अजब गांडू की गजब कहानी-14

पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-13

चित्रा बता रही थी, ”चाची के कहने से अंकल से चुदाई करवाने के लिए तो मैं तो तैयार हो ही चुकी थी, मगर मुझे ये समझ नहीं आ रहा था, कि अंकल अपने बेटे की बीवी की चुदाई के लिए कैसे मान गए?

फिर मुझे लगने लगा क्योंकि युग गांडू होने के कारण मेरी चुदाई नहीं कर पा रहा था, इसलिए चाची और अंकल ने आपस में बात की होगी कि जवान लड़की है, उसे तो चुदाई तो चाहिए ही चाहिए। कहीं ऐसा ना हो ये किसी बाहरी मर्द से चुदाई के चक्कर में पड़ कर घर की इज्जत का कचरा ही करवा बैठे।

चाची के बात करने पर अंकल इतना तो समझ ही गए होंगे, कि चाची की चिंता ठीक थी। चित्रा जवान है, एक नई ब्याहता जवान लड़की को चुदाई तो चाहिए ही होती है। और फिर जब चाची ने अंकल से युग के गांडू होने के कारण मेरी चुदाई ना कर पाने की बात की होगी, तो अंकल को भी लगा होगा कि इस मामले में कुछ ना कुछ तो करना ही होगा। और इसी कारण अंकल मेरी चुदाई को अपने जिम्मेदारी समझ कर राजी हो गए होंगे।

इस जिम्मेदारी समझ कर चुदाई करने वाली बात पर मैं तो सोच रही थी, कि अंकल हद से हद क्या करेंगे। अपना लंड खड़ा करके मेरी चूत में डालेंगे, लंड के धक्के लगाएंगे, चुदाई करेंगे और मेरा पानी छुड़ा कर मुझे चुदाई का मजा दे देंगे, और बस। ये हो जाएगी मेरी चुदाई और मैं दस पंद्रह मिनट या हद हुई तो आधे घंटे में चुदाई करवा कर और चूत का पानी छुड़वा कर अपने कमरे में वापस आ जाऊंगी। यही कुछ सोचते-सोचते मैं अंकल के कमरे में पहुंच गयी। अब आगे।

— अंकल का लम्बा मोटा लंड

कमरे में पहुंच कर दरवाजा बंद करके जैसे ही मैं मुड़ी, और जो मैंने देखा, उसने तो मुझे हैरान ही कर दिया। अंकल बिस्तर पर लेटे हुए थे, बिल्कुल नंगे। टीवी चल रहा था। टीवी और नाईट बल्ब की कमरे की लाइट में अंकल का खूंटे जैसा खड़ा लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। युग के लंड से दुगने साइज़ का लंड अंकल के हाथ में था और अंकल अपने लंड पर हाथ फेर रहे थे।

राज, मैंने सोचा था कुछ और, निकला कुछ और। अंकल के युग के लंड से दुगने लंड को देख कर तो मेरी चूत में खुजली मच गयी। मुझे तो लगने लगा जैसे अंकल का लंड मेरी चूत में ही गया हुआ था। मैं तो खड़ी-खड़ी ही अंकल का लंड अपनी चूत में महसूस करने लगी।

मन किया भाग कर जाऊं और अंकल को बोलूं, “अंकल सोच क्या रहे हो, डालो ये खूंटा मेरी चूत में और करो मेरी चुदाई, बुझाओ मेरी प्यासी चूत की प्यास। झाग निकाल दो चोद-चोद कर मेरी चूत में से।”

और राज वही हुआ भी। उस रात मेरे साथ हुआ, जैसी मेरी चुदाई अंकल ने की, उसकी तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी। अंकल के लम्बे मोटे, युग के लंड से दुगने साइज़ के लंड ने मेरी चूत का बैंड बजा दिया। मैं जिंदगी भर उस रात की हुई अपनी चुदाई को नहीं भूल सकती।”

— चित्रा की अंकल के साथ चुदाई शरू।

चित्रा बता रही थी, “मैं कमरे में दाखिल हुई और पीछे दरवाजा बंद कर दिया। अंकल हाथी की सूंड जैसा लंड देख मेरी चूत में कुलबुलाहट मच गयी।‌

जैसे ही मैंने दरवाजा बंद किया I अंकल ने रिमोट से टीवी बंद कर दिया। कमरे में अब लगभग अंधेरा ही था। नाईट बल्ब की रोशनी में चीजों की बस झलक सी दिखाई दे रही थी। मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ी और बेड के पास जा कर खड़ी हो गयी।

अंकल ने कहा, “आओ चित्रा आओ।”

