जब मैं कॉलेज में हुआ, तो मेरी गांड और बाहर की तरफ निकलने लगी। मैं जानता था कि अगर ऐसे ही मेरी गांड बढ़ती गई, तो लोगों को देखते ही पता चल जाएगा कि मैं गे हूं, इसलिए मैंने जिम जा कर बॉडी बनाने का फैसला लिया। मैंने सोचा कि जब बॉडी बनी होगी, तो किसी को अंदाजा नहीं होगा कि मैं क्या हूं।
फिर मैंने जिम ज्वाइन कर लिया। वहां शुरू-शुरू में मैं किसी से बात नहीं करता था। लेकिन फिर एक दिन मेरी जतिन से बात शुरू हुई। ये बात एक दुर्घटना की वजह से शुरू हुई थी।
हुआ यूं, कि मैं बेंच प्रेस एक्सरसाइज कर रहा था। आज मैंने वजन थोड़ा ज्यादा डाल लिया था। फिर मैं लेता, और मैंने वजन उठाना शुरू किया। मैंने उठा तो लिया, लेकिन जब रखने की बारी आई, तो मेरे से रखा नहीं जा रहा था। अब मैं मुसीबत में फंस गया, और मेरी बाहें कांपने लगी। मैंने सोचा चीखा तो मेरी बेइज्जती हो जाएगी।
अभी मैं ये सोच ही रहा था, कि तभी किसी ने आके मेरे हाथों से वेइट पकड़ कर वापस रख दिए। जब मैंने देखा तो वो एक लड़का था। मैंने उसको शुक्रिया कहा। मैं बोला-
मैं: तुम्हारा बहुत शुक्रिया। आज तो फंस ही गया था मैं। अगर तुम टाइम पर नहीं आते, तो मेरी बैंड बज जाती। वैसे मेरा नाम नीरज है।
वो: मेरा नाम जतिन है। तुम्हें ये एक्सरसाइज अकेले नहीं करनी चाहिए। अगर तुम्हारी गर्दन बीच में आ जाती, तो तुम्हें चोट लग सकती थी।
मैं: मैं किसी को जानता नहीं हूं यहां, तो मदद मांगने में थोड़ी झिझक हो रही थी।
जतिन: चलो कोई बात नहीं, अब तो तुम मुझे जानते हो। अब तुम मुझे मदद के लिए कह सकते हो।
तो ऐसे हमारी जान-पहचान हुई। फिर अगले दिन से मैं उसकी एक्सरसाइज में मदद लेने लगा। धीरे-धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। मुझे वो मन ही मन अच्छा लगने लगा। फिर एक दिन ऐसे ही एक्सरसाइज करते हुए मैं नीचे झुका हुआ था। मेरी गांड उसके सामने थी। उसने मेरी गांड देखी और बोला-
जतिन: भाई तेरी गांड तो बहुत सेक्सी है। ये तो लड़कियों की गांड को भी मात दे रही है। अगर तुम लड़की होती, तो तुम्हें पटा कर तुम्हारी गांड जरूर मारता।
ये सुन कर मैं बोला: अगर इसके लिए लड़की होने की जरूरत नहीं है, तो तुम मेरी भी गांड मार सकते हो।
मैं ये बोल कर उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगा। वो मेरी बात सुन कर हैरान हो गया।
फिर वो बोला: भाई तू गांड… गांडू…?
मैं: हां मैं गांडू हूं। और मैं तुझे पसंद भी करता हूं।
ये सुन कर वो और हैरान हो गया। फिर मैंने बोला: तुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है। ये तो बस मैंने तुझे बताया है कि मैं तुझे पसंद भी करता हूं। कोई शर्त नहीं है कि तू भी मुझे पसंद करे। हम दोस्त ही ठीक है, अगर तुम्हारे मन में मेरे लिए ऐसा कुछ भी नहीं है तो।
जतिन मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रहा था। फिर वो बोला-
जतिन: भाई अभी तो मैं कुछ नहीं कह सकता इस बारे में।
मैं: कोई दिक्कत नहीं भाई।
फिर कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। एक दिन मैं स्कॉट मार रहा था, और जतिन का ध्यान मेरी गांड पर ही था। तभी वो अचानक से खड़ा हुआ, और मेरा हाथ पकड़ कर बोला-
जतिन: चल जरा मेरे साथ।
फिर वो मुझे लड़कों के चेंजिंग रूम में ले गया, और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। उसके बाद उसने मुझे दीवार के साथ लगाया, और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। मैं हैरान हो गया कि उसको अचानक से क्या हो गया था। अब वो मेरे होंठ चूसने लग गया, और मैं भी उसका साथ देने लगा। आज पहली बार किसी मर्द का स्पर्श मैंने महसूस किया था, और मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
तकरीबन 5 मिनट की किस्स के बाद वो मुझसे अलग हुआ। हम दोनों की सांसे तेज़ थी, और नजरें मिली हुई थी। तभी वो बोला-
जतिन: मैं नहीं जानता कि मैं तुझसे प्यार करता हूं कि नहीं, लेकिन अभी मुझे मत रोकना।
मैं: नहीं रोकता।
ये बोल कर उसने मुझे फिर से किस्स करना शुरू किया, और साथ में मेरी गांड दबाने लगा। फिर उसने मेरा पजामा और अंडरवियर निकाल दिया, और मुझे घुमा कर नीचे बैठ गया। अब वो मेरी गांड चूमने-चाटने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। कुछ देर गांड चाट कर उसने मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर दिया था। फिर मैं उसकी तरफ घूमा और नीचे बैठ कर उसको खड़ा किया। उसके बाद मैंने उसका पजामा और अंडरवियर उतार कर उसका लंड बाहर निकाला।
उसका लंड काफी मोटा और तगड़ा था। मैंने देखते ही लंड मुंह में लेके चूसना शुरू कर दिया। जतिन आह आह करके कमर आगे-पीछे करने लगा। कुछ ही देर में मैंने उसके लंड को चूस-चूस कर बिल्कुल चिकना कर दिया।
फिर उसने मुझे खड़ा किया, और घुमा कर दीवार पर हाथ रखवा दिए। अब मैं खड़ी घोड़ी बन गया। फिर उसने मेरी गांड के छेद पर अपना लंड सेट किया, और जोर का धक्का मारा। पहले धक्के में उसका आधा लंड मेरी गांड में चला गया। दर्द से मेरी आँखें चढ़ गई, और मुंह से चीखें निकलने लगी। वो धक्के पे धक्का मारता गया, और उसका लंड अंदर घुसता गया। कुछ ही सेकंड्स में उसका पूरा लंड मेरे अंदर था। आज मुझे वो एहसास मिला था, जिसका मुझे कब से इंतेज़ार था।
कुछ देर के दर्द के बाद मुझे मजा आने लगा। अब वो धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करता गया, और मैं आह आह करने लगा। बहुत मजा आ रहा था। फिर जतिन ने मेरे चूतड़ पकड़े, और तेज़ी से धक्के मारने लगा। मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। 15 मिनट की चुदाई के बाद मुझे अपनी गांड के अंदर जतिन का अमृत महसूस हुआ। फिर हम कपड़े पहन कर बाहर आ गए। उसके बाद अक्सर हम चुदाई करते है, लेकिन इस रिश्ते को अभी तक कोई नाम नहीं दिया।
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