पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-14
नसरीन जा चुकी थी। अगले दिन असलम मालिनी अवस्थी के क्लिनिक में आ गया। ढाई इंच गोलाई और सात इंच लम्बाई वाले लंड वाला असलम देखने में भी एक-दम मस्त था। असलम को देखते ही मालिनी की चूत में झुरझुरी और गांड में झनझनाहट होने लगी।
असलम कुर्सी पर बैठ गया। जब वो सहज हो गया तो मैंने, यानि मालिनी अवस्थी ने बात शुरू की।
“असलम तुम्हें पता ही होगा, कल मैं तुम्हारी अम्मी से बात कर चुकी हूं। तुम्हारी अम्मी मुझे सब कुछ – मतलब अपनी और तुम्हारी हर छोटी बड़ी बात बता चुकी है। मैंने तुम्हारी अम्मी की हर बात रिकार्ड की है और मैं तुम्हारी बातें भी रिकार्ड करूंगी। ये हमारा मनोचिकित्स्कों के काम करने का तरीका है।”
“जब तुम्हारा यहां काम खत्म हो जाएगा तो मैं टेप तुम्हें वापस कर दूंगी, या तुम्हारे सामने ही उसे डैमेज कर दूंगी। ठीक है?”
असलम ने भी कहा, “ठीक है मैडम, मैं समझता हूं। अम्मी ने भी मुझे ये बता दिया था।”
मैंने फिर कहा, “असलम चलो सीधे काम की बात करते हैं।”
“तुम्हारी अम्मी ने मुझे बताया है कि किन हालातों के चलते तुम्हारी अम्मी के जमाल के साथ जिस्मानी रिश्ते बन गए, और फिर हालात कुछ ऐसे बदले कि तुम और तुम्हारी अम्मी के बीच भी…।” मैंने यहां बात अधूरी छोड़ दी।
असलम मुझे थोड़ा परेशान सा लगा।
मैंने कहा, “देखो असलम कभी-कभी वक़्त ऐसे करवट लेता है कि चीजें इंसान के हाथ में नहीं रहती। मान लो अगर तुम्हारे अब्बू की बेवक़्त मौत ना हुई होती, तो तुम्हारी अम्मी दुकान पर जाना ही ना शुरू करती, और ना ही जमाल के साथ उनके जिस्मानी रिश्ते बनते।”
“और जमाल अगर दुबई ना जाता तो तुम्हारी और तुम्हारी अम्मी के भी इस तरह के जिस्मानी रिश्ते ना बनते।”
बात जारी रखते हुए मैंने कहा, “असलम साफ़-साफ़ बात ही करते हैं।”
मैंने कुर्सी थोड़ी सी आगे की ओर असलम से कहा, “मेरे कहने का मतलब ये है असलम कि तुम्हारी और तुम्हारी अम्मी कि चुदाई एक हादसे की तरह है और इस चुदाई में बहुत से ‘अगर-मगर और किन्तु परन्तु’ हैं।”
“एक मनोचिकित्स्क के हिसाब से – तुम्हारी अपनी अम्मी के साथ चुदाई पूरी तरह से हालात की देन है। अब वो बात अलग है कि हर चुदाई में औरत और मर्द दोनों को मजा आता है और हालातों के कारण बने रिश्ते धीरे-धीरे इंसानी और जिस्मानी जरूरत बन जाते हैं।”
“असलम तुम्हारी अम्मी की टेप की हुई पूरी बात सुनते हैं I फिर तुम मुझे बताना कि सब कुछ ऐसे ही हुआ, जैसे तुम्हारी अम्मी ने बताया है? इससे ये समझने की कोशिश करेंगे कि किन हालात में तुम्हारी अम्मी के जमाल और तुम्हारे साथ जिस्मानी रिश्ते बने और चुदाई चालू हुई। ये भी समझने जानने की कोशिश करेंगे कि अब आगे इन रिश्तों को ऐसे ही चलने देने की कितनी जरूरत है।”
मैंने असलम से कहा, “असलम आगे बढ़ने से पहले मुझे साफ़-साफ़ शब्दों में एक बार सिर्फ ये बताओ की तुम्हारी अम्मी चाहती हैं कि तुम्हारी शादी हो जाए, और तुम शादी करना नहीं चाहते। ऐसा क्यों है असलम? उम्र तो तुम्हारी शादी के लायक हो ही चुकी है।”
असलम का जवाब बड़ा सटीक था, “देखिये मैडम, अगर कोइ और मुझे ये सवाल करता तो मैं ये जवाब देता कि किसी को क्या लेना-देना है मेरी शादी से। मैं अभी शादी ना करूं या कभी भी ना करूं। अब आप एक मनोचिकित्स्क हैं, और अम्मी मुझे आपके पास लेकर ही इसलिए आयी है कि आप मुझे समझाएं और मैं शादी के लिए राजी हो जाऊं। इस लिए मैं आपको तो साफ़ ही बता देता हूं।”
असलम वैसे ही बोला, “मैडम मैं शादी इस लिए नहीं करना चाहता कि शादी के बाद मेरा प्यार और मेरा ध्यान दोनों बंट जाएंगे। ये भी हो सकता है कि मैं अम्मी का ध्यान ऐसा ना रख पाऊं जैसा मैं अभी रख रहा हूं। फिर अम्मी क्या करेगी?”
