पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-11
(निकहत की ट्रेनिंग, खुल कर चूत और गांड चुदाई करवाने के लिए )
नसरीन बोल रही थी और मैं सुन रही थी, “अब मालिनी जी भला ये क्या बात हुई। जब चूत पानी छोड़ती है तब तो चूतड़ अपने आप ही हिलने लगते है। चुदाई करवाते वक़्त भी तो लड़की को चूतड़ झटकाने चाहिये जैसे मैं और आप झटकाती हैं। फिर मालिनी जी मैंने सोचा, अगर निकहत सिर्फ सीधी-सादी चुदाई ही करवाती है तो, भला चुदाई के वक़्त कुछ बोलती तो होगी ही नहीं। और वो मूतना-मवाना वो तो फिर दूर की बात है।”
नसरीन की बातें सुन कर मैंने कहा, “लेकिन नसरीन ये तो हर लड़की, औरत की अपनी-अपनी सोच है। इसमें भला मैं क्या करूंगी? मैं उसे कैसे कहूंगी ये सब करने के लिए?”
नसरीन बोली, “मालिनी जी अगर ये काम आप नहीं कर सकती तो भला और कौन कर सकता है? मैं तो सोच रही थी रात भर कि लिए निकहत को आपके पास छोड़ दूंगी। बाकी आप संभाल लेना।”
नसरीन के बात सुन कर मुझे भी लगा कि नसरीन चाहती थी कि निकहत को भी वैसा मजा लेना चाहिए और मजा देना चाहिए – जैसा मैं लेती हूं, जैसा नसरीन लेती है और जैसा रागिनी भी लेती है। फिर निकहत तो अभी जवान है। जवानी में चुदाई का मजा नहीं लेगी तो कब लेगी? निकहत को भी सीधी-सादी वाली चुदाई से आगे जाना चाहिए। उसे भी असलम से गांड चुदवानी चाहिए उससे अपने ऊपर मुतवाना भी चाहिए। मगर मैं जानती थी निकहत एक घरेलू माहौल में पली बड़ी हुई लड़की थी, उसे ये बातें उसे गंदी लगती थी। बस उसकी यही झिझक मुझे दूर करनी थी।
नसरीन की बात जारी थी, “बाकी मालिनी जी आपके यहां से वापस आने के बाद असलम की मेरे साथ चुदाई शुरू हो चुकी है। इस एक महीने में असलम मुझे दो बार चोद चुका है। चूत के साथ-साथ गांड भी। आप तो जानती ही है के असलम को गांड चुदाई का बहुत शौक है। बस निकहत की गांड ना मिलने से थोड़ा तंग रहता है। अब मालिनी जी निकहत जैसी टाइट गांड तो अब हमारी है भी तो नहीं।”
फिर नसरीन बात जारी रखते हुए बोली, “वैसे तो ये गांड वाला शौक सभी मर्दों को होता है। बशीर भी मेरी गांड चोदता था, जमाल भी चोदता था और अब ये असलम भी चोदता है, और तो और संदीप भी गांड चुदाई में कम नहीं है।”
नसरीन बता रही थी, “जब भी ये असलम मेरी गांड में लंड डालने लगता है निकहत की गांड जिक्र जरूर करता है। मेरे साथ बहुत बार बात कर चुका है और मुझसे कहता है कि मैं निकहत से बात करूं। अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं कैसे बात करूं। फिर मैंने सोचा आप एक मनोचिकित्स्क हैं। इस बात में आपकी समझ और तजुर्बा हमसे कहीं ज्यादा है। बस इसीलिए हम उस कानपुर ला रहे हैं। और मालिनी जी ये कानपुर वाला आडिया मेरा ही था और असलम को भी ये पसंद आया।”
मैंने फिर कहा, “लेकिन नसरीन निकहत तो मुझे बहुत छोटी है और चुदाई में हम लोगों की तरह की शौक़ीन भी नहीं। मुझे उससे इस तरह की बात करने के लिए उसे पहले उसकी झिझक उतारनी होगी। उसके लिए मुझे कुछ आगे तक भी जाना पड़ सकता है, इसमें टाइम भी लग सकता है। तुम समझ रही हो ना नसरीन?”
