पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-16
नसरीन निकहत को ले जा चुकी थी और असलम मेरी चूत और गांड की चुदाई के लिए आया हुआ था। असलम से चुदाई करवाने के लिए मैं तैयार ही थी।
वैसे तैयार क्या होना था। साड़ी की जगह सूट पहनना था। चुदाई से पहले साड़ी उतारना तो आसान होता है, मगर दुबारा पहनने में गांड फट जाती है। दूसरा, ब्रा और चड्ढी भी चुदाई में रुकावट ही बनती हैं, बेकार की चीजें होती है – पहले उतारो, फिर पहनो। अगर चोदने वाला चूत या गांड में उंगली करना चाहे तो भी दिक्कत ही होती है। इसीलिए मैं क्लिनिक में कभी ब्रा और चड्ढी पहनती ही नहीं।
चुदाई से पहले मैं असलम से पिछली रात उसकी ममता, नसरीन, और रोशन के साथ उसकी दो गायें और दो सांडों की चुदाई की कहानी सुनना चाहती थी।
ये चुदाई भी क्या मस्त चीज़ है – करवाओ तब भी मजा, इसकी कहानियां सुनो तब भी मजा। और तो और टीवी पर चुदाई की फिल्म देखो तो उससे से भी चूत गरम हो जाती है।
असलम ने जो बातें मुझे बतायीं उन बातों से साफ़ लग रहा था कि उसे इस बात कि परेशानी थी कि नसरीन ने उसे आखिर ऐसा क्यों कहा था कि अब वो उसके अलावा किसी का भी लंड अपनी चूत और गांड में नहीं लेगी। जबकि नसरीन और असलम दोनों जानते थे कि उसकी अम्मी अब तक जमाल, संदीप और अब रोशन के साथ चुदाई के मस्त मजे ले चुकी थी और इन सब से चूतड़ घुमा-घुमा कर चुदाई करवाई थी।
ये सब बताते-बताते असलम का लंड ढीला होने लगा था। तभी मुझे लगा कि असलम को इस वक़्त एक चुदक्कड़ की औरत नहीं तत्काल एक मनोचिकित्स्क की जरूरत थी।
तभी मैंने एक मनोचकित्स्क की तरह से असलम को समझाना शुरू किया, “देखो असलम, जहां तक मुझे समझ आता है ये सब इसलिए हुआ क्योंकि रोशन तो जानता ही था कि नसरीन तुम्हारी अम्मी है। इसके अलावा बचपन से ही वो तुम्हारे घर भी आता था। इसीलिए रोशन ने जब तुम्हारी अम्मी कि लिए ‘रेशम जैसी मुलायम फुद्दी, टाइट फुद्दी’ और ‘मौसी के साथ चुदाई का मजा आ गया’ जैसी बातें की तो नसरीन को लगा रोशन तुम्हें नीचा दिखाना चाहता है। इन बातों में तुम्हारी अम्मी को तुम्हारी तौहीन, तुम्हारी इंसल्ट दिखाई दी और उसने तुमसे ये कह दिया कि अब वो किसी भी गैर मर्द से चुदाई नहीं करवाएगी।”
मैं रोशन को समझा रही थी, मगर मेरा हाथ असलम के लंड पर ही था, “असलम बेटा अभी फिलहाल से रोशन को भूल जाओ। रोशन के साथ अपनी अम्मी की चुदाई करवाने की बात सोचना भी मत। वैसे भी अगर नसरीन को तुम्हारा मोटा लम्बा लंड महीने में एक दो बार मिलता रहे तो उसे दूसरे तीसरे मर्दों का लंड नसरीन को चूत में लेने का मन ही नहीं करेगा – अब इतनी भी चुदक्कड़ नहीं है नसरीन।”
असलम को मेरी बातों से बहुत सुकून मिला। असलम का लंड फिर से सख्त होना शुरू हो गया। असलम ने अपना हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी उंगली मेरी चूत में अंदर तक डाल दी।
जैसे ही मेरी फुद्दी में असलम की उंगली गयी, मेरे मुंह से एक सिसकारी निकली, “आअह असलम”, और मैंने असलम का लंड दबा दिया। असलम कि उंगली भी तो आधे लंड जितनी लम्बी और मोटी थी।
असलम खड़ा होता बोला, “तो मालिनी जी चलें? बताईये कैसे चुदवाएंगी?”
