पिछला भाग पढ़े:- हर मोड़ नई परीक्षा
दोस्तों आपने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा कैसे रातों रात मेरी चुदाई की हसरतें बिखर गई, जब मेरे बच्चों ने मेरी हवस का नंगा नाच अपनी आंखों से देख लिया। अब सभी रिश्तेदारों-दोस्तों में मेरे रांडपने का भांडा फूट चुका था। मेरे पति को मौका मिल गया मुझे बदनाम करने का, और अपनी रखैल के साथ रंगरलियों पर पूरी तरह पर्दा डालने का।
उसने बिना देर किए मुझसे मेरे बच्चों को अलग कर दिया, और मुझसे अलग रहने लगा। हालांकि उसने मुझसे तलाक़ नहीं लिया, क्योंकि फिर उसे मुझे गुजारा भत्ता देना पड़ता। अब मेरे किस्से इतने मुखर हो चुके थे कि शैलेश भी अपनी बड़ी पदवी के चलते मुझसे दूर रहने लगा। उन्होंने मुझसे अनजाना व्यवहार शुरू कर दिया, और एक हद तक मुझे बिकाऊ रंडी की तरह देखने लगे।
मेरी सारी दुनिया उजड़ सी गई। मुझे मेरे बच्चों की याद पल-पल सताती। अब मेरे पास कोई सहारा ना बचा। मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली, और रंगरलियां मनाने लगा। हालांकि वो अब भी मेरा खर्चा उठाता था, क्योंकि उसने प्रॉपर्टी के बंटवारे के डर से मुझे औपचारिक तलाक नहीं दिया था।
अब मैं एक शराबी बन चुकी थी और रोज पीने जाने लगी। लेकिन दोस्तों मेरी चुदास अब भी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। ऊपर से अब खोने को कुछ बचा भी नहीं था। ऐसे ही एक दिन मैं बार गई, तो वहां मुझे मेरे बच्चों के स्कूल प्रिंसिपल ने देख लिया। जब मैं बच्चों के साथ थी तो स्कूल जाती थी, इसलिए उन्होंने मुझे पहचान लिया। उनकी उम्र बस 50-55 ही लग रही थी।
मुझे देख वे अपने दोस्तों के साथ रुके और अभिवादन करने लगे। मैं उन्हें देख कर शर्मिंदा होने लगी, क्योंकि मेरे कपड़े मुझे ढकने में बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहे थे। उन्हें मेरी कहानी नहीं पता थी, इसलिए मुझे बताने लगे कि-
सर: बच्चे अब बहुत उदास रहते है, क्या परिवार में कुछ बात हुई है?
ये सुन कर मैं फूट–फूट कर रोने लगी। उन्होंने अपने दोस्तों को भेज दिया, और मुझे सहला कर शांत करने लगे। उनकी छुअन से मेरे अंदर की चुदास फिर भड़क उठी। अब मैं उन्हें अपनी करतूतें तो कैसे बताती? इसीलिए मैंने उन्हें कहा-
मैं: देखिए सर, मेरे पति की जिद्द से मेरे बच्चों का भविष्य खत्म होने को है। उन्होंने अपनी हवस के लिए दूसरी औरत पाल ली है और मुझे बेसहारा छोड़ दिया है। मैं अपने बच्चों से भी मिल नहीं पाती हूं, बस थोड़ा मन बहलाने यहां आ जाती हूं।
और उनके जिस्म से लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगी। मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी उनके लंड को भड़काने में और गरम करने में। शायद इसीलिए प्रिंसिपल सर कुछ मिनट कुछ बोलने की हालत में नहीं रहे। मैंने उन्हें तुरंत ही मेरी लेने के लिए मनाना ठीक नहीं समझा। उन्होंने मेरे कंधे बहुत कामुकता से संभाले और कहा-
सर: देखिए रीटा जी, इस मुश्किल घड़ी से हमें साथ निकलना होगा। ऐसा करिए ये रहा मेरा नंबर, आप कल मुझसे स्कूल में मिलिए। हम कुछ ना कुछ हल निकालेंगे।
और मुझे प्यासी निगाहों से देखते हुए उन्होंने कहा-
सर: आपको ऐसे छोड़ने का मन तो नहीं है, लेकिन मुझे जाना होगा। आप कहें तो आपको घर छोड़ दूं?
