नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अंकित सिंह चौहान है। मेरी उम्र पच्चीस साल है। मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। लेकिन अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं। आज सत्रह साल बाद मैं अपनी बुआ के गांव उनकी लड़की की शादी में शामिल होने जा रहा था। लेकिन जैसे ही मैं अपनी बुआ के घर पहुंचा, तो बुआ की खुशी का ठिकाना ना रहा।
उन्होंने मुझे अपने सीने से चिपका लिया, क्योंकि उन्होंने मुझे बचपन में ही देखा था। तब मैं सिर्फ़ आठ साल का था, लेकिन आज मैं पच्चीस साल का हूं। बुआ ने जैसे ही मुझे अपने सीने से लगाया, तभी उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां मेरी छाती पर दबाव बनाने लगी। मैं अपनी बुआ के स्पर्श से ही उत्तेजित होने लगा था कि मेरा नौ इंच का लंड पैंट के अंदर से ही खड़ा हुआ, और बुआ की चूत पर जा लगा।
तभी बुआ को भी अपनी चूत पर कुछ महसूस हुआ। उन्होंने नीचे देखा तो मेरा नौ इंच का लंड पैंट के उपर से ही ऐसा दिख रहा था, जैसे मानो पैंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा। वह शर्म से अन्दर चली गई। लेकिन पास ही खड़ी वंदना सब कुछ साफ़ साफ़ देख रही थी। पर जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, तो मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया।
वंदना एक खूबसूरत और जवान, अपनी ओर आकर्षित करने वाली एक सुंदर सी लड़की लग रही थी। उसका जिस्म बहुत ही कसा हुआ था। उसके चूचे 36″ कमर 30″ और 34″ की जांघें मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि मैं खुद अपनी ही सगी बुआ की लड़की की सील उसकी शादी से पहले ही तोड़ूंगा। मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी वंदना मेरे पास आई और बोली, “भैया अपना बैग मेरे कमरे में रख दो, और किसी भी चीज की जरूरत हो तो बता देना।” इतना कह कर वो अपनी भाभी के कमरे की ओर चली गई।
उसके जाने के बाद मैं अपने आपे से बाहर होने लगा। लेकिन फिर मैंने अपने आप को संभाला। लंबे सफर के दौरान थकान सी महसूस हो रही थी। मैं अपने कपड़े खोल कर नहाने के लिए बाथरूम चला गया।
जैसे ही मैं बाहर निकला, तो देखा कि सामने वंदना तोलिया हाथों में लिये खड़ी थी। लेकिन उसकी निगाहें मेरे लंड पर ही गड़ी हुई थी।
मैं उसकी नज़रों में लंड को पाने की चाहत साफ़-साफ़ देख रहा था। मैं उसके मन की बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। तभी बुआ की आवाज़ आई खाना लगा दिया है।
मैंने जल्दी से उसके हाथ से तोलिया ले लिया, और कहा: वंदना तुम जाओ, अन्दर का काम देखो।
लेकिन वह वहीं खड़ी रही, जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं। शायद वह मेरे लंड को और क़रीब से देखना चाहती थी। उसकी नज़रों में साफ़-साफ़ झलक रहा था कि वह मुझसे चुदने के लिए उतावली थी। मेरा लंड भी उसे देख कर मचल उठा। लेकिन मैं उस समय बुआ की आवाज़ पर खाना खाने चला गया।
घर में शादी के माहौल से पूरा घर भरा-भरा सा लग रहा था। सब लोग शादी की तैयारियों में कुछ ना कुछ कर ही रहे थे। सब लोग इतने व्यस्त थे, कि कब रात हो गई पता ही नहीं चला। रात होते ही सब के सब छत पर सोने के लिए चल दिए। मैं भी छत पर जा कर अपने बिस्तर पर लेट कर फ़ोन चला ही रहा था, कि कुछ बच्चे आ कर मेरे एक तरफ़ बैठ कर फ़ोन देखने लगे।
तभी वंदना मेरे पास आई और सभी बच्चों को डांटते हुए बोली, “भैया को आराम करने दो। जा कर सो जाओ सारे।” इतना कह कर वो मेरे दूसरी तरफ़ लेट गई। लेकिन बच्चे कहां मानने वाले थे, और सब के सब फ़ोन देखने में लग गए।
तभी अचानक मुझे महसूस हुआ कि वंदना की जांघें मेरी जांघों पर थी, और वह धीरे-धीरे अपनी जांघें मेरी जांघों से रगड़ने लगी। अब मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा।
धीरे-धीरे मेरा लंड भी अपने मूल आकार में आने लगा। तभी मैंने सब को सोने के लिए कहा, और सारे बच्चे और वंदना सब सोने के लिए अपने-अपने बिस्तर पर चले गए। अब मैं एक हल्की सी चादर ओढ़ कर आराम से लेट गया। थकान की वज़ह से मुझे जल्दी ही नींद आ गई, और मैं सो गया।
