जब दीदी ने खुद को मेरे सामने खोला-6

पिछला भाग पढ़े:- जब दीदी ने खुद को मेरे सामने खोला-5

देसी ब्रदर-सिस्टर सेक्स स्टोरी अब आगे से-

सुबह तकरीबन सात बजे मैं और वाणी दीदी दिल्ली पहुँचे। यह पहली बार था, जब मैं अकेला दीदी के साथ इतनी दूर आया था। उनके साथ अकेले इतनी दूर आना भी एक तरह से अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर रुक कर हमने एक टैक्सी ली और सीधे उनके अपार्टमेंट की ओर चल पड़े। रास्ते भर खिड़की से आती ठंडी हवा चेहरे को छूती रही और मैं बार-बार चोरी-छिपे दीदी को देखता रहा। दीदी हल्की मुस्कान के साथ बाहर देखते हुए कहीं खोई हुई सी लगी। टैक्सी के शांत सफ़र में एक अलग ही सुकून था, जैसे हम दोनों अपने ही छोटे से संसार में जा रहे हो।

अपार्टमेंट पहुँच कर दीदी ने दरवाज़ा खोला। यह पहला मौका था जब मैंने उनका कमरा देखा, जहाँ वो दिल्ली में अकेली रहती थी। जैसे ही अंदर गया, सब कुछ घर से बिल्कुल अलग महसूस हुआ। कमरा उनकी अपनी दुनिया जैसा था—बिल्कुल निजी, बिना किसी रोक-टोक के।

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