पिछला भाग पढ़े:- पति की धोखेबाज़ी-5
देसी चुदाई स्टोरी में मकान मालिक की बहू किरायेदार से अपनी चूत चुदवा कर बच्चा पैदा करना चाहती थी। पर किरायेदार ने उसके पति को समझाया और दोनों के सम्बन्ध सुधारे।
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि रोज मकान मालिक की बहू किरायेदार के पास आकर अपनी चूत की प्यास बुझाने लगी। अब आगे-
अबकी बार जैसे ही मनोज शाम को घर पहुंचा, राजेश उसे अपने साथ घुमाने ले गया। उसने एक रेस्तरां में बैठ कर एक घंटे मनोज को समझाया और नशा छोड़ने को कहा।
मनोज रुआंसा होकर बोला: मुझे रागिनी हाथ नहीं लगाने देती। इसी गुस्से में मैं नशा करता हूँ।
राजेश ने उससे कहा: तुमने अपनी हालत देखी है? कितने गंदे रहते हो। ऐसे में कोई बीवी कैसे हाथ लगाने देगी?
राजेश ने मनोज को एक सैलून ले जाकर उसका हुलिया ठीक करवाया, शेव करवाई, बाल कटवाए, नाख़ून कटवाए। फिर उसे कुछ नये कपड़े दिलवाये।
घर ले जाकर उसने मनोज से कहा: जाकर खुशबूदार साबुन से रगड़ कर नहाओ और पाउडर लगा कर नए कपड़े पहन कर आओ।
मनोज पर ना जाने राजेश का क्या जादू काम किया। वह वैसा ही करता गया जैसा राजेश कह रहा था। रागिनी रसोई में खाना तैयार कर रही थी।
राजेश ने उसे आवाज देकर कहा: आज मैं भी खाना खाऊँगा सबके साथ। मेरा टिफिन भी तुम खाने में मिला लेना। हम सब नीचे चादर बिछा कर खाना खायेंगे।
रागिनी मुंह बिचका कर बोली: इस घर में ऐसा कहाँ होता है? बाबा तो अभी आकर नशा करेंगे और उनका लाडला ऊपर बैठा नशा कर रहा होगा। मेरे तो करम फूट गए यहाँ आकर!
राजेश हंस कर बोला: मैं जैसा कह रहा हूँ, वैसा करो। खाना बन गया हो तो तुम भी नहा कर कपड़े बदल कर आओ। मनोज अभी थोड़ी देर में आयेगा।
राजेश ने मनोज से कह दिया था कि नहा कर वह उसके कमरे में बैठ जाए। रागिनी कुछ समझी नहीं थी पर उसका खाना बन चुका था। वह राजेश पर बहुत विश्वास करने लगी थी। तो उसके कहने पर नहा कर साफ़ नाईटी पहन कर आ गयी। इधर राजेश ने बाबा को भी आज ना पीने को कह दिया था। तो वे और अम्मा भी बाहर दालान में बैठे थे।
रागिनी ने झुंझलाहट से कहा: अब क्या करूं?
राजेश ने उससे कहा: बाहर दालान में चादर बिछाओ और खाना लगाओ सबके लिए। और ये रखो मिठाई का डिब्बा।
खाना लगा दिया रागिनी ने और फिर उसने पूछा: मनोज कहाँ है? कहीं बाहर तो नहीं गिरा पड़ा नशे में?
राजेश ने हँसते हुए मनोज को आवाज दी।
मनोज आया तो उसे देख कर बाबा अम्मा और रागिनी तीनों चौंक गए। इतना साफ़ सुथरा तो उसे उन्होंने शादी के दिन ही देखा था।
राजेश ने उससे कहा: चल अपनी अम्मा और बाबू ज़ी के पैर छू और माफ़ी मांग!