रात को क़रीब डेढ़ बजे के आस-पास वंदना चुप-चाप मेरे चादर के अन्दर घुस गई, और मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया। गहरी नींद के बाद भी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड से खेल रहा था। लेकिन मैं भी अंजान बन कर सोने का नाटक करने लगा।
वंदना ने अपने हाथों से पहले लंड को खड़ा किया, और फिर धीरे से नीचे की ओर सरक गई। मैं कुछ समझ पाता, तब तक उसने झट से मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया।
हालांकि मेरा लंड नौ इंच का उसके लिए इतना बड़ा था, कि लंड का एक तिहाई हिस्सा ही उसके मुंह में जा पा रहा था। लेकिन मुझे तो परमआनंद की प्राप्ति हो रही थी।
एक तरफ़ सब लोग सो रहे थे। मुझे अन्दर ही अन्दर घबराहट भी हो रही थी, कि अगर कहीं किसी की आंख खुल गई, और हम पकड़े जाते तो? लेकिन जिस तरह से वह मेरे लंड को धीरे-धीरे अपने मुंह में आधे से भी अधिक ले जाने लगी थी, मुझे उतना ही मज़ा आ रहा था। फिर कुछ देर बाद वह रुक गई।
मैं थोड़ा सा डरा कि कोई आ तो नहीं रहा। लेकिन बात कुछ ओर ही थी। मेरा नौ इंच का लंड इतना मोटा और बड़ा था कि शायद उसके मुंह में दर्द होने लगा था। तभी वह वापस उपर आ कर मेरी तरफ पीठ करके लेट गई, और अपनी सलवार नीचे सरका दी। उसके बाद पैंटी भी उतार दी, और फिर धीरे-धीरे अपने आपको मेरे लंड के किनारे लाई।
जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के मुंह पर लगा, मानो पता नहीं मुझे क्या हुआ। जैसे ही उसने मेरे लंड पर हल्का धक्का दिया, तो मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया, और मैंने भी उसको अपनी पकड़ में ले लिया। वह एक-दम से रुक गई और फिर वो समझी कि शायद मैं कोई सपना देख रहा था।
उसने फिर एक बार मेरे लंड पर हल्का सा धक्का दिया, तो मैंने भी थोड़ा ज़ोर का झटका दिया। मेरा नौ इंच का मोटा लंबा लंड एक ही बार में उसकी चूत में आधा अंदर चला गया। वह दर्द से तिलमिला उठी। तभी मैंने उसको अपनी बाहों में कस के पकड़ा और एक हल्का सा धक्का लगाया, तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक समा गया, और वह धीरे से चिल्लाई, “ओह भैया मर गई!”
उसने अपने बदन को टाइट कर लिया, और रोने लगी। मैंने धीरे से उसके मुंह पर हाथ रख लिया, ताकि कोई हमारी आवाज़ ना सुन ले। फिर धीरे से उसके कान में कहा, “बस अब और दर्द नहीं होगा। रोने चिल्लाने की जरुरत नहीं।”
लेकिन उसकी आँखें आंसुओं से भर गई, और उसका पूरा जिस्म कांपने लगा। अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद उसका दर्द मजे में बदल गया, तो वह खुद से मेरे लंड पर आगे-पीछे होने लगी। फिर उसने धीरे से कहा, “भैया आप तो सो रहे थे ना?” मैंने कहा, “सो रहा था, लेकिन जब तुम मेरे लंड से खेल रही थी, तब मैं जाग गया, और देखने लगा कि किस तरह तुम भी मेरे लंड को सहला रही थी। तभी मैं समझ गया कि शायद तुम्हें भी लंड की उतनी ही जरूरत है, जितनी कि मुझे चूत की।”
फिर उसने धीरे से मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और बोली, “भैया मैं सुहागरात से पहले एक बार एक्सपीरियंस करना चाहती थी, कि सेक्स कैसे होता है। ताकि मैं अपने पति को खुश रख सकूं।”
इतना कहते ही मैंने अपना लंड फिर से उसकी चूत में पूरा अन्दर डाल दिया। वह फिर दर्द से झटपटाने लगी, और बोली, “भैया दर्द अभी भी हो रहा है।” फिर मैंने उसे बताया कि, “जब पहली बार चूत की सील टूटती है, तो दर्द तो होता ही है।” फिर वो बोली, “भैया मेरी भी सील टूट गई, लेकिन दर्द नहीं गया।”
तब मेरे दिमाग में एक खुराफात सूझी, और मैंने उसे छत पर पेट के बल लेटने को कहा। वो तुरन्त लेट गई, और अब मैं अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा धीरे-धीरे। फिर उसे मज़ा आने लगा और वो मुझसे पूछने लगी कि, “भैया बच्चे कब होते हैं?”
मैं भी सोच में पड़ गया और बोला, “जब लड़कियों के पीरियड के दौरान उनसे कोई सम्बन्ध बनता है, तब बच्चे पैदा होते हैं।” फिर मैने उससे पूछा कि, “तुम्हारा पीरियड कब आएगा?” तो वह चौंक गई और बोली, “भैया कल ही मेरे पीरियड खतम हुए हैं। कुछ होगा तो नहीं?”
