मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-20 (अंतिम भाग)

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-19

डाक्टर मालिनी ने असलम को वियाग्रा की गोली खिला कर चुदाई करवाई। असलम ने एक रंडी की तरह मालिनी को चोदा। असलम का लंड एक घंटे की चुदाई के बाद भी खड़ा ही था। मालिनी ने असलम का लंड जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया।

पंद्रह बीस मिनट की लंड चुसाई के बाद असलम ने मेरा सर पकड़ लिया, और बोलने लगा, “आआ जोर से आह और जोर निकालो जो भी है इसके अंदर से पी लो। आअह आपकी चूत में मेरा लौड़ा अअअअह मेरी जान, आआआह निकलने वाला है मेरी जान आआह, मेरी जान। निकला आआह ले ले पी पी और पी ले पी ले ले सारा का सारा पी ले पी।”

असलम मेरा सर पकड़ कर अपने लंड को मेरे मुंह में आगे-पीछे कर रहा था, और साथ-साथ बोले जा रहा था। मैं मुंह में लंड लिए मन ही मन सोच रही थी, ये भी क्या और कैसी चुदाई है।

असलम बोलता जा रहा था, और मेरा मजा बढ़ता जा रहा था। असलम की गंदी-गंदी बातें मेरे मजे को दुगना कर रही थी। मेरा तो अपना मन कर रहा था कि मैं भी बोलूं, “आआह असलम चोद मुझे सारी जिंदगी चोद मुझे रंडी की तरह ही चोद फाड़ मेरी गांड आआह आआह साले कैसे चोदता है असलम।”

चुदाई के वक़्त औरत मर्द होश खो बैठते है। ऐसी-ऐसी बातें बोलते हैं कि होश के वक़्त वो ये बातें सोचने भर से उन्हें शर्म आ जाए।

तभी असलम ने एक आवाज निकाली, “आआआह मेरी जान, ये ले निकला तेरे मुंह में मेरी जान”, और असलम के लंड से पानी की पिचकारी मेरे मुंह में निकल गयी।

मुझे असलम की बात याद आ गयी – “इतना पानी निकला था मेरे लंड में से अम्मी का तो मुंह ही भी गया था मेरे लंड के गरम पानी से। मेरे लंड से पानी निकलता जा रहा था, और अम्मी पीती जा रही थी। कम से कम एक मिनट निकलता रहा मेरे लंड में से पानी।”

यही अब मेरे साथ हो रहा था। असलम के लंड में से पानी निकलता जा रहा था, और मैं पानी पीती जा रही थी। पता नहीं कितना पानी निकला असलम के लंड में से। पूरी तरह झड़ कर असलम निढाल हो कर लेट गया। मैंने भी मुंह पोंछा और असलम के बगल में ही लेट गयी। दस मिनट बाद जब दिमाग पर से मजे के बादल छंटे तो असलम बोला, “डाक्टर मैडम, आज तो आपको चोदने का मजा ही आ गया।”

मैंने भी कहा, “असलम मेरी तो खुद ऐसे चुदाई हुई है जैसे पहले कभी नहीं हुई।”

असलम ने क्या गांड चुदाई की थी, मजा ही आ गया। मगर मजे के साथ गांड का छेद दुःख भी रहा था। मैंने सोचा, “कहीं ऐसा तो नहीं असलम के मोटे लंड की रगड़ाई से छिल ही गया हो?”

मैंने असलम को कहा, “असलम मेरी गांड का छेद दुःख रहा है, जरा देखना क्या हाल है इसका – क्या हाल किया है तेरे मोटे लंड ने इसका?” ये कह कर मैं उल्टा लेट गयी, चूतड़ उठा दिए, और गांड खोल कर छेद असलम के सामने कर दिया।

असलम ने चूतड़ थोड़े और बाहर की तरफ किए, और गांड का छेद देख कर बोला, “मैडम थोड़ी फूली हुई है बस।” ये कह कर असलम ने अपनी जुबान गांड के छेद पर फेरी। मेरी चूत और गांड में फिर झनझनाहट हुई।

मैंने असलम से कहा, “असलम मत कर ऐसे, फिर गरम हो जायेंगे ये दोनों छेद। क्या फिर चोदेगा इनको?”

