हेलो दोस्तों, मेरा नाम आकाश है। मेरी उम्र 21 साल है। मेरे अलावा मेरा एक और भाई और बहन है। पापा बाहर जॉब करते हैं, और मम्मी स्कूल की टीचर है। मम्मी टीचर के साथ-साथ हाउसवाइफ वाइफ भी है।
मम्मी का स्कूल शहर से 40 किलोमीटर दूर है, इसलिए सुबह उठ कर, सभी के लिए नाश्ते तैयार कर, खुद नाश्ता करके, बस पकड़ कर चली जाती है। मैं मम्मी का बड़ा बेटा और लाडला था। तो वह हमेशा मुझे एक किस्स करके ही जाती थी।
मम्मी दिखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है। उनकी हाइट 5 फीट 5 इंच है। फिगर 36-30-36, रंग गोरा, और बदन छरहरा है। मम्मी जब साड़ी पहन कर बाहर निकलती है, तो लोग उन्हें पलट कर देखे बिना नहीं रहते हैं।
एक दिन शाम को मैं घर बैठ कर पढ़ाई कर रहा था, और मौसम थोड़ा बेईमान हो रहा था। तभी पापा ने मुझे आकर बोला कि, “जाकर मम्मी को लेकर आओ। मौसम खराब हो रहा है, और बस भी नहीं मिलेगी।”
बरसात के मौसम में बस मिलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, तो मैं मम्मी के स्कूल की तरफ कार से चला गया। जब मैं मम्मी की स्कूल पहुंचा, तो मम्मी मुझे देख कर बहुत खुश हुई। वह मेरे पास आई और मुझे स्कूल में ले गई और बोली कि, “थोड़ा काम है, तू यहीं बैठ।”
मैं बैठ कर वहीं आस-पास देखने लगा। मेरी मम्मी उस स्कूल की केंद्र बिंदु थी। सारे मेल टीचर्स मम्मी के आस-पास ही मंडरा रहे थे। खैर मम्मी ने सारे काम को 6 बजे तक निपटा दिया, और उसके बाद हम दोनों वहां से निकलने लगे। तभी बहुत तेज़ बारिश होने लगी।
मम्मी: बेटा, लगता है बहुत तेज बारिश होगी?
मैं: कोई बात नहीं मम्मी। मैं हूं ना, तुरंत आपको घर पहुंचा दूंगा!
मम्मी मुस्कुराती हुई बोली: हां मेरे शैतान, चल अब चलते हैं।
मुश्किल से 10 किलोमीटर भी नहीं चले थे, कि बारिश और हवा इतनी तेज चलने लगी कि गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा था। मैं धीरे-धीरे कार को आगे बढ़ा रहा था। अंधेरा भी होने लगा था। हाईवे पर गाड़ियों का आना-जाना लगभग खत्म ही हो चुका था। हम लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। लगभग आधी दूरी तय किए थे कि अंधेरा हो चुका था, और रास्ते में एक पेड़ गिरा हुआ मिला।
मैं: ओह तेरी की, फंस गए।
मम्मी: अब क्या होगा बेटा? सुबह तक तो पेड़ नहीं हटने वाला। दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है।
मैं: ऊपर से इतनी तेज बारिश की कुछ कर भी नहीं सकते।
मैं कुछ सोच रहा था, कि तभी मेरी नज़र बैक मिरर पर गई। उसमें मम्मी का चेहरा दिख रहा था। थोड़ी परेशान थी, पर उनकी नीली आंखें और गुलाबी होंठ कमाल के लग रहे थे। दोनों भोहों के बीच एक छोटी सी बिंदी उफ्फ्फ कयामत लग रही थी। तभी मम्मी मुझे अपने आप को घूरते हुए देख लिया, और वह आंखों के इशारों से ही पूछ बैठी: ऐसे क्या देख रहे हो शैतान?