चित्रा मुझे बता रही थी, “राज ये पहली बार था कि अंकल के व्हिस्की पीने के बाद मैं उनके पास गयी थी। वैसे तो घर का कोइ भी सदस्य, जब अंकल पी रहे होते तो उनके कमरे में नहीं जाता था, तुम्हारे पापा को छोड़ कर। खाना भी या तो अंकल कमरे में मंगवा लेटे और पीने के साथ-साथ खाते थे, या फिर रात का खाना खाते ही नहीं थे।”

“वैसे भी हिस्की के साथ खाने का काफी सामान, नमकीन, ड्राई फ्रूट वगैरह उनके कमरे की अलमारी में ही पड़ा रहता है।”

अंकल ने जब कहा, “आओ चित्रा आओ “, तो अंकल की आवाज से साफ़ लग रहा था की अंकल नशे में थे। अंकल की आवाज में हल्की लड़खड़ाहट थी I अगर अंकल नशे में नहीं भी थे, तो भी सुरूर में तो जरूर थे। अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर बिठा लिया और मेरे हाथ पर अपना हाथ फेरने लगे।

कुछ देर अंकल चुप-चाप ऐसे ही मेरा हाथ सहलाते दबाते रहे। फिर अंकल बोले, “चित्रा, मुझे सुभद्रा ने युग के और तुम्हारे बारे में मुझे सब बता दिया है। सुन कर मुझे सच में ही बड़ी परेशानी हुई थी, कि युग ऐसा निकल गया। हम में से किसी को कभी उसका ऐसा होने का पता ही नहीं था।”

मैंने बस “हूं हूं हां हां ” कर रही थी।

फिर अंकल बोले, “चित्रा सुभद्रा बता रही थी कि तुम लोग किसी लखनऊ मनोचिकित्स्क के पास गए थे।”

इसके बाद अंकल कुछ देर चुप रहे।

फिर अंकल बोले, “सुभद्रा ने मुझे इशारों इशारों में सब बातें बताई हैं। बिचारी ढंग से कुछ बता ही नहीं पा रही थी। लेकिन चित्रा मैं अच्छे से समझ गया हूं कि तुम्हें क्या चाहिए। युग का अच्छे से अच्छे डाक्टर से इलाज करवाऊंगा। सुभद्रा बता रही थी, कि युग को ठीक होने में कुछ वक़्त लग सकता है।”

इसके बाद अंकल थोड़ा रुके और फिर बोले, “चित्रा, जब तक युग तुम्हारे साथ ये सब करने लायक नहीं हो जाता, तब तक मैं युग की कमी महसूस नहीं होने दूंगा। मैं तुम्हारे साथ वो सब कुछ करूंगा जो युग ऐसा होने के कारण नहीं कर पा रहा। मैं तुम्हें हर वो मजा दूंगा जो युग तुम्हें नहीं दे पा रहा।”

अंकल की बातों से मुझे शर्म सी भी आ रही थी और मेरी चूत फुरर्र फुर्र पानी भी छोड़ रही थी। अंकल बातें भी करते जा रहे थे और मुझे अपनी तरफ खींचते भी जा रहे थे।

मेरे मुंह से वही “हूं हूं हां हां” की आवाज निकल रही थी। अपनी तरफ खींचते-खींचते अंकल ने मुझे अपने पास ही लिटा लिया।

अंकल सीधे लेटे हुए थे। बात करते-करते अंकल ने करवट ले ली। अब अंकल का मुंह मेरी तरफ हो गया। अंकल का खड़ा खूंटे जैसा खड़ा और सख्त लंड मेरे चूतड़ों को छू रहा था। खड़े लंड के एहसास से ही मेरी चूत पानी-पानी हो गयी।

अंकल मेरे कपड़ों के ऊपर से ही कभी मेरी चूचियों पर, कभी पेट पर और कभी मेरी चूत पर हाथ फेरने लगे। हाथ फेरते-फेरते अंकल बोले, “चित्रा, सुभद्रा ने तुम्हें ठीक से समझा दिया है ना यहां आने से पहले? तुम्हें पता है ना सुभद्रा ने तुम्हें यहां क्यों भेजा है? मैंने हां में सर हिलाया, मगर मुझे मालूम था कि अंधेरा होने के कारण मुझे बोलना ही पडेगा। मैंने बस इतना ही कहा, “जी अंकल।”

मेरा इतना बोलना था कि अंकल ने मेरी कमीज जरा सी ऊपर की और हाथ अंदर घुसा कर मेरी चूचियां दबाने शुरू कर दीं। अंकल ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार थोड़ी सी नीचे सरका दी। चड्ढी तो मैं उतार ही आयी थी। अंकल मेरी नंगी चूत पर वैसे ही हाथ फेरने लगे। चूत पर हाथ फेरते-फेरते अंकल ने अपनी उंगली मेरी चूत की फांकों के बीच में डाल दी और गीली हुई पड़ी चूत की दरार में उंगली ऊपर नीचे करने लगे।

चूत में उंगली ऊपर-नीचे करते-करते अंकल बीच-बीच में चूत का दाना सहला देते। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। बड़ी मुश्किल से मैं अपनी “आअह आह आह” की सिसकारियां दबाये हुए थी। अंकल ने दाना सहलाते हुए मेरे कान में फुसफुसाते हुए पूछा, “चित्रा क्या युग एक बार भी इसमें नहीं डाल पाया?”