मैंने कहा, “चलो मैं तो तैयार ही हूं। मेरी फुद्दी तो पहले से ही गरम हुई पड़ी है, आज ऐसे चोदो कि मजा ही आ जाये। अब पता नहीं कितने दिनों या महीनों के बाद अपना ये मस्त लंड मेरी चूत और गांड में डालोगे। आज ऐसी चुदाई करो ऐसे रगड़े लगाओ कि चूत तुम्हारे लंड के रगड़ों से फूल जाए।” ये कह कर मैं भी खड़ी हो गयी।
कमाल तो तब हुआ जब असलम ने खड़ा हो कर मुझे बेड की तरफ ले जाने के बजाए मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। असलम ने मेरे चूतड़ उठाए और चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरी चूत ऊपर उठा दी। असलम ने मेरी टांगें फैलाते हुए लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा और बोला, “चलिए मालिनी जी फुलाऊं आपकी फुद्दी चोद-चोद कर, रगड़-रगड़ कर। और इसके साथ ही असलम ने एक झटके के साथ लंड चूत में डाल दिया।”
असलम ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मुझे वेहशियों की तरह चोदने लगा।
असलम मस्त चुदाई कर रहा था। आधा घंटा असलम ने मेरी चूत ऐसी रगड़ी कि चुदते-चुदते मेरी चूत एक-दम चिपचिपी हो गयी थी। चूत का पानी असलम के लंड की लगातार की रगड़ाई से सूख कर झाग बन चुका था। असलम जब पूरा लंड मेरे चूत में डाल कर पीछे करता था तो एक आवाज आती थी पिच्च पिच्च पिच्च पिच्च। मुझे अपनी चूत की चिपचिपाहट साफ़ महसूस हो रही थी।
आधे घंटे की इस लगातार रगड़ाई के बाद जब मेरी चूत एक बार पानी छोड़ कर दुबारा गरम हो चुकी थी। तभी असलम के लंड से गर्म गरम लेसला पानी निकला और मेरी चूत में चला गया। जैसे ही मुझे असलम के लंड के पानी के गर्माहट अपनी चूत के अंदर तक महसूस हुई, और मुझे भी एक बार और मजा आ गया। क्या मस्त चुदाई थी, और क्या मस्त मजा था।
असलम उठा और सोफे पर बैठ कर अपना लंड हाथ से मसलने लगा। मेरा मन अभी उठने का नहीं था। असलम को लंड मसलते देख मैं समझ गई कि असलम अभी एक बार मुझे और चोदेगा – शायद इस बार मेरी गांड में या फिर मुंह में लंड डालेगा।
गांड चुदाई का शौक़ीन तो असलम था ही, मुंह में भी लंड का पानी निकालने का असलम को बड़ा मजा आता था। चुदाई के हर औरत और हर मर्द के अपने अपने शौक होते हैं। जल्दी ही असलम का लंड खड़ा हो गया। असलम आया और आ कर मेरे पास ही लेट गया। असलम ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड को मेरे हाथ में पकड़ा दिया। मैं लंड को आगे-पीछे करने लगी। असलम का लंड सख्त हो चुका था और बिलकुल सीधा खड़ा था।
असलम बोला, “चलिए मालिनी जी चलिए, मेरे लंड पर बैठिये और जैसा मन चाहे वैसी चुदाई करिये चूत में लेना चाहें तो चूत में लीजिये, गांड में लेना चाहें तो गांड में लीजिये, और अगर चूसना है तो मुंह में ले लीजिये।”
