पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-17
हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-
आगरा से नसरीन का फोन आया हुआ था और मैं, मालिनी अवस्थी, नसरीन से बात कर रही थी। नसरीन बता रही थी –
“मालिनी जी, असलम उस रात मेरे साथ ही लेटा हुआ अपनी और निकहत की गांड चुदाई की कहानी सुना रहा था। असलम का खड़ा लंड मेरे हाथ में था। तभी असलम ने जो मुझे निकहत की उस चुदाई वाली रात की बातों के बारे में बताया, उसे सुन कर तो मेरी हंसी ही छूट गयी – असलम तो हंस ही रहा था।”
मैंने नसरीन से पूछा, “अरे नसरीन, असलम भी हंस रहा था – तुम्हें भी हंसी आ गयी? ऐसा क्या कह दिया उस लड़की ने कि असलम के साथ साथ तुम्हारी भी हंसी छूट गयी?”
“हंसते हुए नसरीन बोली, “मालिनी जी गांड चुदवाने की बात पर निकहत असलम से बोली – अब असलम पागल तो बनाओ मत। मेरी गांड चुदवाने की बात करने से ही देखो तुम्हारे लंड की क्या हालत हो गयी है, एक-दम से कड़क हो गया है। तुम तो पहली रात से ही मेरी गांड चोदना चाहते थे। तुम्हारा बस चलता तो पहली चुदाई की रात को भी मेरी फुद्दी तो तुम बाद में मारते, गांड पहले मारते।”
“चुदाई की रात को भी मेरी फुद्दी तो तुम बाद में मारते गांड पहले मारते।” मालिनी जी जब निखत ने मुझसे ये कहा तो मैं भी सोचने लगी के ये निकहत भी ना!
“मालिनी जी असलम बता रहा था, “अम्मी निकहत बोली, “तो अब भी तुम कौन से कम हो, जब भी पीछे से मेरी फुद्दी चोदते हो, थोड़ा सा लंड गांड में डालते ही डालते हो। चलो अब ये ड्रामा छोड़ो और बताओ कैसे डालोगे गांड में?”
नसरीन की ये बात सुन कर तो मेरी भी हंसी छूट गयी – मैंने नसरीन से कहा, “क्या कमाल की लड़की है ये निकहत तो। ऐसा बोल गयी असलम को? कमाल है।”
“नसरीन बोली, “मालिनी जी फिर मैंने असलम से पूछा, “तो असलम क्या डाला तुमने निकहत की गांड में?”
“असलम बोला, “अम्मी निकहत की गांड में तो डाला ही डाला – और भी बहुत कुछ कर दिया उस एक ही रात में। अम्मी पहले पूरी बात सुनो, बड़ी मजेदार कहानी है, बड़ा मजा आएगा आपको।”
“मालिनी जी असलम बोला, “अम्मी मैंने निकहत की बात सुन कर कहा, निकहत पहले ये बताओ मालिनी जी ने तुम्हें और क्या क्या करने को कहा, और तुम्हारा लंड गांड में लेने का डर कैसे खत्म हो गया?”
“निकहत बोली, “असलम सच-सच बताऊं, आंटी के पास तो बहुत सारी चीजें हैं चुदाई जैसे मजे लेने के लिए। उनमें से आंटी के पास एक लंड जैसा भी कुछ था, तुम्हारे लंड जितना लम्बा, मगर कम मोटा।असलम वो लंड एक कमरबंन्द – बेल्ट के साथ लगा हुआ था। उस लंड के पीछे दो टट्टे भी लटक रहे थे, जो तुम्हारे टट्टों के तरह ही दिखते थे। आंटी ने वो बेल्ट अपनी कमर में बांध ली। बेल्ट के साथ लगा लंड बिलकुल ऐसे सीधा था जैसा तुम्हारा लंड मेरी फुद्दी चोदते वक़्त सीधा खड़ा होता है।”
ये बोलते हुए निकहत फिर से हंस दी।
“फिर असलम आंटी बोली, चलो निकहत उठो, मैं डालती हूं इसे तुम्हारी गांड में। फिर मुझे बताना मजा आया या नहीं आया।”