मैं क्या जवाब देती? मेरी पहली चुदाई मेरे पति के बाप के साथ होने जा रही थी। मारे शर्म के मारे मैं वैसे ही मरी जा रही थी।

अंकल ने उंगली थोड़ी नीचे करके चूत के छेद के अंदर की तरफ धकेलने की कोशिश की। मेरी दोनों टांगें साथ जुड़ी हुई थी। अंकल जहां उंगली डालनी चाह रहे थी, वहां उंगली जा नहीं रही थी।

फिर अंकल ने लेटे-लेटे मेरे पेट पर हाथ फेरना शुरू किया, और कमीज के नीचे से हाथ डाल कर चूचियां पकड़ते हुए बोले, “चित्रा सलवार पूरी उतार लो।” मुझे थोड़ी शर्म सी आयी। मगर जब अंकल ने ही सलवार नीचे के तरफ करनी शुरू की तो मैंने खुद ही सलवार उतार दी।

अंकल के चूत का दाना सहलाने से मजा तो मुझे आने ही लग गया था। अंकल ने जब दुबारा उंगली चूत के छेद में डालने की कोशिश की, तो मैंने ही टांगें फैला दी। मेरी चूत की दरार फ़ैल गयी। तजुर्बेकार अंकल ने मेरी चूत का छेद ढूंढ लिया और दुबारा पूछा, “चित्रा तुमने बताया नहीं, क्या युग ने इसमें एक बार भी इसमें नहीं डाल पाया?”

ये कहने के साथ ही अंकल ने उंगली पूरी मेरे चूत में डाल दी। मेरी गीली चूत में युग के लंड से थोड़ी ही छोटी उंगली फिसल कर अंदर बैठ गयी। मजे के मारे मैं जरा सी चिहुंकी और मेरे मुंह से हल्की सिसकारी निकली, “आह अंकल।”

मेरी सिसकारी की आवाज सुन कर अंकल के लंड को एक झटका लगा, और अंकल ने उंगली चूत से निकाल कर दुबारा चूत के छेद में डाल दी, और अंदर हिलाते हुए चूत को अंदर से खुजलाते लगे और दुबारा पूछा, “तुमने बताया नहीं चित्रा, क्या एक बार भी युग ने तुम्हारी इसमें नहीं डाल पाया?”

मुझे लगा अंकल मेरे मुंह से जान बूझ युग के साथ मेरी चूत चुदाई की बातें कर रहे थे। मगर क्यों? मेरी शर्म दूर करने के लिए या शराब के सुरूर के कारण उन्हें पता ही नहीं था कि वो क्या बोल रहे थे?

मैंने सोचा जरूर शराब का सुरूर ही होगा, जो अंकल इस तरह की बातें कर रहे थे। वैसे तो हम दोनों ही जानते थे, कि आज रात मैं आयी ही चुदने के लिए थी, तो फिर शर्म कैसी। शराब का सुरूर ना होता और अंकल ने सिर्फ मेरी चुदाई ही करनी होती, तो अब तक तो अंकल ने मुझे चोद भी दिया होता।

फिर अंकल ने उंगली चूत के अंदर-बाहर करते हुए साफ़-साफ़ ही बोल दिया, “चित्रा फुद्दी तो बहुत टाइट है तुम्हारी। मुझे लगता है युग का एक बार भी इसमें नहीं गया।”

जब अंकल ने फिर वहीं बात दोहराई, मेरी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। हद्द तो तब हुई राज, जब अंकल ने जब कहा, “चित्रा फुद्दी तो बहुत टाइट है तुम्हारी। मुझे लगता है युग ने एक बार भी इसमें नहीं डाला।”

अंकल के मुंह से “फुद्दी तो बहुत टाइट है तुम्हारी” सुन कर मेरी चूत ने एक बात फिर से फ़ुर्रर्र से पानी छोड़ा और मेरे मुंह से निकाल ही गया, “नहीं अंकल युग इसके अंदर एक बार भी नहीं डाल पाया। और इसके साथ ही पता नहीं कैसे मैं बोल गयी, “अंकल, आप ही पहले हो।”