तो मेरा अंदाजा सही था। असलम अपनी अम्मी के ध्यान रखने यानी चुदाई करने के बारे में चिंतित था। उसका सोचना था उसकी चुदाई नसरीन – उसकी अम्मी और उसकी बीवी के बीच बंट जाएगी।
मैंने असलम से कहा , “असलम तुम्हारा जवाब बड़ा ही सही और सटीक है।”
“अच्छा असलम मैं तुम्हें तुम्हे अम्मी की टेप की हुई आवाज सुनाऊंगी। इसमें तुम्हारे बीच जिस्मानी रिश्तों – साफ़-साफ़ बात करते हैं – यानी चुदाई के रिश्तों की कहानी है। मतलब कि तुम्हारे अब्बू के इंतकाल के बाद तुम्हारी अम्मी की चुदाई कैसे और किन हालातों में वो चुदाई शुरू हुई और अब वो चुदाई कहां पहुंच गयी है।”
असलम के अम्मी अब्बू – नसरीन और बशीर की चुदाई का हिस्सा तो मैं फॉरवर्ड – आगे कर ही चुकी थी।
मैंने टेप वहां से चालू की जहां नसरीन कहती है, “असलम दस साल का था – अचानक मेरी सास फातिमा बेगम का इंतकाल हो गया। ये हमारे लिए बड़ी ही दुःख कि घटना थी। मुझे तो मेरी सास का बड़ा सहारा था। लेकिन मौत पर किसका जोर चलता है। सास के इंतकाल के बाद भी असलम अपनी दादी के कमरे में ही सोता था। जिंदगी कि गाड़ी चलती जा रही थी – वक़्त गुजरता जा रहा था।”
टेप चल रही थी और नसरीन की आवाज आ रही थी। नसरीन बोल रही थी कि उसकी जमाल के साथ चुदाई कैसे शुरू हुई। फिर जमाल का दुबई जाने का प्रोग्राम, जमाल के साथ नसरीन के आखरी सात दिनों की चुदाई, नसरीन की जमाल के साथ गांड चुदाई, असलम की परेशानी, असलम का मैगजीन लाना, असलम का अम्मी का चूत में पैन का कवर लेते हुए देखना, पहली बार असलम का पायजामे में ही लंड का पानी निकलना। नसरीन बता रही थी और सब कुछ असलम सुन रहा था।
जैसे-जैसे टेप चल रही थी, असलम का लंड अपने अम्मी की चुदाई की कहानी सुन सुन कर हरकत कर रहा था। जब भी नसरीन और जमाल की चुदाई के दौरान की हुई नसरीन और जमाल की बातें आती तो असलम को अपना लंड अपनी पेंट में दुबारा ठीक करना पड़ता।
टेप चल रही थी, और असलम की अम्मी नसरीन का आवाज आ रही थी। नसरीन बोल रही थी “टीवी की रौशनी असलम के लंड पर पड़ रही थी। नए-नए जवान हुए असलम का लंड बशीर और जमाल दोनों के लंडों से मोटा और लम्बा था। मेरी कलाई जितना मोटा और लम्बाई में मेरे आधे हाथ की लम्बाई से कम क्या होगा। मेरी चूत में ये सोच कर एक झनझनाहट सी हुई – ये लंड? क्या इतना मोटा लंड डालेगा असलम आज मेरी चूत में?” मैंने धीमी आवाज में असलम से पूछा, “असलम मेरी चूत में डालोगे इसे? चोदोगे आज अपनी अम्मी को?
