फिर मैंने जोमैटो से ऑर्डर करके खाना मंगवाया, और मैंने और मेरे बेटे संजीव ने खाया। उसके बाद मैंने बर्तन धोए, और थोड़ी बातों के बाद मैं और संजीव अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। मैं सोने के लिए बिस्तर पर लेट तो गया, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी, और चुदाई की तलब हो रही थी। फिर मैंने मूठ मारी, और जैसे-तैसे खुद को ठंडा करके सो गया।
सुबह मैं उठा और बाथरूम की तरफ गया। जैसे ही मैंने बाथरूम का दरवाजा अंदर जाने के लिए खोला, तो अंदर का सीन देख कर मेरी आँखें बड़ी हो गई। अंदर मेरा बेटा संजीव शावर के नीचे खड़ा हो कर नहा रहा था। उसका नंगा जिस्म बिल्कुल किसी लड़की जैसा लग रहा था। जब वो झुका, तो उसकी गांड देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। दिल तो कर रहा था, कि पीछे से जा कर अपना लंड उसकी गांड में घुसेड़ दूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था। फिर मैंने दरवाजा बंद किया, और वापस अपने कमरे में जाके उसके वापस आने का इंतेज़ार करने लगा।
मुझे अपना बेटा ज्यादा पसंद नहीं था, क्योंकि उसमें मर्दों वाली कोई बात नहीं थी। वो हमेशा मां के पल्लू से बंधा रहता था। उसका बिहेवियर भी लड़कियों जैसा था, जिससे मुझे हमेशा लगता था कि वो गांडू था। लेकिन आज जब मेरा लंड चुदाई के लिए तरस रहा था, तो मुझे अपना बेटा बहुत अच्छा लगने लगा।
फिर मैंने सोचा क्यों ना बेटे की गांड मार कर मैं अपना प्यास बुझा लूं? लेकिन तभी मेरे दिमाग में आया, कि क्या होगा अगर वो गांडू ना हुआ तो? फिर मैंने एक प्लान सोचा। मैंने सोचा कि अपने बेटे को अपने साथ सुलाता हूं। रात में ट्राय करके देखूंगा। अगर वो गांडू हुआ, तो पक्का उसको चोदूंगा। लेकिन अगर नहीं हुआ, तो नहीं चोदूंगा। ये सोच कर मैं रात का इंतेज़ार करने लगा।
फिर रात हो गई। डिनर के बाद मैंने संजीव से कहा-
मैं: बेटा चलो मूवी देखते है।
संजीव: ठीक है पापा।
टीवी मेरे कमरे में है, तो मूवी देखने के लिए हम दोनों मेरे कमरे में मेरे बिस्तर पर बैठ गए। 2 घंटा मूवी देखने के बाद संजीव को नींद आने लगी।
वो मुझे बोला: पापा मुझे नींद आ रही है। मैं अपने कमरे में जा रहा हूं।
मैं बोला: बेटा अब कहां अपने रूम में जाएगा, यहीं सो जा। मैं भी बंद करके सोने लगा हूं।
संजीव ने मेरी बात मान ली, और हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए। संजीव ने पजामा और टी-शर्ट पहनी थी, और मैंने कुर्ता-पजामा। जब वो लेटा, तो उसने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। इससे उसकी गांड मेरे सामने आ गई, जिसको देख कर मेरा खड़ा हो गया। लेकिन इतनी जल्दी मैं कुछ नहीं करने वाला था, क्योंकि अभी तो वो सोया था, इसलिए कुछ होने से पहले उठ सकता था।
फिर एक घंटे बाद मैंने उसकी गांड पर हाथ रखा, और धीरे-धीरे सहलाने लगा। उसने कोई हरकत नहीं की। फिर मैं उसके पीछे चिपक गया, जिससे मेरा लंड उसकी गांड पर लगने लगा। आह! उसकी गांड बहुत सॉफ्ट थी। अब मैं पीछे से लंड उसकी गांड में दबाने लगा कपड़ों के ऊपर से। मैं इतना उत्तेजित हो गया, कि एक जोर से धक्का मार दिया।
मेरा धक्का लगने से संजीव जाग गया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली, और सोने का दिखावा करने लगा। संजीव ने पहले मुझे देखा, और फिर नीचे देखा। नीचे मेरा खड़ा हुआ लंड पजामे में टेंट बनाया हुआ था। फिर उसने मुझे धीमी आवाज में कहा-
संजीव: पापा! पापा! पापा आपने मुझे धक्का दिया है क्या?
मैंने ना तो आँखें खोली, और ना ही उसके सवाल का कोई रिस्पॉन्स दिया। फिर संजीव दोबारा दूसरी तरफ मुंह करके सो गया। पहले तो मुझे लगा कि मेरा प्लान फ्लॉप हो गया, क्योंकि संजीव को मेरा खड़ा लंड देख कर कोई इंटरेस्ट नहीं आया। लेकिन 10 मिनट बाद संजीव फिर से पीछे मुड़ा, और मेरे लंड को देखने लगा। मैं बंद आंखों को थोड़ा खोल कर उसको देख रहा था, लेकिन उसको ये पता नहीं चलना था।
थोड़ी देर वो वैसे ही मुंह पीछे मोड़ कर मेरे लंड को देखता रहा। फिर जब मेरी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई, तो वो मेरी तरफ मुड़ गया, और आँखें बंद कर ली। शायद वो भी सावधानी बरत रहा था, कि कहीं कुछ करते पकड़ा ना जाए, इसीलिए आँखें बंद कर ली थी उसने। फिर उसने दोबारा आँखें खोली, और मेरे लंड की तरफ हाथ बढ़ाया।
इसके आगे क्या हुआ, ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।
अगला भाग पढ़े:- बीवी नहीं थी तो बेटे को रांड बनाया-2