मेरी आखों के सामने असलम और नसरीन की सुबह वाली चुदाई घूम गयी। मैं उठी और होनी टाँगें फैला कर असलम कि लंड कि ऊपर आ गयी। मैंने असलम का लंड एक हाथ से पकड़ा, चूत के छेद पर रखा और असलम के लंड पर बैठ गई। लंड मेरी फुद्दी के अंदर तक बैठ गया। मैं असलम के लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी। इस तरह ऊपर बैठने से असलम का लम्बा लंड चूत में आखिर सिरे तक जा रहा था। पंद्रह मिनट चली इस चुदाई के बाद मुझे मजा आ गया। असलम का लंड अभी भी खूंटे की तरह खड़ा ही था। मैं लंड के ऊपर से उठी, लंड चूत में से निकाला और लंड के ऊपर थोड़ा सा थूक डाल कर लंड को अपनी गांड में ले कर बैठ गई।
चूत चुदाई का मजा आने के बाद कुछ सुस्ती सी आ गयी थी। पांच मिनट ऐसे ही लंड पर बैठने के बाद मैं असलम के लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी। गांड पर खाली थूक ही था, क्रीम मैंने लगाई नहीं थी इस लिए गांड में रगड़े भी बहुत लग रहे थे। असलम को भी रगड़ाई का बहुत मजा आ रहा था।
पूछो तो सूखी गांड की रगड़ा-पच्ची का भी अपना ही मजा होता है। इस सूखी गांड रगड़ाई से असलम को भी जल्दी ही मजा आ गया। मैंने असलम का लंड गांड में से निकाल लिया और नसरीन की तरह हाथ नीचे करके अपने चूतड़ फैला कर गांड का छेद खोल दिया और नीचे की तरफ जोर लगाया। असलम के लंड का गाढ़ा सफ़ेद पानी टपक-टपक कर मेरी की गांड में से निकल क़र असलम के लंड पर फ़ैल गया।
जब असलम के लंड के गाढ़े गरम सफ़ेद पानी की आख़री बूंद भी मेरी गांड से टपक गयी तो मैं उतरी और झुक कर जुबान से चाटते-चाटते असलम के लंड को साफ़ करने लगी।
असलम के लंड के पानी की एक एक बूंद मैंने चाट ली और तब मैं उठी और असलम से बोली, “चलो असलम अब बाथरूम में चलें।” बाथरूम में एक-दूसरे के ऊपर मूतने बाद चूत गांड और लंड की सफाई करके हम दोनों कपड़े पहन कर आगे क्लिनिक में आ कर बैठ गये।
मैंने मस्ती मैं असलम से कहा, “क्या मस्त चोदता है यार असलम तू। अब कब आएगा? तेरी मस्त चुदाई बहुत याद आएगी?”
असलम बोला, “मालिनी जी कानपुर के चक्कर तो अब लगते ही रहेंगे। जब भी प्रोग्राम बना मैं आपको फोन कर दूंगा।”
मैंने कहा, “ठीक है असलम, मगर आने से पहले फोन जरूर कर लेना। इस महीने मेरी इनकम टैक्स की फाइल जानी है। उसके बाद मैं दस दिनों के लिए कसौली जाऊंगी आराम करने – बहुत चुदाई हो गयी। फिर आने वाले महीनों के कुछ सेमिनार भी हैं।”
“मगर तुम लोग, तुम अकेले, या नसरीन के साथ या फिर निकहत भी, जब भी आओ मेरे यहां ही रुकना। मजे करेंगे – रातों को उधर तुम और नसरीन, इधर मैं और निकहत। या फिर उधर नसरीन और निकहत, इधर तुम और मैं, नहीं तो उधर तुम और निकहत इधर मैं और नसरीन। हर तरह से मजे ही मजे।” ये बोल कर मैं हंस दी।
असलम बोला, “ठीक है मालिनी जी जब भी आऊंगा तो आने से पहले फोन करूंगा, और निकहत को भी साथ लाने का भी प्रोग्राम बनाएंगे।”
ये कह कर असलम जाने के लिए खड़ा हुआ तो मैंने कहा, “असलम दो बातें और भी हैं।”
असलम जाते-जाते रुक गया और बोला, “दो बातें मालिनी जी? वो क्या?”