नसरीन की इस बात के आते असलम फिर कुछ हिला और अपना लंड पेंट में ठीक से बिठाया।
यहां मैंने हाथ में पकड़े रिमोर्ट के साथ टेप रिकार्डर बंद कर दिया। साफ़ मालूम पड़ रहा था कि अपनी अम्मी के इतनी साफ़-साफ़ बातें सुनते-सुनते असलम का लंड हरकत करने लग गया था।
असलम ने खड़े होते हुए लंड को पेंट में ठीक करते हुए मेरी और देखा जैसे पूछ रहा हो क्या हुआ डाक्टर मैडम, बंद क्यों कर दिया? चुदाई की ऐसी साफ़-साफ़ दास्तान सुन कर असलम का लंड भी हरकत में आ गया था। पेंट के ऊपर से लंड का उभार साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैंने असलम के खड़े लंड की तरफ इशारा कर के पूछा, “क्या हुआ असलम? कुछ याद आ गया क्या?”
असलम ने मेरी बात का तो जवाब नहीं दिया मगर नीचे की तरफ देखते हुए कहा, “डाक्टर आपने टेप बंद क्यों कर दिया?”
मैंने कहा, “कुछ देर आराम कर लेते हैं – कुछ बातें करते हैं, टेप का क्या है, फिर चालू कर देंगे।”
फिर मैंने अपनी पहियों वाली कुर्सी असलम के पास खिसकाई और उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछा, “असलम क्या सच में ही तुम्हारा लंड इतना ही बड़ा है जितना तुम्हारी अम्मी बता रही थी – कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा।”
असलम मेरी इतनी साफ़ बात सुन कर कुछ परेशान सा हुआ और इतना ही बोला, “जी?”
मैंने फिर अपना सवाल दोहरा दिया, “मैंने पूछा है क्या सच में ही तुम्हारा लंड इतना ही बड़ा है, जितना तुम्हारी अम्मी बता रही थी – कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा। ये तो कम से कम साथ आठ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा हुआ। क्या सच में इतना बड़ा लंड है तुम्हारा?”
असलम थोड़ा सा शर्माते हुए बोला, “जी पता नहीं।”
और वैसे भी लड़का असलम अपने से दुगनी उम्र की डाक्टर को क्या जवाब देता। उसे भी तो मालूम ही था कि उसकी अम्मी नसरीन ने डाक्टर को अपनी और अपने बेटे असलम में हो रही चुदाई के बारे में सब कुछ बता दिया होगा।”
मैंने हाथ असलम के कंधे पर रखे-रखे ही कहा, “अच्छा मुझे दिखाओ।”
असलम फिर परेशान हुआ और बोला, “जी क्या दिखाऊं?”
मैंने कहा “अरे असलम, मैं कह रही हूं मुझे अपना लंड दिखाओ। मैं बस ये देखना चाहती हूं, क्या सच में ही ये इतना बड़ा है जितना तुम्हारी अम्मी नसरीन बता रही थी या नहीं। चलो खड़े हो जाओ, इधर मेरे पास आओ।”
साथ ही मैंने असलम के लंड पर हाथ फेरा। मुझे साफ़ महसूस हुआ कि मेरे हाथ फेरते ही असलम का लंड और सख्त हो गया था।
असलम कुर्सी से उठ कर खड़ा तो हो गया, अगर अपनी जगह से हिला नहीं।
मैंने असलम का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी पेंट की ज़िप खोल दी। मैंने लंड बाहर निकलने की कोशिश की मगर लंड पूरा खड़ा हो चुका था और सख्त हुआ पड़ा लंड पेंट की ज़िप से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
मैंने असलम की जींस के बटन खोले और पेंट नीचे खिसका कर लंड अंडरवियर में से बाहर निकाल लिया। असलम हैरान था कि ये क्या हो रहा था – ये मैं क्या कर रही थी।
असलम का लंड सच में ही बहुत बड़ा था। इतना बड़ा लंड बहुत कम लोगों का होता है ढाई इंच से लगभग मोटा और लगभग सात साढ़े सात इंच लम्बा।
ऐसा लंड देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मेरा मन असलम का मोटा और लम्बा लंड अपनी चूत में डलवाने का होने लगा। मेरी चूत में खलबली मच गयी। मैंने एकाएक असलम का लंड मुंह में लिया, और चूसने लगी। कुछ पल तो असलम ऐसे ही खड़ा रहा। असलम को समझ ही नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा था।
लेकिन औरत की लंड चुसाई के सामने एक मर्द कर भी क्या सकता है। जल्दी ही असलम को चुसाई का मजा आने लग गया और उसने “आआह डाक्टर आआआह डाक्टर”, कहते हुए मेरा सर पकड़ कर अपने चूतड़ आगे-पीछे करने शुरू कर दिए।
असलम का लंड बांस की तरह सख्त हो चुका था। मुझे लगा जोश में असलम लंड का पानी मेरे मुंह में ही ना निकाल दे। मेरा मन असलम का खूंटा अपनी चूत और गांड में लेकर चुदाई करवाने का था।
थोड़ा सा और चूसने के बाद मैंने लंड मुंह से निकाला और असलम से पूछा, “असलम मेरी चूत में डालोगे इसे? चोदोगे आज मुझे?”