मैं मुस्कुराया पर कोई जवाब ना दे पाया। तब मम्मी बोली: अब सुबह तक तो पेड़ हटने वाली नहीं। चल आजा तू भी मेरे साथ ही बैठ जा पीछे।
मैं मम्मी के साथ पीछे बैठ गया। बारिश के साथ हवा इतनी तेज थी कि हमें ठंड का एहसास होने लगा। मम्मी ने एक पतली सी चादर निकाली, और हम दोनों पर को ओढ़ा दी। मम्मी जब हमें चादर ओढ़ा रही थी, तब उनके गाल बिल्कुल मेरे होठों के पास थे। मन कर रहा था बस यह सेब जैसे गालों को काट लूं। तभी मम्मी का ध्यान मुझ पर गया, और अपनी बाहों को मेरे गले में डालते हुए बोली-
मम्मी: क्या हुआ मेरे शैतान? तुम तो मुझे कब से ऐसे देखे जा रहे हो, जैसे कभी देखे ही नहीं हो।
मैं: मम्मी आज आप बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।
मम्मी: अच्छा जी, मतलब रोज नहीं लगती तुम्हें?
मैं: ऐसी बात नहीं है मम्मी। आप तो हमेशा से ही खूबसूरत हो। पर आज आप कयामत लग रही हो।
मम्मी हंसते हुए बोली: हट बदमाश, मेरे पास कुछ बिस्किट है, चल खा लेते हैं।
मम्मी अपने बैग से बिस्किट निकाली और मुझे दे दी। मैं एक बिस्किट को खुद खाया, और दूसरे को मम्मी को खिलाने के लिए लिया। मम्मी को बिस्किट खिलाते हुए अपनी उंगली भी उनके मुंह में डाल दिया। मम्मी अपने होठों को बंद कर ली, और मेरी उंगली को भी चूसने लगी। मैंने धीरे से उंगली खींची, तो मम्मी मुस्कुरा कर बिस्कुट खाने लगी।
मम्मी के इस हरकत से मेरी सांसे गर्म हो चुकी थी। मैं बार-बार मम्मी को ही देख रहा था, और मम्मी चुप-चाप बिस्कुट खा रही थी। फिर मम्मी मुझे एक बिस्किट खिलाई और उन्होंने भी अपना उंगली को मेरे हाथ मुंह में डाल दिया। मैं उनकी उंगली को हल्के से दांत से काट दिया।
मम्मी: हट बदमाश कहीं का! जा मैं नहीं खिलाती तुम्हें बिस्किट।
मैं मम्मी को बाहों में भर लिया, और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उनके सेब जैसे गाल पर एक किस्स कर दिया। मेरे किस्स करते ही मम्मी की नाराजगी फुरर हो गई और वह मुझे अपनी बाहों में जकड़ते हुए बोली: तू सिर्फ मेरा बेटा नहीं, मेरा सबसे अच्छा दोस्त भी है। जो मेरी हर खुशी का ख्याल रखता है।
मम्मी अपने सर को मेरे कंधे पर टिका कर आंखें बंद कर ली। मैं उनके रेशमी बालों के साथ खेलने लगा, और इसी तरह 2-3 घंटे बीत गए। अभी भी तूफानी बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। मम्मी के सांसे गर्म हो रही थी। मेरे हाथ अब उनके बालों से नीचे सरक कर कमर और पेट पर चलने लगे थे।
मम्मी की आंखें खुली और वह मुझे मुस्कुराते हुए देख कर बोली: बदमाश, हम दोनों मां-बेटे और दोस्त हैं। प्रेमी-प्रेमिका नहीं, जो तू यह सब कर रहा है (और हंसने लगी)।
मैं थोड़ा शर्माया, पर मम्मी मेरी बाहों में पड़े हुए अभी भी मेरे सीने पर सर रख सो रही थी। फिर मम्मी थोड़ी सी हिली और वह अपने होंठ को मेरे होंठ के पास लाकर बोली: ना जाने क्यों आज तू भी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मन कर रहा है बस तेरे साथ ही समय बीतता रहे।
मैंने यह सही मौका समझ कर उनके होठों पर अपने होंठ रख दिए। मम्मी कुछ नहीं बोली, और अपनी आंखें बंद कर ली। धीरे-धीरे मैं उनके होठों को चूसने लगा। मम्मी मुझे अपनी बाहों में कस के पकड़ ली, और वह भी मेरे होंठ चूसते हुए साथ देने लगी।
