पिछला भाग पढ़े:- मेरे बापू ने मेरी सहेली की सील तोड़ी-2
मेरी सहेली बीमार होने का बहाना लगा कर मेरे साथ कॉलेज नहीं गई। लेकिन फिर मैंने उसको अपने बापू के साथ खेतों में देखा। अब आगे-
मैं हैरान थी कि माया की तो तबीयत खराब थी। फिर वह मेरे बापू के साथ खेतों पर क्या कर रही है? मैं चुप-चाप केले के पेड़ के पीछे छिप कर उन लोगों को देखने लगी। माया और बापू एक-दूसरे से बात करते हुए हंस रहे थे।
माया: चाचा जी जब आप मुझे अपनी बाहों में कस कर भरते हो ना, तो मुझे पता नहीं क्या हो जाता है ऐसा लगता है कि मैं आपकी मजबूत बाहों में बस समायी रहूं?
बापू: बेटी मैं जानता हूं तुम अब जवान हो रही हो, और तुम्हें भी अब किसी मजबूत शरीर की जरूरत होगी। जल्दी ही तुम्हारी बापू से कहके तुम्हारी शादी करवा दूंगा।
माया: लेकिन चाचा यदि शादी के बाद भी मुझे आपके जैसा पति नहीं मिला, तब मैं क्या करूंगी?
बापू: अरे बेटी तुम्हें मेरे जैसे नहीं अपनी उम्र की लड़कों से शादी करनी चाहिए। मैं तो अब बुड्ढा होने चला हूं। तुम देखो अभी नई-नई जवान हो रही हो। अभी तो तुम्हारी और जवानी पहले फले-फूलेगी।
माया: चाचा जी मुझे तो आपके जैसा ही पति चाहिए। इतना बलवान शरीर मुझे और कहां मिलेगा?
यह कहते हुए माया मेरे बापू की गोद में जाकर बैठ गई, और उनकी मूंछ को मरोड़ते हुए उनकी आंखों में देखने लगी। बापू ही माया की आंखों में देख रहे थे। दोनों एक-दूसरे को देखते हुए आकर्षण में फंसे जा रहे थे।
बापू माया के मुलायम गद्देदार शरीर में फंसे जा रहे थे। वह ना चाहते हुए भी माया के शरीर के हर अंग को अब अपनी मजबूत बाहों से भर रहे थे। माया अब अपने मुलायम होंठ को बापू के कड़क होंठों से मिलाकर रगड़ रही थी, और धीरे-धीरे अपनी मुलायम जीभ को बापू के मुंह के अंदर दे रही थी। बापू अब अपनी आंखें बंद करके माया के मुलायम होंठों और जीभ को चुस रहे थे। माया बापू की गोद में बैठी हुई थी, और उसके शरीर में सनसनी मचाने के लिए बापू का लंड धोती के अंदर ही पूरा खड़ा हो चुका था।
माया बापू की गोद में बैठी हुई अपनी बाहों को उनकी गर्दन के आस-पास लपेट कर उनके कड़क होठों को चूस रही थी। बापू उसके मुलायम होंठों को कस कर उसके गद्देदार शरीर को टटोल रहे थे।
थोड़ी देर में बापू ने माया की सलवार और कमीज को उतार कर एक साइड में रख दिया। माया और बापू के सामने सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी। बापू माया को नीचे लिटा दी, और खुद उसके ऊपर चढ़ कर माया के हर एक मुलायम हिस्से को अपनी जीभ से चाट रहे थे।
माया वासना की आगोश में आकर, अपनी आंखें बंद करके बापू के बालों को सहला रही थी, और बापू से अपने बदन के हर एक मुलायम हिस्से को चटवा रही थी।
घने केले के पेड़ों के बीच बापू मेरी सहेली के हर एक हिस्से को बड़ी ही तसल्ली के साथ चूम रहे थे, और चूस रहे थे। वो मेरी सहेली के बदन को चूमते हुए खड़े हुए और अपने धोती कुर्ते को निकाल कर साइड में रख दिया। अब वह सिर्फ बनियान और चड्डी में मेरी सहेली को चूमने लगे।
बापू ने धीरे से मेरी सहेली की ब्रा और पैंटी को निकाल कर पूरी तरह से नंगी कर दिया, और मेरी सहेली की छोटी-छोटी चूचियों को अपने मोटे हाथों से मसल कर लाल कर दिए। मेरी सहेली बेचारी उनके सामने छोटी बच्ची की तरह पड़ी हुई थी, और अपनी आंखें बंद करके उनसे अपनी चूची को मसलवा रही थी। वह पूरा आनंद ले रही थी मेरे बापू से चूची मसलवाई का।
मेरे बापू बड़े प्यार से उसकी छोटे-छोटे चूची को अपने मुंह में लेकर चूस रहे थे, और दूसरी चूची को आनंद से दबा रहे थे। मेरी सहेली बेचारी उनके बालों को सहलाती और अपनी आंखों को बंद करके अपने चूची को चुसवाती। बापू मेरी सहेली के चूची को पीते हुए नीचे की ओर बढ़े, और उसकी दोनों टांगों को अलग करके उसकी छोटी सी बुर को अपने जीभ डाल कर चूसना शुरू कर दिए।
मेरी सहेली तो बेचारी अंगड़ाई लेने लगी। उसकी बुर से लगातार पानी बहने लगा। मेरे बापू की गरम जीभ उसकी बुर में जैसे ही जाती, वह बेचारी आंखों को मींच लेती। इसी तरह बापू काफी देर तक उसकी बुर को चाटते रहे, और फिर अपनी बनियान चड्डी को भी निकाल कर अपने बड़े से लंड को हवा में लहरा दिया।
माया मेरे बापू के लंड को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी। बापू उसके सर को पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में धीरे से दे डाले और माया बड़े प्यार से बापू के लंड को चूस रही थी, और बापू अपनी आंखें बंद करके उसके बालों को सहला रहे थे, और अपने लंड को चुसवा रहे थे।
