पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-12
(निकहत की नमकीन फुद्दी का रसपान)
निकहत ने अपनी पीठ सोफे के साथ टिका दी और दोनों टांगें उठा कर सोफे पर रखी, और टांगें चौड़ी कर दी। निकहत ने नीचे हाथ करके एक बार चूत में ऊपर-नीचे किया और पूरा लंड अपनी चूत में डाल लिया। लंड चूत में डालते हुए निकहत ने एक सिसकारी ली और बोली, “आअह आंटी ये तो असली जैसा ही लग रहा है। मेरी तो फुद्दी जैसे भर गयी है जैसे जब असलम का लंड फुद्दी में जाता है, तब मेरी फुद्दी भर जाती है।”
निकहत ने तीन-चार बार लंड अंदर-बाहर करके लंड अपनी चूत में से निकाल लिया और बोली, “और आंटी ये बाकी के जुगाड़ कैसे लेते हैं?”
मैंने थोड़ा पतले वाला उठाया और बोली, ये भी उसी लिए है, चूत में लेने के लिए, मगर ये थोड़ा पतला है। मैं पहले ये लेती थी, अब उससे से मुझे मजा नहीं आता, इसलिए ये मोटे वाला लेती हूं।” फिर मैं हँसते हुए बोली, “अब तो ये भी आराम से मेरी फुद्दी मैं चला जाता है, लगता है इससे भी मोटा मंगवाना पड़ेगा।” ये कह कर मैं फिर से हंस दी।
फिर निकहत बोली, “कमाल है आंटी, मैं तो अभी से ही मोटे वाला लेने लग गयी हूं, और आंटी ये बाकी के दो, ये बेल्ट वाला और ये अजीब की “C” शेप वाला?”
मैंने निकहत को बताया, “ये बेल्ट वाला, ये थोड़ा लम्बा है मगर ज्यादा मोटा नहीं है। ये मैंने खास गांड के लिए मंगवाया है। इसे एक लड़की अपनी कमर से लगा कर दूसरी लड़की की गांड मारती है, मतलब गांड चुदाई करती है। आज मैं और तुम एक-दूसरे की गांड मारेंगी”
“और ये “C” शेप वाला, जिसके ऊपर एक उंगली सी लगी है, इसका मोटा वाला हिस्सा चूत में डाल लेते हैं। आगे लगी उंगली अपने आप चूत के दाने पर पहुंच जाती है। ये बैटरी से चलता है। जब सब तैयारी हो जाती है तो फिर इसका ये स्विच चालू कर देते हैं। चूत वाला हिस्सा वाइब्रेट मतलब कम्पन करता है और दाने वाला हिस्सा दाने को चूसने जैसा काम करता है।”
निकहत इस वाले खिलौने को हाथ में लेकर उलट-पलट कर देखने लगी।
मैंने कहा, “मुझे दो, मैं दिखाती हूं। इस उंगली जैसे हिस्से के आगे जो कप जैसा है उसमें अपनी उंगली रखो।”
निकहत ने ऐसा ही किया। अपनी उंगली कप जैसी शेप में बिठा दी। मैंने निकहत से कहा, “अब इस मोटे वाले हिस्से को दूसरे हाथ से पकड़ लो।” जब सब कुछ हो गया तो मैंने उस चुदाई वाले खिलौने का स्विच ऑन करके उसे चालू कर दिया। नीचे वाला मोटा हिस्सा वाइब्रेट करने लगा और कप वाला हिस्सा निकहत की उंगली चूसने लगा।
निकहत ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराई। मैंने कहा, “अब जरा सोचो ये मोटा हिस्सा तुम्हारे फुद्दी में हो और ये उंगली जैसा हिस्सा तुम्हारी फुद्दी के दाने पर हो तो क्या होगा?”
निकहत बोली, “ओह आंटी, ये तो मुझे अभी ही लेना है। बताईये कैसे लेते हैं, कैसे लूं?”
