पिछला भाग पढ़े:- पापा की परी प्रीती-3
सेक्स कहानी अब आगे-
सुबह प्रीती की चुदाई के बाद मैं सीधा फार्म पर चला गया। फार्म से आया तो घर के अंदर भी नहीं गया और सत्रह सेक्टर चला गया। शाम को सत्रह से वापस आया तो लाउंज में बैठ गया। प्रीती का सामना करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
जब मैं आया था और प्रीती ने दरवाजा खोला था, तो प्रीती सलवार कमीज पहनी हुए थी। मगर जब प्रीती लाउंज में आई तो उसने वही सुबह वाला झीना गाऊन पहना हुआ था। गाऊन के नीचे ना ब्रा और ना पैंटी।
सुबह की चुदाई के कारण मैं प्रीती से नज़र नहीं मिला पा रहा था। मैं व्हिस्की पी रहा था और प्रीती जिन के घूँट लगा रही थी। मुझे इस तरह चुप देख कर प्रीती उठी और आ कर मेरी टांगों पर बैठ गयी और बाहें मेरे गले मैं डाल कर आगे से गाऊन के बटन खोल दिए। प्रीती के बड़े-बड़े मम्मे गाऊन से बाहर निकल आये।
प्रीती ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने मम्मे पर रख दिया। ना तो मैं प्रीती के मम्मे दबा रहा था, ना ही कुछ बोल रहा था।
मुझे इस तरह चुप देख कर प्रीती ही बोली, “पापा एक बात बताओ, मुझे ये खूबसूरत शरीर, मुझे ये बड़े-बड़े मम्मे, ये मुलायम चूतड़, ये बड़ी-बड़ी फांकों वाली फुद्दी किसने दी?”
मैं तो चुप ही था। मगर जब प्रीती बोली शुरू हुई तो फिर बोलती ही गयी।
“पापा आपने मम्मी को चोदा, उनकी चूत में अपने लंड से बीज डाला और आपकी ये बेटी इस दुनिया में आ गयी। मेरे इस जिस्म पर, मेरे मम्मों पर, मेरे चूतड़ों पर, मेरी फुद्दी पर पहला हक़ आपका है, सुखचैन से भी बहुत पहले का।”
“पापा आप तंदरुस्त हो। आपके लंड में बहुत दम है। कोइ भी लड़की आपके लंड को अपनी फुद्दी में लेने को तैयार हो जाएगी। और पापा मुझे मालूम है आप फुद्दी चोदने के बहुत शौक़ीन भी हो, हर तंदरुस्त इंसान होता है – पापा इसमें बुराई क्या है? तंदरुस्त आदमी ही फुद्दी चोदते हैं।”
“पापा मुझे मालूम है आप अम्मी को रोज़ चोदते रहे हो, मम्मी की फुद्दी चूसते रहे हो। अब मम्मी यहां नहीं है, और आपको फुद्दी चाहिए – चूसने के लिए, चोदने के लिए, मजे लेने के लिए। और पापा अब जब सुखचैन यहां नहीं है और मुझे भी तो लंड चाहिए अपनी फुद्दी में, चूतड़ों के छेद में, चूसने के लिए मुंह में। मुझे भी तो मजे लेने हैं।”
“पापा मुझे तो ये भी मालूम कि है आप बिशनी की फुद्दी भी चोदते हो। पूरन चाचा के लिए बिशनी जैसे जवान लड़की को चुदाई मजा देना जरा मुश्किल सा लगता है। उधर आप तो एक-दम तंदरुस्त हो, एक-दम मस्त लंड है आपका। भला बिशनी कैसे आप का लंड लिए बिना रह सकती है?”
“लेकिन पापा मैं आपको जानती हूं, आपके शौंक भी जानती हूं। आप बिशनी को चोद कर अपने लंड का पानी तो निकाल सकते हो लेकिन आप बिशनी की फुद्दी नहीं चाट सकते, बिशनी के चूतड़ नहीं चाट सकते। बिशनी के साथ आपकी चुदाई बस एक तरह से चुदाई की ठरक पूरी करने के होती होगी, बिस्तर पर लिटाया या घोड़ी बनाया, लंड चूत में डाला, धक्के लगाए, लंड का पानी निकाला और हो गयी चुदाई। ऐसी चुदाई में असली मजा नहीं आता पापा।”
“चलो ये भी छोड़ो, अब मम्मी यहां नहीं है और आप फार्म में जा कर बिशनी को चोद कर मजा ले लेते हो, मगर बताईये अगर मैं आपसे ना चुदवाऊं कहां?”
