कुछ महीने पहले की ही बात है। हमारे कॉलेज में नए टीचर आये, जो थर्ड ईयर तक पढ़ाते थे। वह दिखने में काला, और शरीर से मजबूत गठीला बदन था उनका।
काले रंग होने की वजह से वह ज्यादातर किसी से मिलते-जुलते नहीं थे। वह चुप-चाप पढ़ाते और अपना काम करके घर चले जाते थे। परंतु मम्मी उसमें ज्यादा ही इंटरेस्ट लेती थी। केवल मम्मी ही थी जो उनके साथ बातें करती थी, और उनके साथ बैठ कर लंच भी किया करती थी।
इस नये सर के नाम तो आतिफ मोहम्मद था। उनकी उम्र 34 के आस-पास होगी। परंतु हम बच्चों ने उनका नाम कालू रख दिया था।
जब भी लंच ब्रेक में मम्मी से वह मिलते, तब मम्मी उनसे काफी हंस-हंस के बातें करती, और मजाक-मस्ती भी करती थी।कॉलेज में सारे टीचर हिंदू थे और ज्यादातर तो ब्राह्मण थे। इसलिए कोई भी टीचर आतिफ के साथ उतना अच्छा बिहेव नहीं करता था। परंतु मेरी मम्मी यह सब नहीं मानती थी। वो पूजा पाठ जरूर करती थी, परंतु लोगों में भेदभाव कभी नहीं करती थी। इसलिए वो आतिफ सर के साथ कुछ ज्यादा ही अटैचमेंट में रहती थी।
सारे मेल टीचर और फीमेल टीचर अलग रूम में बैठ कर खाना खाते थे। परंतु मम्मी और आतिफ सर एक साथ बैठ कर लंच करते थे। लंच करते समय दोनों बहुत ही हंस-हंस कर बातें करते और कभी-कभी तो आतिफ सर मम्मी को इधर-उधर टच भी कर देते। मम्मी भी किसी बात का बुरा नहीं मानती, और साथ ही मम्मी उन्हें प्यार से अपना कालू बुलाती थी। यह सब मेरा दोस्त रोहन देख कर मुझे बोला।
रोहन: यार आर्यन तुम्हारी मम्मी लगता है उनके साथ चुदाई करेगी। इनके बात करने के तरीके से ऐसा लग रहा है कि उनके बीच अब बहुत कुछ चल रहा है।
मुझे यह रोहन के मुंह से सुन कर बहुत बुरा लगा। मैं थोड़ा नाराज हो गया और उससे बोला-
मैं: चुप करो तुम! मेरी मम्मी के बारे में ऐसे कैसे बोल सकते हो? मेरी मम्मी उस तरह की महिला नहीं है। तुम तो इतने साल से मम्मी को जानते हो। कभी देखा कॉलेज में किसी मेल टीचर के साथ उनका बिहेवियर गलत हुआ हो?
रोहन: मेरा मतलब वह नहीं था आर्यन। मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था। लेकिन दिखने में जो लग रहा है मैं बस वहीं बोल दिया। और तू तो जानता है कि मैं जिस महिला की हंसी को देखता हूं, मैं समझ जाता हूं कि वह हंसी वासना से भरी हुई है या कि नॉर्मल है।
इसी तरह कई दिन मम्मी उनके साथ बैठ कर लंच करती रही और लंच ब्रेक में हंस-हंस कर बातें करती। कभी-कभी तो आतिफ सर हंसते हुए मम्मी के जांघों पर हाथ फेर देते, तो कभी उनके हाथों को मसल देते।
रोहन मुझे रोज पानी पीने के बहाने लंच ब्रेक के केबिन में ले जाता है, और जिस तरफ मम्मी और कालू सर बैठ कर बातें करते हैं, उधर जाने और सुनने की कोशिश करता। एक दिन की बात थी मम्मी का लंच ब्रेक का आखिरी क्लास हमारे ही क्लास में थी। मम्मी पढ़ा रही थी कि तभी कालू सर मम्मी को हंसते हुए देखने लगे और हमारे क्लास में आकर मम्मी से कुछ बात किए। मम्मी भी उनके बातों को सुन कर मुस्कुराने लगी।
रोहन यह सब देख कर अचंभित था, और मुझे आंखों से इशारा करते हुए बोला कि, “देखा आर्यन कुछ तो आज होने वाला है।” फिर कालू सर वहां से चले गए और मम्मी हम लोगों को पढ़ाने लगी। तभी थोड़ी देर बाद लंच ब्रेक की बेल बज गई, और हम सभी बच्चे लंच करने चले गए। मम्मी भी वहां से उठी और सीधा लंच केबिन में चली गई।
मम्मी उसे दिन हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी, और बाल को बांधी हुई थी। बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मम्मी का गोरा बदन पर हरे रंग की साड़ी बहुत जच रही थी।
रोहन मेरा हाथ पकड़ के मुझे मम्मी के साइड में ले गया, और बोला कि, “चुप-चाप तू देख, आज जरूर कुछ होगा।” तभी मैंने देखा कि मम्मी और कालू सर थोड़ी देर बातें किये, और वहां से उठ कर बाहर जाने लगे।
सबसे पहले कालू सर ऊपर छत की ओर चले गए, और फिर मम्मी उनके पीछे-पीछे जाने लगी। फिर मैं और रोहन भी उनके पीछे जाने लगे। ऊपर छत पर जो स्टोर रूम बने थे, थोड़ी ही देर में उसका दरवाजा बंद हो गया। मैं समझ गया कि मम्मी और कालू सर इसी के अंदर गए थे।
रोहन ने कोई ना कोई उपाय करके अंदर देखने का जुगाड़ कर ही लिया। फिर मुझे भी उसने दिखाना शुरू किया। अंदर जैसे ही मैं देखा पूरी तरह से चकित रह गया।
इसके आगे क्या हुआ, वो अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी कैसी लगी जरूर बताएं।
अगला भाग पढ़े:- कॉलेज के लंच ब्रेक में मां की चुदाई देखी-2