पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-10
सेक्स ज्ञान:- हर औरत को चुदाई ऐसे करवानी चाहिए जैसे एक रंडी बेशर्म हो कर चुदाई करवाती है।
असलम और नसरीन की ज़बरदस्त चुदाई देख कर मेरी चूत भी गर्म हो गयी और रबड़ का लंड मैंने अपनी चूत में डाल लिया।
असलम नसरीन के ऊपर से उतर गया और अपना जिन का गिलास उठा कर घूंट भरने लगा। मैंने अपनी चूत में लंड आगे-पीछे करते हुए नसरीन से कहा, “क्या हुआ नसरीन, बड़ी जल्दी पानी छोड़ गयी तुम्हारी चूत?”
नसरीन उठ कर आ गयी और मेरे पास बैठती हुई बोली, “पता नहीं मालिनी जी क्या हुआ, मुझे तो ये चुदाई की फिल्म देखते-देखते ही मजा आने लगा था। अगर असलम से लंड चूत में लंड ना डलवाती तो मैं तो चूत में उंगली डाल कर ही मजा लेने वाली थी।”
फिर जैसे नसरीन अपने आप से बोली, “मैं तो खुद हैरान हूं कि आज मैं किस तरह से एक चुदक्कड़ रंडी की तरह चुदाई करवा रही हूं, पहले वो मोटे लंड वाला संदीप और अब ये मेरा बेटा असलम।”
मैंने कहा, “नसरीन ये एक साल तक मर्द के लंड से चुदाई ना करवाने का नतीजा है। और बाकी का कमाल ये जिन कर रही है। तभी तो असलम कह रहा था ये पीने से चुदाई का मजा दुगना हो जाता है।”
सब लोग जिन पीने लगे। असलम मुझसे बोला, “चलिए मालिनी जी आपकी चूत को भी लंड के जरूरत है।” कह कर असलम ने रबड़ का लंड मेरी चूत में से बाहर निकाल दिया और मुझे खड़ा करके बिस्तर के तरफ ले गया।
असलम ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे घुटनों के नीचे हाथ डाल कर मेरी चूत उठा दी और पूरा लंड एक ही झटके के साथ मेरी चूत में बिठा दिया। धक्के लगाता हुआ असलम मेरे कान में बोला, “मालिनी जी आज तो अम्मी सच में ही एक रंडी की तरह ही चुदवा रही है। मुझे भी जोर-जोर के धक्के लगा कर अम्मी को रंडी एक तरह ही चोदना पड़ा।”
मैंने असलम को कस कर पकड़ते हुए कहा, “असलम चुदाई तो तू मेरी भी ऐसी ही कर जैसे एक रंडी को चोद रहा हो। मेरी चुदाई भी रंडी समझ कर ही जैसी नसरीन की की है – समझ ले आज मैं और नसरीन तेरी रंडियां हैं। तूने हमें रखा ही चुदाई के लिए है।”
इतना सुनना था के असलम के धक्कों की स्पीड बढ़ गयी। असलम लम्बे-लम्बे धक्के लगा रहा था। चुदाई के धक्के लगाते हुए असलम बोल रहा था, “अगर ये बात है तो ले मेरी रंडी, ले मेरा लौड़ा पूरा का पूरा अपनी फुद्दी में, ले और गहराई तक ले अपनी फुद्दी में।”
असलम जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। असलम के टट्टे मेरी चूत के निचले हिस्से पर टकराते हुए ठप्प-ठप्प की आवाज कर रहे थे। मेरे मुंह से आवाजें निकल रहीं थी, “हां असलम ऐसे ही चोद ही राजा, एक चुदक्कड़ रंडी की तरह मुझे और नसरीन को। फाड़ दे हमारी चूतें और गांड। सुजा दे इनको चोद-चोद कर।”