असलम हंसा और बोला, “मैडम कुछ नहीं है, कोइ भी क्रीम लगा लेना। दो ही दिन में फिर लंड लेने के लिए तैयार हो जाएगी।”

मैंने कहा, “असलम मैं अपने चूतड़ चौड़े करती हूं, तुम मेरे मोबाइल से गांड के छेद का फोटो लो। देखूं तो सही क्या हाल किया है तुमने मेरी गांड का।”

मैंने दोनों हाथों से चूतड़ खोले और असलम ने मेरे मोबाइल से मेरी गांड के छेद के दो-तीन फोटो लिए और मोबाइल मुझे पकड़ा दिया। गांड के छेद का फोटो देख कर समझ आया कैसी ताबड़-तोड़ गांड चुदाई की थी असलम ने।

गांड के छेद के सिरे थोड़े फूले हुए थे और साथ ही कुछ कुछ लाल हुए पड़े थे। गांड की ये हालत देख कर एक बार तो मन किया असलम के मोटे लंड का एक चुम्मा ले लूं और बोलूं, “इतनी मस्त चुदाई क्या मस्त चोदा है असलम तूने।”

असलम उठ खड़ा हुआ। मैं भी उठ गयी। दोनों ने कपड़े पहन लिए। दो बज चुके थे। असलम की आगरा के लिए अगले दिन की दोपहर की गाड़ी थी। असलम जाने को तैयार था।

मैंने नसरीन की और असलम की आवाज की दोनों कैसेट असलम को पकड़ा दिए और कहा, “ये लो असलम। अब इनका यहां कोइ काम नहीं। लेकिन इन्हें तबाह कर देना, भूल कर भी रखना मत। कहीं गलती से भी किसी के हाथ पड़ गयी तो मुसीबत हो जाएगी।”

असलम ने कहा, ” मैं इन्हें यहीं तबाह कर देता हूं डाक्टर मैडम?” और असलम ने दोनों किस्तों के बीच में से टेप की रील निकली और तोड़-मरोड़ कर कूड़ेदान में डाल दी।

असलम चला गया और धुआंधार चुदाई की यादें छोड़ गया।

दो महीने के बाद एक दिन नसरीन का फोन आया। आने वाले रविवार को नसरीन और असलम कानपुर आ रहे थे। शादी का कुछ सामान लेना था, और साथ ही मुझे कार्ड भी देना था।

मैं तो तकरीबन-तकरीबन नसरीन हुए असलम के बारे में भूल ही चुकी थी। नसरीन का फोन आते ही असलम का मोटा लंड मेरी आंखों के आगे घूम गया और चूत एक-दम से गीली हो गयी। मैं सोचने लगी क्या असलम से एक और चुदाई का मौक़ा मिलेगा?

रविवार दोपहर करीब ग्यारह बजे दोनों आ गए।

असलम नसरीन को क्लिनिक में मेरे पास छोड़ गया, और खुद कुछ खरीददारी चला गया। जाते-जाते एक घंटे के बाद आने के लिए बोल गया। नसरीन बड़ी खुश नज़र आ रही थी। दुआ सलाम हाल चाल पूछने के बाद नसरीन बोली, “मैडम आपके कारण ही असलम की शादी तय हुई है। बड़ी ही सुन्दर लड़की है। निकहत नाम है – बी.एड. कर रही है। आगरा में ही रहते हैं वो लोग। अभी निकहत लड़कियों के छोटे से स्कूल में पढ़ाती है।”

ये बोलते हुए नसरीन ने अपने पर्स में से एक फोटो निकाली और मेरे हाथ में दे दी। पांच लड़कियों की ग्रुप फोटो थी। नसरीन बोली, “मालिनी जी ये बीच में खड़ी लड़की ही निकहत है।”

