जैसे ही मैंने लंड को मुंह में डाला भाई के मुंह से आह निकली। उसकी आँखें बंद हों गई। मुझे अपने भाई के लंड की बहुत भूख थी, और मैं उसको पागलों की तरह चूसने लगी। उसके लंड का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर लंड चूसते हुए मैं एक हाथ अपने चूत पर ले गई, और उसको सहलाने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। भाई भी पूरे आनंद में था।
फिर कुछ देर बाद मैंने लंड को मुंह से निकाला, और भाई को लेटने को कहा। भाई मेरी बात मान कर वहीं लेट गया। फिर मैं उसके ऊपर आई, और लंड पर चूत रख कर बैठ गई। अब मैं आगे-पीछे हो कर अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ने लगी। बड़ा मजा आता है इसमें। रगड़ते-रगड़ते चूत के पानी से लंड गीला हो गया था। फिर मैंने लंड को हाथ में लेके दबाया, जिससे भाई की चीख निकल गई, और मेरी हंसी निकल गई।
उसके बाद मैंने लंड को चूत के मुंह पर सेट किया, और धीरे-धीरे उसके ऊपर बैठ गई। भाई का लंड जैसे-जैसे मेरी चूत में जा रहा था, मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। वो भी आह आह कर रहा था। जब उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया, तो मैंने उसकी तरफ देखा। वो भी मेरी तरफ देख रहा था। फिर मैंने उससे पूछा-
मैं: कैसा लग रहा है भाई?
भाई: बहुत गर्मी है अंदर आह, बहुत मजा आ रहा है।
मैं बिल्कुल नहीं थी। मैंने अपने भाई के हाथ अपने चूचों पर रखवाए, और आगे-पीछे होके लंड चूत में लेने लगी। भाई जोर से मेरे चूचे दबा रहा था, और निप्पल मसल रहा था। बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर हमारी चुदाई ऐसे ही चलती रही। मेरे चूचे दबा-दबा कर भाई ने लाल कर दिए थे।
फिर मैंने उसकी छाती पर हाथ रखे, और अपनी गांड उछाल कर लंड चूत में लेने लगी। ये देखते हुए भाई ने अपने हाथ मेरे चूचों से हटाए, और मेरे चूतड़ों पर रख लिए। अब वो लंड पर उछलने में मेरी मदद कर रहा था, और जोर लगा कर मुझे तेजी से अपने लंड पर उछाल रहा था। मैं आह आह कर रही थी। जब गांड उसकी जांघों पर टकराती, तो थप की आवाज आती। इस आवाज ने हमारे जोश को बढ़ाने का काम किया।
लगभग 10 मिनट तक मैं उसके लंड पर उछलती रही। इतने में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। अब मैं थक गई थी, तो भाई के ऊपर ही लेट गई। उसका लंड अभी भी पूरा तना हुआ था, और मेरी चूत में ही था। फिर मैंने भाई से कहा-
मैं: चल अब तेरी मर्जी करने देती हूं अगली कुछ देर तक। तुझे मेरे साथ जो करना है, जैसे करना है, कर ले।
ये बात सुन कर भाई खुश हो गया। उसने मुझे अपने ऊपर से उतारा, और सीधी लिटा दिया। फिर वो मेरे ऊपर आया, और मेरे चूचे चूसने लगा। उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया, और जोर का धक्का मारा। इससे मेरी चीख निकल गई। उसके बाद वो ताबड़तोड़ धक्के मार कर मेरी चूत की चुदाई करने लगा।
इस बार उसका लंड मेरी बच्चे-दानी को टकरा रहा था। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन इसका भी अपना मजा है। 5 मिनट लगातार धक्कों के बाद मेरी चूत फिर से गरम हो गई। मैं फिर से आह आह करने लगी। फिर भाई ने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं उसकी बात मानते हुए घोड़ी बन गई।
फिर जैसे ही भाई ने मेरी गांड देखी, तो उसने जोर का थप्पड़ मारा। इससे मेरी आह निकल गई, और मेरे चूतड़ पर उसके हाथ का निशान पड़ गया। मैंने उसको कहा-
मैं: आह भाई, दर्द होता है।
वो बोला: साली कुतिया, अभी तो तूने कहा कि मैं जो चाहे वो कर सकता हूं। तो मुझे अपनी मर्जी से करने दे।
ये बोल कर उसने 2-3 थप्पड़ इकट्ठे मार दिए। मेरे चूतड़ में से सेक निकलने लगा। फिर उसने एक-दम से मेरी गांड के छेद में अपनी पूरी उंगली घुसा दी। इससे भी मुझे दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गई। ऐसा लग रहा था जैसे उसको गुलाम बनाने का बदला वो मुझसे ले रहा था।
फिर उसने लंड चूत पर सेट किया, और एक ही बार में पूरा पेल दिया। मेरे फिर से चीख निकली, और उसका लंड सीधा मेरी चूत की हड्डी पर जा कर टकराया। अब उसने मेरी कमर को कस के पकड़ा, और इतनी तेज धक्के मारे, जिससे मेरी चूत का भोंसड़ा बनने की नौबत आ गई। वो धक्के मारे जा रहा था, और उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खाता हुआ उन्हें छील रहा था। दर्द हो रहा था, लेकिन एक अलग सा मजा भी आ रहा था।
तकरीबन 15 मिनट बाद भाई ने बोला कि वो झड़ने वाला था। मैंने उसको मुंह में झड़ने को कहा। उसने जल्दी से मेरी चूत से लंड निकाला, और मेरे मुंह में दे दिया। फिर वो मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुंह को बुरी तरह से चोदने लगा। मेरे मुंह से थूक बह रहा था, और मैं एक रंडी जैसा महसूस कर रही थी। 5 मिनट बाद उसने मेरे मुंह को माल से भर दिया। मैं उसका सारा माल पी गई।
उस दिन के बाद से मेरा जब दिल चाहे मैं अपने भाई से चुदवाती हूं। वो मेरी कोई बात नहीं टालता। मैं उसको अपनी टट्टी भी खाने को कहूं तो खाता है। मुझे पति भी ऐसा ही चाहिए।
आपको कहानी कैसी लगी मुझे pritankagupta3@gmail.com पर मेल करके बताएं।