पिछला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-7
नमस्कार दोस्तों, मेरी चुदाई की कहानी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है। उम्मीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि आखिरकार कैसे मैंने अपनी नई दुल्हन बीवी की गांड में अपना पूरा लंड घुसा कर उसकी गांड फाड़ दी, और फिर उसकी गांड की चुदाई करने लगा। माल निकालने के बाद मैंने उसके पूछा कि उसको मजा आया कि नहीं। अब आगे-
वो बोली: बहुत दर्द हो रहा है और आप पूछ रहे हो कि मज़ा आया।
मैंने कहा: मेरी कसम है तुम्हें। सच-सच बताओ, क्या तुम्हें जरा सा भी मज़ा नहीं आया?
उसने शरमाते हुए कहा: पहले तो बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन बाद में मुझे थोड़ा-थोड़ा सा मज़ा आने लगा था कि आप रुक गये।
मैंने कहा: अभी थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो जायेगा। उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गांड मारूंगा।
वो बोली: नहीं, अभी रहने दो।
तभी भाभी ने पूछा: नंदोई जी, काम हो गया?
मैंने कहा: हां, भाभी मैंने अपना पानी इसकी गांड के छेद में निकाल दिया है। अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ।
भाभी ने कहा: ठीक है, जब दोबारा पानी निकाल देना तो बाहर आ जाना।
मैंने कहा: ठीक है।
मैंने अपना लंड रानी की गांड में ही रखा और उसकी चूचियों को मसलता रहा। पन्द्रह मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने उसकी गांड मारनी शुरु कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी आह ही निकाल रही थी। थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियां लेने लगी।
मैंने पूछा: अब कैसा लग रहा है? मेरी जान?
वो आह आहह की आवाज़ निकालते हुए बोली: अब अच्छा लग रहा है जी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो थोड़ी ही देर में वो जोर से सिसकारियां भरने लगी। मुझे भी उसकी गांड मरने में खूब मज़ा आ रहा था। 25 मिनट तक मैंने उसकी गांड मारी और फिर झड़ गया। मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया।
मैंने उसके होंठो को चूमते हुए पूछा: कैसा लगा, जान?
वो बोली: इस बार कुछ ज्यादा ही मज़ा आया।
मैंने कहा: धीरे-धीरे तुम्हें और ज्यादा मज़ा आने लगेगा।
मैं रानी के पास से उठ कर बाहर चला आया।
भाभी बाहर बैठी थी, उन्होंने मुझसे पूछा: काम हो गया?
मैंने कहा: हां।
वो बोली: मैं गर्म पानी से उसकी चूत की सिकाई कर देती हूँ। इससे उसका दर्द कम हो जायेगा।
मैं चुप रह गया क्योंकि मैंने तो रानी की चूत को अभी तक छुआ ही नहीं था। मैंने तो उसकी गांड मारी थी। फिर मैं कुछ मिनट बाद रानी के पास चला आया। भाभी पानी गर्म करके ले आई।
वो बोली: मैं पानी गर्म कर के लाई हूँ, अन्दर आ जाऊं?
मैंने कहा: आ जाओ।
रानी बोली: मैं एक-दम नंगी हूँ और आप भाभी को यहां बुला रहे हो?
मैंने कहा: तो क्या हुआ?
वो कुछ नहीं बोली।
फिर भाभी अन्दर आ गई, उन्होंने रानी से कहा: लाओ मैं तुम्हारे छेद की सिकाई कर दूं। इससे तुम्हारा दर्द कम हो जायेगा।
रानी ने करवट बदल ली तो भाभी ने कहा: तुमने करवट क्यों बदल ली? अब मैं कैसे तुम्हारी चूत के छेद की सिकाई करूंगी?
उसने अपनी गांड के छेद की तरफ़ इशारा करते हुए कहा: इसी में तो इन्होंने अपना औजार घुसाया था।
भाभी के मुँह से निकला: क्या?