निकहत सब लड़कियों से लम्बी थी। खड़ी चूचियों वाली निकहत बेहद खूबसूरत लग रही थी।

मैंने कहा, “नसरीन लड़की तो बहुत सुन्दर ढूंढी है तुमने असलम के लिए।”

नसरीन बोले, “जी हां मैडम, बड़ी सुन्दर लड़की है निकहत, एक दम गोरी। मैडम, सब आप के कारण हुआ है। मैं आपका ये एहसान कभी भी नहीं भूलूंगी।”

फिर नसरीन ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, “तीन हफ्ते बाद अगले महीने की दस तारीख को शादी है, आप शादी में आना जरूर। जमाल और सायरा भी दुबई से आ रहे हैं।”

नसरीन सच में ही बड़ी खुश लग रही थी। खुशी की बात भी तो थे। नसरीन की मन की मुराद पूरी हो रही थी।

मैंने नसरीन से पूछा, “नसरीन एक बात बताओ, असलम अभी भी चोदता है तुम्हें?”

नसरीन थोड़ा शरमाई और बोली, “मैडम यहां से जाने के बाद चोदता तो है, लेकिन जब मैं कहती हूं तब। अब अपनी तरफ से पहल नहीं करता। अब हमारी पंद्रह बीस दिनों में एक चुदाई होती है। लेकिन जब भी चोदता है, पागलों की तरह चोदता है, और घंटा-घंटा भर चुदाई करता रहता है।”

फिर कुछ रुक कर नसरीन बोली, “और मैडम बीच मैं अगर मेरा चूत का पानी छुड़ाने का मन होता है तो मैं आपका दिया लंड चूत में डाल कर चालू कर देती हूं और मेरा काम हो जाता है।”

“मैडम सच बताऊं असलम जिस तरह से मेरी चुदाई करता है, कई बार तो सोचती हूं कितनी खुशकिस्मत है निकहत जिसको ऐसा बढ़िया चुदाई करने वाला शौहर मिल रहा है।”

नसरीन की इस बात पर तो मेरी चूत खुजलाने लगी, और गांड में झनझनाहट मच गयी। मन किया कह ही दूं नसरीन से, “नसरीन एक बार मुझे चुदवाने दे असलम से। उसे क्या पता था असलम कितनी चुदाई कर चुका था मेरी।

मुझे चूत खुजलाता देख नसरीन बोली, “क्या हुआ मैडम, लगता है आपकी ये भी कुछ मांग रही है।”

मैंने भी कह ही दिया, “नसरीन जिस तरह तुम असलम के मोटे लंड की चुदाई के किस्से बताती हो, मन तो करता है एक बार ले कर देखूं असलम का लंड अपनी चूत में।”

नसरीन बोली, “अरे मैडम ये क्या? नेकी और पूछ-पूछ? असलम अभी मुझे लेने आएगा, चुदवा लो एक बार। एक डेढ़ घंटा ही तो लगेगा। मस्त चोदता है। बारह बजे आने का बोल गया है। दो घंटे चुदवाओ आप। एक बार चुदवाने के बाद भूल नहीं पाएंगी उसकी चुदाई।”

मैंने मन ही मन सोचा, “भूल ही तो नहीं पा रही असलम के साथ अपनी चुदाई।”

तभी नसरीन थोड़ा आगे आयी और धीरे से बोली, “मालिनी जी, असलम को आने में तो अभी टाइम है। चूत नहीं चुसवानी आज?”

