शनिवार का दिन और दोपहर का समय था। मैं बाजार से लौट रही थी। तब मैंने अपने घर का दरवाजा अंदर से बंद पाया। मैं दूसरी तरफ से देखने गयी, मुझे खिड़की की तरफ से कुछ आवाज आई आआआहहहह ऊऊह्ह्ह्ह उउउउमम।
यह मादक आवाज सुन कर मेरे कदम रुक गए और मैं खिड़की के अंदर देखने की कोशिश करने लगी। खिड़की के अंदर का नजारा देख मेरे होश उड़ गए थे। अंदर दो लोग नंगे एक-दूसरे की चुदाई कर रहे थे। एक मेरे पति थे और दूसरा मेरी पड़ोसन जो की बहुत ज्यादा चुदक्कड़ थी।
मेरे पति का नाम महेश दास है, और वह 50 साल के हैं, और मेरी पड़ोसन सुनैना, उनकी उम्र 45 साल है।
नमस्कार दोस्तों, मैं 38 साल की गोरी चिट्टी, गोरे बदन की मालकिन संध्या। मेरी शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी, और मेरे पति मुझसे लगभग 10 साल बड़े हैं। मेरे और पति के बीच में शुरू से ही नहीं बनती है। मेरा एक बेटा है रजत जो कि हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता है, उसकी उम्र 20 साल है। घर के झगड़े के कारण कहीं मेरे बेटे पर मानसिक दबाव ना पड़े, इसलिए उसे हॉस्टल में रख कर पढ़ा रही थी।
आज सुबह ही मैं सज-धज कर बाजार गई थी। बाजार में लोगों को मैं अपने ऊपर घूरते देखी, तो समझ गई कि मेरी चूचियां और गांड उनके पेंट के अंदर हलचल मचा रही थी। मैं गैर मर्द से हंस कर बातें करती थी, उनसे मस्ती-मजाक कर लेती थी। लेकिन कभी कोई मेरे बदन को छू नहीं पाया।
आज जब मैं बाजार से लौटी और अपने घर के अंदर अपने पति को किसी गैर महिला के साथ संभोग करते हुए देखी। मेरे तन बदन में आग लग गई। मैं गुस्से में जोर-जोर से दरवाजे को पीटने लगी। तभी मेरे पति आए और दरवाजा खोला। मैं जल्दी से अंदर गई, उस औरत को देखने के लिए। रूम में कोई नहीं था। पीछे का दरवाजा खुला हुआ था, और वह जा चुकी थी।
मैं अपने पति से झगड़ने लगी। पति मुझसे और ज्यादा गुस्सा हुए और उन्होंने गुस्से में मेरे ऊपर हाथ उठा दिया। उन्होंने मुझे इतनी जोर का थप्पड़ मारा कि मेरी आंखें बंद हो गई और मैं गिरने लगी। तभी किसी ने मुझे अपने बाहों में लेकर संभाला। थप्पड़ इतना जोरदार था कि मेरी आंखें नहीं खुल रही थी, और मैं देख ना सकी कि किसने मुझे अपने बाहों में संभाला। तभी मेरे कानों में आवाज पड़ी-
पति: अरे बेटा तू कब आया?
बेटा: बस करो पापा, मैं आपकी सारी करतूत दरवाजे पर खड़े होकर देख लिया। आपने मम्मी पर हाथ उठा कर अच्छा नहीं किया।
यह आवाज मेरे बेटे की थी। मैं अपने बेटे की बाहों में अपने आप को सुरक्षित महसूस की और उसके गले से लिपट कर और तेज रोने लगी। उसने मुझे अपनी बाहों में संभाला, और मुझे चुप कराने लगा। मेरे पति और ज्यादा गुस्सा हुए, और मुझे और मेरे बेटे दोनों को गाली देने लगे। वह हमेशा से ही मुझे बदचलन कहते रहते थे, और उन्हें लगता था कि ये उनका बेटा नहीं था।
मेरे पति की बदतमीजी बेटे से बर्दाश्त ना हुई। उसने पुलिस को कॉल किया, और पुलिस इन्हें उठा कर ले गई। मैं अपने कमरे में रो रही थी। तभी मेरा बेटा मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में भर के मेरे पास ही लेट गया। मैं उसके सीने में समा गई और तेज रोने लगी। रजत मेरे पूरे बदन को सहलाते हुए मुझे चुप कर रहा था और बोला-
बेटा: मां आप चिंता मत करो, पापा के जब होश ठिकाने आएंगे तब पुलिस उन्हें छोड़ देगी।
