आज की कामुकता कहानी में पढ़े कि कैसे मैंने अपने दोस्त की बहन को चोदा, और मेरी एक गलती से वह आज वो मेरे दो बच्चों की मां बनी।
मेरा दोस्त अनिकेत जो मेरा काफी अच्छा दोस्त है, वह एक दोस्त ना होकर मेरे भाई जैसा था। उसकी बड़ी बहन की शादी ठीक आज से एक महीने पहली हुई। मैं शादी में शामिल था।
उसकी बहन का नाम चाँदनी है। उनकी शादी हो चुकी थी। उनकी शादी होने के बाद भी उनके बदन में ज्यादा परिवर्तन नहीं आया। अब वह एक शादी-शुदा दुधारू औरत थी, जिनकी चूचियों से अब दूध बहने लगा था। मुझे शादी-शुदा औरत पसंद है।
अब उनके बारे में बताऊं तो उनकी कातिलाना आँखें थी। उनका फिगर 34-32-36 का, रंग सावला, और फूली हुई चौड़ी गांड थी।
यह कुछ दिनों पहले की बात है, जब मैं शहर से गांव आया था। उन्हीं दिनों मेरे दोस्त की बड़ी बहन अपने घर को आई थी। वह बहुत दिनों बाद दिखी तो मैं भी मिलने घर चला गया।
मैं उनसे मिलने उनके घर आया तो देखा कि वह वहीं बैठी टीवी देख रही थी। मैं उन्हें देख ही रहा था तभी मेरा खड़ा हो गया। मैं बगल से तकिया लेकर उसे बैठाने में लगा रहा। मैं अपने कॉलेज के समय उन्हें बस एक बार चोद चुका था।
मैं उनसे बातें करने लगा। मैं सोच रहा कि कॉलेज की बातें उन्हें याद तो नहीं। मैं तब काफी असमंजस में पड़ गया। वह बातें करते-करते मेरी जांघों पर अपना हाथ रख दी। तब एक बार फिर मेरे अंदर का शैतान धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था। इस चीज को उन्होंने देखा और मुंह पर हाथ रख के मुस्कुरा रही थी। कुछ देर बाद जब मेरा शांत हुआ तो देख कर मैं भी मुस्कुराने लगा।
उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह बहुत दिनों से प्यासी थी। वह मुस्कुरा कर शायद इशारा कर रही थी कि वह तैयार थी। उसने मुझे पैंट की तरफ इशारा किया, लेकिन मैं जान-बूझ कर इशारे को इग्नोर करता रहा। तब वह मेरे पास आ बैठी। मैं तो चाहता था कि वह खुद अपने मुंह से कहें कि उन्हें क्या चाहिए।
फिर उसने अपना हाथ पैंट पर रखा, और खींच कर निकाल फेंकी। तब मेरा लंड उनको सलामी दे रहा था कि कुछ देर में घुसूंगा। उसने मुझे कुर्सी पर बिठाया, और नीचे बैठ कर लंड को चूसने लगी। वह मेरे आंड को भी हल्के-हल्के चूसने लगी। वह मेरे लंड को पूरा सिरे तक लेकर अंदर तक चूस रही थी। इतनी शानदार चुसाई से मैं तो पूरी तरह से पागल और बेचैन हो रहा था।
फिर मैंने जब नाइटी को उठाया, तो देखा कि उन्होंने कोई पैंटी नहीं पहनी हुई थी। उनकी झांटो से भरी हुई काली चूत थी, जिसमें से पानी आ रही थी। उसे देख मेरे मुंह से लार गिरने लगी। उन्होंने अपनी नाइटी को खोला तो देखा पीठ पर बहुत सारे दाने थे।
मैंने जब उनकी काले रंग की गांड का छेद देखा, तो देख कर रूक नहीं पाया, और तुरंत उन्हें पलटा और अपनी जीभ लगा कर चाटने लगा। वह सिसकते हुए बोली कि, “छोड़ो इसे, यह काफी गंदी है।” वह हाथों से हटाने लगी। मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए। मैंने भी जोश के मारे बोला कि, “मैं अपने दोस्त की दीदी की गंदी गांड को अपने जीभ से चाट कर पूरी साफ़ करूंगा।”
वह बार-बार मेरा मुंह अपनी गांड से निकालने लगी। लेकिन मैं ठहरा चोदू आदमी। उनकी महकती गांड को बस चाटता रहा। मैंने चाट-चाट कर छेद को अपनी थूक से गीला करके, अपने सुपारे को निशाने पर रखते हुए एक हल्का सा धक्का मारा। लेकिन मेरा लंड एका-एक फिसल कर बाहर आ गया।