उधर हमारी बातें सुन-सुन कर नसरीन ने भी रबड़ का लंड अपनी चूत में घुसेड़ लिया और पागलों की तरह आगे-पीछे करने लगी।
तभी मेरे चूतड़ अपने आप जोर से ऊपर नीचे हुए और मुझे भी मजा आ गया। असलम कुछ देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा फिर लंड मेरी चूत में से बाहर निकाला और जा कर सोफे पर नसरीन के पास जा कर बैठ गया।
असलम का लंड अभी भी खूंटे की तरह खड़ा ही था। इसके बाद गांड चुदाई का दौर चला, जिसमें मेरी और नसरीन की चूतें फिर पानी छोड़ गयी। इस गांड चुदाई के बाद भी असलम का लंड खड़ा ही था। सुहागरा – 50 अपना असर दिखा रही थी।
दिन भर की कसरत और अब फिर से दो दो महान चुदक्कड़ों की गांड और चूत चुदाई, ये असलम ही था जो अभी भी हिम्मत से बैठा हुआ था और वो भी खड़े लंड के साथ। पूरे दिन की चुदाई के बाद मेरी तो अपनी फुद्दी और गांड अब दर्द करने लगी थी।
नसरीन भी उठी तो मैंने कहा, “नसरीन मैं अब चलती हूं, मेरी अब और चुदाई की हिम्मत नहीं है, मैं तो अब जा कर सोऊंगी।”
नसरीन बोली, “अरे मालिनी जी असलम का लंड तो अभी भी खड़ा ही है, उसका तो कुछ करती जाईये।”
मैंने कहा, “बस नसरीन अब तुम ही संभालो अपने बेटे के खड़े लंड को, मैं तो अब चलूंगी। मुझमें अब ये कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा लंड अपनी चूत या गांड लेने की हिम्मत नहीं है।” ये कह कर मैंने गाऊन पहन लिया गिलास में जिन डाली और जिन की बोतल वहीं, नसरीन और असलम के लिए छोड़ कर अपने कमरे की तरफ बढ़ चली।
अपने कमरे में आ कर बाथरूम गयी। हाथ मुंह धोया, पेशाब किया – चूत में हल्की जलन हो रही थी। लगता है असलम की आखिर वाली रंडी वाली चुदाई में हल्की छिल गयी थी।
बाहर आ कर गिलास खाली किया और बिस्तर पर ढेर हो गयी। सुबह आठ बजे नींद खुली। असलम और नसरीन अभी भी सोये ही हुए थे। लगता है पूरी रात चुदी होगी नसरीन की फुद्दी और गांड।
नसरीन और असलम एक घंटे बाद उठे। नहा धो कर तैयार हो कर ही वो लोग बाहर आये। मैं अपने कमरे में सोफे पर बैठी अखबार देख रही थी। असलम और नसरीन मेरे पास ही बैठ गए। मैंने प्रभा को तीन चाय और कुछ हल्का-फुल्का स्नैक्स लाने को बोल दिया। प्रभा चाय की ट्रे लेकर आई तो मैंने प्रभा को कहा, “प्रभा इनके कपड़े कल धोने के लिए मशीन में डाले थे, ज़रा निकाल कर ला दो।”
प्रभा चली गयी तो मैंने असलम से पूछा, “कहो असलम रात कैसी गुजरी, नींद आई अच्छे से?”