नसरीन बोली, “मालिनी जी जो आप कह रही हैं मैं समझ रही हूं। आपको उससे साफ़-साफ़ बात भी करनी पड़ सकती ही। उसके मन से चुदाई का डर आपको हो सकता है। उसकी गांड में कोइ रबड़ का लंड भी डालना पड़े या कुछ ऐसा ही करना पड़े।” ये कह कर नसरीन चुप हो गयी।
मैंने कहा, “हां नसरीन यही बात है।”
नसरीन बोली, “मालिनी जी मैं और असलम इस बारे में बात कर चुके हैं। जो आपको ठीक लगे वो आप करिये। जहां तक वक़्त की बात है, मैं कह ही चुकी हूं, शनिवार रात को भी निकहत को अपने पास रख लिजीयेगा।”
फिर भेद भरे लहजे में बोली, “और मालिनी जी नयी-नयी जवान लड़की है। आपके साथ एक बार खुल गयी तो मस्त चूसेगी आपकी चूत और गांड और आपको भी मजा आएगा उसकी चूत चूसने का। खूब नमकीन पानी छोड़ती होगी। जवान लड़कियों की चूत तो पानी भी बहुत छोड़ती है।” ये कह कर नसरीन हंस दी।
मैंने कहा, “अगर ये बात है नसरीन तो फिर आ जाओ, देखते हैं क्या हो सकता है और कितना हो सकता है। मेरे मुंह में तो अभी से निकहत की चूत का नमकीन स्वाद आने लगा है।” ये सुन कर मैं भी हंस दी और नसरीन भी हंस दी।
फिर मैंने कहा, “एक बात बताओ नसरीन, क्या असलम ने निकहत को वो चुदाई वाली फिल्म दिखाई है? वैसे नसरीन मुझे लगता है नहीं दिखाई होगी। जो लड़की गांड में लंड नहीं लेने में इतना हिचकिचाती है, वो चुदाई वाली फिल्म भी आसानी से नहीं देखेगी। चलो खैर आ जाओ फिर देखते हैं।” ये कह कर मैंने फोन काट दिया।
शुक्रवार रात को ही असलम का फोन आ गया, “मालिनी जी हम पहुंच गए है। निकहत भी है और अम्मी भी है। बताईये कल कितने बजे आएं?”
मैंने कहा, “दस ग्यारह बजे तक आ जाओ। नाश्ता यहीं करना। इकट्ठे नाश्ता करेंगे तो निकहत थोड़ा खुल भी जाएगी।”
असलम बोला, “ठीक है मालिनी जी, ग्यारह बजे तक पहुंचते हैं। नाश्ते के बाद मैं और अम्मी मार्किट का काम कर लेंगे और शाम को निकहत को ले लेंगे।”
मैंने हंसते हुए कहा, “ले लेना निकहत को अगर वो जाना चाहेगी और मेरे पास नहीं रुकना चाहेगी तो। अगर वो रुक जाती है तो तुम मजे करना अपनी अम्मी के साथ पूरी रात। वियाग्रा दे दूंगी तुम्हे बढ़िया चुदाई के लिए।”
असलम भी हंसते हुए बोला, “ठीक है मालिनी जी। मगर इस बार जब मैं परसों आऊंगा तो आपकी चुदाई भी वियाग्रा खा कर ही करूंगा। परसों अम्मी निकहत को कानपुर घुमाने ले जाएगी।”
मैंने भी उसी तरह हंसते हुए कहा, “निकहत को घुमाने ले जाएगी या बहाने से तुम्हें मुझे चोदने के लिए भेज रही है? ठीक है, वियाग्रा खा कर चोद लेना। कहो तो रागिनी को भी बुलवा लूं?”
