दीदी ने सिखाया मुझे सेक्स करना-1

जब मैं उन्नीस साल का हुआ, पहली बार मौका मिला किसी को छूने का, महसूस करने का और उन चीज़ों को समझने का जो कई लड़के बहुत जल्दी समझ जाते हैं। और यह सब मुमकिन हुआ मेरी प्यारी सुधा दीदी की वजह से।

उससे पहले मैं आपको सुधा दीदी के बारे में बताता हूं। वह मेरी बड़ी बहन है और मुझसे लगभग सात साल बड़ी है। लेकिन उनके शरीर की बनावट ऐसी थी कि कोई भी पहली नज़र में ही खिंच जाए।

सुधा दीदी की त्वचा एक-दम साफ़ और हल्की गेहुँआ रंग की थी, जो रोशनी में और भी निखरती थी। उनका चेहरा गोल था, लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींचते थे उनके मोटे और हल्के गुलाबी होंठ। जब वो बिना कुछ कहे मुस्कुराती थी, तो लगता था जैसे कुछ कह रही हों।

उनकी छाती बड़ी और भरी हुई थी। ब्लाउज़ या साड़ी के अंदर से उनके स्तनों का उभार साफ़ नज़र आता था। जब वो चलती थी तो स्तनों का हिलना इतना स्पष्ट था कि मैं अपनी नज़रें हटा नहीं पाता था। कई बार ऐसा भी हुआ कि उनका ब्रा ना पहनना भी साफ़ दिखता था, हल्की-सी ठंड में उनके निप्पल कपड़ों के बाहर से उभरे हुए नज़र आते थे।

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