असलम ने चाय का कप उठाते हुए नसरीन की तरफ इशारा करते हुए बोला, “इन्हीं से पूछ लीजिये मालिनी जी। रात इनकी फुद्दी की ये हालत थी कि फुद्दी ठंडी ही नहीं हो रही थी। पूरे डेढ़ बजे तक चुदाई करवाई इन्होंने। कभी चूत मैं कभी गांड में कभी मुंह में। डेढ़ बज जब मेरी चोद-चोद कर बैंड बज गयी, तब हमारी चुदाई बंद हुई, वरना अम्मी तो अभी और चुदाई के मूड में थी।”
असलम हंसते हुए बोला, “तब ही इन्होने मुझे नहीं छोड़ा, तब तक मेरा लंड चूसती रहीं अम्मी जब तक लंड में से मलाई निकली नहीं और मलाई की एक-एक बूंद को इन्होंने चाट नहीं लिया। सुबह मुझे तो लग रहा था मेरा लंड थोड़ा सा सूजा हुआ भी है, अभी दिखाऊंगा।”
मैंने नसरीन की तरफ देखा तो नसरीन बोली, “मालिनी जी सच में ही मेरी फुद्दी की आग ठंडी ही नहीं हो रही थी। मैं चुदवा-चुदवा कर थक चुकी थी, मगर मन कर रहा था और चुदाई करवाऊं। पता नहीं क्या हुआ था?”
फिर नसरीन ने मुझसे पूछा, “मालिनी जी ये कहीं जिन का असर तो नहीं था?”
तभी प्रभा आ गयी। नसरीन और असलम के कपड़े स्त्री करके सलीके से तह लगाए हुए पॉलीथीन के लिफ़ाफ़े में बंद थे।
प्रभा ने पूछा, “मैडम नाश्ते में क्या बनाऊं?”
मैंने नसरीन से पूछा, “नसरीन क्या नाश्ता करोगी? असलम तुम?”
असलम बोले, “मालिनी जी कुछ हल्का ही बनवा लीजिये।”
मैंने प्रभा से कहा, “प्रभा ऐसा करो ऑमलेट बना लो हुए साथ में ब्रेड सेंक लो। साथ मौसमी का फ्रेश जूस निकाल लेना।”
“जी अच्छा” कह कर प्रभा चली गयी।
जैसे ही प्रभा ने जाते-जाते पीछे दरवाजा बंद किया, असलम ने खड़े हो कर लंड पैंट में से निकाल लिया और मुझे दिखाता हुआ बोला, “देखिये मालिनी जी ये रहा मेरा लंड। साला पहचान में भी नहीं आ रहा।”
मैंने असलम का लंड हाथ में लिया और बोली, “असलम ये तो सच में ही थोड़ा सा सूज गया है। अब कम से कम एक हफ्ता इसे चूत और गांड से दूर ही रखना।” फिर मैंने नसरीन को कहा, “नसरीन ये तो सच में ही सूजा पड़ा है। कितनी चुदाई करवा ली तुमने कल रात को?” नसरीन बोली कुछ नहीं बस चाय की चुस्कियां लेती रही।
असलम लंड को वापस पैंट में डालता हुआ बोला, “कैसे चूत से दूर रखूंगा मालिनी जी? चार दिनों से निकहत ने भी तो लंड नहीं लिया होगा चूत में, वो भी तो मांगेगी कल रात को लंड।”
मैंने हंसते हुए कहा, “असलम आज रात तो तुम्हारी सफर में ही कट जाएगी। कल थकान का बहाना बना देना। परसों तक लंड काफी ठीक हो जाएगा। परसों चोद लेना निकहत को।”
सब हंसने लग गए।
मैंने असलम से पूछा , “असलम अब कब का प्रोग्राम है?”
असलम बोला, “ये तो मालिनी जी जा कर पता चलेगा। इस बार काफी सामन लेकर ट्रांसपोर्ट से भिजवाया है। एक आध महीने मैं पता चलेगा किस तरह के सामान की ज्यादा डिमांड है। उसी हिसाब से प्रोग्राम बनेगा। मगर मालिनी जी अम्मी कह रही थी निकहत को जरूर लाना है एक बार आपके पास।”
नसरीन बोली, “मालिनी जी वो तो मैं इस लिए कह रही थी कि आप चुदाई में निकहत को थोड़ा बिंदास बनाईये – अपनी तरह, मेरी तरह। ये क्या हुआ कि चूत खोल कर लेट गए, आओ जी लंड डालो इसमें और अपना और मेरा पानी छुड़ाओ। कोइ चुम्मा-चाटी नहीं, कोइ ऊंगलीबाजी नहीं, कोइ लंड चूत जैसी कोइ बात नहीं। ऐसी चुदाई किस काम की?”