इतना सुनने के बाद मैं भी अपनी छोटी बहन की मासूमियत का फायदा उठाने की सोच कर बोला, “फिर तो चूत मारने से बच्चा भी ठहर सकता है।” अब वह सोच में पड़ गई कि क्या करे। क्योंकि वह चुदने के लिए इतनी उत्तेजित थी, तो बोली, “भैया अब क्या होगा?”
मैंने कहा, “अब एक ही रास्ता है।” इतना कह कर मैंने अपना लंड उसकी गांड पर रख दिया। तभी उसकी सांसे तेज़ हो गई और बोली, “नहीं भईया, आपका लंड बहुत मोटा और बड़ा है। मैं तो मर ही जाऊंगी।”
मैंने कहा, “नहीं, जैसे धीरे-धीरे तुम्हारी चूत में पूरा लंड चला गया। वैसे ही गांड मरवाई जाती है। शुरू में थोड़ा दर्द होता है, लेकिन बाद में तुमको मज़ा आने लगेगा।” मेरे इतना कहने पर वह थोड़ा शान्त हुई। फिर बोली, “लेकिन आपका लंड भी तो बड़ा है। कहीं मेरी गांड फट ही ना जाए।” मैंने कहा, “मैं धीरे-धीरे डालूंगा, दर्द हो तो बता देना, मैं रुक जाऊंगा।”
और फिर मैंने एक हाथ से उसका मुंह दबा लिया, और उसकी गांड पर रखे लंड पर हल्का सा थूक लगाया। फिर अन्दर की तरफ धकेला। जैसे ही ऊपर का हिस्सा उसकी गांड में गया, वह दर्द से तिलमिला कर रह गई। लेकिन कुछ बोल नहीं पाई। क्योंकि मैंने अपने हाथ से उसका मुंह बंद कर लिया था। इस वज़ह से वह बोल नहीं पा रही थी, और मुझे मज़ा आ रहा था, तो मैं हल्का-हल्का धक्का दे रहा था। लेकिन वह लगातार कांपे जा रही थी, और उसकी आंखों में आंसू बहने लगे। वह ज़ोर-ज़ोर से अपने हाथों को मेरी जांघों पर मारने लगी ताकि मैं रुक जाऊं।
लेकिन मेरी उत्तेजना इतनी अधिक बढ़ गई कि मुझे अपनी हवस के आगे कुछ याद ही नहीं रहा। मैंने अपने लंड पर एक ज़ोरदार धक्का मारा, जिससे मेरा नौ इंच का लंड आठ इंच तक वंदना की गांड में जा घुसा। वह तड़प गई। उसकी आ… ह, ऊं…… ह की सिसकियां मैं महसूस कर रहा था। फिर मैंने बचा हुआ एक इंच लंड भी उसकी गांड में पूरा दे दिया।
उसने आंखें उलट ली। उसे कुछ होश ही नहीं रहा, कि उसके साथ क्या हुआ। फिर मैं लगातार उसकी गांड चोदता रहा। चोदते-चोदते जब मुझे महसूस हुआ कि उसने अपना बदन ढीला छोड़ दिया था, तो मैंने उसे हिला कर देखा।
लेकिन वह बेहोश हो चुकी थी। फिर मैंने अपना लंड गांड से निकल कर चूत में डाला और चोदता रहा। क़रीब ढाई घंटे चोदने के बाद वह होश में आई। तो उसने कस के मुझे पकड़ लिया और कहा, “क्या हुआ था मुझे?” मैंने कहा कि, “तुम गांड मरवाते समय बेहोश हो गई थी।”
फिर उसने मेरे लंड की तरफ देखा तो वह घबरा गई और बोली, “भईया ये ख़ून कैसा?”
तब मैंने उसे बताया कि अब वो वर्जिन नहीं थी। ये ख़ून उसकी चूत का था। “जब पहली बार कोई कुंवारी लड़की सेक्स करती है तब उसकी सील टूटती है, और थोड़ा सा ख़ून भी निकलता है। अब डरने की कोई बात नहीं। अब तू कभी भी मेरे लंड की सवारी करने को तैयार है।” तब उसने एक बार फिर गांड मरवाने की इच्छा जताई।
मैंने भी उसको अपनी ओर खींच कर लंड पर बैठाया, और उसकी गांड ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। अब वह गांड मरवाने का पूरा पूरा मज़ा लेने लगी, और थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गांड में झाड़ दिया। वीर्य की गर्माहट पाकर उसे नींद सताने लगी, तो मैंने उसे जाने के लिए कहा। फ़िर वह मेरे किनारे से उठ कर औरतों के बीच जाकर सो गई। और तब जाकर कहीं मेरे लंड को आराम आया।
इस तरह मैंने अपनी सगी बुआ की लड़की की शादी से पहले ही सील तोड़ दी, और जम कर गांड की चुदाई की, और बहन की सुहागरात से पहले ही उसको सुहागरात का आनन्द दिया।
आशा करता हूं आप सभी लोग मेरी इस सच्ची घटना को पढ़ कर मेरी ही तरह चरमसुख को प्राप्त करेंगे।
आपका मित्र
अंकित सिंह चौहान