मैंने कहा, “वेरी गुड बेटा, चलो बेड पर लेट जाओ। देती हूं तुम्हें जन्नत का मजा।”
मैं सोच रही थी निकहत को असलम से एक रंडी के तरह चूत और गांड चुदवाने के लिए तैयार करने के लिया मुझे क्या-क्या करना पड़ रहा है। निकहत को गांड चुदाई के लिए तो मैंने तैयार करना ही है, मुतवाने वाले काम और चुदाई के वक़्त कुछ-कुछ बोलने के लिए भी तैयार करना है। आखिर नसरीन और असलम भी तो यही चाहते हैं।
असल में ये सब मैं असलम से फुद्दी और गांड चुदवाने के लिए कर रही थी, मेरा अपना भी तो स्वार्थ था निकहत की इस ट्रेनिंग में।
क्या-क्या करना पड़ता है मनपसंद लंड चूत में डलवाने के लिए – वो भी असलम के जैसा लंड – कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा लंड।
निकहत बेड पर लेट गयी और टांगें फैला ली। निकहत की फुद्दी नीचे वाली होने के कारण, उसके चूतड़ उठाने उसके चूतड़ों के नीचे मोटा तकिया रखना पड़ा। फिर मैंने निकहत की चूत में आठ-दस बार उंगली अंदर-बाहर की, जिससे उसकी चूत पानी छोड़े और चूत चिकनी हो जाए। इतने में ही निकहत की चूत पानी के फव्वारे छोड़ने लगी। मुझे नसरीन की बात याद आ गयी, “जवान फुद्दी है पानी भी बहुत छोड़ेगी, चूसने चाटने का मजा आ जाएगा।”
मैंने अपना मुंह निकहत की चूत में घुसेड़ दिया और अपनी जुबान से निकहत की फुद्दी चाटने लगी। निकहत की फुद्दी का पानी चाट कर मजा ही आ गया। उधर निकहत भी चूतड़ हिलाने लगी। मैंने सोचा कहीं निकहत को मजा ही ना आ जाये। मैंने मुंह निकहत की फुद्दी से हटा लिया और बोली, “निकहत तुम्हारी फुद्दी पानी बहुत छोड़ती है हल्का नमकीन और खुशबूदार – मजा आ गया चाटने का। एक बार और अच्छे से चूसूंगी।”
मैंने चुदाई का खिलौना निकहत की फुद्दी में अंदर तक सरका दिया। खिलौने की खड़ी उंगली निकहत की चूत के दाने पर बैठ गयी। मैंने नीचे से खिलौने का स्विच चालू किया और खिलौने ने अपना काम करना शुरू कर दिया।
खिलौने के लंड वाला हिस्सा निकहत की चूत में वाइब्रेट कर रहा था और खलौने की खड़ी उंगली निकहत की फुद्दी का दाना चूस रही थी। निकहत के मुंह से आह, आअह की आवाजें निकलनी शुरू हो गयी थी।
निकहत ने अधखुली आँखों से मुझे देखा और बोली, “आंटी ये तो कमाल का मजा दे रहा है। ऐसा मजा तो असलम के लंड की चुदाई के साथ भी नहीं आया कभी। अभी तीन चार मिनट ही हुए थे कि निकहत की चीख निकल गयी, “आआह आंटी ये क्या हो गया, मजा आ गया मुझे।”
मैंने ना तो लंड का स्विच बंद किया, ना ही लंड बाहर निकाला। निकहत के चूतड़ जोर-जोर से हिल रहे थे। निकहत बस “आह आआह आंटी” ही बोलती जा रही थी। चार-पांच मिनट में ही निकहत की फुद्दी फिर गरम हो गयी।
निकहत बोली, “आंटी मेरी फुद्दी तो फिर तैयार हो गयी।”
ये बोल कर निकहत ने एक हाथ खिलौने के ऊपर रख दिया और उसे अन्दर की तरह धकेल दिया। चूतड़ हिलने से खिलौना थोड़ा सा बाहर निकल आया था। अगले पांच मिनट में ही निकहत की चूत फिर झड़ गयी। निकहत ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और बोली, “आंटी ये तो फिर आ गया मजा।”
पांच मिनट के बाद निकहत ढीली हुई और बोली, “आंटी ये तो बहुत मजा देता है। और आंटी ये गांड वाला? ये कैसे लेते हैं? आप बांधेंगी इसे अपनी कमर से और मेरे चूतड़ों के छेद में डालेंगी?”