फिर नसरीन मेरी जांघ पर हाथ रख कर बोली, “मालिनी जी मुझे आपकी वो बात बड़ी सही और सटीक लगी कि औरत को चुदाई ऐसे करवानी चाहिए जैसे एक रंडी बेशर्म हो कर चुदाई करवाती है और मर्द को भी उसे रगड़-रगड़ कर चोदना चाहिए।” फिर नसरीन असलम की तरफ देखते हुए उसके लंड पर हाथ रख कर बोली, “फिर चाहे लंड सूज ही क्यों ना जाए।”
नसरीन की इस बात पर सब खुल कर हंसे। तभी प्रभा नाश्ते कि लिए बुलाने आ गयी। सब लोग डाइनिंग रूम में चले गए और नाश्ता करने लगे।
नाश्ता करते करते मैंने कहा, “नसरीन भेज देना निकहत को, देखते हैं क्या और कहां तक हो सकता है। दूसरी बात, इसी महीने कि आखिर में मैं एक हफ्ते कि लिए सिंगापुर जा रही हूं। वहां एक सेमिनार में मेरा दो दिनों का लेक्चर का प्रोग्राम है। आने से पहले मुझसे फोन पर बात कर लेना, तभी प्रोग्राम बनाना।”
नसरीन बोली, “ठीक है मालिनी जी।” फिर नसरीन बोली, “वैसे मालिनी जी पूछना तो नहीं चाहिए, मगर वैसे ही पूछ रही हूं ऐसे विदेशी सेमीनार की आप कितनी फीस लेती हैं?”
मैंने कहा, “नसरीन ये अलग-अलग देशों पर और दिनों पर डिपेंड करता है। जैसे पिछली बार मैं जापान गयी थी चार दिन के लिए तो मैंने पंद्रह लाख रूपये लिए थे। आने-जाने की हवाई जहाज की फर्स्ट क्लास की टिकट का खर्च और होटल में रहने का खर्च भी उन्ही सेमिनार वालों ने उठाया था। इस बार, इस सिंगापुर वाले सेमिनार में मैं आने-जाने और ठहरने के अलावा बारह हजार सिंगापुर डॉलर ले रही हूं, जो लगभग आठ लाख रुपये बनते हैं।”
असलम और नसरीन इकट्ठे बोल पड़े, “कमाल है? और मालिनी जी ये सेमिनार वाले इतना खर्च कैसे उठाते हैं?”
मैंने जवाब दिया, “इसमें कुछ खर्च तो वहां की सरकारें उठाती हैं, बाकी ये सेमिनार अटेंड करने की टिकट भी होती है जो मंहगी होती है। कुछ कालेजों वाले थोक में टिकटें खरीदते हैं और अपने स्टूडेंट्स को सेमिनार अटेंड करने के लिए भेजते हैं। दूसरे जहां ये सेमिनार होते हैं वो ऑडिटोरियम बहुत बड़े-बड़े होते हैं। इस लिए अगर ऑडिटोरियम पूरा-पूरा भरा हुआ हो तो काफी खर्च टिकटों में से निकल जाता है। जैसे सिंगापुर का ये ऑडिटोरियम जहाँ मेरा लेक्चर होना है, एक हजार लोग बैठ सकते है। मेरे लेक्चर कि लिए तो आधी टिकटें तो वैसे ही फटाफट बिक जाती है।”
असलम और नसरीन हैरानी से मेरी तरफ देख रहे थे। शायद सोच रहे थे कि ये रंडियों कि तरह चुदाई करवाने की बातें करने वाली औरत इतनी पहुंची हुई है?