“असलम आंटी ने मुझे खड़ा किया और मुझे बेड के किनारे पर उल्टा लिटा दिया और मेरे चूतड़ थोड़े से ऊपर कर दिए। फिर आंटी ने मेरे चूतड़ खोले और कोइ क्रीम सी मेरे चूतड़ों के छेद के ऊपर और उंगली से छेद के अंदर भी लगा दी। फिर आंटी ने “वो” वाला लम्बा लंड मेरे चूतड़ों के छेद पर रख कर एक ही बार में पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया। असलम, मैं अब तुम्हें क्या बताऊं, मुझे तो बड़ा ही मजा आया जब वो लंड मेरी गांड में गया। जब लंड अंदर गया तो थोड़ा सा दर्द भी हुआ मगर इतना भी नहीं सहा ही ना जा सके। इसके बाद आंटी लंड आगे-पीछे करने लगी जैसे तुम मेरी फुद्दी मारते वक़्त लंड आगे-पीछे करते हो।”
“असलम उस लंड के पीछे वाले बड़े-बड़े टट्टे, मेरी फुद्दी से टकराते थे और ठप्प-ठप्प के आवाज आती थी। सच में असलम मुझे तो बड़ा मजा आ रहा था। उसी वक़्त मैंने सोच लिया था कि अब मैं तुम्हारा लंड गांड में भी लिया करूंगी – जब भी तुम अपना लंड मेरी गांड में डालना चाहोगे तभी अपनी गांड में तुम्हारा लंड ले लिया करूंगी।”
“और असलम, आंटी ने वो लंड मेरी गांड में डाला हुआ था और आगे-पीछे कर रही थी, जल्दी ही मेरी तो फुद्दी का पानी निकल गया और मुझे मजा गया। आंटी ने जैसे ही देखा मुझे मजा आ गया हैं, उन्होंने वो लंड मेरी गांड में से बाहर निकाल लिया।”
“मेरी गांड मारने के बाद आंटी मेरे पास ही लेट गयी ने मुझे और भी बहुत कुछ समझाया। आंटी की उंगली मेरी फुद्दी के अंदर थी। तभी आंटी उठ गयी ने मुझे बोली, “निकहत बेटा अब ये लंड अपनी कमर पर बांधो और मेरे गांड चुदाई करो और मुझे भी मजा दो।”
“असलम मुझे हंसी भी आ रही थी और मजा भी आ रहा था। मैंने वो लंड अपनी कमर पर बांधा और पीछे से आंटी कमर पकड़ कर वो लंड आंटी की गांड के अंदर दाल दिया और आंटी की गांड चुदाई शुरू कर दी। असलम जब मैं आंटी की गांड में वो लंड अंदर-बाहर कर रही थी तो मुझे हंसी भी और रही थी और मजा भी आ रहा था। आंटी की इस गांड चुदाई में आंटी की फुद्दी को भी वैसा ही मजा आ गया जैसा मेरी फुद्दी को आया था।”
“असलम आंटी बड़ी ही अच्छी है। आंटी ने मुझे चुदाई के साथ-साथ जो-जो भी करने के लिए बताया हम वो सब आज ही करेंगे। चलो अब उठो और पहले तो अपना लंड मेरी गांड में डालो। देखो गांड चुदाई के ख्याल से ही कितना सख्त हुआ पड़ा है।”
“नसरीन बता रही थी, “बस मालिनी जी उसी दिन असलम ने निकहत की गांड चोद दी। गांड चुदाई कि बाद निकहत बोली, असलम अभी यहां ही रुकना, अभी मैं तुम्हारा लंड मुंह में भी लूंगी। इसके बाद निकहत ने असलम का लंड चूस-चूस कर असलम के लंड का पानी निकाल दिया और मालिनी जी, मजे की बात ये कि लड़की असलम के लंड का पूरा पानी भी चाट गई। मालिनी जी बात यहां भी नहीं खत्म हुई। लंड चुसाई के बाद निकहत असलम को बाथरूम में ले गई और टॉयलेट सीट पर बैठ कर नीचे हाथ करके अपनी फुद्दी खोल दी और असलम से बोली, लो असलम अब मूतो मेरे फुद्दी पर।”
”असलम कह रहा था, “अम्मी ये तो सच में ही कमाल हो गया। मालिनी जी ने तो एक ही रात में निकहत को पूरा ट्रेंड कर दिया। निकहत तो अब सब कुछ करने लग गई है जो आप और मैं करते हैं।”
“बस मालिनी जी मुझे इसी बात की है कि बड़ी खुशी हुई कि असलम और निकहत अब चुदाई का पूरा लुत्फ़ उठाया करेंगे।इसके बाद तो मालिनी जी मस्त हुए पड़े असलम ने मेरी ऐसी गांड रगड़ाई की कि मजा ही आ गया।
“मालिनी जी ये तो हुई मेरी और असलम के चुदाई की बात। अब आगे भी सुन लीजिये, जिसके लिए खास आज फोन किया है।”
मैंने हैरानी से नसरीन से पूछा, “नसरीन अभी भी कुछ रह गया गया है क्या बताने को?”
