पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी अम्मी की तबियत खराब होने की वजह से मुझे वहां जाना था। जब मैंने अपने शौहर अब्दुल को साथ चलने को कहा तक उन्होंने मुझे सौतेले बेटे जावेद के साथ जाने के लिए कहा। हम दोनों बस में जा रहे थे। फिर जावेद ने बस में मुझे जगह-जगह छुआ, और मेरी चूत का पानी निकाल दिया। अब आगे की कहानी की तरफ बढ़ते है-
मेरा पानी निकल चुका था, और इससे मैं बहुत शर्मिंदा थी। मुझे लग रहा था कि जावेद पता नहीं क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में। तभी जावेद ने मेरी सलवार में से अपना हाथ निकाला। उसके हाथ पर मेरी चूत का पानी था। जब मैंने उसकी तरफ देखा, तो उसने मुझे दिखाते हुए उस हाथ की उंगलियों को चाटना शुरू कर दिया।
तभी कुछ सवारियां बस से उतरी, और हम दोनों बैठ गए। अब मेरा पानी तो निकल चुका था, लेकिन जावेद का नहीं निकला था। फिर उसने बैग, जो हम साथ लाए थे, उसको अपनी गोद में रख लिया। मुझे लगा उसने अपना खड़ा लंड छुपाने के लिए बैग गोद में रखा होगा, लेकिन उसके दिमाग में कुछ और ही था।
बैग रखने के बाद उसने मेरा हाथ पकड़ा, और उसको अपने लंड पर ले गया। उसके ऐसा करते ही मैं समझ गई कि बैग गोद में रखने के पीछे वजह क्या थी। अब लंड मेरे हाथ में आ चुका था, और मैं अच्छे से जानती थी कि मुझे क्या करना था। मैंने उसके लंड को ऊपर-नीचे करके सहलाना शुरू कर दिया। इससे उसको मजा आने लगा, और उसने अपनी आँखें बंद कर ली। बिल्कुल लोहे की रोड जैसा लंड था उसका।
लंड को हिलाने में बड़ा मजा आ रहा था। अब मेरा दिल कर रहा था कि मैं लंड को मुंह में लूं। लेकिन भरी बस में मैं ऐसा कैसे कर सकती थी? फिर मैंने भी कोई तरकीब सोचनी शुरू की। तभी मुझे छुपने के लिए अपने दुपट्टे का खयाल आया। फिर मैं उसके लंड की तरफ झुक गई, और बैग पीछे हटा कर ऊपर दुपट्टा ले लिया। अब मेरा मुंह उसके लंड के पास था, और मेरे ऊपर दुप्पटा था। देखने वाले को ऐसा लग रहा था जैसे में उसकी गोद में सो रही थी।
फिर मैंने उसके लंड को जीभ से चाटना शुरू किया। मेरे शौहर से कहीं ज्यादा मोटा और तगड़ा लंड था मेरे सौतेले बेटे का। उसको चाटने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरे शौहर ने तो आज तक मुझे लंड चाटने का सुख भोगने ही नहीं दिया। फिर लंड चाटते हुए मैंने उसको मुंह में डाल लिया, और चूसने लगी।
उसका लंड इतना बड़ा था, कि पूरा मेरे मुंह में नहीं आ रहा था। लेकिन फिर भी मैं उसको पूरा मुंह में लेने की पूरी कोशिश कर रही थी। कुछ देर लंड चूसने के बार जावेद ने अपना हाथ मेरे सर पर रखा, और उसको नीचे की तरफ दबाने लगा। इससे लंड मेरे गले की दीवार को छूने लगा, और मेरी सांस रुकने लगी। कुछ ही सेकंड्स में उसके लंड से माल की पिचकारी सीधे मेरे गले में निकली, जिसको मैं निगल गई। आज पहली बार मैंने किसी मर्द के माल की पिचकारी निगली थी।
फिर मैंने दुपट्टे के अंदर रह कर ही अपना मुंह साफ किया, और सीधी हो कर बैठ गई। अभी तक हम दोनों ने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की थी। हम दोनों ऐसे बर्ताव कर रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। बाकी का सफर ऐसे ही चुप रह कर निकल गया। फिर हम बस स्टैंड पहुंच कर ऑटो में बैठे, और मेरे घर के लिए निकल गए।
घर पहुंच कर बेल बजाई तो अब्बू ने दरवाजा खोला। वो मुझे देख कर बहुत खुश हुए। वो मुझे सीधे अम्मी के पास ले गए। अम्मी बेडरेस्ट पर थी, और वो भी मुझे देख कर बहुत खुश हुई। जावेद को देख कर भी वो दोनों खुश थे। फिर मैंने अम्मी का हाल चाल पूछा। उनकी हालत पहले से बेहतर थी।
उसके बाद अब्बू के कहने पर मैं जावेद को लेके अपने कमरे में गई। अब्बू ने हमें फ्रेश हो कर कुछ देर आराम करने के लिए बोला था। जब मैं कमरे की तरफ जा रही थी, तब जावेद मेरे पीछे-पीछे आ रहा था। मुझे बड़ी बेचैनी सी हो रही थी, ये सोच कर कि बस में जो हुआ, उसके बाद अब वो क्या करेगा। रूम पर पहुंच कर मैंने रूम का दरवाजा खोला। फिर मैं अंदर चली गई।
जावेद भी मेरे पीछे आ गया, और दरवाजा बंद कर दिया। मेरे दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी। फिर मैंने खुद को काबू में करके उसको बोला-
मैं: तुम बैठो, मैं फ्रेश हो कर आती हूं।
ये बोल कर मैं बाथरूम की तरफ चली गई। बाथरूम में जा कर पता नहीं मेरे दिमाग में क्या आया, की मैंने सिर्फ दरवाजा बंद किया, लेकिन कुंडी नहीं लगाई। फिर मैं जाके टॉयलेट करने बैठ गई। वहां बैठे हुए भी मुझे बस यही सोच आ रही थी कि अब आगे क्या होने वाला था।
फिर मैं टॉयलेट करके उठी, और अपनी गांड अच्छे से धो कर साफ करके उठी। उसके बाद मैं वाशबेसिन पर जा कर मुंह धोने लगी। मैंने मुंह पर साबुन लगाया, और पानी के नल के सामने झुक कर अपना मुंह धोने लगी। जैसे ही मैं मुंह धो कर सीधी हुई, और मेरी नज़र सामने के शीशे पर पड़ी, तो मैं एक-दम से घबरा गई। जावेद मेरे पीछे ही खड़ा था। इस बार भी हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। मैं वैसे ही उसको देखती रही, और वो मुझे देख रहा था।
फिर वो मेरे करीब आया, और मेरे साथ चिपक गया। उसने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट लिए। उसका खड़ा लंड मुझे अपनी गांड पर महसूस होने लगा। उसने अपने हाथ मेरी सलवार के नाडे पर डाले, और नाडा खोल दिया। फिर उसने सलवार ढीली करके नीचे गिरा दी। अब मेरी टांगे मेरे कमीज़ से ढकी हुई थी, और नीचे मैंने बस पैंटी पहन रखी थी।
फिर जावेद नीचे बैठ गया, और पीछे से मेरा कमीज़ उठाया। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया, और मेरी नंगी जांघ पर रखा। उसके ऐसा करने से मेरे जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। वो हाथ फिराते हुए मेरी गांड पर ले गया, और पैंटी के ऊपर से मेरी गांड सहलाने लगा। मुझे नशा सा चढ़ने लगा।
इसके आगे इस मां बेटा सेक्स कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। कहानी की फीडबैक [email protected] पर दीजिए।