मैं चुप तो रही, लेकिन मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। गांड के छेद में झनझनाहट होने लगी। मैंने मस्ती में मोबाइल निकला और गांड फूले हुए छेद की फोटो देखने लगी। मेरी चूत तो गीली हुई ही पड़ी थी। मैंने कहा, “चलो दोनों ही चूस लें एक दूसरे की चूत।”

हम दोनों अंदर गयी, कपड़े उतारे, और नसरीन नीचे लेट गयी। नसरीन ने तकिया लगा कर चूत ऊपर उठाई, और पीछे से हाथ कर कर चूत की फांकें खोल दी। मैं उल्टा नसरीन के ऊपर लेट गयी। मेरी चूत नसरीन के मुंह पर थी, और मेरा मुंह नसरीन के चूत में घुसा हुआ था।

लपड़-लपड़ चपड़-चपड़ की आवाजों के साथ हम एक-दूसरे की चूत चूस रही थी – चाट रही थी। थोड़ी ही चूसा-चुसाई के बाद हम दोनों की चूतें पानी छोड़ गयी।

कुछ देर ऐसे हे लेटने के बाद हम उठी, हमने कपड़े पहने, और हुलिया ठीक करके क्लिनिक में आ गयी।

बारह बजे के करीब असलम आ गया और नमस्ते कर के बैठ गया। कुछ देर इधर-उधर की बात करते रहे। फिर नसरीन असलम से बोली, “असलम, मालिनी मैडम तुझे एक आख़री नसीहत देना चाहती हैं – अकेले में।”

फिर मेरी और देख कर बोली, “मैं यहां बैठी हूं मैडम आप उधर अकेले में बात कर लीजिये।”

असलम हैरान हुआ कि मुझे अकेले में उससे क्या बात करनी थी। उम्मीद मुझे भी नहीं थी नसरीन ऐसा भी कुछ कर देगी। मैं तो यही समझ रही थी नसरीन मजाक कर रही थी जब उसने कहा था, “अरे मैडम ये क्या? नेकी और पूछ-पूछ? असलम अभी मुझे लेने आएगा, चुदवा लो एक बार। एक डेढ़ घंटा ही तो लगेगा। मस्त चोदता है  असलम। एक चुदवाओ आप। एक बार चुदवाने के बाद भूल नहीं पाएंगी उसकी चुदाई।”

मैं क्या कहती कि मैं तो पहले से ही असलम से हुई चुदाई नहीं भूल पा रही‌ थी। मुझे लगा अब इन्कार ना करके चुदाई के मजे ले ही लेने चाहिये। उधर नसरीन ने असलम से दुबारा कहा, “जाओ असलम, सारी बातें ध्यान से सुन और समझ लेना।”

हैरान सा असलम उठ कर पीछे वाले कमरे में चला गया।

मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन मैंने तो मजाक में कहा था और तुम तो ” मैंने बात बीच में ही छोड़ दी।

नसरीन बोली, “मैडम चुदवा के देखो तो सही एक बार। असलम का कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा लंड अपनी चूत की तसल्ली करवा देगा।”

असलम के साथ हुई चुदाई को याद करते करते में जाने के लिए मुड़ी, तभी मुझे कुछ याद आ गया।

जब से संदीप नए बड़े वाले लंड देकर गया था, मेरा पुराना वाला रबड़ का लंड यहीं क्लिनिक में ही पड़ा रहता था। मैंने मेज की दराज में से पुराने वाला लंड नसरीन को दे दिया और हंसते हुए बोली, “नसरीन अगर हमारी नसीहत की आवाजें सुन कर तुम्हे जरूरत पड़े तो ये ले लेना।”

नसरीन ने हंस कर लंड पकड़ लिया और बोली, मालिनी जी मैं तो सोच ही रही थी कि आज लगता है उंगली से ही काम चलना पड़ेगा। मगर आप तो लगता है मन की बात पड़ने में माहिर हैं।”

पीछे कमरे में पहुंची तो असलम सोफे पर बैठा हुआ था। हैरानी से असलम ने पूछा, मैडम ये सब क्या हो रहा है?”

मैंने असलम को सारी बात बता दी और साथ ही अपने सारे कपड़े भी उतार दिए।

असलम बस यही बोला, “कमाल है ये अम्मी भी। ये नसीहत दिलवाना चाहती थी मुझे आपसे?”

मैंने कहा, “चलो छोड़ो ये कमाल-वमाल असलम, उतारो कपड़े और लो और मेरी नसीहत ध्यान से सुन लो।”

असलम हंसता हुआ कपड़े उतारने लगा और लंड पकड़ कर हिलाता हुआ मेरी और देखते हुए बोला, “जी मैडम कहिये क्या नसीहत है?”

मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा, “नसीहत ये है कि हमारे पास डेढ़ घंटा है। इस डेढ़ घंटे में तुमने मेरे चूत के परखच्चे उड़ा देने हैं। चोद चोद कर फुला देना है मेरी चूत को जैसे मेरी गांड का छेद फुला दिया था।”

ये कह कर मैं बेड पर लेट गयी। चूतड़ उठा दिए और नीचे तकिया रख कर चूत ऊंची कर दी, और हाथ से चूत की फांकें खोल कर बोली, “आजा असलम दिखा अपने मोटे लौड़े का कमाल।”

असलम ने दो उंगलियां मेरी चूत में डाल कर चूत का चिकना पानी चूत के दाने पर लगाया और दाने को धीरे-धीरे रगड़ने लगा।

मरे मुंह से बस यही निकला, “आआह मजा आ गया।”

असलम ने लंड चूत के छेद पर रखा, और झटके के साथ अंदर डाल कर चुदाई शुरू कर दी।

आधा घंटा मस्त चुदाई हुई। इस आधे घंटे की चुदाई के दौरान मैं एक बार मजा ले चुकी थी।

असलम का लंड मेरी चूत में ही था।

मैंने असलम को कहा, “बस असलम और नहीं, अब गांड चोदो एक बार।”

मेरी बात सुन कर असलम ने लंड मेरी चूत में से निकाल लिया और एक तरफ खड़ा हो गया।

मैं उठी और अलमारी में से नया वाला लंड निकाल कर असलम को बोली, “असलम अबकी बार तुमने पूरा ध्यान मेरी गांड चुदाई पर लगाना है। अपनी चूत का ध्यान में खुद रख लूंगी।”

फिर नया वाला रबड़ का लंड असलम को दिखाते हुए कहा, “ये नए लंड तुम्हारे लंड के बराबर साइज़ के हैं। ऐसा ही एक लंड मैंने तुम्हारी अम्मी नसरीन को भी दिया था।”

असलम बोला, “हां मैडम मुझे मालूम है। अम्मी ने मुझे दिखाया था। कई बार अम्मी मुझे अपने साथ लिटा उस लंड को अपनी चूत में ले कर मजा लेती है।”

असलम का लंड सख्त हो चुका था। असलम ने लंड पकड़ा और मेरे पास आ कर बोला, “चलिए मैडम मरा लंड तो तैयार है। कहिये कैसे चुदवानी है? उस दिन की तरह – रंडी की तरह?”

मैंने भी मस्ती मैं कह दिया, “ठीक है असलम आज भी रंडी की तरह ही चोद।”

ये कह कर मैं बेड के किनारे पर उल्टा लेट गयी। चूतड़ उठा दिए, और फैला कर गांड का छेद खोल दिया, और असलम से कहा, “ले असलम थूक लगाओ और चालू हो जाओ – कर दो चुदाई शुरू। समझो रंडी चोद रहे हो।”

असलम ने जैल ढूढ़ने कि ज़हमत नहीं उठाई। थूक लगा कर ही लंड गांड के अंदर बिठा दिया।

फिर जो असलम ने रगड़-रगड़ कर गांड चोदी कि मजा ही आ गया। असलम जिस तरह आआआह ऊंह आआआह, ऊंह आआह बोलते हुए मेरी गांड चोद रहा था, मेरा मन कर रहा था मैं भी जोर-जोर से सिसकारियां लूं।

मैं तो यही सोच कर मैं चुप थी, कि अगर नसरीन ने सुन लिया तो क्या सोचेगी – ‘कैसी चुद्दकड़ औरत है’।

असलम की गांड रगड़ाई से गांड की तसल्ली हो गयी थी।

असलम का लंड अभी भी गांड के अंदर ही था। असलम बोला, “मैडम मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है। बोलिये कहां निकालना है गांड में या चूत में।”

