उस रात दीदी ने चखाया अपना गीलापन-8

पिछला भाग पढ़े:- उस रात दीदी ने चखाया अपना गीलापन-7

भाई-बहन सेक्स कहानी अब आगे-

सुधा दीदी सुबह की हल्की रोशनी में पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी और मेरे अगले कदम का इंतजार कर रही थी‌। उनके होंठों पर हल्की मुस्कान और चेहरे पर शर्म थी। मैं धीरे-धीरे खुद को भी कपड़ों से आजाद करने लगा। जैसे-जैसे मैंने अपनी शर्ट और फिर बाकी कपड़े उतारने शुरू किए, दीदी की आँखें चौड़ी हो गई। उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान और गहरी चमक साफ झलक रही थी। कभी वह नज़रें चुरा लेती, तो कभी हिम्मत कर के मेरी ओर देखने लगती। उनके गालों की लाली और तेज़ हो गई थी, जैसे मेरे हर कपड़े उतारने के साथ उनकी साँसें और भारी हो रही हो।

जब मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, तो मैं धीरे-धीरे दीदी के और पास आ गया। मैं उनके पैरों के बीच जाकर बैठा। दीदी ने हल्के से अपनी जाँघें खोल दी, ताकि मैं उनके और करीब आ सकूँ। उनकी इस हरकत से मुझे उनके सबसे गहरे हिस्से के पास आराम से जगह मिल गई। उनका बदन गर्म था, और मैं उनके बीच में बैठ कर उनकी साँसों की गर्मी महसूस कर सकता था। दीदी की आँखें शर्म से झुकी हुई थी, लेकिन उनके शरीर की भाषा साफ बता रही थी कि वह इस पल को पूरी तरह स्वीकार कर चुकी थी।

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