प्रीती बोलती जा रही थी, “और फिर पापा ये एक दो दिन की बात तो है नहीं, पूरे दो-तीन महीने की बात है। मम्मी कम से कम दो महीने से पहले आने वाली नहीं, और सुखचैन भी समझो कम से कम तीन महीने तो ढुबरी में रहेगा ही। तो बताओ पापा कैसे हम दोनों रहेंगे बिना चुदाई के मजे लिए?”
“पापा आपको तो पता ही है, आप तो देखते भी रहे हो मेरे और सुखचैन की चुदाई। आप जानते ही हो मुझे रोज़ लंड चाहिए होता है अपनी फुद्दी में – मुझे क्या पापा, हर जवान लड़की को ही चाहिए होता है, और आप भी तो फुद्दी चोदने और चूसने के शौक़ीन हो। आपके लंड में भी पूरा दम है। पापा ये हिचकिचाहट छोड़ो और खुल कर मेरी टाइट चूत और गांड के मजे लो और मुझे भी अपने मोटे लम्बे लंड का मजे दो।”
फिर प्रीती धीरे से बोली, जैसे बड़े ही राज की बात बताने जा रही हो, “पापा एक बात बताऊं?”
प्रीती के मम्मी मेरे छाती को छू रहे थे। प्रीती के साँसों की गर्माहट मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। मैंने प्रीती की तरफ देखा। प्रीती बोली, “पापा मेरी शादी तो दो ही साल पहले ही हुई है। आपका ये लम्बा मोटा लंड तो मैंने उससे भी कई साल पहले अपनी चूत में महसूस किया है, जब भी मैं आपकी और मम्मी की चुदाई देखती थी। जब भी आप मम्मी की चूत में ये मोटा लंड डालते थे, मुझे आपका ये लंड मुझे अपनी चूत में जाता महसूस होता था।”
मैं हैरान हुआ। क्या प्रीती सच में ही मेरी और भूपिंदर की चुदाई देखती रही है। मैंने पूछ ही लिया, “प्रीती तुम कब से मेरी और अपनी मम्मी की चुदाई देखती रही हो?”
प्रीती बोली, “कई सालों से पापा, कई सालों से। अब तो मुझे याद भी नहीं कितने साल हो गए। तब कुछ ऐसे हालात बने थे के मैंने आपकी चुदाई एक बार देख ली और बस फिर तो मैं हमेशा आपके और मम्मी की चुदाई देखने के मौके ढूढ़ती थी।”
“पापा आपको तो मम्मी की चूत चूसने में भी बड़ा मजा आता है। आप मम्मी की फुद्दी चूतड़ खूब चूसते-चाटते हो। पापा अब ये मजे देने के लिया मम्मी यहां है नहीं तो फिर बताईये मजे के लिए आप क्या करेंगे? जब ये मजे लेने के लिया अब घर में ही एक बढ़िया गुलाबी टाइट फुद्दी मौजूद है, तो आप मजे क्यों ना लो? यही बात मेरे साथ भी है। मैं भी चुदाई के मजे के लिए कहीं बाहर क्यों जाऊं जब और इतनी सख्ती वाला मस्त मोटा लम्बा लंड घर में मौजूद है, मेरे पास? चलिए आज मैं आपको अपनी फुद्दी का रस पिलाती हूं – बिलकुल शुद्ध शहद जैसा गाढ़ा, हल्का गर्म, हल्का नमकीन।”
“मैं अभी भी सकते की हालत में था कि ये हो क्या रहा है। मेरा लंड खड़ा होने लग गया था। मगर मैं कुछ बोल नहीं रहा था।”
“मुझे इस तरह चुप बैठा देख कर प्रीती बोली, “पापा अभी भी सोच ही रहे हो?”
और फिर अपना मम्मा ऊपर करके मेरे होठों से लगाते हुए प्रीती बोली, “पापा मस्त मजा लो मेरी फुद्दी का और मस्त मजा दो मुझे अपन इस लंड का। आपका मोटा लंड मेरे टाइट फुद्दी मैं रगड़े खाता हुआ जाएगा, जन्नत का मजा आएगा आपको मेरी फुद्दी चोदने में।”
“पापा भला क्यों तरसें हम दोनों चुदाई के लिए जब एक मस्त लंड और एक टाइट फुद्दी एक ही छत, बल्कि एक ही कमरे में, एक ही बिस्तर पर मौजूद हैं। पापा मैं तो मम्मी के आने के बाद भी आपसे चुदाई जारी रखूंगी।”
प्रीती की बातें सुन कर मेरा लंड हरकत में आ चुका था। मेरी टांगें बंद थी और टांगों पर प्रीति बैठी थी। मेरा खड़ा होता हुआ लंड मेरी टांगों में जकड़ा पड़ा था। मैंने कसमसा कर अपनी टांगें थोड़ी से खोल दी और नीचे पायजामे में ही लंड ऊपर की तरफ हो गया और प्रीती के चूतड़ों को छूने लगा।
प्रीती की बात सुन कर कि “पापा मैं तो मम्मी के आने के बाद भी आपसे चुदाई जारी रखूंगी।” मेरे मुंह से निकल गया, “भूपिंदर के आने के बाद भी? ये कैसे होगा प्रीती?”
