दर-दर की ठोकर खा कर फिर एक बार ठुकी

पिछला भाग पढ़े:- हर मोड़ नई परीक्षा

दोस्तों आपने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा कैसे रातों रात मेरी चुदाई की हसरतें बिखर गई, जब मेरे बच्चों ने मेरी हवस का नंगा नाच अपनी आंखों से देख लिया। अब सभी रिश्तेदारों-दोस्तों में मेरे रांडपने का भांडा फूट चुका था। मेरे पति को मौका मिल गया मुझे बदनाम करने का, और अपनी रखैल के साथ रंगरलियों पर पूरी तरह पर्दा डालने का।

उसने बिना देर किए मुझसे मेरे बच्चों को अलग कर दिया, और मुझसे अलग रहने लगा। हालांकि उसने मुझसे तलाक़ नहीं लिया, क्योंकि फिर उसे मुझे गुजारा भत्ता देना पड़ता। अब मेरे किस्से इतने मुखर हो चुके थे कि शैलेश भी अपनी बड़ी पदवी के चलते मुझसे दूर रहने लगा। उन्होंने मुझसे अनजाना व्यवहार शुरू कर दिया, और एक हद तक मुझे बिकाऊ रंडी की तरह देखने लगे।

मेरी सारी दुनिया उजड़ सी गई। मुझे मेरे बच्चों की याद पल-पल सताती। अब मेरे पास कोई सहारा ना बचा। मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली, और रंगरलियां मनाने लगा। हालांकि वो अब भी मेरा खर्चा उठाता था, क्योंकि उसने प्रॉपर्टी के बंटवारे के डर से मुझे औपचारिक तलाक नहीं दिया था।