मैंने ही कहा, “और जापान कि टोक्यो शहर में जहां मेरा लेक्चर हुआ था उसमें भी एक हजार लोग बैठ सकते हैं। मेरे लेक्चर कि लिए वहां सारी की सारी टिकटें हाथों हाथ बिकी थी।”
नसरीन बड़े ही धीरे से बोली, “मालिनी जी वहां जिस होटल में आप रुकती हैं वहां आप चुदाई भी करवाती है?”
मैंने कहा, “बिलकुल करवाती हूं। यहां इंडिया से मैं अकेले ही नहीं होती, और भी लोग चार-पांच होते हैं जिन्हें उसी सेमिनार में बोलने के लिया बुलाया जाता है। ऐसे लोगों में से अगर कोई पसंद आ गया और बात बन गयी तो होती है चुदाई। मेरे जापान वाले ट्रिप में मेरे साथ दो ऐसे ही लोग मुझे मिल गए थे। एक बंगाली था दूसरा, महाराष्ट्रियन। खूब मजे लिए थे हमने। उसमें दो सांड थे और एक गाये थी। पूरी रात चुदाई की मस्ती की थी हमने।” ये कह कर मैं हंस दी।
असलम और नसरीन बस इतना ही बोले, “कमाल है।”
मैंने कहा, “और अगर होटल में कोइ पसंद आ जाए और वो चुदाई करना चाहता हो, वो भी करवा लेती हूं मगर कंडोम के साथ। एक बार एक गोरे अंगरेज़ से चुदाई करवाई थी। साले का लंड आठ इंच लम्बा था और संदीप के लंड जितना मोटा। ये गोरे बड़ी ही बेदर्दी के साथ औरत को चोदते हैं – मगर मजा बहुत आता है। इन गोरों को हिन्दुस्तानी औरतें बहुत पसंद होती हैं, अगर कहीं तुम जैसी कम उम्र की औरत किसी गोरे के हत्थे चढ़ जाए, तो तुम्हें तो वो पूरा दिन और पूरी रात चोदेगा – बिन रुके।”
नसरीन बोले, “वाह ऐसी चुदाई? फिर तो एक बार किसी गोरे के हत्थे चढ़ ही जाना चाहिए।”
बातों-बातों में नाश्ता भी खत्म हो चुका था। प्रभा ने बर्तन उठा लिए थे। हम लोग उठ कर ड्राईंग रूम में आ गए।
कुछ देर कि हल्की-फुल्की बातों के बाद असलम बोला, “अब चलेंगे मालिनी जी। थोड़ी तैयारी भी करनी है। शाम पांच बजे की गाड़ी है।”
नसरीन और असलम उठे, उन्होंने अपने कपड़ों का बैग उठाया और से नीचे क्लिनिक में आ गए। दोपहर के बारह बजने वाले थे। मैंने शंकर को उन्हें होटल छोड़ आने कि लिए बोल दिया।
जाते-जाते नसरीन बोली, “मालिनी जी इस बार तो कमाल का मजा आया। आगे-पीछे, ऊपर-नीचे, सब जगह से। एक बार और ऐसा ही प्रोग्राम बनाइये। मैंने कहा संदीप कि साथ? उसका मोटा लंड लेने का मन है?”
