अगर सामने हो, और वो भी बिना कपड़ों के तो किसका लंड तैयार नहीं हो जाएगा?”
प्रीटी लंड को देखती हुए बोली, “पापा बड़ा मस्त लंड है आपका। ऐसे लंड के तो लड़कियां सपने देखती हैं।”
फिर जैसे प्रीती अपने आप से बोली, “वैसे लड़कियों की फुद्दीयां भी अजीब ही होती हैं। इतने लम्बे-लम्बे मोटे लंड अपने अंदर समेट लेती हैं और उफ़ तक नहीं करतीं। उल्टे मोटे लम्बे लंड से चुदने का उन्हें ज्यादा मजा आता है। वो तो हमेशा सोने से पहले प्रार्थना भी करती रहती हैं कि उन्हें ऐसा पति मिले जिसका लंड ऐसा हो जैसा आपका है और जब चूत में जाए तो चूत के परखच्चे उड़ा दे – रगड़-रगड़ कर फाड़ दे चूत को।”
प्रीती की बात पर मेरी भी हंसी छूट गयी।
खाना खा कर हम उठे। प्रीती ने बर्तन डिश वॉशर में लगाए और हम मेरे कमरे की तरफ चल पड़े।
प्रीती बोली, “पापा आप कह रहे थे आज आपने गांड चोदनी है। अगर सच में ही गांड चोदनी है तो उधर ही चलते है मेरे कमरे में, सुखचैन ने गांड चोदने की क्रीम रखी है वहां।”
मैं तो भूल ही गया था कि मैंने प्रीती से गांड चुदाई की बात भी की थी। मैंने कहा, “चलो फिर वहीं चलते हैं।”
और हम प्रीती के कमरे – गेस्ट रूम – में आ गए। प्रीती ने ड्रेसिंग टेबल में से गांड चोदने के लिए इस्तेमाल होने वाली जैल – एक तरह की बहुत ही चिकनी क्रीम की ट्यूब निकाली और मेरे हाथ में दे दी और बोली, “लो पापा पकड़ो, बाकी तो आपको पता ही होगा। मम्मी की गांड भी तो चोदते ही होंगे आप।”
यह कह कर प्रीती सोफे की साइड पर घुटनों के बल चूतड़ ऊपर करके लेट गयी। पापा बेड ऊंचा है, आपका लंड चूतड़ों के छेद में आराम से नहीं जाएगा। ये सोफा ठीक है। सुखचैन भी ऐसे ही गांड चोदता है।”
हमारे सारे सोफे आम सोफों से थोड़े ज्यादा चौड़े हैं, लेकिन मैंने इस बात पर आज तक कभी ध्यान ही नहीं दिया था। प्रीती की ये बात सुन कर मुझे लगा प्रीती गांड चुदवाने मैं भी माहिर है। अब तो मुझे भूपिंदर की गांड भी ऐसे ही चोदनी पड़ेगी।”
प्रीती सोफे पर घुटनों के बल चूतड़ ऊंचे करके उल्टी लेट गयी। प्रीती के संगेमरमरी चिकने मुलायम चूतड़ किसी का भी ईमान खराब करने के लिए काफी थे। मैं प्रीती के चूतड़ चूमने-चाटने लग गया। नीचे बैठ कर मैंने चूतड़ों के फैलाया और प्रीती के चूतड़ों गुलाबी भूरा छेद मेरे सामने था – बिलकुल बंद – टाइट। मैंने खूब सारा छेद चाटा और खड़ा हो गया।
मैं भी सोच कहा था – वाह री “पापा की परी प्रीती”, तेरा भी जवाब नहीं।
मैंने जैल – चिकनी क्रीम – प्रीती के चूतड़ों के छेद पर लगाई और जब क्रीम उंगली से छेद के अंदर लगाने लगा, तो मुझे लगा प्रीती की गांड का छेद कुछ ज्यादा ही टाइट है, उंगली को भी टाइट लग रहा है तो लंड कैसे जाएगा।”
मैंने प्रीती को कहा, “प्रीती तुम्हारी गांड के छेद में तो उंगली भी ज़बरदस्ती डालनी पड़ी मुझे, मेरा मोटा लंड इसमें कैसे जाएगा?”