थोड़ी देर बाद जब दोनों का लंड चुसाई हो गया, तब बापू ने अपने लंड को हाथ में पकड़ा, और ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया। फिर माया की बुर पर लंड लगाया, और फिर धीरे-धीरे माया की बुर में अपने लंड को डालना शुरू कर दिया।
माया बेचारी दोनों हाथों से अपने मुंह को बंद कर ली थी। उससे अब रहा नहीं जा रहा था। बेचारी तड़प रही थी, और बापू उसकी दोनों चूचियों को प्यार से सहलाते हुए धीरे-धीरे लंड को उसके अंदर धक्का मार रहे थे। अब तक बापू का आधे से थोड़ा कम लंड अंदर जा चुका था। माया बेचारी चीख रही थी। उसकी बुर के आस-पास अब खून लग रहा था। माया की सील टूट चुकी थी, पर बापू अभी रुके नहीं थे।
माया की आंखों में से आंसू निकल रहे थे। फिर भी बापू धीरे-धीरे धक्का लगाते हुए लंड को अंदर प्रवेश करा रहे थे। थोड़ी देर ऐसे ही धक्कों के साथ बापू उसके अंदर पूरी तरह से प्रवेश कर गए। अब माया की बुर से हल्का-हल्का खून रिस रहा था, और बापू अपना पूरा लंड अंदर डाल कर वैसे ही माया को सहला रहे थे, और बहलाने की कोशिश कर रहे थे।
माया की आंखों से लगातार आंसू की धारा निकल रही थी। बापू अपने होंठों से उसके होंठों को रगड़ते, कभी होठों को चूमते, उसके गाल को सहलाते, और चूचियों को सहलाते। माया को धीरे-धीरे आराम हो रहा था।
माया अब धीरे-धीरे नॉर्मल होने लगी। तब बापू उसकी चूचियों को चूसते हुए अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचते, और फिर अंदर डाल देते। इस तरह वह बार-बार अंदर-बाहर करते हुए उसकी बुर को हल्का धक्का लगा दिया, और फिर बुर में अपने लंड को लगातार धक्कों की बरसात करना शुरू कर दिए।
माया बेचारी नीचे पड़ी हुई थी, और वह बापू के होठों को चूस रही थी, और बापू नीचे से लगातार उसकी बुर में धक्कों की बरसात किए हुए थे। इसी तरह लगातार आधे घंटे तक बापू माया को चोदते रहे, और फिर माया को उठा कर अपने ऊपर गोद में बिठा लिया। फिर लंड को इस तरह बुर में डाल कर माया को चोदना शुरू कर दिया।
माया बापू की गोद में बैठी हुई थी, और अपने हाथ को बापू के गले में लपेट कर, अपना सर उनके कंधे पर रख कर चुपचाप लेटी हुई थी, और बाबू नीचे से लगातार माया को चोद रहे थे।
इसी तरह काफी देर तक चुदाई करने के बाद बापू ने माया की बुर से अपने लंड को बाहर खींचा, और उसके पेट पर अपने गरम-गरम लावा को उगल दिया। फिर बापू माया पर लेट गए, और उसकी चूची को प्यार से चूसने लगे, और उसके होठों को चूसने लगे।
माया को नींद आ रही थी। तब बापू ने माया के सारे कपड़े उसे पहना कर उसे साफ किया, और फिर वहीं पर उसे सोने के लिए छोड़ कर खुद बाहर निकल गए। मैं भी खेतों के दूसरी तरफ से निकल कर बापू की तरफ जाने लगी। तब देखी कि बापू ट्यूबवेल पर हाथ मुंह धो रहे थे। बापू मुझे देखते ही बोले-
बापू: अरे मेरी बिटिया, तुम कब आई?
मैं: मैं बस अभी-अभी आई हूं बापू जी। आपके लिए खाना लाई हूं। आप जल्दी से खाना खा लो।
बापू: क्या बात है, आज तुम कॉलेज नहीं गई?
मैं: गई थी बापू, पर किसी कारण वश आज कॉलेज बंद थी, तो मैं थोड़ा जल्दी ही घर आ गई। तब मां मुझे यहां पर आपके लिए खाने लेकर भेज दी।
बापू: अच्छी बात है बिटिया। चलो आओ आज मैं तुम्हें अपने हाथों से खिलाता हूं।
ट्यूबवेल के पास छोटा सा कमरा था। हम दोनों उसके अंदर चले गए। बापू ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया, और खाने को खोल कर उसमें पहला निवाला तोड़ कर मेरे मुंह में दे दिया।
मैं भी खाने का निवाला तोड़ कर बापू को खिलाने लगी। हम दोनों मुस्कुरा रहे थे, और खाने को चुप-चाप खा रहे थे। मुझे बापू की धोती के अंदर कुछ टाइट होता महसूस होने लगा। मेरे कपड़े के अंदर से ही सब फील हो रहा था। हम दोनों ने ऐसे ही खाने को खत्म किया और फिर मैं बर्तन लेकर वहां से चली आई।
शाम को जब मैं माया के घर माया से मिलने गई, तब मुझे सच में माया बीमार मिली। पता नहीं, लगता है बापू से चुदाई के बाद उसके बदन में दर्द हो गया होगा, इसलिए वह चुप-चाप चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी। मैं उससे पूछी कि क्या तुमने दवा ले ली, तब उसने हां में जवाब दिया, और फिर मैं अपने घर चली आई।