नसरीन बोली, “मालिनी जी संदीप से चुदाई करवा के मजा तो बहुत आया मगर ऐसा भी उससे नहीं कि दुबारा चुदवाने का मन हो रहा हो। अब तो चुदाई कि लिए असलम है ही। मगर आपके साथ चुदाई का मजा बहुत आता है, इसलिए बोल रही थी।”
मैंने कहा, “चलो देखते हैं, बनाते हैं प्रोग्राम।”
कार मैं बैठे हुए असलम बोला, “मालिनी जी अगली बार निकहत को भी लाएंगे, मैं अम्मी और निकहत। आने से दस-बारह दिन पहले फोन करूंगा।”
मैंने सोचा, ये असलम भी निकहत की गांड चोद कर ही मानेगा। मैंने कहा, “ठीक है” और वो लोग चले गए।
मेरा सिंगापुर का प्रोग्राम बढ़िया था। इस बार भी एक मर्द मिल गया चुदाई कि लिए – मगर गांड चोदने का शौक़ीन नहीं था। चूत चोदता था और लंड चुसवाता ज्यादा था।
उस दिन मैं क्लिनिक में बैठी हुई थी कि तभी मेरे फोन की घंटी बजी। असलम का फोन था। असलम का फोन?
मेरी आखों कि आगे दो गायें और दो सांडों वाली चुदाई घूम गयी। मैंने सोचा लगता है इस बार निकहत को भी लेकर आएंगे। मेरे मुंह में जवान निकहत कि चूत का स्वाद आने लगा।
मैंने पूछा, “असलम कहो कैसे हो? आ रहे हो कानपुर?”
असलम बोला, “जी हां मालिनी जी, हम शुक्रवार रात को कानपुर पहुंच रहे हैं चार दिन का प्रोग्राम है। शुक्रवार रात को पहुंचेंगे और सोमवार की वापसी है।”
“हम?”
मैंने पूछा, “क्या असलम तुम और नसरीन आ रहे हो?”
असलम बोला, “हम तीनों ही आ रहे हैं मालिनी जी। मैं, अम्मी और निकहत।”
मैंने पूछा, “निकहत भी?”
असलम जैसे धीमी आवाज में बोला, “हां मालिनी जी निकहत भी। प्रोग्राम ये है कि शुक्रवार हम पहुंचेंगे। शनिवार मैं और अम्मी मार्किट का काम करेंगे। और निकहत आपके पास रहेगी।”
मैंने सोचने लगी, मेरे पास? मजा ही आ जाएगा, जवान लड़की कि चूत और गांड चाटने का।
असलम ने फिर कहा, ” मालिनी जी अम्मी कह रही थी एक बार निकहत को मालिनी जी से मिलवाना जरूरी है। बाकी अम्मी आपको बता ही देगी।”
मैं समझ गयी कि निकहत घरेलू माहौल में पली बड़ी लड़की है। असलम कह ही रहा था निकहत खुल कर चुदाई नहीं करवाती। उधर असलम और नसरीन तो खुल कर रगड़ाई वाली चुदाई की आदि हो चुकी थी। असलम चाहता होगा निकहत भी वैसी ही खुल कर रगड़ाई वाली चुदाई करवाए।
असलम आगे बोला, “मालिनी जी, रविवार को अम्मी और निकहत कानपुर घूमने जाएंगे और मैं मार्किट के काम के बहाने निकल कर पास आ जाऊंगा – आपके चूतड़ चाटने के लिए। अम्मी को तो मेरा आपका सब मालूम ही है, इसीलिए अम्मी निकहत को साथ ले जाएंगी। सोमवार रात की हमारी वापसी है।”
मैंने कहा, “असलम ठीक है आ जाओ मगर लगता है बड़ा पक्का प्रोग्राम बनाया है। इस बार दो गाये और दो सांडो क प्रोग्राम नही बनेगा?”
असलम बोला, “नहीं मालिनी जी, इस बार नहीं। फिर कभी जब अम्मी बोलेंगी। अभी अम्मी का मेरे लंड से बढ़िया काम चल रहा है।”
मैंने कहा, “ठीक है असलम,लेकिन नसरीन को बोलना मुझे फोन करे। मैं उससे कुछ बात करना चाहती हूं।”
असलम बोला, “ठीक है मालिनी जी मैं कल ही आपकी अम्मी से बात करवाता हूं।” कह कर असलम ने फोन काट दिया।
मैं सोच रही थी निकहत को मेरे पास लाने की जो बात तो मैंने सरसरी तौर पर असलम और नसरीन से कही थी, ये लोग तो सच ही उसे मेरे पास ला रहे थे। अगर ये लोग उसे केवल गांड चुदाई कि लिए राजी करने कि लिए ला रहे थे, तो ये काम तो असलम भी कर सकता था। खैर।
अगले दिन नसरीन का फोन आ गया। कुछ दुआ सलाम कि बाद मैंने नसरीन से पूछा, “नसरीन ये निकहत को क्या ख़ास मुझसे मिलवाने ला रही हो?”