नसरीन बोली, “मालिनी जी असली बात तो अब बतानी है जिसके लिए मैंने आपको फोन किया है।”
मैंने पूछा, “असली बात?”
नसरीन बोली, “जी मालिनी जी असली बात। और वो असली बात ये हैं कि निकहत ने परसों रात मेरी फुद्दी भी चूस ली।”
मैंने नसरीन से कहा, “निकहत ने तुम्हारी फुद्दी चूस ली? वाह नसरीन ये तो कमाल ही हो गया, अब ये कैसे हुआ?”
नसरीन कुछ बोलती, इससे पहले ही मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन एक मिनट होल्ड करना, मैं पीछे कमरे में जा कर मोटा लंड अपनी चूत में डाल लूं, लगता है आज तुम्हारी बातें सुन-सुन कर रबड़ का मोटा लंड आज चूत में डालना ही पड़ेगा।”
नसरीन हंसते हुई बोली, “अरे मालिनी जी रबड़ का लंड क्यों, संदीप को क्यों नहीं बुला लेती? एक फोन ही तो करना है, जब तक मेरी आपकी कहानी पूरी होगी, वो तो पहुंच भी जाएगा। आपकी फुद्दी चोदने के लिए तो वो वैसे ही पागल रहता हैं।”
“मैंने भी हंसते हुए कहा, “उसको भी बुला लेंगे जब इस बार तुम यहां आओगी, तब बुला लेंगे। मैं अकेली ही क्यों उसके मोटे लंड का मजा लूं, तुम भी मजा लेना उसके मोटे लंड का।”
ये कहते-कहते मैं पीछे के कमरे में आ गयी अलमारी में से सब से मोटा रबड़ का लंड निकला, जैसलमेर जिन के दो घूंट लगाए, बोतल साथ ही लेकर सोफे पर बैठ गयी और नसरीन से बोली, “चलो नसरीन शुरू हो जाओ। लंड भी तैयार है, चूत भी तैयार और जिन के दो घूंट भी लगा लिए हैं।”
नसरीन हंसते हुई बोले, “आप भी मालिनी जी पूरे मजे लेती हैं। चूत के मजे लेना तो कोइ आपसे सीखे।”
इसके बाद नसरीन ने जो कहानी सुनाई वो सच में ही चूत में आग लगाने वाली थी।
नसरीन बताने लगी, “मालिनी जी ये आठ-दस दिन पहले की बात है – असलम को करनाल जाना था, चार दिन के लिए। लिबर्टी वालों ने स्पोर्ट्स शूज़ के कुछ नए डिज़ाइन निकाले थे, उसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश के लिबर्टी शूज के शोरूम मालिकों को बुलवाया था। असलम का चार दिन का प्रोग्राम था, मतलब तीन रातों के लिए असलम को करनाल में ही रुकना था।”
“मालिनी जी मुझे थोड़ी से हैरानी हुई थी कि निकहत इस बार अपने मायके नहीं गयी थी और ये पहली बार हुआ था कि असलम कहीं बाहर गया था और निकहत अपने मायके नहीं गयी थी।”
“लेकिन इस बार निकहत अपने मायके क्यों नहीं गयी थी, उसके वजह उसी रात को इसकी वजह पता चल गयी।”
“मालिनी जी वो असलम का आगरा से बाहर का पहला दिन था। सुबह-सुबह ही असलम करनाल के लिए निकल गया था। निकहत मायके गयी नहीं थी। रात को खाना खाने के बाद मैं लेटी हुई सोने की तैयारी में थी। मालिनी जी जब भी असलम कहीं गया होता है तो और निकहत घर पर ही होती है तो को मैं रात को दरवाजा अंदर से बंद नहीं करती हूं।”
“अभी रात के दस भी नहीं बजे थे कि तभी निकहत अपनी नाईट ड्रेस – गाऊन पहने हुए मेरे कमरे में आ कर मेरे बेड के पास खड़ी हो गयी। कमरे की लाइट तो जल ही रही थी। मैंने देखा निकहत ने गाऊन के नीचे ना तो ब्रा ही पहनी थी ना चढ्ढी ही। झीने हल्के पीले रंग के गाऊन में से निकहत के मम्मों के हल्के भूरे निप्पल और चूत कि पतली सी लाइन दिखाई दे रही थी।”
“निकहत के इस तरह आने मैं कुछ हैरान सी हुई, लेकिन निकहत को ऐसी ड्रेस में देखने भर से मेरी फुद्दी थोड़ी सी गीली हो गई। मैंने निकहत से पूछा क्या हुआ निकहत बेटा नींद नहीं आ रही?