मैंने कहा, “असलम पहली बात तो ये कि जा कर मुझे फोन करना और बताना कि निकहत ने गांड में तुम्हारा लंड लिया या नहीं। अपने मुंह में चूस-चूस कर तुम्हारे लंड का पानी मुंह में निकाला या नहीं। नसरीन को भी बोलना मुझे फोन करके बताये के निकहत ने उसके फुद्दी चूसी या नहीं।”
असलम बोला, “ठीक है मालिनी जी, और दूसरी बात?”
मैंने कहा, “दूसरी बात ये है असलम के जाने से पहले एक बार थोड़ा सा अपना लंड चुसवाओ।”
ये सुनते ही असलम ने लंड पैंट से निकाल लिया और मेरे मुंह की आगे कर दिया। असलम का ढीला, बैठा हुआ लंड भी छह इंच का था।
मैंने असलम का लंड मुंह में ले लिया। एक मिनट असलम का ढीला हुआ लंड चूसने के बाद मैंने लंड मुंह से निकला और असलम से कहा, “अब ठीक है असलम, अब जाओ और जब भी अगला प्रोग्राम बने, फोन करना।”
असलम हंस दिया और लंड को पैंट के अंदर डालता हुआ बोला, “मालिनी जी मस्त चुदवाती हैं आप। कौन होगा मेरी जैसा किस्मत वाला जो तीन-तीन फुद्दियां चोदता हो – एक अपनी बीवी की, एक अपनी अम्मी की और एक दुनिया की जानी-मानी मनोचिकित्स्क की।”
मैंने हंसते-हंसते कहा, “और रागिनी? और तुम्हारे बचपन के दोस्त की बीवी ममता? उनको भी तो चोद चुके हो।”
असलम हंसने लगा। असलम चला गया और मैं आगे के कामों की योजना बनाने लगी। आखिर चुदाई ही तो सब कुछ नहीं। चुदाई से चूत और गांड भरती हैं पेट नहीं, और ना ही चुदाई से परलोक ही संवरता है।
मुझे अपने ही इस ख्याल पर हंसी आ गई – “आखिर चुदाई ही तो सब कुछ नहीं। चुदाई से चूत और गांड भरती हैं पेट नहीं, और ना ही चुदाई से परलोक ही संवरता है।” सही भी था।
जून आ चुका था और अब चुदाई-वुदाई की बातें भूल कर अपने पेट की और अपने परलोक की चिंता का वक़्त था। अब सरकार कि कायदे कानूनों को समझने जानने का महीना होता है अप्रैल से जून का टाइम।
मैंने अपने पीए त्रिलोक कश्यप को फोन लगाया और अगले दिन सुबह दस बजे आने के लिए बोल दिया। पिछले साल की कमाई का लेखा-जोखा करना था और आने वाले दिनों में कहां-कहां मेरे सेमीनार होने थे ये भी जानना था। इसके अलावा किसकी कितनी मदद करनी थी, कहां कहां कितनी-कितनी डोनेशन देनी थी, ये भी फाइनल करना था।
पिछला साल मेरा बहुत अच्छा गया था, इसलिए मेरा मन था कि मैं प्रभा और ड्राइवर शंकर की कुछ अलग से मदद करूं। साथ ही मैं त्रिलोक की भी कुछ मदद करना चाहती थी। त्रिलोक की तीन बेटियां ही थीं, और त्रिलोक हर वक़्त उन्ही के चिंता में डूबा रहता था।
मेरा इंडिया में तो कोइ रिश्तेदार रहता नहीं है। दो छोटे भाई हैं, एक अड़तालीस साल का दूसरा छियाली साल का। दोनों ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में रहते हैं और अच्छा कमाते हैं। दोनों की दो-दो बेटियां हैं जो कालेज में पढ़ती हैं।
दोनों दो साल बाद इकट्ठे इंडिया आते हैं और घूम फिर कर चले जाते हैं। उनका यहां का सारा खर्च – घूमने-फिरने का, शॉपिंग का मैं ही उठाती हूं। आखिर को मैंने भी पैसे का करना क्या है? दोनों बहुत जोर लगाते हैं कि मैं यहां का पूरा कारोबार समेट कर ऑस्ट्रेलिया चली आऊं। मगर मैं सोचती हूं फिर मेरी बिंदास आदतों का क्या होगा – मेरी चुदाई का क्या होगा?