असलम ने कहा, “नहीं मालिनी जी इस बार नहीं। इस बार आपको ही हर तरह से चोदने का मन है वो भी पूरा दिन। और हां मालिनी जी वो जो चुदाई वाली फिल्म वाली बात अम्मी से की थी कि मैंने वो फिल्म निकहत को दिखाई या नहीं, तो मालिनी जी नहीं दिखाई। यही सोच कर कि जो लड़की गांड में लंड लेने में ही शर्माती हिचकिचाती है, वो ऐसी फिल्म कैसे देखेगी। बस मालिनी जी यही हिचकिचाहट तो उसकी दूर करनी है।”
मैंने कहा, “असलम पक्के गांड चोदने के शौकीन, तुम एक नंबर के गांडू हो।”
असलम हंसते हुए बोला, “मालिनी मैं ही क्यों, संदीप भी तो शौकीन है। जमाल भी अम्मी की गांड चोदता था। और अम्मी भी कई बार मुझसे गांड ही चुदवाती है चूत नहीं। पता नहीं अब्बू अम्मी की गांड चोदते थे या नहीं।”
मुझे तो नसरीन बता ही चुकी थी कि बशीर भी उसकी गांड में लंड डालता था। फर्क था कि उस वक़्त नसरीन मना नहीं कर पाती थी। आज का वक़्त अलग है। चुदाई में अगर कोइ चीज़ लड़कियों को नहीं पसंद तो वो साफ बोल देती हैं।
खैर, मैंने जोर से हंसते हुए कहा, “असलम गांड चुदाई में मेरा शौक क्यों भूल गया? चलो आओ कल, फिर देखते हैं।”
अगले दिन पौने ग्याह बजे मेरे यहां आ गए। निकहत गज़ब की सुन्दर थी – पांच फुट आठ साढ़े आठ इंच लम्बी। मस्त जिस्म, उभरे हुए मम्मे, मांसल चूतड़ 36-24-38 का सेक्सी जिस्म। किसी का भी मन निकहत की गांड चोदने का हो जाएगा। अगर उसका शौहर असलम ही उसकी गांड चोदना चाहता है, तो क्या गलत करता है? निकहत के गोरे गुलाबी रंग को देख कर मैंने सोचा इसकी तो चूत कितनी गुलाबी होगी। मेरे मुंह में फिर निकहत की जवान चूत की पानी का स्वाद आने लगा।
हम तीनों ऊपर आ गए। मैंने प्रभा को आलू के परांठे बनाने को बोल दिया। साथ प्रभा ने बूंदी और पुदीने का रायता और अनार का जूस निकाल लिया।
नाश्ता करके हम नीचे क्लिनिक में आ गए।कुछ देर बैठने के बाद असलम बोला, “चलिए अम्मी आज बहुत जगह घूमना है, सामान भी बहुत लेना है।”
नसरीन उठी तो मैंने कहा, “रुको, शंकर आ गया होगा, उसे भेज देती हूं, नहीं तो ऑटो टैक्सी में धक्के खाने पड़ेंगे।”
असलम और नसरीन के जाने के बाद मैंने बात शुरू करते हुए पूछा, “निकहत तुम नहीं गयी अपने अम्मी और असलम के साथ?”
निकहत बोली, “आंटी अम्मी कह रही थी आज उन्हें मार्किट और फैक्ट्रियों में घूमना हो, मैं वहां बोर हो जाऊंगी। इसलिए अम्मी मुझे आपके पास छोड़ गई है। आंटी अम्मी कह रही थी आप बहुत मस्त-मस्त बातें करती हैं।” ये बोल कर निकहत हंस दी। खिलखिला कर हंसती निकहत और भी अच्छी लग रही थी।
मैंने बस इतना ही कहा, “अच्छा? ऐसा कह रही थी नसरीन?”
इतना बड़े घर में मुझे अकेला रहते देख निखत हैरान सी थी। निकहत बोली, “आंटी एक बात पूछूं, इतने बड़े घर में आप अकेली रहती हैं? आपको डर नहीं लगता?”
मैंने कहा, “डर किस बात का बेटा, चैबीसों घंटे चौकीदार यहीं रहता है। मेरी कामवाली प्रभा भी इसी घर में रहती है।”
निकहत बोली, “आंटी अम्मी बता रही थी के आप बहुत मशहूर मनोचिकित्स्क हैं। अपने मनोचिकित्सा पर किताबें भी लिखी हैं। बाहर के देशों में भी आप लेक्चर देने जाती हैं। आंटी आप इतनी उम्र की तो नहीं लगती। अम्मी के बराबर ही लगती है। फिर इतनी सी उम्र में इतना कुछ?”