“निकहत ने मेरी बात का तो जवाब नहीं दिया मगर बोली, “अम्मी आज मैं आपके साथ सो जाऊं?”
“मैंने कहा, “आजा बेटा, आजा सो जा इसमें पूछने की क्या बात है।” ये कह कर मैं थोड़ा एक तरफ हो गयी।
“मगर मालिनी जी, निकहत मेरे पास लेट तो गयी, मगर वो करवटें बदल रही थी, सो नहीं रही थी। मुझे लगा निकहत को या तो नींद नहीं आ रही, या फिर वो मुझसे कुछ बात करना चाहती थी। मैंने निकहत की तरफ मुंह करते हुए पूछा, “क्या हुआ निकहत, नींद नहीं आ रही? कुछ परेशानी है क्या? कुछ बात करनी हैं क्या?”
“निकहत बोली, “अम्मी परेशानी तो कोइ नहीं, मगर हां मुझे आपसे कुछ बात करनी थी।”
“मैंने सोचा कि असलम के साथ तो निकहत का सब कुछ शुरू हो चुका है, गांड चुदाई, मुंह में लंड का पानी और फिर एक-दूसरे के ऊपर मूतने वाला काम भी, फिर अब क्या बात करना चाहती है निकहत जो दिन में नहीं हो सकती थी और निखत इस तरह इस तरह की ड्रेस पहन कर मेरे पास आयी है। मैंने सोचा कहीं असलम ने कुछ और जोर-ज़बरदस्ती तो नहीं कर दी?”
“मैंने कहा, “निकहत मैं तुम्हारी अम्मी हूं, मुझसे क्या पर्दा? जो बात करनी है खुल करो। क्या असलम ने कुछ कहा है? क्या असलम ने कुछ किया है?”
“निकहत मुझे बीच में ही टोकती हुई बोली, “नहीं-नहीं अम्मी, असलम ने कुछ नहीं किया। असलम की कोइ बात नही।”
“फिर कुछ सेकण्ड रुक कर निकहत बोली, “कुछ और बात थी अम्मी। आप सुन कर आप गुस्सा तो नहीं करेंगी?”
“मैंने निकहत कि गाल का एक चुम्मा लेते हुए कहा, “अरे निकहत ये क्या कह रही हो। जो भी कहना चाहती हो कहो। क्यों भूल रही हो मैं तुम्हारी अम्मी हूं। मैं तुम्हारी बात का गुस्सा क्यों करूंगी?”
“फिर निकहत ने अपना गला साफ़ किया जैसे कुछ कहने के लिए हिम्मत जुटा रही हो।”
“इसके बाद तो मालिनी जी निकहत ने जो कहा, उसने तो मेटी चूत में बाढ़ ही ला दी – भर गई मेरी फुद्दी पानी से। मुझे असलम के मोटे लंड की जरूरत महसूस होने लगी, पता नही निकहत की जवान फुद्दी का क्या हो रहा होगा?”
“नसरीन की बात सुन कर मैंने अपनी टांगें सोफे पर रख दी और रबड़ का मोटा लंड अपनी चूत में डाल के लंड के आगे तकिया रख दिया जिससे लंड बाहर ना निकल सके। मैंने जैसलमेर जिन का एक मोटा घूंट और भरा और पूछा, “ऐसा क्या नसरीन? क्या बोली निकहत जो तुम्हारे फुद्दी की ऐसी हालत हो गयी?”
“मालिनी जी, निकहत बोली, “अम्मी पिछले महीने मैं जब कानपुर वाली आंटी के घर पर रुकी थी ना, जब मुझे रात को भी वहीं रुकने के लिए छोड़ कर गयी थी?”