दोनों भाइयों को और उनके परिवार को मेरी लिखी किताबों और मेरे विदेशों के सेमिनारों का पता ही था। मेरा जलवा वो दो साल पहले देख चुके थे, जब मेरे तीन तीन दिन के दो सेमीनार ऑस्ट्रेलिया के शहर मेलबॉर्न और सिडनी में हुए थे। दोनों सेमीनार वहां की टॉप यूनिवर्सिटीज ने आयोजित किये थे। जिस तरीके से यूनिवर्सिटीज ने मुझे हाथों हाथ लिया था और जिस तरीके टॉप होटलों में मेरा रहने का इंतजाम था, उससे मेरी दोनों भाभियां और उनके बच्चे हैरान थे – ये हैं हमारी ननद, ये है हमारी बुआ?
खैर, ये बताने का मतलब खाली ये था कि मैं आखिर इंडिआ में अकेली क्यों रहती हूं। मैंने त्रिलोक से कहा, “त्रिलोक इस बार मेरा मन प्रभा और शंकर के लिए कुछ करने का है। शंकर की बड़ी बेटी शादी लायक हो गई है और प्रभा ने मेरा बहुत ध्यान रखा है और रख भी रही है।
प्रभा का बेटा बहुत कहता है कि अम्मा अब बस करो, बहुत काम हो गया। मगर प्रभा नहीं मानती और साफ़ कहती है, अब यही उसका घर है। जब भी मेरा कहीं कोइ सेमिनार होता है या मैंने कुछ दिनों के लिए कहीं जाना होता है तो प्रभा का बेटा या उसके बेटी ही आ कर मेरे घर में रहते हैं।
मैंने त्रिलोक से कहा, “त्रिलोक अपनी डायरी निकालो और नोट करो।”
त्रिलोक ने डायरी निकाली और मेरी तरफ देखने लगा। मैंने कहा, “त्रिलोक प्रभा कि नाम से चार लाख रूपए गिफ्ट में डालो। दो लाख रूपए शंकर के नाम से गिफ्ट करो और दो-दो लाख रूपए अपनी तीनों बेटियों कि खाते में डाल दो।” बाकी मैंने कहां-कहां कितना-कितना डोनेट करना है ये भी त्रिलोक को लिखवा दिया। कुल मिला कर लगभग सत्रह लाख थे जो मैंने दिए।
त्रिलोक बस इतना ही बोला, “मैडम इतना पैसा?”