फार उनकी सिकुड़ती हुई छेद को दोनों हाथों से फैला कर एक ज़ोरदार धक्का मारा। जिसकी वजह से मेरा आधा लंड फिसलता हुआ गांड के अंदर चला गया। उसमें से हल्का खून आ रहा था। उनका चिल्लाना अभी तक जारी रहा। मैं ऐसे ही चोदता रहा।
मैंने अपने हाथ से उनका मुंंह को ढक लिया, और एक ही झटके में पूरा लंड गांड में डाल दिया। वह दर्द से काफी तड़प रही थी। मैं ताबड़तोड़ उनकी गांड मारे जा रहा था। कुछ देर बाद उनका दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा। उनकी गांड का सुराख ढीला हो चुका था, इसलिए वह दर्द के बजाय अब सिसकती हुई आह आह आह आह आह आह आह करती हुई गांड मरवाने लगी।
मैंने उनके अपने ऊपर बैठा कर करीब आधे घंटे तक गांड को अलग-थलग तरीको से मारा। अब वह भी पूरे मजे ले रही थी। तभी मैंने अपना वीर्य उनकी गांड में निकाल दिया, और उनके बगल में लेट कर जोर-जोर से सांसे लेने लगा। फिर उठा और मैंने उनके गले को पकड़ा अपना लंड चूत के पास लाकर। मैंने उसकी चूत को छूकर महसूस किया। वो पूरी भीग चुकी थी।
मैंने एक झटके के साथ आधा लंड उनकी चूत में उतार दिया। वह जोर से चीख पड़ी और बोली, “आह निकाल लो इसे, मुझसे तेरा लंड अब और नहीं लिया जाता। कितना मोटा है तेरा लंड।”
वह यह बात बोल कर जैसे ही चुप हुई। मैंने तुरंत ही अपना बचा हुआ लंड दम लगा कर उनकी चूत में जोर से पेल दिया। जैसे ही मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर घुसा, उनके चेहरे की जलन से साफ़ पता चला कि वह आज जाकर संतुष्ट हुई थी। उसका पति शायद उसे उतना ज्यादा चोद नहीं पाता था, कि उनकी चूत को पूरी तरह से खोल सके, और उसे मजे देते रहे।
मैं उन्हें अब थोड़ा हल्का-हल्का उठा-उठा कर चोद रहा था। कुछ देर बाद वह मजे के साथ जोर से लंड पर उछलने लगी। वो बोल रही थी कि, “हां, और ज़ोर से चोद कुत्ते सुमित। मादरचोद मेरी चूत को चोद चोद कर भौंसड़ा बना दे, फाड़ दे इसे।”
कुछ देर में उनका पानी निकल गया था। वह ढीली पड़ गयी। अब जैसे ही उनकी पकड़ ढीली हुई, मेरे जांघों से घर्षण के कारण फट फट फट की जबरदस्त आवाज़े आनी शुरु हुई। उनका गर्म गाढ़ा वीर्य मुझे मेरे लंड पर आता महसूस हुआ।
मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी गांड को पकड़ लिया। मुझसे अब उनकी गर्मी सहन नहीं हुई, जिससे रहा नहीं गया। कुछ ही देर में मैंने झड़ने से पहले पूछा कि कहा निकालूं दीदी। उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मेरी प्यारी चूत में ही निकाल दो। अब उनकी गांड का छेद पहले से ज्यादा खुल कर बड़ा हो चुका था।
उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव दिख रहे थे, जिनकी वह तलाश कर रही थी। जब मैंने उसकी चूत की तरफ मुड़ कर देखा तो उनकी चूत पहले से लाल होकर सूज गयी और फूल गयी थी। वह जितने दिन गांव में रही, मैं उनकी सूजी हुई चूत को किसी ना किसी बहाने से लगातार चोदता रहा। उन दिनों में मैंने उनको रंडी की तरह चोदा।
इस दौरान मेरे लंड ने कई बार चूत के अंदर उल्टी की, जिससे वह प्रेगनेंट हो गयी। उसके भाई ने मुझे इस बात की खुशखबरी दी, और इसके लिए भगवान को शुक्रिया कहा कि वह अब मामा बन गया। उसे कुछ नहीं पता है कि यह बात आज भी एक राज ही है।
मेरे मन में यह बात रह गयी कि क्या मैंने यह सही किया? इस तरह मैंने अपने दोस्त की शादी-शुदा दीदी को जम कर चोदा।