प्रीती ने सर मोड़ा और मेरे तरफ देखते हुए बोले, “पापा यही फ़र्क़ है आपमें और मेरे पति गांडू सुखचैन में। मैं आपकी अपनी हूं, आपको मेरी दर्द की फिक्र है। उस साले भोसड़ी वाले सुखचैन ने तो अब तक जबरदस्ती लंड मेरी गांड अंदर डाल कर मेरी गांड चोद भी दी होती। एक बार ट्राई तो करो। डालो पापा गांड में लंड, कुछ नहीं होगा। ये आपकी बेटी की गांड है, फटने वाली नहीं – डालो अपना लंड मेरी गांड में और चोदो मेरी गांड। टेंशन मत लो।”
“टेंशन मत लो”, मेरी तो हंसी ही छूट गयी। प्रीती की गांड के छेद पर अच्छी तरह क्रीम लगा कर मैंने अपना लंड पकड़ा और थोड़ा सा प्रीती की गांड के छेद के ऊपर रख कर अंदर की तरफ धकेला। लंड अंदर जा नहीं रहा था।
मैंने फिर थोड़ा जोर लगाया, मगर फिर भी लंड अंदर नहीं गया। मैं रुक कर सोचने लगा, अब क्या करूं? क्या ज़बरदस्ती डालूं?
जब प्रीती ने देखा मैं लंड अंदर नही डाल रहा तो प्रीती बोली, “पापा आपसे नहीं हो पायेगा। आपको डर लग रहा है कहीं गांड ही ना फट जाए। आप लेटो मैं ही लेती हूं आपका लंड अपने चूतड़ों में।”
मेरे जवाब का इंतजार किये बिना प्रीती आगे हो गयी और पलट कर बिस्तर पर बैठ गयी और मुझसे बोली, “आओ पापा अब देर मत करो, लेटो बिस्तर पर। मैं ही कुछ करती हूं। आपका लंड गांड में लेने के लिए मैं मरी जा रही हूं, और आप गांड में लंड डाल ही नहीं रहे हो।”
मस्ती के मारे प्रीती के गाल लाल हो चुके थे। आंखें गुलाबी हो चुकी थी। मैं बिस्तर पर लेट गया। मेरा लंड तना हुआ सीधा खड़ा था।
प्रीती उठी थोड़ी जैल और अपनी गांड के छेद पर लगाई और थोड़ी मेरे लंड पर मल दी। प्रीती ने अपनी टांगें मेरे दोनों तरफ कर दी। नीचे हाथ डाल कर प्रीती ने लंड को पकड़ा और अपनी गांड का छेद लंड पर रख कर उस पर बैठने लगी।
लंड बिलकुल छेद पर था। प्रीती थोड़ा रुकी और फिर नीचे की तरफ हुई। लंड जरा सा छेद अंदर चला गया। प्रीती फिर से रुकी, लंड को अपनी गांड के छेद से हटाया और अपने गांड के छेद और लंड के ऊपर थोड़ी क्रीम और लगा ली।
प्रीती फिर से पहले की तरह लंड पकड़ कर लंड पर बैठने लगी। इस बार प्रीती ने थोड़ा जोर लगाया। मुझे साफ महसूस हुआ लंड थोड़ा सा अंदर गया है। प्रीती फिर से रुक गयी।
लंड चूतड़ों के छेद में अपनी जगह बनाने लगा था। प्रीती ने अब लंड छोड़ दिया। लंड चूतड़ों के छेद पर अटका हुआ था। प्रीती ने अपने हाथ मेरी छाती पर रखे और थोड़ा नीचे की तरफ हुई। लंड थोड़ा और अंदर चला गया। प्रीती दर्द से थोड़ा कसमसाई और बोली, “पापा दर्द तो हो रहा है, मगर आज आपका लंड गांड में डाल कर ही रहूंगी।”
प्रीती फिर से रुकी और और दस बारह सेकण्ड के बाद थोड़ा और नीचे हुई। लंड थोड़ा और अंदर चला गया। प्रीती ने हाथ नीचे करके लंड पकड़ कर महसूस कि कितना लंड अंदर जा चुका है। प्रीती को लगा आधा लंड अंदर है। प्रीती बोली, “पापा आधा लंड अंदर चला गया है। बस अब पूरा जाने ही वाला है।”
प्रीती थोड़ा रुकी, लंड बाहर निकाला और अपनी गांड पर थोड़ी क्रीम और लगा ली। प्रीती फिर से लंड पर बैठी और बैठती ही चली गए। लंड अब अंदर जा रहा था। प्रीति जरा सा रुकी और एक ही झटके से लंड पर बैठ गयी। प्रीती के बड़े-बड़े चूतड़ मेरे टट्टों को छू रहे थे। लंड पूरा प्रीती की गांड कि अंदर था। प्रीती कुछ देर ऐसे ही लंड पर बैठी रही और फिर बोली, “लो पापा गया पूरा अंदर।”
फिर प्रीती उठते हुए बोली, “चलो पापा असली काम हो गया। आपका लंड मेरी गांड में आखिर तक चला गया है। चलो अब जैसे भी मर्जी है करो, चोदो मेरी गांड। अब ये अंदर जाएगा। अब आप पीछे से मस्त चुदाई करो गांड की। गांड चोदने चुदवाने का मजा पीछे से ही आता है।”