मैंने कहा, “अरे नोट तो करो त्रिलोक।”
फिर मैंने सब कुछ नोट करवाने के बाद त्रिलोक से कहा, “ये सारी डिटेल सी.ए. प्रशांत को दे देना। वो देख लेगा कैसे ये पैसा देना है। साथ ही प्रशांत को बोलना पिछले साल की बैलेंस शीट अगर बन गयी हो तो डिस्कशन के लिए ले आये।”
त्रिलोक “जी अच्छा” बोल कर चला गया।
अब फिलहाल मेरे पास आगरा से नसरीन और असलम की फोन का इंतजार था। मैं जानना चाहती थी कि निकहत असलम कि साथ कहां तक पहुंची, और क्या नसरीन के साथ निकहत की चूत चुसाई शुरू हुई या नहीं।
तीन हफ्ते के बाद नसरीन का फोन आ गया। इन तीन हफ्तों में मेरे दो सेमीनार हो गए। एक बंगलुरु में दूसरा मुंबई में।
इधर-उधर की बातों के बाद नसरीन सीधा असली बात पर आ गयी और बोली, “मालिनी जी आपको एक ख़ास बात बतानी थी। मगर उस ख़ास से पहले तो मुझे आपको ये बताना था निकहत अब असलम से सब कुछ कारवाने लगी है, जो आप कराती हैं, जो रागिनी करवाती है और जो मैं भी करवाती हूं – गांड चुदवाना, लंड का लेसला गर्म पानी चाटना, और अपनी फुद्दियां खोल कर फुद्दी पर मुतवाना, लंड पर मूतना – मतलब सब कुछ ही करने लगी है।”
मैंने हंसते हुए कहा, “वाह असलम तो बहुत खुश होगा। निकहत की गांड चोदने के लिए बड़ा ही पागल हुआ पड़ा था।”
नसरीन भी हंसने लग गयी।
मैंने फिर पूछा, “मगर नसरीन असलम का मोटा लंड निकहत की नयी नवेली कुंवारी गांड में चला गया आराम से? निकहत को असलम का मोटा लंड गांड में लेने में कोइ तकलीफ तो नहीं हुई?”
नसरीन बोली, “मालिनी जी पूरी बात बताती हूं, बड़ा मजा आएगा आपको सुन कर।”
नसरीन बताने लगी, “कुछ हफ्ते पहले निकहत दो दिनों के लिए अपनी मायके गयी थी, तब असलम मेरे साथ ही सोया था।”
“मालिनी जी आपको बता दूं, अब निकहत जब भी अपने मायके जाती है तब हम दोनों नंगे, एक ही कमरे में इकट्ठे सोते होते हैं, रात को जब जिसका मन चाहे वो चुदाई कर लेता है या करवा लेता है। मालिनी जी, अब आपसे क्या छुपाना। शुरू-शुरू में तो जब असलम ने मेरे साथ सोना शुरू किया हममें रात-रात भर चुदाई हुई।”
नसरीन फिर शुरू हो गयी, “हां तो मालिनी जी, उस दिन जब असलम मेरी चूत की चुदाई करने के बाद मेरी गांड में लंड डालने के लिए लंड गांड के छेद में रखा ही था, तभी खुद ही उसने मुझे बताया कि निकहत अब गांड भी चुदवाने लग गई है।”
“मालिनी जी मैंने जैसे ही असलम के मुंह से निकहत की गांड चुदाई की बात सुनी, मेरी फुद्दी ने फुर्र से फिर से पानी छोड़ दिया। मैंने असलम को कहा, “असलम मेरी गांड बाद में चोदना, पहले यहां मेरे पास लेट कर निकहत की गांड चुदाई की पूरी कहानी बताओ।”
“असलम खड़े लंड के साथ मेरे साथ लेट गया। मैंने असलम का लंड हाथ में लिया और पूछा, “हां तो असलम बेटा कैसे शुरू हुई निकहत की गांड चुदाई?”
“असलम बोला, “अम्मी निकहत की गांड चुदाई तो कानपुर से आने के बाद हफ्ते बाद ही शुरू हो गयी थी, मुझे ही आपको बताने का मौक़ा नहीं मिला। निकहत अपने मायके गयी नहीं और मेरी आपकी चुदाई हुई नहीं।”
“नसरीन बोल रही थी, “मालिनी जी इसके बाद जो असलम ने बताया वो सुन कर तो मजा ही आ गया।”
“मालिनी जी असलम मुझे बता रहा था, “अम्मी एक रात मैं निकहत की चुदाई करके लेटा हुआ था। निकहत भी मेरे पास ही लेटी हुई थी। मेरा लंड निकहत कि हाथ में था। एका एक निकहत बोली, “असलम एक बात बोलूं।”
“अम्मी मैंने निकहत से कहा, “बोलो निकहत इसमें पूछने की क्या बात है?”
