हम एक 12 मंजिला बिल्डिंग में रहते है। हर फ्लोर पर 2 घर है। हमारे पड़ोसी घर से हमारी अच्छी बनती है। उनके घर में 6 लोग है। उनमें दादा-दादी, बेटा-बहु, और उनके 2 बच्चे है। दादा-दादी घर में ही रहते है, और बेटा-बहु दोनों काम पर जाते है। बच्चे आधे दिन स्कूल और बाकी आधा दिन घर रहते है।
उनके घर एक सुषमा नाम की नौकरानी काम करती है। उसकी उमर 28 साल है, और वो शादी-शुदा है। रंग उसका सावला है, और जिस्म बहुत सेक्सी है। मैंने कईं बार उसके बारे में सोच कर अपना लंड हिलाया है। अक्सर मैं उसको पोछा लगाते हुए दूर से देखता था, तो उसके ब्लाउज में से उसके चूचे नज़र आते थे। उसके चूचे देख कर ही मेरा खड़ा हो जाता था। मैंने कई बार सोचा कि उसको पटाने की कोशिश करूं, लेकिन कभी मौका ही नहीं मिला।
फिर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया। मैं सुबह जब कॉलेज जाने के लिए निकला, तो पड़ोस की दादी बाहर कुछ ढूंढ रही थी। मैंने उनको देखा तो पूछा-
मैं: दादी आप क्या ढूंढ रही हो?
दादी बोली: बेटा मेरे कान की बालियां नहीं मिल रही, वहीं देख रही हूं कि यहां तो नहीं गिर गई।
मैंने भी कुछ देर देखा, लेकिन मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही थी, तो मैं वहां से निकल गया। मैं हर रोज रास्ते से अपने दोस्त को अपने साथ लेके जाता हूं। वो सुबह-सुबह अपने पापा के साथ अपनी दुकान पर आ जाता है, और मैं वहीं से उसको लेता हूं। उसके पापा की गहनों की दुकान है।
आज जब मैं उसको लेने रुका, तो मुझे दुकान में सुषमा दिखी। जब मेरा दोस्त बाहर आया, तो मैंने उससे पूछा-
मैं: ये औरत तुम्हारे यहां काम करती है?
दोस्त बोला: नहीं, ये तो बालियां बेचने आई है।
“ओह तेरी! मतलब सुषमा ने दादी मां की बालियां उठाई थी?,” मैंने मन में सोचा। फिर मैं कॉलेज चला गया। अब मेरे पास पूरा मौका था सुषमा की लेने का। मैंने सोच लिया कि मैं उससे सीधा सौदा करूंगा, कि वो मुझे चूत दे, और मैं उसका राज किसी को नहीं बताऊंगा।
फिर ऐसे ही दिन निकल गया, और शाम को मैं घर आ गया। सुषमा शाम को 7 बजे आती थी। मैं पहले से जाने सीढ़ियों पर खड़ा हो गया। जब वो आई, तो मैंने उसको बोला-
मैं: सुषमा तुमने ही दादी की बालियां चुराई है ना?
ये सुनते ही सुषमा के चेहरे का रंग उड़ गया।
वो बोली: क्या… क्या बात कर रहे हो तुम? कौन सी बालियां, किसकी बालियां?
मैं: तुम अच्छे से जानती हो कि मैं क्या बात कर रहा हूं। मैंने तुम्हें बालियां बेचते हुए देख लिया था। उस दुकान के मालिक का बेटा मेरे साथ पढ़ता है।
सुषमा समझ गई थी कि वो पकड़ी गई थी। फिर वो बोली: क्या चाहिए तुम्हें?
मैं: मुझे तुम चाहिए। मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं।
सुषमा: क्या! पागल हो गए हो क्या तुम?
मैं: देखो, या तो मुझे देदो, या मैं दादी को जाके बता देता हूं कि उनकी बालियां कहां गई। बाकी तुम्हारी मर्जी।
ये कह कर जैसे ही मैं पड़ोस के घर की तरफ मुड़ा, सुषमा ने मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर वो बोली-
सुषमा: ठीक है, लेकिन मैं सिर्फ एक बार करूंगी।
मैं: ठीक है।
सुषमा: बताओ कहां करना है?
मैं: मेरे घर पर कोई नहीं है, चलो अभी चलते है।
सुषमा मेरे साथ मेरे घर में आ गई। उसने अंदर आके पड़ोसी अंकल को फोन कर दिया कि किसी काम की वजह से वो नहीं आ पाएगी। आज सुषमा ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी, और साथ में काले रंग का ब्लाउज था। जैसे ही उसने फोन रखा, मैंने उसको बाहों में भर कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। पहले कुछ सेकंड्स उसने मेरा साथ नहीं दिया, लेकिन फिर देने लगी।
होंठ चूसते हुए मैंने उसकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया, और उसकी नंगी कमर पर हाथ घूमने लगा। फिर मैं अपने हाथ पीछे लेके गया, और उसका ब्लाउज खोल दिया। उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेर कर बहुत मजा आ रहा था। फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया।
फिल्मों में मैं जब भी हीरो को हीरोइन की पीठ चूमते देखता था, मुझे बहुत मजा आता था। मेरा हमेशा से ये सपना था कि मैं भी ये करूं। फिर मैंने सुषमा को घुमा कर दीवार के साथ लगाया, और उसकी पीठ को चूमने-चाटने लगा। वो कामुक सिसकियां भर रही थी। उसकी पीठ पर किस्स करते हुए मैं नीचे जाने लगा, और उसकी गांड पर आ कर मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट को साथ में ही नीचे कर दिए। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। क्या कामुक बदन था उसका, एक-दम कड़क।
फिर मैं खड़ा हुआ, उसको घुमाया, और बाहों में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया। उसके बाद मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा लंबा लंड देख कर वो हैरान हुई, लेकिन कुछ बोली नहीं। फिर मैं उसके ऊपर आया, और उसकी पैंटी उतार दी। अब उसकी चूत मेरे सामने थी। उसकी चूत पर ज्यादा बाल नहीं थे। देख कर लग रहा था कि उसकी चूत की रोजाना सर्विस होती थी। होती भी क्यों ना, इतनी सेक्सी जो थी वो।
उसकी चूत गीली था। मैंने उस पर लंड रखा, और एक ही धक्के में पूरा अंदर पेल दिया। उसकी चीख निकली, और मैंने चूत चुदाई शुरू कर दी। साथ में मैं उसके होंठ चूसने लगा। वो भी पूरी गरम थी, और पूरा साथ दे रही थी। हमारी चुदाई जल्दी ही फुल स्पीड पर होने लागी। वो गांड उठा-उठा कर लंड ले रही थी। चूत के पानी से चप-चप की आवाजें आने लगी।
जब मैंने उसके होंठ छोड़े, तो वो आह आह करने लगी, और जोर से चोदने को बोलने लगी। मैंने वैसा ही किया। 15 मिनट मैंने उसकी जोरदार चुदाई की, उसके बाद मैं झड़ने वाला हो गया। उससे पूछा तो उसने मुझे अंदर ही झड़ने को कहा। फिर मैं तेज धक्के लगा कर उसके अंदर ही झड़ गया।
अब हम अलग हो कर लेट गए। हमारी सांसे चढ़ी हुई थी।
तभी वो बोली: अगर तुम दोबारा भी मुझे चोदना चाहो, तो चोद सकते हो।
मैं समझ गया था कि अब मुझे पक्की रंडी मिल चुकी थी।
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