उस रात दीदी ने चखाया अपना गीलापन-4

पिछला भाग पढ़े:- उस रात दीदी ने चखाया अपना गीलापन-3

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शाम करीब सात बजे मैं उनकी दोस्त के घर पहुंचा। दीदी ने मुझे देखा तो उनका चेहरा थोड़ा अजीब सा हो गया। उन्होंने मुझे देखा, फिर नज़रें हटा लीं, जैसे सोच रही हों कि मैं यहां कैसे आया था। मैं कार से उतरा और उनके दोस्त और परिवार से हाथ मिलाया। सब ने मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया, लेकिन दीदी बार-बार मेरी तरफ देख रही थी, पर कुछ कहने से बच रही थी।

थोड़ी देर बाद दीदी ने कहा कि चलो, अब चलना चाहिए। मैंने उनकी मदद की और दोनों कार में बैठे। अंदर बैठते ही मैं सोच रहा था कि ये पल हमारे लिए कितना खास था। लेकिन उनकी चुप्पी और अजीब एहसास ने मेरे मन को बेचैन कर दिया।

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