दीपिका दीदी और मेरा राज-1

इस सब की शुरुआत तब हुई जब दीपिका दीदी घर दिवाली के लिए आई। मम्मी हर साल दिवाली के दो दिनों पहले घर पर हमारे सभी रिश्तेदारों को बुलाती थी, ताकि हम सब लोग मिल कर त्योहार का मज़ा ले सकें।

मुझे हमेशा ये पल बहुत अच्छे लगते थे।पूरा घर मेहमानों से भरा होता, हर तरफ़ हँसी और शोरगुल गूंजता। सब लोग मिल कर पटाखे जलाते, साथ में मिठाइयाँ बाँटते और देर रात तक बातें करते। लेकिन 2021 की दिवाली अलग थी, मानो किसी ख्वाब की तरह, जिसने मेरी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको दीपिका दीदी के बारे में बताता हूं। वह मेरी बड़ी बहन हैं, लेकिन पढ़ाई की वजह से दूसरे शहर यानी मुंबई में रहती हैं। साल में मुश्किल से दो-तीन बार ही घर आती हैं, और हर बार उनका रूप और खूबसूरती कुछ अलग और नया लगता है।

मैं जब भी दीदी को देखता, मेरी सांसें थम जाती। उनका चेहरा मानो रेशम पर बिखरी चांदनी हो, गोरी, चिकनी और मुलायम त्वचा, बड़ी-बड़ी आंखें जिनमें एक अंजान चमक थी। होंठ भरे-भरे और गुलाबी, जो हल्की सी मुस्कान में भी दिल पर सीधा वार कर देते।

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