“मैंने कहा, “याद है निकहत बड़ी अच्छी तरह याद है, और तुम्हें भी मालिनी जी के यहां रुकने में बहुत मजा आया था। फिर?”
“निकहत बोली, “अम्मी आंटी ने मुझसे बहुत सारी बातें की, मुझे बहुत कुछ बताया और समझाया। ये कह कर निकहत चुप हो गयी।”
“मैंने कहा, “बोलो निकहत चुप क्यों हो गयी? क्या बहुत सारी बातें की, क्या समझाया?”
“निकहत बोली, “अम्मी मुझे शर्म आ रही है।”
“मैंने कहा, “किससे शर्म आ रही है? मुझसे? मुझसे क्या शर्माना? बेटियां तो अपने अम्मी से ही तो खुल कर बातें करती हैं। और फिर मैं भी तो तेरी ही तरह औरत हूं।”
“लेकिन मालिनी जी तब तक कुछ-कुछ बातें मुझे समझ आना शुरू हो चुकी थी। निकहत के शर्म दूर करने के लिया मैंने निकहत के पेट पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। निकहत के तने हुए मम्मों के जरा सा ही नीचे मेरा हाथ था। मालिनी जी मन तो कर रहा था कि निकहत के मम्मे दबा दूं , बस वही बात थी कि निकहत मेरे बेटे की बीवी थी, मैं ये करूं भी तो कैसे करूं?”
“निकहत ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरा हाथ हल्का हल्का दबाने लगी और बोली, “अम्मी, आंटी ने मुझे असलम के साथ “वो काम” करते हुए “उस काम” के साथ-साथ और क्या-क्या करना चाहिए ऐसी बहुत सारी बातें बताई।”
“मालिनी जी मुझे लगा अब इस लड़की की शर्म दूर करनी चाहिए। मैंने निकहत की शर्म दूर करने के लिए कहा, “वो काम क्या निकहत? वो जो लड़का-लड़की शादी के बाद बंद कमरे में करते हैं?”
“निकहत बोली जी अम्मी वही काम।”
“मैंने अपना हाथ निकहत के मम्मे के थोड़ा और पास करते हुए कहा, “तुम्हारा मतलब तुम्हारी और असलम की चुदाई से है?”
“निकहत धीरे से बोली, “जी अम्मी।” इसके साथ ही निकहत का हाथ मेरी चूत पर पहुंच गया।”
“मालिनी जी मैंने निकहत से पूछा, “निकहत बेटा, मालिनी जी ने जो कुछ तुम्हें समझाया वो ठीक लगा तुम्हें?”
“निकहत बोली, “जी अम्मी, ठीक तो लगा।”
“मैंने फिर कहा, “तो फिर करती हो वो सब काम असलम के साथ?”
“निकहत बोली, “जी अम्मी करती हूं।”
“ये कहते हुए निकहत ने अपना हाथ मेरी चूत से हटा कर मेरा हाथ थोड़ा और ऊपर कर दिया, अपने मम्मे के बिलकुल पास और फिर से अपना हाथ वापस मेरी चूत पर रख दिया।”
“मैंने अपना हाथ थोड़ा और ऊपर कर दिया और निकहत से पूछा, “निकहत बेटा सच सच बताना। अच्छा लगता है ये सब करते हुए – तुम्हें और असलम को? मालिनी जी मेरा हाथ निकहत के मम्मे को छू रहा था?”
“निकहत बोली, “बहुत अच्छा लगता है अम्मी, मुझे भी और असलम को भी – हम दोनों को ही अच्छा लगता है।”
नसरीन बता रही थी, “मालिनी जी अब इस बारे में निकहत से कुछ और नहीं पूछना चाहती थी। ये तो उसके और असलम के बीच बंद कमरे का मामला था, मुझे तो मालिनी जी हैरानी हो रही थी कि आखिर निकहत मुझे ये सब बता ही क्यों रही है?”
“मगर मालिनी जी ये भी जल्दी ही मालूम पड़ गया कि निकहत मुझे ये सब क्यों बता रही थी। असल में निकहत चूत चुसाई का मजा लेना चाहती थी – मेरी चूत चूसने के लिए आई थी।”
“मैंने निकहत से कहा, “ये तो बड़ी अच्छी बात है निकहत। और क्या-क्या बातें हुई मालिनी जी कि साथ?”