“अम्मी निकहत हंसते हुए बोली, “असलम वो कानपुर वाली आंटी बोल रही थी सब लड़कियां गांड चुदवाती हैं, फिर तुम क्यों नहीं चुदवाती?”
“अम्मी ये सुन कर पहले तो मेरी हंसी छूटी, फिर मैंने निकहत से कहा, “तो क्या निकहत तुमने मालिनी जी को भी बता दिया कि मैं तुम्हारी गांड चोदना चाहता हूं, मगर तुम चुदवाती ही नहीं।”
“अम्मी, निकहत की तो हंसी ही नहीं रुक रही थी। वो बोली, “हां असलम मैंने आंटी को बता दिया। मैंने तो आंटी को ये भी बता दिया कि तुम्हारा लंड बहुत मोटा है, मुझे गांड में डलवाने से डर लगता है कि एक बार तुमने मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश की थी और मैंने अम्मी से तुम्हारी शिकायत ही लगा दी थी।” अम्मी निकहत की ये बात सुन कर तो मेरी हंसी ही छूट गयी।”
“अम्मी मैंने निकहत से पूछा, “अच्छा तो फिर क्या कहा मालिनी जी ने?”
“निकहत बोली, “यही के सब लड़कियां गांड चुदवाती हैं, फिर तुम क्यों नहीं चुदवाती। तुम भी मजे से गांड चुदवाओ कुछ नहीं होगा। आराम से जाएगा असलम का मोटा लंड तुम्हारी गांड में। जब असलम गांड चोदना चाहे तो उसको बोलना ढेर सारी क्रीम तुम्हारी गांड के अंदर-बाहर लगा लेगा, फिर लंड फिसल कर गांड में जाएगा?”
“फिर आंटी कुछ सोचते हुए बोली, “वैसे निकहत अगर असलम तुम्हारी गांड में लंड डालना ही चाहता है तो वो भी तुम्हें कोइ दर्द थोड़े ही होने देगा? गांड चुदाई मजे के लिए की जाती है दर्द और तकलीफ के लिए नहीं। असलम भी तुम्हारी गांड चुदाई से पहले कोइ क्रीम-वरीम लगा ही लेगा, तभी लंड डालेगा गांड में। असलम, आंटी की बातें सुन कर मैंने उसी दिन सोच लिया था कि अब मैं भी तुमसे तुम्हारा लंड अपने गांड में पक्का ही लूंगी। बोलो असलम आज ही डालना है लंड मेरी गांड में।”
“अम्मी मेरा मन तो निकहत की ये बातें सुन कर ही खड़ा हो चुका था, मगर फिर भी मैंने निकहत से कहा, “निकहत ये चूत – फुद्दी की चुदाई को एक बार छोड़ दो तो बाकी सब बातें जैसे लंड गांड में डालना, मुंह में डालना, ये सब बातें मस्ती के लिए होती हैं। असली मजा फुद्दी चोदने में ही आता है। अगर सच में ही तुम्हारा मन गांड चुदवाने का है तो मैं तुम्हारी गांड भी चोद दूंगा – जब कहोगी तब चोद दूंगा।”
“अम्मी इसके बाद तो निकहत ने जो कहा, मेरा मन तो किया तभी की तभी निकहत को एक बार और चोद दूं।”
“मालिनी जी, असलम मेरे साथ ही लेटा हुआ था। असलम का खड़ा लंड मेरी हाथ में था। असलम ने जो मुझे बताया उसे सुन कर तो मेरी हंसी भी छूट गयी।”
मैंने नसरीन से पूछा, “अरे नसरीन? ऐसा क्या कह दिया उस लड़की ने कि तुम्हारी भी हंसी छूट गयी?”
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