मनोज मदारी के चेले की भांति जैसा राजेश कह रहा था, करता गया। रागिनी बहुत खुश थी। शायद इतने दिनों बाद वह मनोज के करीब बैठी थी, और उसकी थाली में से ही खा रही थी।
खाने के बाद राजेश ने कहा: आप सब जानते हो कि मैं दरोगा हूँ। अब इस घर में किसी ने शराब पी या नशा किया तो उसे थाने में बंद करा दूंगा। और मनोज, अब तुम सोमवार की सुबह 4 बजे वापिस जाया करोगे। मैं सुबह तुम्हें स्टेशन छोड़ दिया करूँगा।
अगली दो रात रागिनी के कमरे से झगड़े की आवाज नहीं आई। पहली रात तो रागिनी ने बस चूमने और हाथ लगाने दिया मनोज को, पर दूसरी रात दोनों ने सेक्स किया। हालांकि मनोज का वीर्य सारा बाहर ही बह गया पर रागिनी ने कोई झगड़ा नहीं किया। सोमवार की सुबह रागिनी तीन बजे ही उठ गयी और मनोज के लिए खाना बना कर पैक कर दिया। राजेश उसे स्टेशन छोड़ आया।
अब इसका इनाम उसे रागिनी ने ऐसे दिया, कि जैसे ही साढ़े चार बजे के करीब राजेश मनोज को छोड़ कर घर आया और अपने बेड पर लेटा, रागिनी चुपके से आ गयी और उस पर चुम्बनों की बौझार कर दी।
रागिनी ने अपना हाथ उसके बरमूडा में डाल कर लंड पकड़ लिया और नीचे झुक कर उसे चूमने-चूसने लगी।
उसने उसके लंड को थूक से गीला किया और फिर राजेश के ऊपर चढ़ कर बैठ गयी और अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत में कर लिया और लगी उछलने!
वह कह रही थी: दो रात से तड़प रही है मेरी मुनिया अपने राजा के लिए!
अब रागिनी पूरे हफ्ते चुदती। मनोज की स्थिति भी रागिनी का प्यार पाकर सुधरती गयी। राजेश ने उसका इलाज भी लोकल डॉक्टर से शुरू करवा दिया था। पर रागिनी गर्भवती नहीं हो पा रही थी।
वह तो पीछे पड़ती राजेश के: तुम्हीं मेरे बच्चे के बाप बन जाओ!
पर राजेश दूर की सोचता था। धीरे-धीरे उसके कहने पर रागिनी ने मनोज से कहना शुरू किया: अब तुम्हारी चुदाई में मजा आता है।
मनोज ने नशा बिल्कुल छोड़ दिया। अब इधर मैं भी ठीक हो गयी थी। हालाँकि मेरी डेलिवरी में दो महीने थे, पर राजेश की मां मुझे अपने घर ले आई थीं। राजेश मेरे पास आता तो था, पर मैं चुम्मा-चाटी के अलावा उसे नजदीक नहीं आने देती थी। और वो भी ज़बरदस्ती नहीं करता।
अब राजेश और रागिनी ने भगवान का नाम लेकर यह मन बनाया कि वे इस महीने से बिना डर के सेक्स करेंगे, इस उम्मीद से कि रागिनी गर्भवती हो जाए, चाहे राजेश से चाहे मनोज से! माहवारी के बाद जब उन दिनों जब गर्भधारण की उम्मीद ज्यादा थी, राजेश ने बाबा और अम्मा को बहला-फुसला कर दो दिन के लिए हरिद्वार भेज दिया।
अब वह और रागिनी घर पर दो रात के लिए अकेले थे। रागिनी अब ब्यूटी पार्लर भी चली जाती थी। अब उसके पास राजेश के दिए पैसे होते और मनोज भी उसे रूपये देता था। तय प्रोग्राम के अनुसार रागिनी दिन में पार्लर हो आई। राजेश भी समय से घर आ गया था। आज उसने बढ़िया खाने का आर्डर बाहर कर दिया था।
राजेश ने ऑफिस से निकलते ही रागिनी को फोन कर दिया कि वह उसे चौराहे के पास मिल जाए। रागिनी खूब अच्छे से तैयार होकर बाहर चौराहे पर पैदल ही पहुँच गयी। राजेश वहीँ खड़ा था। रागिनी मोटर साइकिल पर दोनों ओर पैर करके राजेश से चिपक कर बैठ गयी।
राजेश उसे एक घंटे शहर के बाहरी इलाके में घुमाता रहा। दोनों बार-बार मौक़ा देख कर चुम्मा-चाटी कर रहे थे। रागिनी ने राजेश की शर्ट के बटन खोल कर उसकी छाती पर अपनी उंगलियों से उसके निप्पल के पास घेरे बनाए शुरू किये, तो राजेश का लंड तो तन गया। उसने रागिनी का हाथ नीचे करके अपनी जींस पर लंड के ऊपर रख दिया।