नसरीन बोली, “हां मालिनी जी ख़ास आपसे ही मिलवाने।”
मैंने पूछा , “ऐसा भी क्या हो गया नसरीन? क्या वो असलम से गांड ना चुदवाने वाला चक्कर तो नहीं?”
नसरीन बोली, “नहीं मालिनी जी खाली वही नहीं, बात और भी है। गांड तो निकहत नहीं ही चुदवाती कोइ बात नहीं, मगर एक दिन मैं असलम से चूत और गांड चुदाई चुदवाने के बाद उसका लंड चूस रही थी तो मैंने ऐसे ही पूछ लिया,”असलम निकहत कैसा लंड चूसती है?”
नसरीन ने जवाब दिया, “मालिनी जी मैं हैरान हो गयी हुई असलम बोला, अम्मी निकहत तो लंड चूसती ही नहीं। बस मुंह में लेकर बैठी रहती है।”
मैंने हैरानी से फि असलम से पूछा, “और असलम चूत चुसाई, गांड चुसाई? वो?”
असलम बोला, “अम्मी वो मैं करता हूं, मगर निकहत ने मुझसे कभी नहीं कहा कि मैं उसकी चूत चूसूं, उसकी गांड चाटूं।”
“मालिनी जी असलम की ये बात सुन कर मैंने सोचा, ये तो एक हाथ से ताली बजाने वाली बात लग रही लगती है। अब भला दोनों हाथ साथ नहीं उठेंगे तो ताली की आवाज ही कहां से आएगी।”
नसरीन बोल रही थी”, फिर मैंने असलम से पूछा, और असलम चुदाई? वो ठीक होती है? असलम बोला, “हां अम्मी चुदाई मस्त करवाती है निकहत।”
“मालिनी जी ये सुन कर मुझे तसल्ली सी हुई, मगर मैंने असलम से पूछा, और असलम चुदाई वक़्त चूतड़ घुमाती झटकाती है वो?”
“मालिनी जी असलम बोला, “हां अम्मी, जब निकहत की चूत पानी छोड़ने वाली होती है तब चूतड़ घुमाती है।”
नसरीन बोल रही थी मैं सुन रही थी, “अब मालिनी जी भला ये क्या बात हुई। जब चूत पानी छोड़ती है तब तो चूतड़ अपने आप ही हिलने लगते है। चुदाई करवाते वक़्त भी तो लड़की को चूतड़ झटकाने चाहिये जैसे मैं और आप झटकाती हैं। फिर मालिनी जी मैंने सोचा, अगर निकहत सिर्फ सीधी-सादी चुदाई ही करवाती है तो, भला चुदाई के वक़्त कुछ बोलती तो होगी ही नहीं। और वो मूतना, वो तो फिर दूर की बात है।”
नसरीन की बातें सुन कर मैंने कहा , “लेकिन नसरीन ये तो हर लड़की, औरत की अपनी-अपनी सोच है। इसमें भला मैं क्या करूंगी? मैं उसे कैसे कहूंगी ये सब करने के लिए?
नसरीन बोली, “मालिनी जी अगर ये काम आप नहीं कर सकती, तो भला और कौन कर सकता है? मैं तो सोच रही थी रात भर कि लिए निकहत को आपके पास छोड़ दूंगी। बाकी आप संभाल लेना।”
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