पिछला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-8
हेलो दोस्तों, तो अब तक आपने पढ़ा कि हम बाहर से घूम के घर आए और हम तीनो फ्रेश हुए। फिर भाभी ने मुझे फिर से वहीं वाला दूध दिया जो उन्होने सुहागरात वाले दिन दिया था। मैंने भी दूध पी लिया। फिर कुछ देर बाद भाभी फिर से रानी की सिकाई के लिए गरम पानी ले आई और बोली-
भाभी: रानी जल्दी से अपने कपड़े खोलो, मैं तुम्हारी सिकाई कर देती हूँ।
रानी को भी दर्द हो रहा था, तो उसने भी बिना ना-नुकुर करते हुए झट से अपने कपड़े खोल दिये और अपनी सिकाई करवाने लगी।
भाभी ने गर्म पानी से रानी की गांड की सिकाई की। उसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए रानी से कहा: ननद रानी, तुमने तो एक मैदान मार लिया है। अब दूसरा मैदान मारना और बाकी है।
वो बोली: भाभी, मैं समझी नहीं?
भाभी ने रानी की चूत पर हाथ लगाते हुए कहा: अभी तो तुम्हें इस छेद में भी इसका औजार अंदर लेना है।
रानी को बहुत दर्द हो रहा था। भाभी की बात सुन कर वो गुस्से में आ गई। उसने अपनी चूत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा: एक छेद के अंदर इनका औजार लेने में ही मेरा इतना बुरा हाल हो गया और आप कह रही हो कि अभी इस दूसरे छेद में भी अंदर लेना है! मैं अब किसी छेद में इनका औजार अंदर नहीं लूंगी। मुझे बहुत दर्द होता है। आप खुद ही इनका औजार अपने छेद में ले लो।
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा: मेरे अंदर लेने से क्या होगा? आखिर तुम्हें भी तो इसका औजार अपने इस छेद में अंदर लेना ही पड़ेगा। जैसे एक बार तुमने दर्द को बर्दाश्त कर लिया है। उसी तरह से एक बार और दर्द को बर्दाश्त कर लेना।
रानी ने भाभी की चूत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा: पहले तुम इनका औजार अपने इस छेद में अंदर लेकर दिखाओ। उसके बाद ही मैं इनका औजार अपने इस छेद में अंदर लूंगी।
भाभी मुझे देखने लगी और मैं रानी बोली: क्यों अब क्या हुआ? आप मुझे फंसा रही थी लेकिन मैंने आपको ही फंसा दिया। दिखाओ इसका औजार अपने छेद के अंदर लेकर।
भाभी ने कहा: अच्छा बाबा, अभी दिखा देती हूँ। लेकिन उसके बाद तो तुम मना नहीं करोगी।
वो बोली: पहले आप दिखाओ, उसके बाद मैं इनका औजार अंदर ले लूंगी। भले ही मुझे कितनी भी तकलीफ़ क्यों ना हो।
भाभी ने मुझसे कहा: नंदोई जी, रानी ऐसे नहीं मानेगी। अब आप अपना औजार मेरे अंदर डाल ही दो।
मैंने कहा: रानी के सामने?
रानी बोली: तो क्या हुआ जी?
भाभी बोली: जब यह मुझे आपका औजार अंदर लेते हुए देखेगी, तब ही तो यह आपका औजार अंदर लेगी।
ऐसा बोल कर तुरंत भाभी ने अपने कपड़े उतार दिये और रानी के बगल में लेट गई।
अब भला एक मर्द अपने आप पे कैसे काबू रखता, जब एक औरत खुद ही उसके बिस्तर पर नंगी लेटी हो, और उसके लंड से चुदाई करवाना चाहती हो। मैंने भी झट से लूँगी खोली और भाभी के पैरों के बीच आ गया।
तो भाभी ने मेरी प्यारी भोली बीवी रानी से कहा: अब तुम बैठ जाओ और देखो कि कैसे मैं नंदोई जी का औजार पूरा का पूरा अंदर लेती हूँ।
रानी भाभी के बगल में बैठ गई। मैंने भाभी की चूत में अपना लंड घुसेड़ना शुरु कर दिया। क्यूंकि कल रात मैंने अपने मोटे लंड से भाभी की चूत की चुदाई की थी, तो आज बिना किसी दर्द के भाभी की चूत में धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लंड समा गया। रानी आंखें फ़ाड़े देखती रही। उसके बाद मैंने भाभी की चुदाई शुरु कर दी। रानी मेरे लंड को भाभी की चूत में सटासट अंदर-बाहर होते हुए देखती रही। 5 मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गई तो रानी ने कहा-
रानी: भाभी, तुम्हारे छेद में से क्या निकल रहा है?