“मालिनी जी, निक़हत ने जो बताया वो भी किसी चुदाई की फिल्म से कम नहीं था। सच में आपने तो मालिनी जी, आपने तो एक ही रात में निक़हत को चुदाई के असली मजे से अनजान जवान लड़की से चुदाई के पूरे मजे लेने वाली औरत बना दिया।”
“मालिनी जी, निकहत बोल रही थी, “अम्मी, उस रात को मैं आंटी के साथ ही लेटी हुई थी तभी आंटी उठी और आंटी टीवी पर ने “वो” वाली फिल्म लगा दी जिसमें लड़का-लड़की “वो” वाला काम मतलब लड़की-लड़के चुदाई करते हैं।” फिर निकहत कुछ चुप हुई और फिर बोली, “अम्मी वो फिल्म देखते हुए मझे अजीब सा मजा आ रहा था।”
“अम्मी अभी फिल्म में लड़का-लड़की की चुदाई चल ही रही कि आंटी ने फिल्म रोक दी। मैंने आंटी की तरफ देखते हुए आंटी से पूछा, आंटी रोक क्यों दी मजा आ रहा था।”
“अम्मी तभी आंटी ने तो कमाल की बात कर दी। अम्मी मैं तो हैरान ही रह गयी कि आंटी क्या ऐसी बातें भी करती हैं?”
“मालिनी जी मुझे तो तब तक काफी कुछ समझ आ ही चुका था मगर मैंने फिर नहीं निकहत से पूछा, “कैसी बातें बेटा? क्या कहा मालिनी जी ने?” मालिनी जी तब तक मेरा हाथ निकहत के तने हुए मम्मों के ऊपर पहुंच चुका था। मेरे हाथ और निकहत के मम्मों के बीच बस वो झीना पीले रंग का गाऊन था।”
“निकहत ने गाऊन के ऊपर से ही मेरी चूत पर हाथ ऊपर-नीचे करते हुए कहा, “अम्मी आंटी बोली, “पूरी रात अपनी है मेरी जान। अब ज़रा अपने पीछे वाले मुलायम मुलायम चूतड़ चटवाओ, अपनी गुलाबी गुलाबी फुद्दी का नमकीन रस पिलवाओ।”
“अम्मी मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के आंटी ये क्या बोल रही थी। मगर इससे पहले के मैं आंटी से कुछ पूछती या बोलती, मेरे बोलने से पहले ही आंटी ने मेरे चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख दिये और आंटी मेरे ऊपर उल्टा लेट गयी। आंटी की चूत मेरे मुंह पर थी, और आंटी का मुंह मेरी फुद्दी पर।”
“अम्मी आंटी ने मेरी टांगें थोड़ी सी खोली और मेरी चूत को चौड़ा कर के अपनी जुबान मेरी फुद्दी में डाल दी। अम्मी आंटी की फुद्दी तो बिलकुल मेरे मुंह के ऊपर ही थी। आंटी मेरी फुद्दी चूस रही थी और मैं आंटी की।”
“अम्मी, तभी आंटी थोड़ा आगे की तरफ हुई और मेरी टांगें थोड़ी सी और ऊपर कर के मेरे चूतड़ों को खोला और मेरे चूतड़ों का छेद अपनी जुबान से चाटने लगी। अम्मी मेरे लिए तो ये सब कुछ बिलकुल नया सा ही था। अम्मी, आंटी जब आगे हुई तो आंटी के चूतड़ों का छेद मेरे मुंह की आगे आ गया। मैंने आंटी के चूतड़ों को फैलाया और जैसे आंटी मेरे चूतड़ों का छेद चाट रही मैंने भी आंटी के चूतड़ों का छेद चाटना शरू कर दिया। अम्मी मुझे ये सब करते हुए बड़ा मजा सा आ रहा था, आंटी को भी आ ही रहा होगा।”
“मालिनी जी मेरी फुद्दी पूरी तरह गरम हो चुकी थी, और मुझे मजा भी आने लगा था। मैं निकहत के मम्मों पर हाथ फेरने लगी और मैंने निकहत से पूछा, “निकहत बेटा क्या सच में ही आंटी ने यही बोला था कि पूरी रात अपनी है मेरी जान। अब ज़रा अपने पीछे वाले मुलायम-मुलायम चूतड़ चटवाओ, अपनी गुलाबी-गुलाबी फुद्दी का नमकीन रस पिलवाओ?”
अगला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-19