प्रीती बोली, “ये आप मुझ पर छोड़ो पापा। मैं अपनी मम्मी को जानती हूं। मम्मी जवानी में रोज आपका लंड लेती थी। मम्मी को पता है जवानी में है फुद्दी को लंड की कैसी जरूरत होती है। मम्मी मेरी फुद्दी की जरूरत भी समझेगी। आप बताओ पापा क्या मम्मी को ये मंजूर होगा कि उनकी खूबसूरत जवान बेटी बाहर होटलों में ऐरे-गैरे लड़कों से चूत चुदवाने जाये?”
“चलिए पापा उठिये। आपका लंड नीचे मेरी फुद्दी का छेद ढूंढने लग गया है। चलिए आज आपको अपनी फुद्दी का रस पिलाती हूं – भरी पड़ी चिकने पानी से।”
ये कह कर प्रीती मेरी गोद से उतरी और मेरे पायजामें का नाड़ा खोल दिया। पायजामा ढीला होते ही मेरा खड़ा लंड पटाक से सीधा हो गया। प्रीती नीचे बैठ गयी, लंड को पकड़ा और मुंह में ले लिया। प्रीती के नाजुक होठों की कुछ ही चुसाई ने मेरे लंड में एक-दम से सख्ती ला दी।
मेरे दिमाग से कन्फ्यूज़न, भ्रम के बादल काफी हद तक छंट चुके थे। प्रीती की बोली सारी बातें मुझे ठीक लगने लगी थी। मैंने प्रीती को कंधों से पकड़ कर उठाया और गाऊन ऊपर करके उसके चूतड़ों में उंगली डालते हुए कहा, “चलो प्रीती अंदर चलते हैं।”
प्रीति उठी और मेरे कमरे की तरफ चल दी। पीछे-पीछे मैं था, मेरी उंगली उसकी गांड के छेद में ही थी। अंदर जा कर प्रीती ने अपना गाउन उतारा और बिस्तर पर लेट गयी। मैंने भी अपने कपड़े उतारे और प्रीति के साथ ही लेट गया।
मैंने थोड़ी सी करवट ली और प्रीती की चूत मैं उंगली ऊपर नीचे करने लगा, सच में ही प्रीती की फुद्दी गीली हुई पड़ी थी। मैंने प्रीती की तरफ देखा जैसे कह रहा होऊं, “प्रीती फुद्दी चुसवाओ।”
प्रीती ने मुझे बाहों में ले लिया और अपनी एक टांग उठा कर और मेरी कमर रख दी – मतलब प्रीती फिर से मुझे अपनी गांड में उंगली डालने का इशारा कर रही थी। मैंने हाथ पीछे किया और प्रीती के चूतड़ों की दरार में उंगली ऊपर नीचे करते हुए गांड का छेद ढूंढने लगा। क्या नरम मुलायम चूतड़ थे प्रीटी के प्रीती के।
मैंने प्रीती के कान मैं कहा, “प्रीती तुम्हारे चूतड़ तो बड़े नरम मुलायम हैं।”
प्रीती ने हंसते हुए बोली, “पापा चूतड़ों का छेद और भी मुलायम है, मगर एक-दम टाइट। चोदोगे तो लंड पर ऐसे रगड़े लगेंगे कि मजा ही आ जाएगा।”
अब मेरी शर्म हट चुकी थी। मैंने भी हल्का सा हंसते हुए कहा, “एक-दम टाइट है? सुखचैन नहीं डालता इसमें अपना लंड? इतने मुलायम चूतड़ देख कर कैसे मन मार लेता है सुखचैन?”
