पिछला भाग पढ़े:- पति की धोखेबाज़ी-1
दोस्तों मेरी चुदाई कहानी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है। पिछले पार्ट में आपने मेरी सुहागरात पर हुई चुदाई की कहानी पढ़ी। अब आगे-
12 बजते-बजते जब आग कुछ शांत हुई दो बार की चुदाई के बाद तो राजेश उठा। पूरी चादर खराब हो गयी थी और मुझे दर्द बहुत हो रहा था। राजेश तजुर्बेकार था, उसने एक दर्द निवारक गोली लाके मुझको दी।
तभी ससुर जी का फोन आ गया कि दादी का शरीर पूरा हो गया है।
पर उन्होंने राजेश से कहा: कोई बात नहीं तुम सुबह जल्दी आ जाना!
राजेश और मैं नहा कर फ्रेश हुए, कमरा ठीक किया और राजेश अस्पताल चला गया सासू मां को घर लाने! अगले दिन अंतिम क्रिया हुई। राजेश की नयी नौकरी थी और बाद में हनीमून पर भी जाना था, तो राजेश को ड्यूटी पर वापिस जाना पड़ा।
बड़ा किलसा उसने बहुत खुशामद की घर पर मुझे अपने साथ ले जाने की! पर यह व्यवहारिक नहीं था तो बस सुहागरात मना कर राजेश तो ड्यूटी पर चला गया। चाह कर भी वह तेरहवीं से पहले घर वापिस नहीं आ पाया, आया तो भी केवल एक दिन के लिए! उस रात उसने मेरी फिर से जम कर चुदाई की।
मैं भी प्यासी थी। मैं भी तड़प रही थी अपने पति के साथ के लिए। अगली सुबह वापिस जाते समय राजेश ने घर वालों से दबी जुबान में हनीमून की बात की, तो ससुर जी ने 10 दिन बाद जाने की सहमति दे दी।
कुल मिला कर राजेश शादी के पहले महीने मेरे साथ ज्यादा रात नहीं रह पाया। 10 दिनों के बाद मैं और राजेश 15 दिनों के हनीमून पर गोवा गए। मुझे कपड़े पहनने का बहुत शौक था। पर पूरे हनीमून में राजेश मुझे कपड़े पहनने दे तब तो। मैंने बहुत चाहा कि हम लोग सेक्स के दौरान कोई प्रोटेक्शन लेलें। पर जब सेक्स दिन रात होता हो तो कभी ना कभी भूल हो जाना स्वाभाविक था।
राजेश तो अप्राकृतिक सेक्स के भी माहिर था। मैंने बहुत समझाया कि जब आगे का छेद उपलब्ध है, तो पीछे क्यों? और फिर भी कमी रह जाती तो मैं मुंह से भी करती थी। पर राजेश बिना मेरी गांड मारे सोता ही नहीं था।
हम दोनों ही सेक्स के इतने प्रेमी निकले कि मैंने राजेश के लंड के अलावा जो कुछ भी राजेश ने मेरी चूत में घुसेड़ा, मैंने उस चीज़ का भी काफ़ी मजा लिया। राजेश पोर्न मूवीज देख-देख कर पक्का हो चला था, तो अपने साथ एक दो रबड़ के पेनिस यानि डिल्डो ले गया था। और इसके अलावा और भी जो कुछ उसके मन में आता वह अंदर घुसा देता।
हनीमून पूरा होते-होते मेरे दोनों छेदों में इन्फेक्शन हो चुका था और हम दोनों के इस घमासान सेक्स का नतीज़ा यह हुआ कि जब घर आने पर मैं क्लिनिक गयी और मेरा चेकअप हुए तो मैं गर्भवती थी। और साथ ही इन्फेक्शन भी जबरदस्त हो चले थे। क्योंकि काफी समय हो गया था मुझे दिन-रात चुदते-चुदते!