हैरान असलम के मुंह से बात ही नहीं निकल रही थी। मैं खड़ी हुई, असलम का हाथ पकड़ा और क्लिनिक के साथ लगे अपने कमरे में ले गयी।
मैंने कहा, “असलम कपड़े उतार लो।”
ये कह कर मैंने अपनी साड़ी, ब्लाऊज़ ब्रा और पेंटी उतार दी। असलम आंखें फाड़-फाड़ कर मुझे देख रहा था। उसने सोचा भी नहीं होगा कि इस उम्र की डाक्टर ऐसी कड़क होगी। और वही बात असलम ने बोली, “डाक्टर मैडम आपका जिस्म तो मेरी अम्मी के जिस्म की तरह है, एक-दम कड़क।”
मैंने हंस कर कहा, “अच्छा? चल फिर दिखाओ अपने इस लंड का कमाल और निकालो मेरे इस जिस्म की कड़की I चोदो मुझे भी वैसे ही जैसे तुम अपनी अम्मी को चोदते हो।”
असलम आगे आ गया और मेरे मम्मों को हाथ में लेकर मसलने लगा।
मैंने नीचे हाथ करके असलम का लंड पकड़ लिया।
असलम मेरी पीठ पर हाथ फेरते-फेरते अपना हाथ मेरे चूतड़ों पर ले गया। चूतड़ों की दरार में हाथ लगाते-लगाते एक-दम असलम ने मुझे घुमा दिया और मुझे पकड़ कर मेरे साथ चिपक गया। असलम का खड़ा लंड अब मेरे चूतड़ों को छू रहा था। अचानक असलम बोला, “डाक्टर आपके चूतड़ बड़े सेक्सी हैं।”
मैं कुछ नहीं बोली। असलम ने ही कहा, “डाक्टर मैडम आप गांड भी चुदवाती हैं?”
मैंने पूछा, “क्यों असलम तुम्हे गांड चोदनी है क्या?”
असलम बड़ी ही डेमी आवाज में बोला, “मन तो कर रहा है मैडम गांड चोदने का।”
मैंने फिर असलम से साफ़-साफ़ कहा, “असलम मुझे गांड चुदवाने का कोइ ख़ास शौक नहीं, मगर गांड चुदवाने से कोइ परहेज भी नहीं। मैं चुदवाती हूं गांड।”
“फिर मैंने असलम के कंधे पर हाथ रख कर कहा, “असलम मेरा एक उसूल है। जब मैं किसी मर्द के साथ होती हूं, तो चुदाई में अपनी मर्जी नहीं करती। सामने वाले मर्द की मर्जी के हिसाब से चलती हूं और मजे लेती हूं।”
“आज तुम, एक चौबीस साल का जवान मोटे लंड वाला मर्द मेरे सामने है, आज चुदाई में तुम्हारी मर्जी चलेगी। जो करना चाहता है करो – जैसे चुदाई करना चाहते हो वैसे करो। जो चोदना चाहते हो वो चोदो।”
फिर मैंने असला का चेहरा पकड़ा और उसे अपनी तरफ करती हुई बोली, “लेकिन असलम तुम्हारा इतना मोटा लंड क्या मेरी गांड में चला जाएगा?”