मेरे ये कहने भर के देर थी कि अंकल ने “ओह… चित्रा” बोल कर एक पलटी मारी और सीधा मेरे ऊपर आ गए। अंकल ने आनन फानन में मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रक्खा और मेरी टांगें खोल दी। अंकल ने अंधेरे में नमकीन पानी से भरी मेरी चूत में एक बार उंगली डाली, चूत के दाने को रगड़ा, और झुक कर मेरी चूत में अपनी जुबान घुसेड़ दी और चूत को चूसने चाटने लगे।

मेरे लिए ये बिल्कुल नयी बात थी। अंकल के चूत चूसने के कारण मेरी चूत का दाना फूल गया। अंकल चूत का फूला हुआ दाना मुंह में ले कर चूसने लगे। अब मेरी सिसकारियां नहीं रुक पा रहें थी। मेरे मुंह से “आह अंकल आह अंकल” लगातार निकल रहा था।

मेरी हर सिसकारी के साथ अंकल दुगनी स्पीड से चूत का पानी चूसने लगते। बीच-बीच में अंकल पूरी उंगली मेरी चूत में अंदर तक डाल देते थे। उंगली चूत के छेद में डालने के साथ ही अंकल बोलते, “आह चित्रा, आह चित्रा।”

लग रहा था जैसे कुंवारी चूत की चुदाई के ख्याल भर से अंकल सोच रहे हों, “क्या किस्मत है, इस उम्र में बैठे बिठाये आज कुंवारी चूत मिल रही है चोदने को।”

मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। मेरी चूत लंड मांग रही थी। मेरे चूतड़ हिलने घूमने लग गए। जैसे ही अंकल को लगा कि अब चूत पूरी गर्म हो गयी थी और लंड मांग रही थी, तो अंकल उठे और और मेरी कमीज भी उतार दी और सीधा मेरे ऊपर आ गए।”

— चुदाई का चित्रा का पहला मजा

अंकल लंड को मेरी चूत के ऊपर-नीचे कर रहे थे। तभी एक हाथ से अंकल ने अपना लंड पकड़ा और मेरी चूत के दरार को खोल कर उसमें ऊपर-नीचे करने लगे। अंकल चूत का छेद ढूंढ रहे थे।

मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी, “अब लगा वो पल आने वाला ही है जिसके लिए चाची ने मुझे यहां भेजा है, कुंवारी चूत में लंड डलवाने के लिए। अब जाएगा मेरी कुंवारी चूत में ये लंड, ऐसा लंड जिसकी हर लड़की कामना करती है, हाथी की सूंड जैसा मोटा लंड।

जैसे ही अंकल का लंड मेरी चूत के छेद पर ज़रा सा रुका, अंकल ने हाथ से लंड छोड़ दिया और मुझे दोनों बाहों में जकड़ लिया। अंकल कुछ सेकंड रुके और फिर एक जोर का झटका लगाया। अगले ही पल अंकल का लंड चूत की साइडों को रगड़ता हुआ मेरी चूत में अंकल के टट्टों तक बैठ गया।

जैसे ही टाइट कुंवारी चूत में ऐसा मोटा लंड पूरा का पूरा अंदर गया दर्द के मारे मेरी जान निकल गयी। मेरे गले से चीख निकली और मैं लगभग चिल्लाते हुए बोली, “मर गयी मैं अंकल, दुखता है ये तो, बड़ी जलन करता है।”

अंकल का मुंह मेरे कान के बिल्कुल पास था। अंकल मेरे कान में फुसफुसाए, “अभी ठीक हो जाएगा चित्रा,अभी ठीक कर दूंगा।” ये बोल कर अंकल ने धक्के लगाने शुरू कर दिए।

इसके बाद तो अंकल नहीं रुके, मतलब नहीं रुके। पता नहीं कब से चूत नहीं चोदी थी अंकल ने, और वो भी कुंवारी चूत! अंकल ने पूरे जोर और जोश से मेरी चुदाई चालू कर दी। मेरी पानी से भरी चूत अंकल के हर धक्के के साथ फचक फचक की आवाज रही थी।

चित्रा हंसते हुए बोली, “राज, अंकल ने जिस तरह से चुदाई के दौरान मुझे जकड़ा हुआ था और जैसे बिना रुके धक्के लगा रहे थे, उस से तो मुझे ऐसा लग रहा था अंकल सोच रहे होंगे जल्दी से जल्दी चोद दूं इस कुंवारी टाइट फुद्दी को, कहीं ऐसा ना हो ये कुंवारी टाइट फुद्दी चुदवाने का अपना इरादा ही बदल ले।”

और फिर चित्रा बोलीं, “और वैसे भी राज इसमें अंकल का भी क्या कसूर? चाची ने भी तो जवान कुंवारी चूत बिल्कुल प्लेट में सजा कर ही अंकल के सामने रख दी थी।”

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