मेरे हिसाब से निकहत के साथ बात सही दिशा की तरफ जा रही थी। मैंने कहा, “मुझे तुम्हारी अम्मी की उम्र तो नहीं पता, मगर मेरी उम्र बावन साल है।”
निकहत बोली, “बावन साल आंटी? आप तो अम्मी से सात आठ साल बड़ी हैं। मगर आप तो बहुत फिट हैं, अम्मी से छोटी ही लगती हैं।”
मैंने कहा, “चलो मैं तुम्हें अपनी फिटनेस का राज बताती हूं।”
ये कह कर मैं निकहत को पीछे कमरे में ले गयी। निकहत को कमरों के बारे में बताते हुए मैंने कहा, “ये क्लिनिक के साथ का कमरा है, आराम करने और कई दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल होता है। ये दरवाजा”, मैंने कमरे के आगे लगे दरवाजे की तरफ इशारा करके बोला, “ये दरवाजा छोटे से जिम में खुलता है जिसमें मेरी कसरत की मशीनें रखी हुई हैं।”
मैं निकहत को जिम में ले गयी और मशीनों के बारे में बताने लगी, “निकहत इनके बारे में तो तुम्हें पता ही होगा, ये ट्रेडमिल है। पूरे शरीर को फिट रखने के लिए। दूसरी तरफ वो वजन ऊपर नीचे करने वारी मशीन जिससे छाती पर चर्बी नहीं बैठती, और वो वाइब्रेटर बेल्ट है, जिसे कमर में लगा कर मशीन चालू करते हैं और बेल्ट वाइब्रेट करती है, इससे कमर और चूतड़ों पर चर्बी नहीं बढ़ती।” ये बोलते हुए मैंने निकहत के चूतड़ों को हल्का सा दबा दिया और बोली, “चूतड़ बिलकुल ऐसे ही सख्त बने रहते हैं।”
निकहत शर्मा गयी और मेरी तरफ देखा मगर बोली कुछ नहीं। फिर मैंने दूसरी मशीनों की तरफ इशारा करते हुए कहा, “बाकी ये भी हल्की-फुल्की कसरत की मशीनें हैं।”
हम वापस क्लिनिक के पीछे वाले कमरे में आ गए। मैंने निकहत को बताया, “हफ्ते में दो-तीन बार मेरी मालिश करने वाली आती है। कभी अगर ज्यादा थकान हो जाए तो चार बार भी। पूरे जिस्म की मालिश करती है, ऊपर-नीचे, आगे-पीछे, जिससे जिस्म कड़क रहता है।”
निकहत मेरे जिस्म को देखते हुए बोला, “आंटी जिस्म तो आपका कड़क ही लग लग रहा है। बिलकुल जवान लड़कियों जैसा।”
मैंने कहा, “लग नहीं रहा निकहत, है ही कड़क। खुद ही देख लो।” ये कह कर मैंने अपने कपड़े उतार दिए। निकहत ने सोचा नहीं होगा में ऐसा कुछ कर दूंगी। मेरे खड़े मम्मे और उभरी हुई चूत की फांकें, फांकों के बीच दिखाई देती चूत की लाइन।
निकहत की नज़र मेरी चूत से हट ही नहीं रही थी। मैंने निकहत का हाथ पकड़ कर अपनी और खींचते हुए कहा, “निकहत छू कर दबा कर देखो।”
मैंने तो निकहत को अपने मम्मे छूने और दबाने के लिए बोला था। मगर निकहत का हाथ मेरी चूत पर चला गया और निकहत अपनी उंगली चूत की फांकों के बीच चूत की लाइन पर ऊपर-नीचे करने लगी।निकहत के गाल और ऑंखें गुलाबी हो गयी थी। निकहत की आवाज कांपने लगी थी। कांपती आवाज में निकहत बोली, “आंटी आपकी ये तो बहुत सेक्सी है।” निकहत की चूत नीची चूत थी, जिसकी फांकें दिखाई ही नहीं देती, मेरे ऊंची चूत की फांकें देख कर निकहत मस्त जो गयी थी।
मैंने निकहत का मम्मा दबाते हुए कहा, “मेरी क्या?” निकहत ने मेरी चूत को हल्का दबाते हुए कहा, “आपकी ये आंटी।” मैंने निकहत का मम्मा जरा जोर से दबाया और बोली, “मेरी क्या निकहत? मेरी चूत, मेरी फुद्दी? खुल कर बोलो निकहत तभी?”