इतनी पीड़ा के बावजूद भी मैं राजेश को मना नहीं कर पाती थी। पर जब स्थिति सीमा से बाहर हो गयी, तो मेरी हिम्मत जवाब दे गयी। पहली बार मायके आने पर मेरी स्थिति देख कर मेरी मा मुझे डॉक्टर के पास ले गयी। तो डॉक्टर ने हम दोनों को जम कर झाड़ा।
उन्होंने कहा: स्थिति इस समय भी गंभीर है। और अगर अब भी मैं नहीं आती तो शायद हम दोनों का बच्चा बचना मुश्किल हो जाता।
डॉक्टर ने फिलहाल कुछ महीनों तक सेक्स के लिए साफ़ मना कर दिया था। अब हालांकि हमारी शादी को केवल दो महीने ही हुए थे, कि मां ने राजेश की मां से राय करके साफ कह दिया कि अब अगले तीन-चार महीने मैं अपने मायके में ही रहूंगी। ससुराल वाले भी मान गये और उन्होंने भी रज़ामंदी दे दी।
राजेश मायूस होकर अपनी ड्यूटी पर वापिस आ गया। अब तक वह एक छोटे से होटल में महीनेदारी पर कमरा लेकर रह रहा था, इस उम्मीद में कि जब मैं आऊंगी तो मकान ले लेगा। पर अब जब मेरा आना अनिश्चित था, तो उसके सामने मकान ढूंढने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था।
राजेश ने अपने ऑफिस के बाहर एक चाय वाले बुजुर्ग जो इसी ऑफिस से रिटायर्ड थे, को अपना रिश्वत का एजेंट बना रखा था। उसे जो भी पैसा रिश्वत का लेना होता, वह बाबा को बोल देता। बाबा ले लेता और शाम को राजेश को दे देता।
राजेश 100-200 रूपये रोज के बाबा को दे देता, बाबा उसे बड़े आशीर्वाद देता। बाबा को इन रुपयों से शाम को दारु पीने का जुगाड़ हो जाता। राजेश ने उसी बाबा से अपने लिए कोई कमरा ढूंढने को कहा।एक-दो दिन बाद जब बाबा की दूकान पर वह बैठा चाय पी रहा था, तब बारिश होने से वह अकेला ही ग्राहक था।
तब उसने दोबारा बाबा से कमरे के लिए कहा। बाबा ने उससे कहा कि कमरा तो उसके घर पर ही था। ऊपर अलग हिस्सा बना हुआ था। नया ही बना था। वह उसने अपने लड़के के लिए बनाया था। पर अब वह बाहर रहता है तो वह खाली था।
बाबा आगे हिचकते हुए बोला कि उसका लड़का बाहर बैंक में काम करता था, चपरासी था, पर वह निकम्मा था। नशेड़ी था तो उसकी अपनी बीवी से नहीं पटती। सरकारी नौकरी के चक्कर में उसकी एक सुंदर और पढ़ी-लिखी पर बिन मां-बाप की लड़की रागिनी से शादी हो गयी। पर शादी के बाद उसकी हरकतों से रागिनी ने आत्महत्या की भी कोशिश की।
समय से पता लगने पर उसको बचा तो लिया पर अब वह उसके लड़के को पास नहीं फटकने देती थी। उसका पति मनोज हर शुक्रवार-शनिवार घर आता था, पर रागिनी उससे सीधे मुंह बात भी नहीं करती थी।
कोई और सहारा ना होने से घर में पड़ी रहती थी। पर बाबा और उसकी पत्नी से हर समय लड़ाई के मूड में रहती। वह मानती थी कि उन दोनों ने उसकी जिन्दगी बर्बाद कर दी। वैसे वह घर के काम में बहुत होशियार थी, पर बदजुबान हो गयी थी।
इसलिए बाबा डर रहा था राजेश को रखने में कि कहीं वह रागिनी राजेश से मुंह जोरी ना कर बैठे।
इसी सब की वजह से बाबा ने भी शराब पीनी शुरू कर दी। वह देर रात घर जाता, फिर चुप-चाप रोटी खा कर और दो घूँट लगा कर सो जाता है।
खैर राजेश के बहुत कहने पर बाबा उसे अपना घर दिखाने को राजी हो गए। राजेश के नयी बुलेट मोटरसाइकिल थी। वह बाबा के साथ उनके घर पहुंचा। एक पतली सी गली में घर था बाबा का। मकान तो ठीक-ठाक बना था। दरवाजा रागिनी ने ही खोला।
पति की धोखेबाज़ी की कहानी अभी जारी रहेगी। आप इस भाग पर अपने विचार मुझे मेल से और कमेंट्स में बताएं।
अगला भाग पढ़े:- पति की धोखेबाज़ी-3