पिछला भाग पढ़े:- गरबा की रात मां की चुदाई-1
दोस्तों हिंदी सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं दोस्तों के कहने पर अपनी मम्मी को गरबा खेलने लेके लाया। फिर मेरे दोस्तों ने मां को घेर लिया और उनके साथ गरबा खेलने लगे। अब आगे-
थोड़ी देर खेलने के बाद मम्मी थक गई। तब उन्हें मेरा एक दोस्त अपने साथ साइड में लेकर चला गया। मैं देखने लगा कि मम्मी किधर गई थी। मैं उनके पीछे जा रहा था, तब देखा कि वह उन्हें पार्क में लेकर जा रहा था।
जैसे ही मैं पार्क की ओर जाने लगा, वैसे ही मेरा दूसरा दोस्त आया और मुझे बोलने लगा: अरे यार तुम कहां जा रहे हो? चलो वहां पर गरबा के लिए लोगों की जरूरत है। वहां पर कुछ व्यवस्था करनी है, जल्दी चलो मेरे साथ।
फिर वह मुझे खींच कर यहीं पर लेकर आ गया, और हम दोनों गरबा के लिए कुछ व्यवस्था करने लगे। थोड़ी ही देर बाद मेरा ध्यान मम्मी की ओर जाने लगा। मैंने तुरंत यह सब छोड़ कर पीछे से निकलने की कोशिश की, और निकल कर फिर से मैं पार्क में चला गया।
जब मैं पार्क में पहुंचा तो चारों ओर देखा। कहीं कोई दिखाई नहीं दे रहा था। फिर मैं और अंदर पार्क में गया तो झाड़ियों के पीछे एक प्रेमी जोड़ा दिखाई दिया। वह दोनों बिल्कुल नंगे थे। लड़का नीचे बैठा हुआ था, और लड़की उसकी गोद में बैठ कर उछल-कूद कर रही थी।
मैंने ध्यान से उन्हें देखने की कोशिश की। तब मैंने देखा कि वह मेरी मम्मी नहीं थी। वह कोई और लड़की थी। मैं वहां से आगे बढ़ा तो काफी देर ढूंढने के बाद मुझे और भी प्रेमी जोड़े दिखाई दिए। पर वहां उनमें से कोई मेरी मम्मी नहीं थी। मैं वहां से बाहर की ओर निकलने लगा। तब गेट के पीछे मैंने देखा कि सुनसान जगह पर मेरी मम्मी और मेरा दोस्त बैठे हुए थे, और हंस-हंस के बातें कर रहे थे।
मेरा दोस्त मम्मी से बातें करते हुए उनकी कभी जांघों को टच करता, तो कभी उनके हाथों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगता। कभी उनके होंठों की तारीफ करते हुए उनके होंठ को छू देता। मम्मी बस मुस्कान देती, और शर्मा कर दूसरी ओर देखने लगती।
थोड़ी देर बातें करते-करते मुझे ऐसा लगा जैसे उन दोनों में अब कुछ होने वाला था। मम्मी भी अब उसका साथ दे रही थी। जैसे-जैसे वह मम्मी का हाथ सहलाता है, मम्मी अपने हाथ को और उसके नजदीक ले जाती है। अपने शरीर को उसके पूरे नजदीक ले जाती है। उन दोनों की जांघें एक-दूसरे से टकरा रही थी। मम्मी जैसे लग रहा था कि अब सब कुछ उसके ऊपर छोड़ चुकी थी, वह जो करें मम्मी तैयार थी।
मेरा अनुमान बिल्कुल भी सही निकला। मम्मी अब उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा लेकर चली गई, और वह तो जैसे लग रहा था कि मम्मी को खा ही जाएगा। थोड़ी ही देर में उसने मम्मी के कोमल होठों पर अपने होंठ रख कर उनकी लाल लिपस्टिक को चूसना शुरू कर दिया।
काली अंधियारी रात थी। चारों तरफ सुनसान था। बगल में ही गरबा का डांस चल रहा था और इधर मम्मी रासलीला कर रही थी मेरे दोस्त के साथ।
मम्मी अब उसके गले में अपनी बाहों को डाल उसके होंठ को चूस कर उसे साथ दे रही थी। मेरा दोस्त मम्मी की कमर में हाथ डाल कर उनके मुलायम गद्देदार मांस को टटोल रहा था।