मैं अपने बेटे की बात सुन कर शांत हो गई और उसकी बाहों में मुझे सुकून मिलने लगा। रजत मुझे बाहों में पकड़े पूरे बदन को सहला रहा था, और मैं उसके सीने पर सर रखके आंखें बंद की हुई किसी दूसरी दुनिया में खोई हुई थी।
हम दोनों कब सो गए पता ही नहीं चला। जब मैं उठी तो शाम के 6:00 रहे थे। मैं अभी भी अपने बेटे की बाहों में थी। मैं उसकी बाहों से अलग हुई और मेरी नज़र रजत की पैंट पर गयी। उसके भीतर कुछ मोटा सा टाइट खड़ा हुआ था। मैं समझ गई मेरी जवानी की गर्मी से यह सब हुआ था।
कमरे में लगे शीशे में अपने आप को देखने लगी। मुझे अपने खूबसूरती पर आज गर्व हो रहा था। जिस खूबसूरती के पीछे पूरा बाजार पागल हो जाता था। वो खूबसूरती सिर्फ मेरे पति को ही दिखाई नहीं देती थी। आज मेरे बेटे ने भी मेरी खूबसूरती और गर्म जवानी का जायजा लिया। मैं अपने बेटे की तरफ देखी। उसके मासूम चेहरे को देख कर मुझे उस पर प्यार आ गया, और मैं उसके माथे को चूमने के लिए उसके ऊपर झुकी।
तभी उसने मुझे अपने बाहों में पकड़ लिया और हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से रगड़ खाने लगे। मैं आंखें फाड़े उसकी और देख रही थी, और वह मुझे अपनी बाहों में जकड़ते जा रहा था। मेरी दोनों चूचियां उसके सीने में धंसती चली जा रही थी। उसका गरम लंड मेरे जांघों पर महसूस होने लगा था। और हम दोनों की गरम सांस एक-दूसरे को गर्म कर रही थी। मेरा बेटा रजत मेरी आंखों में देखते हुए बड़े प्यार से बोला-
बेटा: मेरा बाप पागल है, जो इतनी खूबसूरत औरत को छोड़ कर कहीं और मुंह मारता फिर रहा है। यदि उसकी जगह मैं होता तो कभी घर से बाहर ही ना निकलता।
उसकी बातें सुन कर मुझे हंसी आ गई, और मैं उसके आंखों में बड़े प्यार से देखते हुए बोली-
मैं: कहीं तुमको अपनी मम्मी से ही तो मोहब्बत नहीं हो गयी?
और हम दोनों हंसने लगे। फिर मैं उसके ऊपर से उठी और किचन में जाने लगी। सुबह से मेरा मूड ऑफ था। मेरे बेटे के आ जाने से मैं अब बहुत ज्यादा शांति महसूस करने लगी थी। शाम को खाना बनाई और हम दोनों खाना खाए। फिर मैं अपने कमरे में जाकर सोने लगी, तभी रजत मेरे कमरे में आया और मुझसे बोला-
बेटा: मम्मी अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं आपके साथ आज रात सो जाऊं?
मेरे संस्कार तो उसे मेरे पास सोने के लिए इजाजत नहीं दे रहे थे। पर उसने इतनी मासूमियत से आग्रह किया कि मुझसे ना रहा गया। फिर रजत मेरी बाहों में समा गया, और अपना सर मेरे सीने पर रख दिया। उसने अपने पैर को मेरे पैरों के बीच घुसा दिया। उसकी यह हरकत से मुझे उसकी बचपन याद आ गई, और मैं मुस्कुराने लगी। हम दोनों पता नहीं कब नींद के आगोश में आ गए।
सुबह जब नींद खुली तो मैं देखी कि मेरा एक पैर उसके पैरों के ऊपर, और मेरी चूचियां उसके सीने से सटी हुई, और मेरे होंठ उसके गाल से सटे हुए थे। मेरी बाहें उसके गले में थी। ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों पति-पत्नी हो।
रजत ने आंखें खोली, और मुझे अपनी बाहों में जकड़ने लगा। मेरे होंठ उसके होंठों के करीब जाने लगे। मेरे दोनों चूचियां उसके सीने में धंसने लगी। दोनों की गरम सांसे एक-दूसरे को गर्म कर रही थी। रजत मेरी आंखों में देखते हुए मुझसे बोला-
रजत: मम्मी आप बहुत ज्यादा खूबसूरत हो।
मैं रजत की आंखों में बड़े प्यार से देखते हुए बोली: कहीं तुम मुझसे प्यार तो नहीं करने लगे?