रागिनी ने उसे वहीं मसल दिया। अब मामला बेकाबू हो चला था। दोनों वापिस घर आ गए। थोड़ी देर में ऑर्डर किया डिनर भी आ गया। राजेश तब तक नहा कर लुंगी पहने बैठा था। उसने डिनर रिसीव किया और रागिनी को आवाज दी खाने के लिए।
डिनर उसने अपने रूम में बेड पर ही लगा लिया था। रागिनी आई तो जतिन उसे देखता रह गया। उसने राजेश की लायी हुई छोटी सी नाईट ड्रेस पहनी थी। लाल लिपस्टिक लगाए वह बहुत सुंदर लग रही थी।
राजेश ने उसे अपने से चिपटाते हुए चूम लिया। फिर राजेश ने उसे अपनी गोद में बिठाया। दोनों ने चुम्मा-चाटी के बीच एक-दूसरे को खाना खिलाया। खाने से निबटते-निबटते रात के 9 बज गए थे। दोनों को मालूम था कि आज की रात तो सेक्स की महा-रात होगी।
आज पहली बार वह दोनों बिना किसी डर के बल्कि कहें तो गर्भ धारण करने के लिए सेक्स करने जा रहे थे। रागिनी खाने के बर्तन नीचे रख आई और सीधे राजेश की बाहों में आ समाई।
वह उसे चूमते हुए बोली: आज मेरी सूनी कोख भर दो, मैं तुम्हारा ये अहसान कभी नहीं भूलूंगी।
राजेश ने उसके होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। दोनों लिपट गए एक-दूसरे से। राजेश ने रागिनी की छोटी सी फ्रॉक के नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूत का दाना मसलना शुरू किया तो रागिनी की आह-आउच शुरू हो गयी। उसने भी राजेश के होंठों पर काट लिया। दोनों बाहर बरामदे में ही लिपटा-लिपटी में लगे थे।
रागिनी नीचे बैठ गयी और राजेश की लुंगी खोल कर उसका लंड लपक लिया और मुंह में ले लिया। वह बार-बार उसे थूक लगाती, हाथ से मलती और फिर चूसती।राजेश उसके मम्मे मसल रहा था। अब दोनों की आग भड़क चुकी थी। राजेश ने रागिनी को गोद में उठा लिया और बेड पर ले जाकर आहिस्ता से लिटा कर उसके कपड़े उतार दिए। रागिनी ने मुस्कुरा कर अपनी टांगें चौड़ा दी।
राजेश नीचे झुका और उसकी फांकों के बीच जीभ घुसा दी। आज राजेश की चुदास भड़की हुई थी। वह जल्दी से जल्दी देसी भाभी रागिनी की चूत में अपना लंड डालना चाह रहा था। उसने फटाफट रागिनी की चूत को थूक से भरा और थोड़ा थूक अपने लंड के मुहाने पर लगा कर पेल दिया पूरे जोर से अंदर! रागिनी ने भी भरपूर चीख निकाली।
आज कोई था जो नहीं उनकी आवाज़ सुनने को। फिर जो राजेश की चुदाई एक्सप्रेस ने स्पीड पकड़ी, रागिनी भी तौबा कर गयी। वह बार-बार कोशिश करती रही नीचे से निकल कर ऊपर आने की, पर आज राजेश की पकड़ इतनी मजबूत थी कि रागिनी उसकी गिरफ्त से निकल ही नहीं पायी।
थोड़ी देर की धमा-चौकड़ी के बाद राजेश हांफते हुए रागिनी के ऊपर लुढ़क गया।
उसका और रागिनी दोनों का एक साथ हो गया था। रागिनी की चूत में राजेश का वीर्य भरा हुआ था। दोनों शांत लेटे थे। थोड़ी देर में राजेश बगल में लुढ़क गया पर रागिनी ऐसे ही पड़ी रही। ऐसा उसके डॉक्टर ने कहा था।
दोनों ऐसे ही लिपट कर सो गए। रात को 2 बजे करीब रागिनी उठ कर बाथरूम गयी तो अपनी चूत धो आई। आकर उसने राजेश का लंड फिर मुंह में ले लिया। राजेश का लंड तो पहले से ही तना हुआ था, जीभ की गर्मी पाकर और तन गया। राजेश की आँख भी खुल गुई। रागिनी ने उसे कोई मौक़ा ना देते हुए उसके ऊपर चढ़ आकर अपने हाथ से उसका लंड अंदर ले लिया और उछल-उछल कर घुड़सवारी करने लगी।
जल्दी ही वह हांफ गयी। राजेश ने उसे नीचे किया और स्पीड ना तोड़ते हुए जम कर उसे पेला और आपकी बार भी सारा वीर्य उसकी चूत में खाली कर दिया। अगले दिन राजेश ने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। दोनों दोपहर को बाहर गए, खाना खाया और मूवी देख कर घूमते-घामते शाम को 7 बजे करीब घर आये।