निकहत वैसे ही शर्माती हुई बोली, “जी आंटी, आपकी ये, आपकी फुद्दी।” निकहत का हाथ अभी भी मेरी चूत पर ऊपर-नीचे हो रहा था। मैंने निकहत से पूछा, “और निकहत तुम्हारी फुद्दी कैसी है? ऐसी नहीं है?”
निकहत ने ना में सर हिलाया मगर अपनी फुद्दी के बारे में ना बोल कर मुझसे पूछा, “आंटी अम्मी बता रही थी कि आपने शादी नहीं की। आंटी आपके पास इतना पैसा है, आपका जिस्म अभी इतना अच्छा है, तो जवानी में तो और भी कमाल का रहा होगा। और फिर आंटी आप कैसे काम चलाती हैं, मेरा मतलब ……..।” अपनी बात अधूरी छोड़ निकहत ने एक बार मेरी चूत जोर से दबा दी और अपना हाथ चूत से हटा लिया।
मैंने निकहत से कहा, “खुल कर बोलो निकहत शर्माओ मत। मैं एक मनोचिकित्स्क डाक्टर हूं, मुझसे लोग खुल कर बात करते हैं। तुम्हारा मतलब फुद्दी की चुदाई से है?”
निकहत ने हां में सर हिला दिया मगर बोली कुछ नहीं। मैंने निकहत के मम्मे से हाथ हटाया और निकहत को सोफे पर बिठाया। मैंने निकहत की जांघ पर हाथ रखते हुए हाथ नीचे की तरफ किया और उसकी नीचे वाली चूत को हल्का सा छुआ और बोली, “निकहत बेटा शादी जरूरी होती है, क्योंकि हमारा समाज, हमारी सोसाइटी का ऐसा मानना है, मगर फुद्दी, चूत के मजे के लिया शादी की जरूरत नहीं होती। ये मजा बिना शादी के भी लिया जा सकता है। वैसे निकहत फुद्दी के मजे के लिये और भी जुगाड़ हैं मेरे पास।”
मैं जान-बूझ कर चूत की जगह फुद्दी शब्द का इस्तेमाल कर रही थी। फुद्दी चूत से ज्यादा सेक्सी शब्द होता है। और आज मेरा मकसद ही निकहत को खुली चुदाई के लिए तैयार करना था – और साथ ही उसकी चूत – फुद्दी का रसपान भी करना था और साथ ही निकहत के मुलायम चूतड़ चाटने भी थे।
निकहत ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और हल्का-हल्का मेरा हाथ अपनी चूत पर दबाने लगी। लग रहा था निकहत की चूत मेरी बातों से गर्म होने लगी थी। उधर मेरे मुंह में निकहत की चूत के नमकीन पानी का स्वाद आने लगा। निकहत कंपकपाती हुई आवाज में बोली, “जुगाड़ आंटी? कैसे जुगाड़?”
मैंने कहा, “देखोगी?”
निकहत ने सर हां में हिला दिया।
मैंने कहा, “तो निकहत तुम्हें मेरी एक बात माननी पड़ेगी।”
निकहत वैसे ही कांपती आवाज में बोली, “क्या बात आंटी?”
मैंने कहा, “तुम्हें भी मेरी तरह अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे।”
निकहत केवल इतना ही बोली, “जी?”
मैंने कहा, ”अरे निकहत मैंने कहा अपने कपड़े उतार दो, मेरी तरह नंगी हो कर बैठो। मेरे फुद्दी के जुगाड़ देख कर बड़ा मजा आने वाला है।”
निकहत अपनी जगह से नहीं हिली।
मैंने ही कहा, “निकहत बेटा शर्मा क्यों रही हो?”
