एक दिन एकाएक मैं गार्डन में ऐसे ही गरबा के टाइम पर घूमने के लिए चला गया। तब वहां पर मुझे मेरी ही समिति की एक बहुत ही खूबसूरत भाभी दिखाई दी किसी के साथ। वो वहां अपने बूब्स निकाल कर अपने बॉयफ्रेंड से मसलवा रही थी। खूब आनंद लेकर एक पेड़ की आड़ में बैठ दोनों प्रेमी प्रेम के रस का मजे ले रहे थे।
झाड़ियों के भीतर या आस-पास देखने पर तो कई प्रेमी जोड़े तो नंगे भी दिखाई देते हैं। आते हैं गरबा खेलने, और सेट होकर यहीं पर घमासान एक-दूसरे से युद्ध लड़ते हैं। परंतु बहुत सी महिलाएं केवल डांडिया खेलने ही आती है, और खूब गरबा में इंजॉय करती है।
एक दिन की बात है। मैं और मेरे दोस्त लोग सभी लोग मिल कर शाम की गरबा का आयोजन कर रहे थे, कि तभी मेरे एक दोस्त ने बोला, “यार आरव, सभी औरतें यहां पर गरबा खेलने आती है। पर तुम्हारी मम्मी कभी यहां दिखाई नहीं देती। क्या उनका मन नहीं करता है थोड़ा जी बहलाने का??
मैं मुस्कुराते हुए कहा: मेरी मम्मी वैसी नहीं है यार। वह बस पूजा-पाठ करती है और उसी में खुश रहती है। उनको इन सब चीजों में दिलचस्पी नहीं है।
दोस्त: एक बार उनसे जाकर पूछ तो सही। क्या पता वह आने को तैयार हो?
मैं: ऐसा नहीं है यार, और हमारा घर यहां से दूर ही कितना है। वह चाहती तो आ भी सकती है। वहां से आस-पास की औरतें आती हैं, पर उनका मन केवल पूजा-पाठ में ही लगता है।
दोस्त: देखो आरव, यदि तुम अपने मम्मी से प्यार से पूछोगे, तो वह ज़रूर राजी हो जाएंगी। उन्हें एक बार यहां पर लेकर आओ। फिर देखो उनका मन कैसे यहां पर लगेगा।
पता नहीं यह लोग मुझे क्यों फोर्स कर रहे थे मम्मी को यहां लाने के लिए। पर मैं भी चाहता था कि मम्मी भी मेरी एंजॉय करें, थोड़ी बहुत मस्ती करें। इसलिए मैं उन्हें यहां लाना चाहता था।
फिर सारी तैयारियां होने के बाद मैं घर निकल गया। जब घर पहुंचा तब देखा कि मम्मी खाना बना रही थी। तब मैं मम्मी के पास गया, और उन्हें पीछे से गले लगा कर प्यार से एक किस्स उनके माथे पर कर लिया।
मम्मी: आ गया मेरा राजा? कहां गए थे? सब हो गई तैयारी? भूख तो लगी ही होगी?
मैं: हां मम्मी, बहुत जोरों की भूख लगी है। मैं वहां गरबा के लिए तैयारी करने गया था। सारी तैयारियां हो चुकी है। अब तो समिति की महिलाएं भी जुटने लगी हैं वहां पर गरबा खेलने के लिए।
फिर मम्मी ने मुझे गरमा गरम खाना दिया और बोली-
मम्मी: पहले खाना खा लो, उसके बाद चले जाना गरबा देखने के लिए। मैं भी जानती हूं गरबा तो तुम खेलते होंगे नहीं, और क्या देखते हो बेटा मुझे सब पता है।
मैं: ऐसा नहीं है मम्मी। हम लोगों को गरबा का आयोजन करना होता है, इसलिए मैं गरबा नहीं खेलता। और वहां पर जो लोग भी खेलते हैं, उनके लिए सब चीज़ें उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है। अच्छा मम्मी, आज आप भी चलो ना हमारे साथ गरबा खेलने। कितना मजा आएगा। आप दिन भर बस काम करती रहती हो। आप गरबा खेलो, आपका मन एक-दम हल्का हो जाएगा। वहां बहुत एंजॉय करोगी आप।
मम्मी: मैं क्या करूंगी बेटा वहां पर जाकर? और वैसे भी, मेरा मन घर में ही लगता है। मैं लोगों के बीच नहीं जाना चाहती?
तभी बाहर से पापा भी आए, और फिर मम्मी उन्हें खाना देने चली गई। तब मैंने पापा से कहा-
मैं: पापा, मम्मी को बोलो ना गरबा खेलने जाने के लिए।
फिर पापा ने भी मम्मी को कहा, तब जाकर मम्मी मान गई, और फिर मैं और मम्मी दोनों ही बाइक पर बैठ कर सोसाइटी में गरबा खेले निकल गए। मम्मी को जैसे ही मैं गरबा के स्थान पर लेकर पहुंचा, मेरे दोस्त लोग देख कर एक-दम हैरान रह गए। मम्मी उस दिन लहंगा और चोली पहनी हुई थी, और कई रंग बिरंगी चूड़ियां पहनी हुई थी। साथ ही मेकअप और गले में हार डाली हुई थी। देख कर मम्मी को कोई नहीं कह सकता था कि वह मेरी मम्मी है। देखने में बिल्कुल ही मेरी बड़ी बहन जैसी लग रही थी।
मेरे दोस्त मेरे मम्मी के पास जाकर हाय हेलो करने लगे। मम्मी भी उनको हाय हेलो का जवाब देने लगी। मैं गाड़ी को एक साइड में पार्क करने चला गया। जब मैं गाड़ी पार्क करके आया, तब देखा कि मम्मी मेरे दोस्तों के साथ गरबा खेलने भी लगी थी। मेरे दोनों दोस्त मम्मी के साथ गरबा खेल रहे थे। मम्मी अकेले उनके साथ गरबा खेल रही थी। उनके चेहरे पर हंसी देख कर मेरा रोम-रोम खिल उठा।
मेरे दोनों दोस्त, मम्मी के लिए पागल हो चुके थे। वह मम्मी के साथ गरबा तो खेल ही रहे थे, साथ ही साथ उनको टच करने की कोशिश भी कर रहे थे। लेकिन मम्मी को ये चीज़ का कोई ध्यान नहीं था।
दोस्तों आज की कहानी यही तक, आगे की कहानी अगले पार्ट में। कमेंट करके फीडबैक देना ना भूलें।
अगला भाग पढ़े:- गरबा की रात मां की चुदाई-2