निकहत पूरी मस्ती में आ चुकी थी। निकहत तो उसी वक़्त सारे सेक्स टॉयज अपनी फुद्दी और गांड में ट्राई करना चाहती थी और मजे लेना चाहती थी। मगर शाम होने को थी। नसरीन और असलम कभी भी आ सकते थे। मैंने निकहत से कहा, “निकहत बेटा, छह बजने को हैं, अभी तुम्हारी अम्मी और असलम आने वाले ही होंगे। अगर तुमने रात को यहीं रुकना है तो बाकी काम रात के लिए छोड़ देते हैं। रात को मैं इसे तुम्हारी गांड में डालूंगी और तुम मेरी गांड में डालना। दोनों मजे लेंगी।”
निकहत मुस्कुराने लगी। नसरीन और असलम तो नहीं आये मगर नसरीन का फ़ोन आ गया। नसरीन बोली, “मालिनी जी कहां तक पहुंची निकहत। खोल कर लेटी या नहीं अब तक आपके आगे। मैं हंसते हुए बोली, “हां नसरीन, वो भी हो गया, और काफी कुछ हो गया।”
नसरीन बोली, “वाह तो क्या आज रात वहीं रुकना है उसको?”
मैंने बोला, “कह तो रही थी, बाकी तुम खुद ही बात कर लो।”
ये कह कर मैंने फोन स्पीकर पर डाल कर निकहत के हाथ में दे दिया और कहा, “निकहत अम्मी बात करेंगी।”
फोन पकड़ते ही निकहत की ऐसी हंसी छूटी के हंसी बंद ही नहीं हो रही थी। हंसी बंद हुई तो निकहत बोली, “जी अम्मी?”
नसरीन बोली, “निकहत बेटा क्या बात है, बड़ी खुश लग रही हो? आज वहीं रुकना है या मैं या असलम तुम्हें लेने आएं? मालिनी जी कह रहीं थी आज रात तुमने उनके साथ ही रुकना है?”
निकहत हंसते हुए बोली, “जी अम्मी, यहीं रुकना है। आंटी तो बहुत अच्छी हैं, बहुत अच्छी बातें करती है। फिर होटल में भी तो सोना ही है।” ये कह कर निकहत फिर से हंस दी।
नसरीन बोली, “ठीक है” और फिर हंसते हुए बोली, “निकहत आंटी को तंग मत करना और आंटी की बातें भी ध्यान से सुनना। दुनिया भर में लोग मालिनी जी की बातें सुनने के लिए इन्हें लाखों रूपए खर्च करके इनको अपने देश में बोलने के लिए बुलाते हैं। तुम्हें तो सब कुछ मुफ्त में सुनने को मिल रहा है। मैं तुम्हें सुबह दस बजे ले लूंगी। हम लोग कानपुर घूम लेंगे, असलम अपना बाकी का काम खत्म कर लेगा।”
मैंने सुना तो सोचा, असलम का बाकी का काम क्या है? काम क्या करेगा – घंटा – विआग्रा खा कर मेरी फुद्दी और गांड मारने का काम – मतलब चोदने का काम करेगा।
निकहत बोली, “जी अम्मी”, और निकहत ने फोन मेरे हाथ में पकड़ा दिया।
मैंने फोन स्पीकर से हटाया और बोली, “हां नसरीन।”
नसरीन बोली, “मालिनी जी निकहत तो बड़ी ही खुश लग रही है, लगता है अच्छे से पाठ पढ़ा रही हैं आप उसे। कल आती हूं। और एक बात बताऊं मालिनी जी, आज असलम के साथ चुदाई की पूरी रात की मस्ती का प्रोग्राम है।”
“असलम का आगरा का एक पुराना दोस्त मिल गया। रोशन नाम है उसका, यहां कानपुर में मोबाइल का शोरूम है। बीवी का नाम ममता है। असलम बता रहा था रोशन की बीवी ममता खुल चुदाई करवाती रही है दोनों से शादी से पहले। बाद में रोशन और ममता में मुहब्बत हो गयी और उनकी शादी हो गयी। फिर वो कानपुर आ गये। असलम की और रोशन की फोन पर बात होती रहती थी, मगर कभी मिले नहीं।”
नसरीन चहकती हुई बोल रही थी, “मालिनी जी आज रात वो दोनों भी हमारे साथ हमारे कमरे में ही रुकेंगे। वही आप वाला, दो गायें और दो सांड वाला खेल चलेगा। अगर आप कहें तो आपसे भी उसकी मुलाक़ात करवा देंगे। आप, और वो रोशन और ममता, संदीप के साथ खेलना ये खेल। असलम बोल रहा था, संदीप जितना ही मोटा लंड है उसका भी।”
“मालिनी जी असलम तो मुझे ये भी बता रहा था के कोइ गोली खा कर चोदेंगे दोनों हम दोनों को। आज रात लगता है पूरी रात की चुदाई का मन बनाया हुआ है दोनों ने।”