भाभी ने कहा: यह मेरी चूत का पानी है। अभी यह कई बार निकालेगा। जब यह तुम्हारी चूत में भी अपना लंड घुसा कर तेजी से अंदर-बाहर करेंगे, तब तुम्हारी चूत में से भी ऐसा ही पानी निकलेगा। चूत से पानी निकलने पर बहुत मज़ा आता है। तुम खुद ही देख लो कि मुझे कितना मज़ा आ रहा है।
मैंने भाभी को लगभग 20 मिनट तक खूब जम कर चोदा। मेरी भोली बीवी रानी आंखें फ़ाड़े देखती रही। लंड का सारा पानी भाभी की चूत में निकाल देने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया तो रानी बोली-
रानी: तुम्हारे लंड पर तो जरा सा भी खून नहीं लगा है?
मैंने कहा: खून तो केवल पहली-पहली बार घुसाने में ही निकालता है जान।
वो कुछ नहीं बोली।
भाभी ने रानी से कहा: अब तो तैयार हो इनका लंड अपनी चूत में लेने के लिये?
मेरी बेचारी सी बीवी बोली: हां, लेकिन भाभी, बहुत दर्द होगा।
भाभी ने कहा: पगली, केवल एक ही बार तो दर्द होगा। उसके बाद तो तू खुद ही नंदोई जी से बार-बार कहेगी कि अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
वो बोली: भला मैं ऐसा क्यों कहूँगी?
भाभी ने कहा: क्योंकि तुझे इसमें मज़ा जो आयेगा।
मैं भाभी के बगल में लेट गया। रानी मेरे लंड को देखती रही। थोड़ी देर बाद वो बोली: इनका लंड अब खड़ा क्यों नहीं हो रहा है?
भाभी ने कहा: अभी नंदोई जी ने मुझे चोदा है ना इसीलिये। तू इनके लंड को सहलाना शुरु कर दे। थोड़ी ही देर में यह फिर से खड़ा हो जायेगा।
रानी को भी भाभी की चुदाई देख कर थोड़ा जोश आ गया था। उसने अपना हाथ धीरे से मेरे लंड पर रख दिया। थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को देखती रही। उसके बाद उसने मेरे लंड को सहलाना शुरु कर दिया।
15-20 मिनट के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने देखा कि उसकी आंखें कुछ गुलाबी सी होने लगी। लंड खड़ा होते देख मेरी भोली बीवी जोश में आ गई और भाभी से बोली: दीदी, अब तो इनका लंड खड़ा हो गया।
भाभी बोली: अब तू लेट जा।
इतना कह कर भाभी उठ कर बैठ गई और रानी लेट गई।
मुझसे भाभी ने कहा: आप मेरे साथ जरा बाहर आईए।
मैं भाभी के साथ बाहर आ गया।
भाभी ने कहा: नंदोई जी इस बार रानी के ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। पूरे ताकत के साथ धक्का लगाते हुए पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना। ज्यादा देर भी मत करना। उसके बाद उसकी किसी दुश्मन की तरह खूब जम कर चुदाई करना। समझ गये?
मैंने कहा: ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा भाभी।
भाभी ने कहा: मैंने कभी रानी के भैया से गांड नहीं मरवाई थी, मेरी गांड कब मरोगे नंदोई जी?
मैंने कहा: जब आप कहो।
वो बोली: ठीक है, मैं आपको बता दूंगी। अब चलिए कमरे में।
मैं भाभी के साथ कमरे में आ गया। रानी बेड पर लेटी हुई थी।
मुझसे भाभी ने कहा: अब आप अपने लंड पर तेल लगा ले और रानी की चुदाई शुरु करो। मैं इसके पास ही बैठ जाती हूँ।
रानी के बगल में बैठ भाभी गई।
इसके आगे क्या हुआ, आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।
अगला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-10