बेटा: प्यार तो आपसे बहुत पहले से करता हूं, लेकिन पापा के जेल जाने से ऐसा लगता है जैसे भगवान इशारा दे रहे हो कि अब हम दोनों का मिलन हो सकता है।
मैं: हम दोनों मां बेटे हैं। यह रिश्ता भला किसे मंजूर होगा? जो सुनेगा, वही भला-बुरा कहेगा।
बेटा: यह रिश्ता सिर्फ मेरे तुम्हारे और भगवान के बीच में होगा। मैं तुम्हें पत्नी बनाना चाहता हूं। मैं तुम्हें बहुत सारी खुशियां देना चाहता हूं, जो तुम्हें शादी के बाद मेरे पापा से मिलनी चाहिए थी। क्या तुम मुझे अपना पति स्वीकार करोगी?
मैं अपने बेटे की बाहों में थी, और उसकी गर्म सांसों ने मेरे भीतर गर्मी पैदा कर मेरे सोचने की क्षमता खत्म कर दी थी। वह जो बोल रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे भगवान की मर्जी बोल रही हो। मैं अपने आप को ना रोक सकी और बोल पड़ी-
मैं: हां, मैं तुम्हें अपना पति स्वीकार करूंगी।
यह करते हुए मैं अपने कोमल होंठों को उसके कोमल होंठों से मिला दी, और आंखें बंद करके हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे। रजत अपने हाथों को मेरी नंगी कमर के आस-पास घुमाने लगा। उसका हाथ मेरे बदन के नंगे हिस्सों में गर्मी पैदा कर रहा था।
फिर मैं उससे अलग हुई और बोली: जनाब अब क्या शादी से पहले ही सुहागरात मना लोगे?
और मैं हंसने लगी। वह भी हंसने लगा और फिर हम दोनों अलग हुए और नहाने के लिए बाथरुम में चले गए। बाथरूम में मेरे बेटे ने मेरी मांग को खुद धो दिया, और मंगलसूत्र निकाल दिया। नहाने के बाद मैं अपने कमरे में गई, और सज-धज के बाहर आई। मेरा बेटा मुझे देखते ही रह गया। मैं मांग में सिंदूर नहीं लगाई थी, और मंगलसूत्र भी नहीं पहनी थी।
मेरा बेटा मुझे बाहों में पकड़ने के लिए आया, पर मैं भाग कर कमरे में आ गई और उससे बोली: पहले शादी कर लो, उसके बाद जो करना होगा, सब कर लेना।
फिर मेरा बेटा बाजार चला गया सिंदूर और मंगलसूत्र खरीदने के लिए। मैं खाना बना रही थी। तभी किसी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। मैं पलट कर देखी तो वह मेरा बेटा रजत था। उसके चेहरे पर खुशी की झलक थी।
वह मुझसे बोला: मां मैं बाजार से सिंदूर और मंगलसूत्र ले आया हूं, और साथ ही मैं पुलिस स्टेशन भी गया था। वहां से पता चला कि पापा को अगले हफ्ते छोड़ देंगे।
मेरे लिए दोनों ही खबरें अच्छी थी। पति को मैं जेल भेज कर खुश तो नहीं थी, लेकिन इस बात कि मुझे खुशी बहुत थी कि अब मेरा बेटा मुझे अपनी पत्नी बना लेगा, और हम दोनों बहुत खुश रहेंगे। दुनिया के सामने तो मैं अपने पति की पत्नी रहूंगी, लेकिन असल में मैं अपने बेटे की पत्नी रहूंगी।
अब तक मैं खाना बना चुकी थी। हम दोनों ने खाना खाया, और उसके बाद मेरे बेटे ने मुझे तैयार होने को बोला, और खुद बाइक निकालने लगा। मैं उससे पूछी कि हम कहां जा रहे थे, तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया बस बोला कि, “शादी करनी है, तैयार हो जाओ और चलो।”
मैं बहुत ही अच्छे लाल रंग का जोड़ा पहनी और उसके साथ चली आई। वो मुझे एक मंदिर में लाया जहां, एक वृद्ध पंडित जी थे, और वहां पर कोई लोग नहीं थे। पंडित जी ने हम दोनों का विधिवत विवाह कराया और हमें आशीर्वाद दिया कि हम दोनों सदा खुश रहेंगे और साथ रहेंगे।
उसके बाद हम घर चले आए। रात गहरी हो चुकी थी। मैं शीशे के सामने दुल्हन की जोड़ा में खड़ी खुद को निहार रही थी। मेरी खूबसूरती अभी भी वैसी की वैसी ही थी। मेरे जवानी को अब तक किसी ने निचोड़ा नहीं था।
मेरा बेटा मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, और अपने हाथों को मेरे नंगे पेट पर चलाते हुए मुझे अपनी बाहों में कस लिया। मेरे मुंह से आहे निकल गई। रजत मुझे बाहों में पकड़े शीशे में मेरी खूबसूरती को निहार रहा था, और मेरे गर्दन और कोमल गाल को चूम रहा था।