फिर नसरीन थोड़ा संजीदा हो कर बोली, “मालिनी जी अब आपसे कुछ छुपा तो है नहीं। हमारी दुकान में काम करने वाले जमाल ने मेरे बेटे असलम के कहने से मुझे चोद दिया। जमाल के कहने से मेरी और मेरे बेटे असलम की चुदाई शुरू हो गयी। अब असलम के सामने ही मैंने संदीप का लंड अपनी चूत, गांड और मुंह में सब जगह ले लिया, तो फिर अब बचा ही क्या? मगर मालिनी जी अब मैं खाली असलम से ही चुदाई करवाऊंगी – कोइ ख़ास ही लंड मिल जाए, जैसा संदीप का था, तो बात अलग है।”
मैं सोच रही थी, कितना आगे चली गयी नसरीन।
मगर फिर मैंने सोचा “तो मैं और रागिनी कौन सी कम हैं। हम भी तो दुनियां भर के लंड लेकर चूत और गांड फड़वा चुकी हैं। नसरीन ही ऐसा कर रही है तो क्या बुरा कर रही है। लेकिन रोशन के साथ चुदाई का नसरीन का आईडिया मुझे नहीं जमा। मुझे कौन सी लंडों की कमी है जो मैं कानपुर के किसी रोशन का ही लंड लूं।”
मैंने नसरीन से कहा, ‘वाह, तुम चारों, तब तो अच्छा रहेगा। मगर नसरीन ये प्रोग्राम अचानक बन कैसे गया? और नसरीन तुमने मुझे मेरे बारे में कुछ बताया तो नहीं।”
नसरीन बोली, “अरे नहीं नहीं मालिनी जी, ऐसे कैसे? आपसे बिना बात किये मैं उसे कैसी बता सकती हूं, मुझे आपकी वो कानपुर में चुदाई ना करवाने वाली बात याद है। और मालिनी जी ये प्रोग्राम अचानक कैसे बन गया। ये असलम से पूछने का मुझे मौक़ा ही नहीं मिला। कल जब असलम आपकी गांड के ऊपर चढ़ने आएगा, तो आप ही उससे पूछ लीजियेगा। मुझे तो आज रात की होने वाली चुदाई का सोच-सोच कर ही मजा आ रहा है।” ये कह कर नसरीन हंस दी।
मैंने सोचा, “वाह री चुदक्कड़ नसरीन।”
नसरीन बोली, “चलिए रखती हूं। आप आज रात आप चूत के पानी से भरी हुई जवान फुद्दी की चुसाई के मजे लीजिये।” ये कह कर नसरीन ने फोन काट दिया।
निकहत ने पूछा, “आंटी क्या कह रही थी अम्मी?”
मैंने कहा, “कुछ खास नहीं, यही कह यही थी कल असलम को चमड़े की फैक्ट्रियों में कुछ काम है। उस लिए वो सुबह तुम्हें यहां से ले जाएगी, कानपुर में बहुत सारी जगहें हैं घुमाने के लिए। चलो ऊपर चलते हैं।”
निकहत चलने को उठी तो मैंने जिन की बोतल और रबड़ के चुदाई वाई खिलौने भी उठा लिए। निकहत ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी।
प्रभा ने मटन बिरयानी बनाई हुई थी। साथ में टमाटर की ग्रेवी थी। प्रभा को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं होती थी।
प्रभा बोली, “मैडम सामान तो सब तैयार हैं, जब आप कहेंगी टेबल पर लगा दूंगी।”
मैंने प्रभा से कहा, “बस प्रभा हम लोग फ्रेश हो जाएं फिर तुम खाना टेबल पर लगा कर खुद खा कर चली जाना। हम आराम से खा लेंगे और बर्तन भी समेट लेंगे।”
ये बोल कर मैं और निकहत अंदर कमरे में चली गयी। मैंने निकहत से कहा, “चलो निकहत नहा कर फ्रेश हो जाओ। मैं तुम्हें अपना नाइट गाऊन दे देती हूं।”
ये कह कर मैंने दो नाईट गाऊन निकाल लिए और निकहत से बोली, “चलो निकहत।” जब मैंने कहा चलो निकहत तो निकहत हैरानी से मुझे देखने लगी। उसे समझ ही नहीं आया के मैंने “चलो निकहत” क्यों कहा।
निकहत हैरान से बोले, “कहां चलें आंटी? मैं तो शावर के लिए जा रहीं हूं। अभी आप ने ही तो कहा शावर के लिए।”
मैंने कहा, “हां निकहत, मेरी प्यारी-प्यारी बेटी, और अब मैं शावर के लिए ही चलने के लिए बोल रही हूं। मैं और तुम इकट्ठे, शावर के साथ-साथ और भी बहुत कुछ करेंगे – देखती जाओ मेरा बेटा।”
निकहत हैरान सी हुई और आगे-आगे चल पड़ी। मैंने निकहत के चूतड़ों के बीच उसकी गांड के छेद में उंगली घुसेड़ दी और उसके पीछे-पीछे चल पड़ी। बाथरूम में पहुंच कर मैंने और निकहत ने कपड़े उतार दिए। जैसे ही निकहत शावर में जाने लगी तो मैंने निकहत को बाहों में लेकर कहा, “अरे पहले मूत तो लो।”
निकहत फिर हैरान हो गई और बस इतना ही बोली, “जी?”