फिर मैंने वही डायलॉग बोला जो मैंने कभी कुंवारी उन्नीस साल की मानसी को बोला था जो किन्हीं हालात के चलते अपने पापा आलोक से चुदाई के चक्कर में पड़ गयी थी (पढ़ें कहानी बाप बेटी की चुदाई), “निकहत जैसी तू वैसी ही मैं, जो तेरे पास ऊपर-नीचे वही मेरे पास भी ऊपर नीचे। जो-जो अपनी फुद्दी के साथ तू करवाती है, वही-वही अपनी फुद्दी के साथ मैं भी करवाती हूं। जो-जो तू अपनी गांड के साथ तू करवाती है, वही वही मैं भी करवाती हूं। फिर भला आपस में क्या शर्माना?” गांड वाली बात मैंने जान-बूझ कर बोली थी।
ये कह कर मैंने निकहत की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी चड्ढी में हाथ डाल कर उसकी चूत – फुद्दी में उंगली डाल दी। बैठी हुई निकहत की नीचे वाली फुद्दी मैं उंगली अंदर नहीं जा रही थी। निकहत मेरा मकसद समझ गयी और खड़ी हो कर अपनी एक टांग उठा कर सोफे पर रख दी – मतलब निकहत को पता था के कैसे उंगली उसकी नीचे वाली फुद्दी में अंदर तक जाएगी। अब निकहत को मेरी उंगली फुद्दी के अन्दर तक चाहिए थी।
मैंने उसे खड़ा करके उसके होंठ अपने होठों में ले लिया और उसकी फुद्दी में उंगली ऊपर-नीचे, अन्दर-बाहर करने लगी। निकहत के चूतड़ हिलने लगे। मतलब अब निकहत को “चुदाई के जुगाड़” दिखाने का वक़्त आ गया था।
मैंने निकहत को छोड़ा और अलमारी में से रबड़ के लंड निकालने चल पड़ी। अलमारी में “जैसलमेर जिन” की नयी बोतल पड़ी थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बोतल खोल कर मुंह से लगा कर तीन मोटे-मोटे घूंट भर लिए।
अब तो मेरे पाठक जान ही चुके होंगे के मैं चुदक्कड़ ही नहीं पियक्क्ड़ भी हूं। जम कर चुदवाती हूं, जम कर पीती भी हूं। चारों रबड़ के लंड निकाल कर मैं मुड़ी तो देखा निकहत अपने कपड़े उतार रही थी।
निकहत का जिस्म कमाल का था – एक-दम कसा हुआ – सॉलिड, जैसा ज्यादातर पंजाबनों का होता है, कुंवारी उन्नीस साल की मानसी से भी ज्यादा कसा हुआ। खड़े सख्त मम्मे, उभरे हुए निप्पल, बड़े-बड़े मुलायम चूतड़। मन तो कर रहा था कि निकहत को बिस्तर पर लिटा कर बोलूं, “साली निकहत चुसवा अपनी फुद्दी का पानी मुझे, चटवा अपने चूतड़ों का छेद।”
नंगी निकहत को देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं निकहत को बाहों में लेकर मैं उसके होंठ चूसने लगी। मैंने निकहत का हाथ पकड़ कर पीछे अपने चूतड़ों पर रख दिया और अपने उंगली निकहत की चूत पर फेरने लगी। निकहत मेरे चूतड़ों की दरार में अपनी उंगली करने लगी – मेरी गांड का छेद ढूंढ रहे होगी। लग ही रहा था के घरेलू लड़की निकहत के लिए ये सब नया-नया सा है।
जल्दी ही निकहत के चूतड़ हिलने लगे। मैं समझ गयी निकहत की फुद्दी गर्म हो चुकी है। अब उसे रबड़ के लंड दिखाने का वक्त आ गया था। मैंने निकहत के होंठ छोड़े और निकहत को अपने से अलग किया।
निकहत बोली, “क्या हुआ आंटी। बड़ा ही मजा आ रहा था।” मतलब निकहत अभी और मस्ती करना चाहती थी।
मैंने कहा, “बेटा पहले मेरे जुगाड़ तो देख लो, ये सब तो बाद में भी कर लेंगे। मैं तो आज रात को भी तुम्हे यहीं रखने का सोच रही हूं।”