असलम एक कुशल गांडू की तरह बोला, “मैडम वो आप मुझ पर छोड़ दीजिये, ये लंड आपकी गांड के अंदर जाएगा भी और आपकी गांड की मस्त रगड़ाई भी करेगा।”
मैंने हंसते हुए कहा, “वाह असलम, ऐसा है क्या? चलो ठीक है मगर एक बात है, अगर गांड चोदनी है तो गांड चोदने के बाद चूत भी रगड़नी पड़ेगी और मेरी चूत का पानी निकालना पड़ेगा।”
असलम ने खाली सर हिला दिया। असलम का लंड बिल्कुल सीधा खड़ा था। मैंने असलम के लंड को एक बार पकड़ कर दबा कर छोड़ दिया और कहा, “आ जाओ असलम, अब क्या सोच रहे हो, किस बात की देर है?”
असलम ने हंसते हुए अपना गधे जैसा लंड हिलाते हुए कहा, “मैडम कोइ देर नहीं मैडम, मैं तो बस आपके कड़क जिस्म, आपकी गांड और चूत के बारे में ही सोच रहा थ।”
फिर आगे बढ़ते हुए असलम बोला, “मैडम बस अब आप देखते रहिये।”
ये बोल कर असलम मुझे बिस्तर की तरफ ले जा ही रहा था कि मुझे कुछ याद आ गया। मैंने असलम के साथ होने वाली इस चुदाई को यादगार चुदाई बनाने के सोची।
मैंने असलम को कहा, “एक मिनट रुको असलम, मैं आती हूं।”
असलम एक-दम से रुक गया और मैं दरवाजा खोल कर क्लिनिक में चली गयी। वापस आ कर मैंने असलम के हाथ में एक हल्के बैंगनी रंग की गोली दे दी। ये विआग्रा थी।
मैंने कहा, “असलम ये खा लो। जितना वक़्त तुम चुदाई करते हो, इसे खाने के बाद उससे दुगना-तिगुना वक़्त चुदाई करोगे। फिर मेरे मुंह में लंड डालना, चूत में डालना या गांड में डालना। जितना देर चोदना चाहो उतना चोदना और मजे लेना।”
असलम ने वियाग्रा की गोली पकड़ते हुए पूछा, “ये क्या है डाक्टर? कोइ ख़ास गोली है क्या?”
मैंने जवाब दिया, “ये वियाग्रा है असलम। इसे खाने से लंड की सख्ती बढ़ जाती है और चुदाई का टाइम दुगना-तिगुना हो जाता है। लंड झड़ने का नाम नहीं लेता। चूत के ऐसी रगड़ाई होती है कि चुदते-चुदते चूत लाल हो जाती है।”
ये कहते हुए मैं हंस दी और असलम से बोली, “एक बार ट्राई करो, मजा आ जाएगा आज। तुमने खाई नहीं आज तक?”
असलम ने बस इतना ही कहा, “खाई तो नहीं मैडम, मगर सुना जरूर है इसके बारे में। कहते हैं इसको खाने के बाद आदमी एक-एक डेढ़-डेढ़ घंटे चुदाई कर सकता है।”
मैंने कहा, “बिल्कुल ठीक सुना है असलम, ऐसा ही होता है। तुम भी आज, अभी ट्राई करो। मजा आ जाएगा।”
फिर मैंने एक आंख दबा कर कहा, “एक बार अपनी अम्मी को भी चोदना ये खा कर। वो भी क्या याद करेगी।”
असलम ने इस बात का तो जवाब नहीं दिया और गोली निगल ली।
मुझे मालूम था गोली का असर होने में आधा घंटा लगता है।
मैंने असलम को कहा, “असलम गोली अपना असर आधे घंटे में दिखाना शुरू करेगी, तब तक तुम मेरी चूत चूसो और अपनी जुबान का करिश्मा दिखाओ, जैसे अपनी अम्मी को दिखाते हो।”
ये बोल कर मैं बिस्तर पर चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर टांगें उठा कर चूत चौड़ी कर दी। असलम आया और आ कर मेरी टांगों के बीच मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया और मेरी चूत का दाना चूसने लगा।
असलम सच में ही बढ़िया चुसाई करता था। नसरीन सच ही कह रही थी कि असलम मस्त चूत चुसाई करता है।
पंद्रह बीस मिनट की चुसाई के बाद ही असलम उठ गया और बेड से नीचे उतर कर बोला, “डाक्टर मेरा लंड फट जाएगा, पूरी तरह खड़ा हो गया है।”
मैं भी उठ गयी और बेड के किनारे पर बैठ कर असलम का लंड हाथ में पकड़ लिया। सच में ही असलम का लंड एक-दम लकड़ी के डंडे की तरह सख्त था। लगता था असलम पर वियाग्रा का असर जल्दी हो गया था।
अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-16