प्रीती बोली, “पापा वो बात नहीं है। सुखचैन गांड चोदने का शौक़ीन नहीं है। चार छह महीने में जब कभी उसका बहुत मन करता है लंड पर रगड़े लगवाने का, तो मुझे बोल देता है, “प्रीती आज गांड में डालने का मन है।”
“पापा गांड चुदवाने का शौक मुझे भी नहीं, मुझे भी फुद्दी चुदवाने का ही शौक है, चाहे सारी-सारी रात चोदते रहो। मगर जब कभी सुखचैन का गांड चोदने का मन करता है, मैं मना नहीं करती, और मैं भी गांड चुदाई के मजे लेती हूं।”
“पापा आपका भी जब मन करे मेरी गांड में लंड डालने का, मुझे बता देना है।” और फिर प्रीती मेरे होंठ चूमती हुई बोली, “पापा आप तो चाहे रोज ही डालो मेरी गांड में लंड, आपके लिए मना नहीं है।”
मेरी एक उंगली प्रीटी की गांड के अंदर ही थी। प्रीटी की बातें सुन-सुन कर मेरा लंड अब सख्त होने लगा था। मैंने उंगली प्रीती के चूतड़ों के छेद में थोड़ी और अंदर की और प्रीती से पूछा, “प्रीती मेरा मोटा लंड तुम्हारी गांड के इस टाइट छेद में चला जाएगा?”
जब मैंने ‘इस टाइट छेद’ बोला तो मैंने उंगली जोर से प्रीटी की गांड में अंदर-बाहर की।
प्रीती बोली, “पापा अगर ना भी जाए तब भी एक बार ट्राई करने में क्या हर्ज है? मुझे भी अगर ज्यादा दर्द होगा तो मैं बता दूंगी। अगर मजा आता हो तो थोड़ी बहुत दर्द सहने में क्या जाता है? और पापा एक दिन नहीं जाएगा, दूसरे दिन नहीं जाएगा, मगर कब तक? कभी ना कभी तो जाएगा ही।”
“सुखचैन ने भी जब पहली बार मेरी फुद्दी को चोदा था तो उसका लंड भी फुद्दी में बड़ी मुश्किल से जा पाया था। और जब सुखचैन का लंड गया था मेरी फुद्दी में और तब मुझे भी दर्द हुआ था थोड़ा खून भी निकला था, इसका ये मतलब तो नहीं हुआ पापा कि मैं सुखचैन से फुद्दी ही ना चुदवाती?”
प्रीटी बोली, “चलिए उठिये आपको अपनी फुद्दी का रस पिलाऊं, मेरी फुद्दी में बरसात शुरू हो चकी है और इसमें बाढ़ आयी हुई है।”
मैंने प्रीती की गांड में से उंगली निकाल ली। प्रीती ने भी अपनी टांग मेरी कमर से हटा ली। मैं उठ कर खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा कि प्रीती मुझे अपने ऊपर उल्टा लेटने को कहेगी और या फिर वो मेरे ऊपर उल्टा लेटेगी।
वैसे तो कोई फर्क नहीं पड़ता। कैसे भी लेट जाओ मर्द औरत की फुद्दी चूसता है और औरत मर्द का लंड चूसती है। ये तो वहीं वाली बात है खरबूजा छुरी के ऊपर हो या छुरी खरबूजे के ऊपर, काम तो एक ही होता है।
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। प्रीती ने एक तकिया उठाया और बेड की साइड पर रख दिया और उस पर बैठ गयी।
प्रीती के चूतड़ तकिये पर थे, प्रीती ने एक तकिया पीछे रखा और तकिये पर सर रख कर पीछे की तरफ लेट गयी। प्रीती की टांगें बेड से नीचे लटक रही थी। प्रीती ने टांगें उठाई और हाथ नीचे करके अपनी फुद्दी की फांकें चौड़ी कर दी और बोली, “लो पापा, ये रही आपकी बेटी की फुद्दी, आ जाओ।”
प्रीती की फुद्दी बिलकुल भूपिंदर और मालिनी अवस्थी की फुद्दी जैसी थी, उभरी हुई फांकों वाली, ऊपरी फुद्दी। प्रीती की गुलाबी फुद्दी चिकने पानी से भरी पड़ी थी और पानी की चिकनाई के कारण वजह से चमक सी रही थी।
मेरी आंखें प्रीती की जवान गुलाबी फुद्दी से हट नहीं रही थी। मुझे इस तरह फुद्दी की तरफ देखते हुए देख कर प्रीती बोली, “आ जाओ पापा, चूसो मेरी चूत का मस्त गर्म नमकीन पानी। पता नहीं कब मम्मी आएगी – कनाडा से और कब आपको फुद्दी मिलेगी चूसने को, बिशनी की फुद्दी तो आप चूसोगे नहीं।”
मैं नीचे बैठा और मैंने अपना मुंह “पापा की परी प्रीती” की फुद्दी में घुसेड़ दिया।
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