एक बारिश का तूफान बाहर चल रहा था, और दूसरा तूफान हम मां-बेटे की कार के अंदर चलने वाला था। मम्मी अब ठीक से मेरे ऊपर आ गयी, और मेरे होंठ को चूसते हुए अपने सीने को मेरे सीने से रगड़ने लगी। हम दोनों गर्म हो चुके थे। मम्मी की चूचियां मेरे सीने में दब रही थी, और मैं उनके रेशमी बालों से खेलते हुए उनके गुलाबी होठों को चूम रहा था।
मम्मी को नीचे लेटा कर उनके बदन के हर हिस्से को मैं चूमने लगा। मम्मी की गोरी और मुलायम बदन पर मेरे होंठ फिसलते जा रहे थे। मैं मम्मी के बदन के सारे कपड़े निकाल दिया। उनका गोरा बदन चमकने लगा। मुझसे रहा ना गया। मम्मी पलट चुकी थी। मैं उनकी गांड और पीठ को चूमते हुए रेशमी बालों के साथ खेलने लगा, और गर्दन और गाल को चूमने लगा।
मैंने खुद के भी सारे कपड़े निकाले, और अपना मोटा लड को उनके गांड की दरार में फंसा कर उनके ऊपर लेट गया, और उनके गाल को चूमने लगा। फिर मैंने मम्मी को सीधा किया, और उनकी टांगों को फैलाया तो गुलाबी चूत दिखने लगी। उउफ्फ्फ क्या चूत थी, बिलकुल साफ और चिकनी।
मम्मी शर्म से अपने चेहरे छुपा ली। मैं अपनी जीभ को उनकी चूत पर लगाया, और हल्के से मटर के दाने को चूसने लगा। मम्मी की चूत बहुत ही रसीली थी। मुझे चूसने में मजा आ गया। मैं ऊपर की ओर आया, और उनकी चूचियों को चूसने लगा। मेरा लंड मम्मी की चूत में ठोकर मार रहा था, और मैं मम्मी की चूचियों को चूसते हुए उनके गाल को सहला रहा था।
फिर मैं अपना हाथ नीचे ले गया, और लंड को चूत पर सेट करके एक धक्का मार दिया। मम्मी के मुंह से आह निकल गई। मैं धीरे-धीरे मम्मी को चोदने लगा। मम्मी की सिसकियां बढ़ने लगी। कार के बाहर अभी भी तूफानी बारिश हो रही थी, और अब हम दोनों ने कार के अंदर तूफान मचा रखे थे।
मैं मम्मी को जैसे-जैसे धक्के मार के चोद रहा था, उनकी चूचियां ऊपर नीचे हिल रही थी। मम्मी का चेहरा बहुत ही प्यारा लग रहा था। फिर मैं नीचे लेट गया, और मम्मी को अपने ऊपर बिठा कर चोदने लगा।काफी देर ऐसे ही चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए, और मम्मी मेरे ऊपर ही लेट गई। मां ने हमें चादर से ढक लिया और हम दोनों वैसे ही सो गए।
सुबह आंख खुली तो बारिश रूक चुकी थी और गाड़ियां चलने लगी थी। हम दोनों उठे और जल्दी से अपने अपने कपड़े पहन लिए। रास्ता क्लियर हो चूका था। पर अभी भोर होने में थोड़ा समय था। मैं मम्मी को देखा। वह बहुत ही प्यारी लग रही थी।
मम्मी मुझे देखकर बोली: अब ऐसे क्या देख रहा है? जो करना था तो रात में कर ही दिया। हम मां-बेटे के बीच यह सब नहीं होना चाहिए था।
मैं: परंतु हम दोनों मां-बेटे कहां है, हम दोनों तो प्रेमी प्रेमिका है।
मम्मी मेरी बात सुन कर हंसे बिना ना रह सकी, और मुझसे लिपट कर मेरे गालों को चूमने लगी। मैंने भी मम्मी के होठों को चूमा, और उनकी आंखों में देखते हुए बोला: अब आपकी इजाजत हो तो घर चले?
मम्मी हंसते हुए बोली: जी हुजूर, जैसी आपकी मर्जी। मैं तो कहीं भी चल सकती हूं आपके साथ, घर क्या चीज है!
फिर हम दोनों हंसते हुए घर की ओर चल दिए।