तभी निकहत को पता नहीं क्या हुआ, निकहत ने मेरे मम्मे का निप्पल अपने मुंह में ले लिया और मेरी चूत पर हाथ फेरने लगी। मैं समझ गई के अब ये लड़की हटने वाली नहीं। इसकी फुद्दी पूरी तरह से गर्म हो चुकी है, अब ये अपनी चूत का पानी छुड़ा कर ही हटेगी।
मैं भी निकहत की चूत का दाना ढूंढने लगी। नीची फुद्दी वाली निकहत की तो चूत ही मुझे नहीं मिल रही थी। निकहत ने पहले की ही तरह अपने एक टांग सोफे पर रख दी। अब ठीक था। मेरी उंगली ने निकहत की फुद्दी का दाना ढूंढ लिया और मैं दाने को मसलने लगी।
जल्दी ही निकहत ने मुझे कस कर पकड़ लिया और एक सिसकारी ली, “आह ……..आंटी क्या कर दिया आपने, मजा आ गया मुझे।”
निकहत की फुद्दी पानी छोड़ गयी थी, लेकिन अब मेरी फुद्दी गरम हो चुकी थी। मैंने अपनी एक टांग उठाई और सोफे पर रख दी और मैंने निकहत की उंगली पकड़ी और अपने चूत के दाने पर ऊपर-नीचे करने लगी। निकहत समझ गयी मैं क्या चाहती हूं। आखिर को निकहत ने भी तो ऐसी ही मजा लिया था।
निकहत बढ़िया से मेरी चूत का दाना रगड़ रही थी। जल्दी ही मुझे भी मजा आने वाला हो गया। मैंने निकहत को कस कर पकड़ लिया और बोली, “और जोर से रगड़ मेरी बेटी और जोर से।” मैंने निकहत के होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगी। निकहत जोर-जोर से मेरी चूत का दाना रगड़ने लगी। तभी मुझे भी मजा आ गया। मेरे मुंह से निकला, ”आआह निकहत मजा आ गया मुझे भी।”
जैसे ही मेरी फुद्दी ने पानी छोड़ा, मैं निकहत को लेकर बिस्तर पर गयी और हम दोनों बिस्तर पर ढेर हो गए। पंद्रह मिनट के बाद जब मजा खत्म हुआ तो हमारी चुस्ती-फुर्ती लौटी। हम दोनों उठे और जा कर सोफे पर बैठ गए। निकहत शर्मा सी रही थी। मैंने निकहत से पूछा, “निकहत मजा आया?” साथ ही मैंने निकहत का मम्मा दबा दिया।
निकहत मेरे हाथ को अपने मम्मी पर दबाती हुई बोली, “बहुत मजा आया आंटी। कमाल हो गया। ऐसे भी मजा आता है?” मैंने अपना हाथ निकहत के मम्मे से हटाया और उसकी चूत पर ऊपर-नीचे करते हुए कहा, “निकहत अभी फुद्दी के मजे लेने वाले असली के जुगाड़ तो देखे ही नहीं ये तो उंगलियों से ही मजा आ गया।”
मेरी और निकहत की चूत की मजे की मस्ती उतर चुकी थी। निकहत बोली, “आंटी आज तो ऐसा ही मजा आया है जैसा जब असलम मेरी फुद्दी मारता है तब आता है।”
“फुद्दी मारता है – गांड मारता है।” फुद्दी गांड चोदता नहीं मारता है। ये हम भारतियों का ख़ास स्टाइल है। हम भारतीय लोग फुद्दी गांड चोदना नहीं मारना बोलते हैं। अब निकहत खुलने लगी थी। निकहत ने पूछा, “आंटी आपके वो “जुगाड़” कहां हैं जरा दिखाईये तो मुझे भी।”
मैं उठी और टेबल से उठा कर चारों चुदाई के खिलौने निकहत के सामने रख दिए। निकहत ने एक मोटे वाल लंड उठाया और मेरी तरफ देखती हुए बोली, “ये तो बिलकुल असलम के लंड जैसा यही। ये आप अपने फुद्दी में डालती हैं? ओ माय गॉड। आंटी मैं लेकर देखू अपनी फुद्दी में?”
मैंने कहा ,”ये लो डाल लो अपने फुद्दी में ये है ही इसलिए।”
अगला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-13