भाभी की नज़र रानी की गांड पर पड़ी। उसकी गांड खून से लथ-पथ थी। मैंने अभी तक अपना लंड साफ़ नहीं किया था। मेरा लंड भी खून से भीगा हुआ था। भाभी हैरान होकर आंखें फाड़े कभी मेरे लंड को और कभी रानी की गांड को और कभी मेरे चेहरे को देखने लगी।
भाभी ने गर्म पानी से रानी की गांड की सिकाई की। उसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए रानी से कहा: ननद जी तुमने आज आधी जंग तो लड़ ली। बाकी की कल लड़ लेना।
रानी भाभी की तरफ देखती हुई बोली: क्या मतलब भाभी?
भाभी: कुछ नहीं, कल समझ आ जाएगा।
फिर भाभी मेरी तरफ देख के हंसी। मैं समझ गया की भाभी रानी की चूत की बात कर रही थी, जिसकी सील टूटनी बाकी थी। उनकी बात और हंसी देख मैं भी हसने लगा।
तो रानी ने पूछा: आप दोनो क्यूँ हंसे जा रह हो?
भाभी: कुछ नहीं बाकी बात तू कल समझ जाएगी। अभी तुम दोनों आराम करो।
ये कह कर भाभी अपने रूम में चली गयी। रानी ने साड़ी पहन ली और मैंने भी लुंगी पहन ली। फिर मैंने अपनी बीवी को किस्स किया और अपने सीने से चिपका के सो गया।
शादी और सुहागरात में करी चुदाई की थकावट से हम दोनों पति-पत्नी सुबह के 11 बजे उठे। मैं अपनी खूबसूरत और भोली बीवी को निहार रहा था। वो मुझे देख के मुस्कुराई और शरमाते हुए बोली: आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हो?
मैं: तुम पर प्यार आ रहा है। तुम वाक़ई में बहुत सेक्सी हो।
ऐसे बोल कर मैंने अपनी बीवी के होठों को चूम लिया।
रानी शरमाते हुए बोली: आप भी ना।
और फिर वो उठ कर वॉशरूम मैं फ्रेश होने चली गयी। तभी भाभी कमरे मैं आई। मैं सिर्फ़ लुंगी मैं ही था और सुबह के टाइम तो आप सब को पता ही होता कि हम मर्दों का औजार टाइट रहता है।
उन्होने मुझे एक ज़ोरदार मॉर्निंग किस्स दिया और मेरे लंड को सहलाते हुए बोली: उठ गये आप दोनों। मैंने आप दोनों के लिए नाश्ता बना दिया है, जल्दी ही फ्रेश होके नीचे आ जाईए।
और वो ये बोल कर चली गयी। जल्दी ही हम दोनो फ्रेश होकर नीचे डाइनिंग टेबल पर आ गए। फिर हम तीनों ने एक साथ मिल कर नाश्ता किया। फिर मैं शाम को रानी और भाभी को दिल्ली घुमाने ले गया। रानी ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। हम तीनों ने पिक्चर भी देखी और मैंने उन दोनों को शॉपिंग भी करवाई। और रात का हम तीनों ने ढाबे पे खाना खाया, और 8 बजे घर वापस आ गये।
हम तीनो फ्रेश हुए और भाभी ने मुझे फिर से वही वाला दूध दिया जो उन्होने सुहागरात वाले दिन दिया था। मैंने भी दूध पी लिया और कुछ देर बाद फिर से रानी की सिकाई के लिए गरम पानी ले आई और बोली: रानी जल्दी से अपने कपड़े खोलो, मैं तुम्हारी सिकाई कर देती हूँ।
रानी को भी दर्द हो रहा था तो उसने भी बिना ना-नुकुर करते हुए झट से अपने कपड़े खोल दिये और अपनी सिकाई करवाने लगी।
कहानी जारी है।
अगला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-9