पेट भरा हुआ था। राजेश रागिनी को बाथरूम में जबरदस्ती ले गया। दोनों ने लिपट कर नहाते हुए एक बार वहीं सेक्स की कोशिश की। पर खड़े होने से बात नहीं बन रही थी। अब रागिनी वहीं नीचे लेट गयी और राजेश को अपने ऊपर खींच लिया। राजेश ने शावर के नीचे उसकी घमासान चुदाई की। पर वहां स्पीड नहीं बन पा रही थी तो दोनों की आग ठंडी नहीं हुई थी।
राजेश रागिनी को ऐसे ही भीगी उठा कर उसके कमरे में ले गया और नीचे गद्दे पर लिटा कर घुसेड़ दिया अपना मूसल उसकी चूत में! रागिनी का जिस्म भी कामाग्नि से जल रहा था। वह राजेश की चुदाई में भरपूर साथ दे रही थी। आज तो दोनों का ज्वार थमने का ही नाम नहीं ले रहा था। ना राजेश का लंड माल निकलने को तैयार था ना रागिनी की चूत की आग ठंडी हुई थी।
दो बार रागिनी ऊपर भी चढ़ चुकी थी। दोनों थक गए थे, पर चुदाई थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी। अब राजेश ने फिर दम लगाया और पूरे जोर से रागिनी की चूत में लंड घुसेड़ कर बिना रुके पेल लगानी शुरू की। रागिनी भी नीचे से उछल रही थी।
अब राजेश का भी होने वाला था। रागिनी का तो हो चुका था पर वह राजेश से चिपटी हुई थी। राजेश ने उसे कस के भींचा और सारा माल उसकी चूत में खाली कर दिया। तब तक राजेश की सांस उखड़ गयी थी तो वह बगल में लेट गया। रागिनी ऐसे ही पड़ी रही। दोनों ऐसे ही सो गए।
देर रात रागिनी उठी और राजेश को उठा कर उसके रूम में भेजा और अपने को सही किया, क्योंकि सुबह जल्दी ही बाबा और अम्मा आने वाले थे। अगले दिन शुक्रवार था। मनोज शाम को आ गया था। इस बार वह दो दिन की छुट्टी और लेकर आया था।
असल में रागिनी ने ही उससे कहा था छुट्टी लेने के लिए ताकि गर्भधारण के इस मौके का हर तरह से फायदा उठाया जाए। उसने यह बात अपनी सास को भी बता रखी थी। राजेश का वीकेंड पर घर आने का प्लान बन गया तो उसने भी दो दिन की छुट्टी और ले ली।
मेरी डिलीवरी थी अगले महीने। इस बार मनोज अम्मा और रागिनी के लिए कपड़े और बाबा के लिए कुर्ता पायजामा भी लाया। सब खुश थे। नशा छोड़ने से अब मनोज की सेहत भी सुधरने लगी थी। उसे राजेश ने कुछ सेक्स पॉवर बढ़ाने की गोलियां दी कि सेक्स से पहले ले लेना। कुल मिला कर इन तीन-चार दिनों में उसने और रागिनी रोज सेक्स किया और रागिनी को पहली बार उसका वीर्य अपने अंदर जाता महसूस हुआ।
सोमवार को रागिनी ने व्रत रखा और शाम को मंदिर जाकर मन्नत मांगी कि अगर उसकी कोख भर गयी तो वह मनोज को भरपूर प्यार देगी। वह एक अच्छी पत्नी और बहू बनेगी। हालाँकि राजेश ने जो उसकी जिन्दगी में उजियारा किया तो रागिनी तो उसे भगवान मानती थी। इस महीने उसकी माहवारी नहीं हुई। डॉक्टर ने चेकअप में कन्फर्म किया कि वह गर्भवती थी।
रागिनी तो ख़ुशी से पागल थी। उसने बाबा अम्मा के सामने ही राजेश के पाँव छुए कि उसके आने के बाद यह घर घर बन गया। राजेश भी अब पन्द्रह दिन की छुट्टी पर घर आ रहा था, क्यूंकि अब वो बाप बन चुका था और उसने हमारे लिए एक घर भी ले लिया था ताकि अब वो मेरे साथ और हमारे बच्चे के साथ वक्त बिता सके।
अबकी बार जब मनोज घर आया तो इस घर में एक उत्सव का सा माहौल था। कोई किसी से नाराज नहीं था। मनोज ने बताया कि अगले महीने उसका तबादला इसी शहर में हो जाएगा।
दोस्तों, बताइयेगा कैसी लगी मेरी ये कहानी ये आप सब को।