चंपक का लंड धीरे-धीरे तनने लगता है। वो अपने पजामे के ऊपर से उसे सहलाने लगता है। उसका मन सनी की क्लास में खो जाता है। वो याद करता है कि कैसे सनी बोर्ड की तरफ मुड़ कर लिख रही थी, उसका पल्लू बार-बार सरक रहा था।
उसकी नाभि, जो साड़ी के नीचे से साफ दिख रही थी, और उसकी चाल में जो सेडक्टिव अंदाज था, वो चंपक को पागल कर रहा है। वो कल्पना करता है कि सनी अगर उसके सामने होती, तो वो उसकी साड़ी को धीरे-धीरे उतारता। उसका गोरा बदन, उसकी भारी चूचियां, और उसकी टाइट चूत को वो अपने हाथों से सहलाता। चंपक का लंड अब पूरी तरह खड़ा हो जाता है। वो अपने पजामे में हाथ डालता है और लंड को जोर-जोर से हिलाने लगता है।
लेकिन उसका मन सिर्फ सनी तक सीमित नहीं रहता। अचानक दया की तस्वीर उसके दिमाग में आती है। रात को सुनी सिसकारियां, दया का आधा दिखता चेहरा, और उसकी ट्रांसपेरेंट नाइटी, जो जेठालाल के साथ सेक्स के दौरान उसकी कमर तक उठी हुई थी, चंपक को बेचैन कर देती है।
वो याद करता है कि दया की सिसकारियां कितनी मादक थीं, “आह… जेठा… और जोर से…”। वो कल्पना करता है कि दया की नंगी कमर कैसी होगी, उसकी भारी गांड, जो साड़ी में भी इतनी उभरी हुई दिखती है, वो नंगी कितनी मस्त होगी। वो सोचता है कि दया की चूत कितनी गीली होगी, जब वो जेठालाल के लंड पर उछल रही थी। चंपक का लंड और सख्त हो जाता है।
वो अपनी आँखें बंद करके दया की नाइटी को उतारने की कल्पना करता है। वो दया के बड़े-बड़े चूचों को अपने हाथों में दबाने की सोचता है, उसकी गांड को चूमने और उसकी चूत को चाटने की फंतासी में खो जाता है।
चंपक का मन अब पूरी तरह बेकाबू हो रहा है। वो गोकुलधाम सोसाइटी की बाकी औरतों को भी फंतासाइज करने लगता है। सबसे पहले वो रोशन को याद करता है। रोशन, जो अक्सर टाइट सलवार-कमीज में अपनी भारी गांड और चूचों को हिलाते हुए चलती है। वो सोचता है कि अगर रोशन की कमीज और टाइट हो, तो उसका क्लीवेज कितना मस्त दिखेगा। वो कल्पना करता है कि रोशन की सलवार उतार कर उसकी गोरी जांघों को सहलाता है। उसकी चूत को देखता है, जो शायद उतनी ही मस्त होगी जितनी उसकी गांड। चंपक का लंड अब दर्द करने लगता है। वो जोर-जोर से हिलाने लगता है।
फिर उसका मन माधवी भिड़े की तरफ जाता है। माधवी, जो हमेशा साड़ी में इतनी ग्रेसफुल लगती है। उसकी पतली कमर, जो साड़ी में साफ दिखती है, और उसकी नाभि, जो हल्का सा झलकती है, चंपक को पागल कर देती है। वो सोचता है कि अगर वो माधवी की साड़ी को धीरे-धीरे उतारे, तो उसका गोरा बदन कैसा दिखेगा। वो कल्पना करता है कि माधवी की चूचियां कितनी सॉफ्ट होंगी, और उसकी चूत को चूमने में कितना मजा आएगा। चंपक की सांसें तेज हो रही हैं। वो अपने लंड को और तेजी से हिलाता है।
अब उसका मन बबीता की तरफ जाता है। बबीता, जो हमेशा टाइट जीन्स और टॉप में रहती है। उसकी गांड और चूचे हर बार इतने उभरे हुए होते हैं कि कोई भी उसे देख कर पागल हो जाए। चंपक सोचता है कि बबीता की जीन्स अगर उतर जाए, तो उसकी टाइट चूत कैसी दिखेगी। वो कल्पना करता है कि बबीता उसके सामने नंगी खड़ी है, और वो उसकी गांड को अपने हाथों से दबा रहा है। वो बबीता की चूत में अपनी उंगली डालने की सोचता है, और उसकी चूचियों को चूसने की फंतासी में खो जाता है।
चंपक की सेक्स की इच्छा अब हद से ज्यादा बढ़ गई है। वो सोसाइटी की हर औरत को देख कर सिर्फ सेक्स के बारे में सोचने लगा है। उसका लंड बार-बार तन रहा है। वो उठ कर फिर से बाथरूम जाता है। बाथरूम में वो सनी, दया, रोशन, माधवी, और बबीता की कल्पना करता है।
वो सोचता है कि सनी की साड़ी उतार कर उसकी चूत में लंड डाल रहा है। फिर दया की गांड को चाट रहा है। रोशन की सलवार उतार कर उसकी जांघों को चूम रहा है। माधवी की साड़ी खोल कर उसकी चूचियों को दबा रहा है। और बबीता की जीन्स उतार कर उसकी चूत को चोद रहा है।
चंपक का लंड अब फटने को तैयार है। वो जोर-जोर से मुठ मारता है। कुछ मिनटों बाद उसका माल निकलता है, जो बाथरूम की टाइल्स पर गिरता है। वो हांफते हुए साफ करता है और बाहर आता है।
चंपक बेड पर लेट जाता है, लेकिन उसकी बेचैनी कम नहीं हो रही। वो सोचता है कि ये सब अब कंट्रोल से बाहर हो रहा है। उसका मन हर औरत को सिर्फ सेक्स की नजर से देख रहा है। वो याद करता है कि कैसे वो जवानी में भी ऐसा ही करता था, लेकिन अब उमर हो गई है, फिर भी ये इच्छा कम नहीं हो रही।
वो सोचता है कि क्या वो अब हर औरत को ऐसे ही देखेगा। उसका मन बेचैन है, लेकिन वो कंबल ओढ़ कर लेट जाता है। नींद उसे नहीं आ रही। वो सोसाइटी की औरतों की तस्वीरें अपने दिमाग में बनाता रहता है।
चंपक का मन अब पूरी तरह सेक्स की आग में जल रहा है। वो सोचता है कि अगले दिन जब वो सोसाइटी में निकलेगा, तो क्या वो इन औरतों को नॉर्मल नजरों से देख पाएगा। वो दया को देख कर क्या सिर्फ अपनी बहू ही समझेगा? रोशन को देख कर क्या सिर्फ सोढ़ी की बीवी? माधवी को भिड़े की पत्नी? और बबीता को सिर्फ पड़ोसन? या उसका मन हर बार उनकी चूचियों, गांड, और चूत की तरफ जाएगा?
चंपक का दिमाग इन सवालों में उलझा रहता है। वो एक बार फिर अपने लंड को सहलाने लगता है, लेकिन अब वो थक चुका है। वो बस लेटा रहता है और इन फंतासियों में खोया रहता है।
पांचवां एपिसोड समाप्त।