मेरा पानी चूत चुका था मगर मन नहीं भरा था। मन तो किया से बोलूं , “जहां मर्जी निकाल असलम मगर एक बार और ऐसे ही चोद और फाड़ दे गांड।”

मगर वक़्त कम था मैंने सोचा इतना ही बहुत है की नसरीन ने असलम से मेरी चुदाई करवा दी।

मैंने कह दिया, “गांड में ही निकल दे असलम। चूत में तो रबड़ वाला लंड अपना काम कर रहा है।”

असलम गांड में धक्के लगा रहा था और इधर रबड़ के लंड के वाइब्रेशन से मेरी चूत एक बार फिर पानी छोड़ गयी।

मजा आने के बाद अब और चुदाई की इच्छा नहीं थी, मगर असलम का लंड अभी भी खड़ा ही था।

मैंने एक पल सोचा और कहा, “असलम बस हो गया मेरा। अब कुछ अलग कर जैसे पिछली बार किया था। आजा मेरे मुंह में निकाल दे अपने लंड का पानी।”

असलम ने ऐसा ही किया और मेरा मुंह में लंड डाल कर अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा।

सात आठ मिनट मुट्ठ मरने के बाद असलम के लंड में से सफ़ेद चिकने पानी की धार निकली, और मेरे मुंह में जाने लगी। असलम ने अपने लंड के पानी से मुंह भर दिया। गरम-गरम लंड का पानी मुंह में इस तरह डलवाने का भी अपना ही मजा आया।

असलम ने ढीला होता हुआ लंड मुंह में से निकाला, और नंगा ही सोफे पर बैठ गया।

मेरी भी इस चुदाई से तसल्ली हो चुकी थी। मैंने असलम से कहा, “असलम जाओ जा कर देखो नसरीन क्या कर रही है।

असलम नंगा ही क्लिनिक की तरफ गया और दरवाजा जरा सा खोला और अंदर देख कर बोला, “मैडम लगता है अम्मी को मेरी मदद की जरूरत है।” ये कह कर असलम क्लिनिक वाले कमरे में दाखिल हो गया।

मैं बाथरूम में चली गयी। गांड को धोया तो छूते ही साफ़ पता लगा फिर से थोड़ी फूली हुई है – थोड़ी दर्द भी हो रही थी। बिना जैल से गांड चुदवाने का यही नतीजा होता है। मैंने गांड के छेद पर क्रीम लगाई, मुंह धोया और कपड़े पहन कर क्लिनिक की और चली गयी।

दरवाजा खोलते ही देखा तो रबड़ का लंड नसरीन की चूत में था, और असलम का मोटा लंड नसरीन के मुंह में। असलम दोनों हाथों से नसरीन की चूचियां मसल रहा था। नसरीन रबड़ के लंड को चूत में आगे-पीछे कर रही थी, और साथ ही जोर-जोर से असलम का लंड चूस रही थी।

मैं वापस कमरे में आ कर असलम का इंतजार करने लगी। असलम के कपड़े तो कमरे में ही थे। कुछ देर में असलम कमरे में आया और कपड़े पहन कर बोला, “अम्मी का भी हो गया मैडम।” और ये कह कर असलम क्लिनिक में चला गया।

पांच मिनट के बाद मैं भी क्लिनिक में चली गयी।

असलम और नसरीन कुर्सियों पर बैठे हुए थे। मैं भी जा कर अपनी कुर्सी पर बैठ गयी।

नसरीन बोली, “मालिनी जी आपके साथ की मुलाक़ात मैं कभी नहीं भूलूंगी और आपका एहसान तो मुझे हमेशा याद रहेगा।”

मैंने नसरीन का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, “नहीं नसरीन, इसमें एहसान वाली कोइ बात नहीं। लोगों की व्यग्तिगत समस्याएं हल करना ही हम मनोचिकित्स्कों का पेशा है। इस दौरान कई बार सलाह मशविरे के लिए आने वालों के साथ हमारे कुछ अलग तरह के रिश्ते बन जाते हैं। तुम लोगों के साथ भी यही हुआ है।

