उस दिन मैं खेत से आ रहा था। दोपहर का वक्त था। दिशा भी कॉलेज से आयी थी, और अपने रूम मे कुछ कर रही थी। मुझे उससे बात करनी थी इसलिए मैं उसके रुम में चला गया। मुझे नहीं पता ऐसा कुछ दृश्य देखने को मिल जाएगा।
दिशा पूरी नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी, दोनों टांगों को घुटनों मे मोड कर जांघें खुली थी। उसने गुप्तांग में पेन घुसाया था और हाथ से अंदर-बाहर कर रही थी। दूसरा हात छाती पर था। जैसे ही दरवाजा खुला, दिशा उठ कर बैठी और झट से कंबल में घुस गयी। पर मैं सब कुछ देख चुका था। लेकिन मैं तुरंत पीछे मुंह मुड़ कर खड़ा हुआ।
वो चिल्लाई: भैय्या! ऐसे कोई आता है क्या? दरवाजा खटखटाया क्यों नहीं आपने?
मैं: सॉरी दीदी, गलती हुई। आगे से ऐसा नहीं होगा।
दिशा: ओके भैया, अब जाईए यहां से।
मैं भाग कर वापस लौटा। तब से वो सीन बार-बार मेरी आंखों के सामने आता था, और मेरे लंड में खून भर जाता था। उसकी बड़ी-बड़ी, मोटी-मोटी टांगे, टांगों के बीच भूरे रंग की योनी और उस पर भूरे-काले बढ़े हुए बाल। नाजुक पेट, भरी-भरी छाती, नारियल के आकार के बूब्स हाय, मैं भूल ही नहीं सकता था।
जब भी दिशा मेरे सामने आती, मेरा लंड मोटा हो जाता था। दिशा भी गुस्साई नज़र से मुझे घूरती और निकल जाती थी। वो अब मेरे सामने ज्यादा नहीं आती थी। मुझे ये सब कुछ अच्छा नहीं लगा, क्योंकि वो मेरी सगी बहन थी और अब इस दुनिया में हमारा और कोई नहीं था।
इन चीज़ों को भूलने के लिए मैंने एक छोटा बिज़नेस शुरू किया और अपना पूरा फोकस उसी पर लगाया। एक साल में दिशा भी आगे की पढ़ाई के लिए पुणे चली गई। हमारी ज्यादा बात-चीत नहीं होती थी। कभी-कभी मैं उससे मिलने चला जाता था। अब वो मुझसे बड़े प्यार से मिलती थी, दूर जाने की वजह से, हो सकता है।
दो साल तक वो गांव नहीं लौटी। सीधे कॉलेज की परीक्षा के बाद ही घर आ गई। मैं उसे देख कर हैरान रह गया। कमाल की लग रही थी वो। पांच फीट नौ इंच हाईट, लंबी नाक, मोटी-मोटी आंखे बड़े-बड़े बूब्स, पतली कमर, बड़े नितंब और गोरा रंग, बहुत ज्यादा सेक्सी हो गई थी। उसे देख कर मेरे लिंग मे तनाव आ गया था, पर मैंने अपने आप को कंट्रोल कर लिया।
दिशा मुझसे गले मिली, उसके बूब्स मेरी छाती पर टच हो गए। काफी बड़े-बड़े हो गए थे। दिशा अब दो महिनों तक घर में ही रहने वाली थी। फिर आगे की एडमिशन कहां करवाएगी उसकी मर्जी थी। मेरा बिज़नेस भी बढ गया था। अब खेती कम मैं बिज़नेस पर ज्यादा फोकस देने लग रहा था। पैसा भी बढ़ गया था।
मेरी एज अब बाइस साल हुई थी और दिशा इक्कीस की। मैंने दिशा के बारे मे गंदे खयालात काफी हद तक मन से निकाले थे। पर अब उसके आने से फिर से मेरा मन दिशा के कमरे की तरफ चला जाता था। पर मैं अपने आप को कंट्रोल करता था। मैं दिल बहलाने के लिए अश्लील साहित्य पढ़ता था, खास कर भाई-बहन वाली कहानियां।
उस समय मैं एक बड़ी बूक खरीद कर लाया था। उसमे पूरी किताब में एक ही बड़ी कहानी थी, उपन्यास की तरह, वो भी भाई-बहन के प्यार के उपर। रोज थोड़ा थोडा पढ़ कर पेंसिल से निशान लगा कर रखता था। फिर अगले दिन वहीं से आगे पढ़ता और पहला निशान इरेजर से मिटा देता था। दिन भर काम मे व्यस्त रहता और रात को ग्यारह-बारह बजे तक पढ़ कर हस्तमैंथून करके सो जाता था। दिशा दिन भर घर पर ही रहती थी।
एक बार मैं कहानी पढ़ने के बाद निशान लगा कर किताब को तकिए के नीचे छुपा कर रखा था। अगले दिन रात को खाना खाकर मैं बिस्तर पर आया तो सोचा पढ़ लिया जाए, और मैं किताब निकाल कर निशान वाले पेज को खोला और आगे पढ़ने लगा। तब अचानक मेरी नज़र एक और दूसरे निशान पर गई, जो निशान मैंने नहीं बनाया था। मैंने गौर से देखा मेरा निशान अलग था, एक और निशान लगाया था वो अलग तरीके का था। लेकिन ये निशान किसने लगाया होगा?
मैं सोच में पड़ा। इसका मतलब यह किताब कोई और भी पढ़ रहा था। पर कौन पढ़ रहा था? इस रूम मे कौन-कौन आता था? मैं याद करने लगा। मेरी बहन? नहीं वो कभी भी मेरी रूम मे गलती से भी नहीं आती है, ना पहले कभी आयी थी।
कामवाली लड़की? सुनंदा? हां वो आ सकती है। रोज तो आती है, सफाई के लिए। लेकिन कन्फर्म कैसे होगा? क्या किया जाए? मैं कुछ सोचने लगा। फिर मेरे दिमाग मे एक आयडिया आया और मैं अपनी पहली चाल चलने के लिए तैयार हुआ।
इसके आगे इस कामुकता कहानी में और क्या-क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट करके बताना।
अगला भाग पढ़े:- बहन के साथ गुफ्तगू-2