मैं: नहीं सर, मैं चली जाऊंगी। कल मिलते है स्कूल में। धन्यवाद।
सर: जी ध्यान रखिए। चलता हूं। बाय।
मैंने देखा जाते हुए वो अपने औजार को सहलाते हुए शांत करने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरी चुदास जल्दी शांत होगी। अब उस रात तो मैंने खीरे से काम चलाया। अगले दिन चूड़ीदार ऊपर से डीप नेक चूचों के दर्शन करने वाला सूट पहन कर मैं बच्चों के स्कूल पहुंच गई। सर ने मुझे बैठाया और कहा-
सर: रीटा जी, देखिए हमें आपके बच्चों को अच्छे से समझाना होगा। आप एक काम करिए, साथ वाले वेटिंग रूम में बैठिए। मैं आपके बच्चों को सारी बात समझाने की कोशिश करता हूं कि असली दरिंदा आपका पति है। अगर मैं सफल रहा तो ही आपको उनसे मिलने के लिए बुलाऊंगा।
मैंने झुकते हुए उन्हें अपने मम्मे दिखाए और उनके हाथ पकड़ कर कहा-
मैं: बहुत बहुत शुक्रिया सर, बस आप से ही मेरे जीवन की आखिरी उम्मीद है।
ये कह कर मैं गांड मटकाती हुई वेटिंग रूम में चली गई। मेरे बच्चों को प्रिंसिपल रूम में बुलाया गया। मैं देख रही थी सर उन्हें काफी प्यार से समझाने की कोशिश कर रहे थे, और मेरे बच्चे थोड़ा रो रहे थे। मैं इतना तो समझ ही गई थी कि उनकी सौतेली मां उनका शोषण कर रही थी।
अपनी करतूतों पर मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन शरीर की गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। फिर प्रिंसिपल ने मुझे बुलाया। बच्चों को देखते ही मैं फूट पड़ी और बच्चें भी मुझसे लिपट कर रोने लगे। मैंने उन्हें खूब दुलार किया और उनसे मिलाने के लिए सर का धन्यवाद किया।फिर बच्चों को ढांढस बंधाते हुए भेज दिया और हम सोचने लगे कि क्या करना चाहिए। काफी देर सोच विचार करके सर बोले-
सर: चलिए रीटा जी, आप चिंता मत कीजिए, कुछ तो उपाय निकाला जाएगा। अभी आप जाइए, हम फिर सोचते है।
मैं: जी धन्यवाद सर। मैं फिर परेशान करूंगी।
सर: अरे नहीं-नहीं, इसमें परेशानी क्या!
मैं जा तो रही थी लेकिन सोच रही थी सर के नीचे कब आऊंगी। इतने में दरवाजे तक पहुंचते ही सर ने मुझे फिर टोका-
सर: अ, सुनिए रीटा जी। अ, वो, अ, मैं एक्चुअली, ये पूछना चाहता था कि।
मैं समझ गई कि सर हिचक रहे थे, तो मैं उनके पास गई और उनके हाथ कस के पकड़ कर बोली-
मैं: क्या बात है सर? आप मुझसे बेझिझक बोल सकते है।
सर: जी वो, अगर आपको ठीक लगे तो आज शाम मेरे घर आ जाइए। हम वहां कुछ सोचते है फुर्सत में।
अब मैं समझ गई और मन ही मन नाच उठी कि अब आखिर सर मेरी लेना चाहते थे।
मैं: जी ठीक है सर, लेकिन मैं आपके परिवार के आगे अपनी बात करने में कंफर्टेबल नहीं हूं।
सर: ओह नहीं, दरअसल मेरी पत्नी कुछ दिन घूमने गई है, और बच्चे तो बिजी रहते है अपनी लाइफ में। तो आप आ सकती है। मैं आपको एड्रेस व्हाट्सएप करता हूं।
मैं: ओह फिर ठीक है सर, शाम को मिलते है।
मैंने ये बात शरारत भरी आवाज में उनके हाथ और कसते हुए कही। अब मैं रात की तैयारियां करने लगी। अच्छे से नहा कर मेक अप परफ्यूम करके मैंने बहुत ही टाइट जींस और ऊपर ढीली ढाली कुर्ती पहन ली, जिसमें मेरा एक एक अंग सर जी को अपनी ओर खींचे। सर ने मुझे 7 बजे का समय दिया था। लेकिन उन्हें तड़पाने के लिए मैं जान बूझ कर 8:30 बजे पहुंची।
मैंने घंटी बजाई, तो उन्होंने दरवाजा खोला। उनकी तड़प उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। लेकिन मेरी जवानी देख कर वो पूरे पिघल गए। उन्होंने चुप-चाप मुझे अंदर बुलाया, और दरवाजा बंद कर दिया। मैं उन्हें छेड़ते हुए बोली-
मैं: सर, क्या बात है, आप दरवाजा बंद क्यों कर रहे है?
सर घबरा गए।
सर: ओह नहीं, सॉरी, अभी खोलता हूं।
इतने में ही मैंने उनकी बाजू पकड़ कर उन्हें रोका।
मैं: नहीं-नहीं, मेरी निजी बातों को कोई सुन लेगा।
अब सर मेरे लिए चाय-पानी लाने जाने लगे, कि मैंने उन्हें रोक कर बिठा लिया। मैं लगभग उनकी जांघों पर बैठ चुकी थी।
मैं: सर छोड़िए ना फॉर्मेलिटी। आप बस शुरू कर दीजिए।
सर (घबराते हुए): जी क्या? क्या शुरू करना है?