मैंने अपने मम्मों से निकहत के मम्मे दबाते हुए कहा, “निकहत मेरी जान पहले मूत तो लो।”
ये कह कर मैं निकहत को टॉयलेट सीट के तरफ ले गयी और टॉयलेट सीट पर बैठ गयी। निकहत खड़ी-खड़ी मुझे देख रही थी के आखिर मैं कर क्या रही हूं।
मैंने निकहत को कहा, “आओ बैठो मेरी टांगों पर ढीली करो अपनी फुद्दी और मूतो मेरी फुद्दी पर।”
निकहत हैरान पर हैरान हो रही थी। वो अपनी जगह से हिल ही नहीं रही थी। मैंने निकहत को खींचते हुए कहा, “अब आ भी जाओ मेरी जान, मेरी फुद्दी तुम्हारे गरम गरम मूत का इंतजार कर रही है।”
निकहत टांगे चौड़ी करके मेरी जांघों पर बैठ गयी। मैंने नीचे हाथ करके निकहत की फुद्दी को थपथपाया और बोली, “निकहत अब ज़रा सोचो, मेरी जगह असलम बैठा है और तुम असलम के लंड पर मूत रही हो। चलो खोलो अपनी फुद्दी और निकलने दो गरम-गरम मूत अपनी फुद्दी में से।”
निकहत ने चूत ढीली छोड़ दी। फुर्र-फुर्र करके पेशाब निकहत की चूत में से निकलने लगा। मैं निकहत की चूत थपथपाने लगी। ठप्प ठप्प ठप्प ठप्प की मस्त आवाजें आ रही थी। निकहत बस इतना ही बोली आआह आंटी, क्या-क्या करती हैं आप?”
मैंने निकहत से कहा, “निकहत ये मैं ही नहीं करती – परदे के पीछे मर्द औरत में यही सब होता है और होना भी चाहिए। यही सब तो देता है जन्नत का मजा।”
निकहत ने मस्ती में मेरी मम्मे पकड़ लिए।
निकहत पेशाब करके उठी तो मैंने निकहत को टॉयलेट सीट पर बिठा दिया। निकहत बोली, “अब आंटी, मूत तो लिया मैंने।”
मैंने कहा, “निकहत मेरी जान, तुमने असलम के लंड पर तो मूत लिया, अब असलम से अपनी फुद्दी पर भी तो मुतवाओ।”
तब तक निकहत को सब समझ आ गया था। निकहत टॉयलेट सीट पर बैठ गयी। मैं टांगें चौड़ी करके निकहत की टांगों पर बैठ गयी। आगे निकहत को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी। निकहत नीचे हाथ करके मेरी चूत थपथपाने लगी। मेरा गरम-गरम मूत निकहत के हाथों से होता हुआ जब निकहत की फुद्दी पर गिरा तो निकहत के मुंह से निकला, ”आअह आंटी।”
इस मूतन-मुताई से फारिग हो कर हम शावर में चले गए। नहाते-नहाते हमने खूब एक-दूसरे की चूत में गांड में उंगलियां डाली। निकहत काफी खुल चुकी थी। अब उसका अगला लैसन शुरू होने वाला था – गांड चुदाई लंड चुसाई और मुंह में लंड की मलाई निकलवाने वाला लैसन।
नहा कर निकहत ब्रा और चड्ढी पहनने लगी तो मैंने कहा, “अरे निकहत ब्रा और चड्ढी क्यों पहन रही हो?”
निकहत चड्ढी पहनते पहनते रुक गयी और पूछा, “क्यों आंटी?”
मैंने हंसते हुए कहा, “अरे बेटा जब थोड़ी देर में सारे कपड़े उतारने ही हैं, तो फिर पहनने का झंझट क्यों?”
