दो गायें और दो सांड-1

पिछली कहानी “मेरी गांड फाड़ चुदाई” में आपने पढ़ा के किस तरह संदीप मेरी सच में ही गांड फाड़ चुदाई की। संदीप तो मेरे साथ चुदाई के पक्के रिश्ते बनाना चाहता था, मगर मेरा ही उसूल था कि मैं अपने ही शहर के किसी मर्द के साथ चुदाई के पक्के रिश्ते नहीं बनाती थी। मगर संदीप ने चुदाई ही इतनी मस्त की थी मेरा मन तो था उसके साथ दुबारा चुदाई करने का।

मैंने सदीप को कहा के अगर कोइ ख़ास प्रोग्राम बना तो मैं उसके साथ चुदाई जरूर करवाऊंगी। और वो ख़ास प्रोग्राम मेरे दिमाग में था दो गायें और दो सांड, मतलब दो चूतें और दो लंड। अदल-बदल कर चुदाई – एक-दूसरे के सामने।

जब मैंने संदीप को ये बताया तो संदीप को भी ये आईडिया बहुत पसंद आया। वो बोला, “जल्दी से बनाईये प्रोग्राम मैडम, मेरा तो लंड अभी से खड़ा होने लगा है।”

मैंने हंसते हुए कहा, “संदीप तेरा लंड बैठता ही कब है साले ये तो हमेशा ही खड़ा रहता है। थोड़ा सब्र कर ले। दूसरी गाये और दूसरा सांड तो ढूंढने दे।”

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