दोनों के अब शरीर एक-दूसरे से सट चुके थे मम्मी की भारी भरकम चूचियां उसके सीने में धसी हुई थी, और दोनों एक-दूसरे के होंठ चुसाई में मजा ले रहे थे। मेरा दोस्त मम्मी की चोली के ऊपर से ही उनकी दोनों चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मम्मी अब धीरे-धीरे सिसकारी लेने लगी थी।
मम्मी: आआआअह्ह्ह आरम से दबाओ उउउउउफ्फ्फग।
दोस्त: आह आंटी गजब की खूबसूरत हो। मन करता है कि खा जाऊं।
फिर मेरे दोस्त ने मम्मी के दोनों चूचियों को चोली से आजाद कर दिया, और बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया। मम्मी उसके सर को सहला रही थी, और अपनी चूचियों को चुसवा रही थी। फिर मेरा दोस्त ने अपने लंड को पेंट से बाहर निकाला। पेंट को पूरा नीचे कर दिया, और लंड को हाथ में लेकर लहराने लगा।
मम्मी फिर नीचे झुकी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी। मेरा दोस्त तो जैसे सातवें आसमान पर था। वो अपनी आंखें बंद करके मेरी मम्मी के सर को अपने लंड पर घुसाये जा रहा था। मम्मी पूरे अच्छे से उसके लंड को चूस रही थी।
फिर मम्मी ने अपना लहंगा को कमर तक उठाया, और पैंटी को निकाल दिया, और उसके लंड के ऊपर बैठ गई।
दोस्त : आआह आंटी, क्या चूत है आपकी! इतनी मुलायम चूत मैंने आज तक नहीं देखी है। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर चला गया हूं।
मम्मी अपने हाथ को उसके गले में डाल कर, उसके होंठों पर अपने होंठ रखते हुए उछलना शुरू कर दी। मेरे दोस्त के होंठ चूस रही थी, और उसके लंड पर बैठ कर अपनी चूत चुदवा रही थी। काफी देर तक ऐसे ही मम्मी की चुदाई होती रही, और मम्मी उसके ऊपर बैठ कर उछल-कूद करके अपनी चूत चुदवाती रही, और उसके होंठ को चूसती रही।
मम्मी के उछलने की रफ्तार बढ़ गयी थी। ऐसे लग रहा था कि किसी भी पल मम्मी का रस निकल जाएगा, और अब मेरे दोस्त के गन्ने का भी रस निकालने वाला था। दोनों एक-दूसरे की ओर काफी तेजी से बढ़ रहे थे। मम्मी लगातार उसके लंड पर उछल रही थी, और वह भी नीचे से लगातार तेजी से अपने लंड को मेरी मम्मी के चूत में दे रहा था।
दोनों ऐसे ही रफ्तार मे उछल-कूद करते हुए थोड़ी देर बाद शांत हो गए, और दोनों हांफने लगे। फिर मम्मी उठी और अपनी पैंटी पहनी और लहंगे को ठीक किया। फिर चोली को ठीक किया, और अपने आप को फिर से संवार लिया, और वहां से बाहर निकलने लगी।
मेरी मम्मी और मेरा दोस्त दोनों फिर से गरबा के स्थान पर आए और गरबा खेलना शुरू कर दिया। और फिर से मेरा दूसरा दोस्त भी आया और मम्मी के साथ गरबा खेलने लगा। मेरे दोनों दोस्त मिल कर मम्मी इसके साथ गरबा खेल रहे थे।
लगभग 1 घंटे बाद मैं मम्मी को लेकर घर पर आ गया, और फिर दूसरे दिन जब मैं मम्मी के साथ गरबा खेलने के लिए गया, तब हमें फिर से आधे घंटे बाद कहीं चली गई मेरे दूसरे दोस्त के साथ।
मैं समझ गया था कि मम्मी कहां गई थी। मैं वही पार्क में फिर से गया, तो देखा कि आज मेरी मम्मी दूसरे दोस्त के साथ यहां पर बैठ कर एक-दूसरे के होंठ को चूस रही थी?