रजत की शैतानियां बढ़ने लगी, और वह मेरे गाल को हल्के-हल्के दांतों से काटने लगा, उउउफ्फफ्फ्फ़। ऐसा लगा जैसे अब मेरे पैरों में जान ही नहीं रही। मैं उसकी बाहों में गिर गई और उसे कस के पकड़ ली।
रजत मुझे बाहों में उठाया, और बेड पर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गया। रजत मेरे बदन के हर हिस्से को चूमने लगा। आज पहली बार कोई मुझे प्यार से चूम रहा था, और मेरे बदन को सहला रहा था। मेरे पति हमेशा ही मुझसे जबरदस्ती करते थे, लेकिन मेरा बेटा रजत मुझे पत्नी की तरह प्यार दे रहा था।
रजत मेरे होंठ और गाल को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रहा था, और मैं अपनी आंखें बंद की हुई थी आआआआहहहहह। जब मेरी आंखें खुली तो मेरे बदन के सारे कपड़े गायब थे, और मैं सिर्फ लाल रंग की पेटी में रजत के सामने थी रजत मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था, और मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूस रहा था।
रजत कभी मेरे पेट को चूमता, तो कभी मेरी पीठ और गांड को चूमता। रजत खुद भी सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया। उसका बड़ा सा लंड हवा में लहरा रहा था। रजत मेरे टांगों के बीच में आया, और मेरी लाल रंग की पेटी को उतार कर फेंक दिया। वह मेरे पैर को फैला कर मेरे गुलाबी कली जैसी चूत को देखने लगा।
रजत अपनी होंठों को जीभ पर फिराते हुए मेरी चूत की और बढ़ा, और चूत की दोनों कलियों को फैला कर उसके दाने को चूसने लगा। रजत बेटा आआआआहहहह। वह मेरे चूत को तब तक चूसता रहा जब तक मेरी चूत से पानी की रस उसके मुंह में ना चली गई। रजत अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ते हुए मेरे दोनों चूचियों को चूसने लगा आआआआहहहहह।
रजत अपने बड़े लंड की टोपी को मेरी चूत में घुसाया और मेरे मुंह खुल गया आआआआहहहहह। फार रजत ने दूसरा प्रहार किया, और मेरे गालों को सहलाते हुए अपने लंड को अंदर तक घुसा दिया। ऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह मेरे लाल आआहहहह।
मैं रजत के नीचे दबी हुई उसके लंड को अपनी चूत में महसूस कर रही थी और वह अपनी कमर हिला कर मेरी चूत को चोद रहा था आआआआआहहहहह। जो सुख मुझे इतने सालों से अपने पति से नहीं मिला, वह मुझे अपने बेटे को पति बनाने के बाद मिल रहा था।
मैं अपने आप को पूरी तरीके से अपने बेटे के हवाले कर चुकी थी। वह मुझे ना जाने कई तरीके से चोदा। उस रात मेरी चूत की हालत खराब हो गई थी। सुबह हुई हम दोनों नंगे एक-दूसरे की बाहों में बिस्तर पर लेटे हुए थे। सुबह की रोशनी में हम दोनों के गोरे बदन चमक रहे थे। मेरा बेटा जागा और मेरे होंठ और गाल को चूमने लगा, और हम दोनों में एक बार फिर से यह प्रेम संबंध बना।
उसके बाद मैं और मेरा बेटा दोनों नहा धोकर तैयार हो गये। मैं खाना बनाने लगी। खाना बनाते समय वह मुझे बहुत तंग कर रहा था। किसी तरह मैं खाना बनाई, और उसके बाद हम दोनों ने खाना खाया। अब मैं हर रोज अपने बेटे के नाम का सिंदूर लगाती थी।
मेरे पति एक हफ्ते बाद जेल से लौट आए, परंतु उनका स्वभाव अभी भी नहीं बदला था। वह अभी भी बाहर इधर-उधर मुंह मारते थे। लेकिन मेरे और मेरे बेटे के बीच पति-पत्नी से भी बढ़ कर प्रेम था। हम दोनों मेरे पति के ना रहने पर खूब जम कर सेक्स करते और एक-दूसरे से प्यार करते है।
1 साल बाद मैं बहुत ही सुंदर कन्या को जन्म दी। जिसका बाप मेरा बेटा था। मेरा पति तो शुरू से ही मुझे कुल्टा समझता हैं। वहीं समझ में कुछ लोग मुझे गलत समझते हैं तो कुछ लोग मेरे प्रति सहानुभूति प्रकट करते हैं, कि मेरी कई सालों बाद फिर से गोद भरी है।
मेरा बेटा मेरे मां बनने से बहुत ज्यादा खुश है, और वह मुझे और मेरी बेटी दोनों को बहुत प्यार करता है।
सेक्स वीडियोस देखने के लिए क्लिक करे:- Desi Sex Videos