मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसके ऊपर आ गया। उसके बाद मैंने जैसे ही अपने लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर रखा, उसने अपना मुँह दबा लिया। उसके बाद मैंने थोड़ा सा जोर लगाया, तो इस बार वो ज्यादा जोर से नहीं चीखी। मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया। मैंने अपने लंड के सुपारे को उसकी गांड में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, तो वो आहें भरने लगी।
थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा और जोर लगाया, तो उसने जोर की आह भरी और इसी के साथ मेरा लंड उसकी गांड में 2 इंच तक घुस गया। उसकी उंह आह निकली।
मैंने थोड़ा जोर और लगाया, तो वो जोर-जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मेरा लंड बहुत मोटा था ही। इसी वजह से अब तक उसकी गांड में मेरा 3 इंच ही लंड घुस पाया था।फिर मैं कुछ देर के लिए रुक गया। लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी।
मुझे गुस्सा आ गया, तो मैंने जोर का एक धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लंड उसकी गांड में 4 इंच तक घुस गया।
वो और ज्यादा जोर-जोर से चिल्लाने लगी: आह भाभी, मर गई। बचाओ मुझे, मैं मर जाऊंगी।
उसके चिल्लाने की आवाज सुन कर भाभी ने बाहर से पूछा: अब क्या हुआ?
वो रोते हुए कहने लगी: भाभी, मुझे बचा लो। नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
भाभी ने कहा: अच्छा तुम दोनों बाहर आ जाओ।
मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और हट गया। मेरे लंड पर ढेर सारा खून लगा हुआ था। उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गए। रानी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया।
बाहर आने के बाद भाभी रानी को समझाने लगी: देखो रानी, अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी, तो काम कैसे बनेगा? हर औरत को पहली-पहली बार दर्द तो होता ही है, और उसे उस दर्द को बर्दाश्त करना पड़ता है।
रानी रो-रो कर कहने लगी: भाभी, मैंने अपने आपको संभालने की बहुत कोशिश की। लेकिन मैं दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ। इसलिए मेरे मुँह से चीख निकल गई। इनका औजार भी तो बहुत बड़ा है।
भाभी ने कहा: औजार तो सब का बड़ा होता है, लेकिन एक बार जब अन्दर घुस जाता है, फिर कभी भी बड़ा नहीं लगता। उसके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आएगा।
रानी बोली: भाभी, मेरी बात पर विश्वास करो। इनका औजार बहुत ही बड़ा है। मैंने गांव में बहुत से आदमियों को पेशाब करते समय देखा है। लेकिन इनके जैसा औजार मैंने आज तक कभी नहीं देखा। आप चाहो तो खुद ही देख लो। एक बार आप देखोगी, तो आपको मेरी बात पर विश्वास हो जाएगा
मैं उसकी बात सुन कर तोड़ा नाराज़ हो गया। और हूँ भी क्यूँ ना? एक तो आज मेरी सुहागरात थी। उपर से मेरी बीवी चुदाई करवाने के लिए नाटक कर रही थी।लेकिन अपने आप को समझाया। बेचारी वो भी क्या करती, उसकी पहली चुदाई थी, और वो भी मेरे मोटे औजार से।
फिर भाभी ने मुझसे कहा: नंदोई ज़ी, ज़रा दिखाइए तो अपना औजार। जरा मैं भी तो देखूं कि ये बार-बार क्यों आपके औजार को बहुत बड़ा कह रही है।
भाभी की बात सुन कर मैं तोड़ा आश्चर्यचकित हो गया और शर्म के मारे लाल-लाल भी।
मैंने कहा: भाभी, मुझे शर्म आती है।
भाभी ने कहा: मैं तो आपकी भी भाभी हूँ। और आप दोनो से बड़ी भी। मुझसे कैसी शर्म? ज़रा अपना औजार बाहर निकाल कर दिखाये तो सही। मैं भी देखूं कि ये रानी इतना क्यूँ चिल्ला रही है।
भाभी बार-बार मुझे मेरा औजार दिखाने के लिए बोल रही थी, और मेरी बीवी भी मुझे भाभी को मेरा औजार दिखाने को बोल रही थी। अपनी बीवी और भाभी की बार-बार विनती सुन कर मैंने भी जोश में उन दोनों की बात मानते हुए शर्माते हुए अपनी लुंगी खोल दी। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था। मेरा 8″ लम्बा और खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। उस पर खून भी लगा हुआ था।
भाभी ने जैसे ही मेरा लंड देखा, तो उन्होंने अपना हाथ मुँह पर रख लिया और बोली: बाप रे, आपका औजार सचमुच बहुत ही बड़ा है। मैंने भी अब तक ऐसा औजार कभी देखा ही नहीं था। अब मेरी समझ में आया कि रानी क्यों इतना चिल्ला रही थी।
मैंने देखा कि भाभी की आंखें भी मेरे लंड को देख कर गुलाबी सी होने लगी थी। उन्हें भी जोश आने लगा था, क्योंकि मेरा लंड देखने के बाद उन्होंने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था। उनके अंदर भी 8 साल से सोई हुई वासना जन्म ले चुकी थी।
मैंने भी लंड लहराते हुए कहा: भाभी, आप ही बताओ मैं क्या करूं? मैं अपना औजार छोटा तो नहीं कर सकता।
भाभी ने रानी से कहा: नंदोई ज़ी का औजार तो सच में बहुत बड़ा है। ननंद जी तुम्हें दर्द को बर्दाश्त करना ही पड़ेगा, नहीं तो बड़ी बदनामी होगी।
भाभी ने रानी को बहुत समझाया, तो वो मान गई।
भाभी ने रानी से कहा: अब तुम अपने कमरे में जाओ। मैं नंदोई ज़ी को समझा-बुझा कर थोड़ी देर में तुम्हारे पास भेज देती हूँ।
रानी कमरे में चली गई।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताएं।
अगला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-6