निकहत ने चड्ढी खूंटी से टांग दी और बोली, “मगर आंटी प्रभा आंटी? इस नाईट गाऊन में तो मम्मे, फुद्दी और चूतड़ सब दिखाई देंगे?”
मैंने कहा, “प्रभा अब अपने कमरे में चली गयी है। अब वो नहीं आएगी। खाना खा कर बर्तन भी हम ही समेटेंगे।”
हमने खाना खाया। प्रभा खाना बहुत ही उम्दा बनाती है। खाना खा कर हमने बर्तन डिश वॉशर में लगा दिए और डिश वॉशर चालू कर दी। फार हम दोनों मेरे कमरे में आ गए। आते ही मैंने अपना नाईट गाऊन उतार दिया और निकहत की तरफ देखा। निकहत को कुछ भी कहने के जरूरत नहीं पड़ी। उसने भी अपना गाऊन उतार दिया।
मैंने डीवीडी पर चुदाई की फिल्म लगाई और रिमोर्ट से डीवीडी और टीवी चालू करके बिस्तर पर मोटा तकिया सर के नीचे रख कर लेट गयी। निकहत भी मेरे बगल में ही लेट गयी। मैंने एक हाथ निकहत की चूत पर रख दिया और निकहत का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया। निकहत मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेरने लगी। निकहत की नीची फुद्दी तो मुझे मिल ही नहीं रही थी।
चुदाई की फिल्म शुरू हो चुकी थी। फिल्म में एक लड़की थी और उसे दो लड़के चोद रहे थे। कभी एक लड़का लड़की की फुद्दी में लंड डालता और दूसरा उसके मुंह में लंड डालता था। कभी एक लड़का पीछे से लड़की की गांड चोद रहा होता तो दूसरा लड़का लड़की के सामने लेट कर उससे अपना लंड चुसवा रहा होता।
चुदाई के साथ साथ लड़की जो सिसकारियां ले रही थी असली मस्ती उसमें थी… यसस्स्स्स… फक्क लाइक दिस… फक्क हार्ड… यस डीप इन माय पुस्सी। हिंदी में समझें तो लड़की बोल रही थी… हां हां हां ऐसे ही चोदो… जोर से चोदो… और जोर से चोदो मुझे। हां और अंदर तक लंड डालो मेरी फुद्दी में।
निकहत गरम हो गयी। निकहत ने अपनी टांगें उठा कर चौड़ी कर दी और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रख दिया और मेरा हाथ ऊपर-नीचे करने लगी। मैं अभी ना खुद मजा लेने के मूड में थी ना निकहत को ही मजा देना चाहती थी। मैं अभी कुछ और ही करना चाहती थी।
जब तक लड़के के लंड का और लड़की की चूत का पानी ना छूटे, तब एक लड़का-लड़की कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। एक बार दोनों को मजा आ गया तो दोनों ढीले हो जाते हैं।
मैंने रिमोर्ट का बटन दबा कर फिल्म को रोक दिया। निकहत कांपती आवाज में बोले, “आंटी बंद क्यों कर दी, बड़ा मजा आ रहा था?”
मैंने कहा, “पूरी रात अपनी है मेरी जान। अब ज़रा अपने चूतड़ चटवाओ, अपनी फुद्दी का नमकीन रस पिलवाओ।” ये कह कर मैंने निकहत के चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख दिये।
नीचे वाली फुद्दी को मुंह के सामने लाने के लिए दो तकियों की जरूरत होती हैं।
इसके बाद मैं निकहत के ऊपर लेट गयी। निकहत की फुद्दी मेरे मुंह के सामने थी और मेरी चूत निकहत के मुंह के सामने। मैंने निकहत की फुद्दी चूसनी चाटनी शुरू की और निकहत ने मेरी। जल्दी ही हम एक-दूसरे की फुद्दी पागलों की तरह चूस चाट रही थी। मैंने निकहत के चूतड़ जरा से उठाए और और उसकी गांड का छेद चाटने लगी। जैसे ही मैंने ये शुरू किया निकहत ने भी मुझे थोड़ा सा आगे किया और मेरे चूतड़ों में अपना मुंह घुसेड़ दिया।
मेरा मन तो नहीं था चूत का पानी इस तरह छुड़ाने का, मगर हम लोगों में चल रही ये चूसा चुसाई इतनी ताबड़तोड़ थी कि हम दुनिया से बेखबर हो गए और जल्दी ही हम दोनों की चूतें पानी छोड़ गयी।
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