मैं उनकी छाती सहला रही थी।
मैं: ओह मेरा मतलब है, मेरी समस्या पर विचार करना शुरू करिए ना।
सर: रीटा जी आप वैसे काफी सुंदर लग रही हो।
मैं: बस सुंदर?
सर: रीटा जी कुछ गलत हो जाएगा।
मैं (सर की जांघ सहलाते हुए): मेरी जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं है।
अब मैं पैंट के ऊपर से सर का लंड मसलने लगी। सर भी गरम होने लगे। उन्होंने मेरे चूचे दबाने शुरू किए।
सर: रीटा जी मैं बहुत अकेला हूं।
मैं: सर, प्लीज़ अब अपनी और मेरी जरूरत पूरी करो, बहुत कड़क है आपका।
मैंने जिप खोल कर लवड़ा बाहर निकाला और सुपाड़ा सहलाने लगी। अब सर अपना आपा खो चुके थे। उन्होंने मुझे जोर का तमाचा मारा और मेरे मुंह में लवड़ा भर दिया। आह कितना मोटा है सर का। मममम मैं भूखी कुतिया की तरह खा रही थी औजार। सर ने एक झटके में मेरी कुर्ती फाड़ डाली। अब मेरी चूचियां बिल्कुल नंगी हो गई थी। सर मेरे मम्मों पर ताबड़तोड़ टूट पड़े।
सर: आह रीटा, मैं बहुत दिनों से प्यासा हूं।
मैंने उन्हें दूध पिलाना शुरू कर दिया और अपनी जींस उतार दी। सर के लंड को लगातार चूसने लगी बहुत तेज। इससे उनका जोश सातवें आसमान तक पहुंच गया।
सर: आह रीटा आह, खाओ इसे ओह मैं मरने वाला हूं।
और सर ने अपना गाढ़ा गरम-गरम सफेद पानी मेरे गले में छोड़ दिया। फिर मैंने उन्हें थोड़ा पुचकारा और उन्हें नंगे ही छत पर ले गई। वहां मैंने फिर उनका लौड़ा कड़क किया और अपनी दोनों टांगे रेलिंग पर रख कर चूत मरवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने उनका लौड़ा पकड़ कर चूत पर टिकाया।
मैं: सर इस काली रात में मेरी चूत की चांदी कर दो प्लीज।
सर: ओह रीटा।
ये बोलते ही उन्होंने मुझे कस के पकड़ ताकि गिर ना जाऊं, और जोरदार झटके देकर मेरी बच्चेदानी तक चोट दी। इतने दिनों बाद चुदा कर मेरी कराह निकल पड़ी।
मैं: आह आह मां आह सर चोदते रहो।
सर: पक्का?
मैं: हां मेरे राजा, मुझे सारी खुशियां दे दो।
सर: आह रीटा आह ये लो आह मेरी रानी!
आह आह पच पच पक पक करके छत के कमरे में चुदाई की कामुक आवाजें छा गई। उनकी गति हर पल बढ़ती ही जा रही थी। मेरी चूत का दाना बहुत संतुष्ट हो रहा था। उफ्फ सर ने मुझे बहुत चोदा। फिर हम नीचे जा कर नहा लिए और खाना खाने लगे। फिर सर मुझसे मेरे बच्चों की बात करने लगे लेकिन मेरी चूत को अभी और मसाला चाहिए था।
मैं: सर। सुनिए, ये सब बात तो होती रहेगी, लेकिन आप मेरी गांड मारना भूल गए है।
और ये कह कर मैं फिर नंगी हो कर उनकी जांघ पर बैठ गई।
मैं: बताइए ना कैसे मारोगे गांड?
सर: ओह रीटा तुम तो बहुत चुदक्कड़ औरत हो।
और उन्होंने मुझे डाइनिंग टेबल पर ही झुका दिया और मेरी गांड में थूक और वेसलिन लगाने लगे। अब उन्होंने मेरी टाइट गांड में लोड़ा उतार दिया और मेरे चिल्लाने के बाद भी मुझे बेरहमी से चोदने लगे।
सर: साली रंडी रीटा। गांड मरवाने का इतना ही शौक है तो चिल्लाती क्यों है?
मैं: उफ्फ सर, राजा बस चोदते रहो जोर से, खूनम-खून कर दो, इतने दिन हो गए।
आह फिर सर घंटे तक मेरी गांड की चुदाई करते रहे, और फिर से सारा माल अंदर ही झाड़ गए। अब मैंने खुश हो कर उन्हें जोरदार स्मूच दी और हम एक साथ नंगे सो गए। दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी कहानी, rita.suvansiya@gmail.com पर मेल करके जरूर बताइए।