कुछ पल कमरे में चुप्पी छाई रही। फिर नसरीन बोली , “मालिनी जी अब हम चलेंगे।”

“ठीक है नसरीन मैं टैक्सी मंगवाती हूं।” ये कह कर मैंने टेक्सी के लिए फोन कर दिया।

हम इधर-उधर की बातें करने लगे। दस मिनट बाद टैक्सी आ गयी।

असलम और नसरीन दोनों उठे और मुझसे विदा लेते हुए नसरीन बोली, “मालिनी जी अब हम चलते हैं असलम की शादी में जरूर आइएगा।”

नसरीन चलने लगी तो मुझसे बोली, “मालिनी जी आपसे जरा अकेले में बात करनी थी।”

असलम ने ये सुना तो बोला, “मैं बाहर टैक्सी में इंतजार करता हूं।” ये कह कर असलम बाहर चला गया।

मैं हैरान थी कि अब नसरीन ने क्या बात करनी थी। नसरीन मेरे पास आयी और बोली, “मालिनी जी कैसी रही असलम के साथ चुदाई।”

मैंने जवाब दिया, “एक-दम मस्त। असलम का लंड और चुदाई दोनों मस्त हैं। निकहत बड़ी खुशकिस्मत लड़की है कि उसे असलम जैसा चुदाई करने वाला शौहर मिलेगा।”

नसरीन मेरे थोड़ा और करीब आयी और मेरे हाथ पकड़ कर धीमी आवाज में बोली, “मालिनी जी एक बार मुझे बाहों में लेकर मेरे होंठ वैसे ही चूसिये जैसे आपने पहली मुलाकात के दौरान चूसे थे ”

मुझे नसरीन की इस बात पर हैरानी तो हुई, मगर एक मनोचकित्स्क होने के नाते मैं जानती थी कि जब कोइ किसी का बहुत ज्यादा एहसानमंद होता है कुछ इसी तरह कि पेशकश करता है। असलम के शादी के लिया हां करने से नसरीन मेरी बहुत एहसानमंद हो गयी थी।

मैंने नसरीन को बाहों में ले लिया। हम दोनों के खड़े मम्मे एक-दूसरे के मम्मों को दबा रहे थे। मैंने नसरीन के होंठ अपने होंठों में ले लिए और उन्हें चूसने लगी। नसरीन ने आंखें बंद कर लीं और मुझे कस कर पकड़ लिया।

पांच मिनट नसरीन के होंठ चूसने के बाद मैंने नसरीन को छोड़ा।

नसरीन बस इतना ही बोली, “मालिनी जी आपका बहुत एहसान है हम पर। शादी में जरूर आईयेगा।”

ये कह कर नसरीन बाहर कि तरफ जाने लगी। मैंने असलम की शादी का कार्ड संभाल लिया और मुस्कुराती हुई नसरीन के पीछे-पीछे चल पड़ी।

असलम टैक्सी के पास ही खड़ा नसरीन का इंतजार कर रहा था।

जैसे ही नसरीन और असलम टैक्सी में बैठने के लिए मुड़े, मेरी चूत में फिर से खुजली सी हुई और चूत ने फुर्ररर से पानी छोड़ दिया।

मैं जानती थी ये खुजली भी एक हफ्ता और जाने वाली नहीं थी।

मैं असलम को देख रही थी और यही सोच रही थी, “असलम निकहत की छोटी-छोटी चूचियां दबाएगा उसकी चूत का पानी चाटेगा और चूत की सील तोड़ेगा।”

निकहत के ख्याल से ही मुझे अपने मुंह में निकहत की कुंवारी चूत के पानी का नमकीन नमकीन सा स्वाद आने लगा। सोचते-सोचते मैंने मुंह में जुबान से चटाक से एक चटकारा लिया।

मुंह में निकहत की चूत का तो नहीं असलम के लंड के पानी का स्वाद आ रहा था।

समाप्त

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