पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-9
हिंदी चुदाई कहानी अब आगे-
चूत और गांड चुदाई का दौर खत्म हो चुका था। सब चलने की तैयार में थे। चलते-चलते भी नसरीन ने संदीप का लंड मुंह में ले लिया। मैंने हंसते हुए नसरीन से पूछा, “नसरीन क्या हुआ, और चुदाई का मन हो रहा है?”
नसरीन ने संदीप का लंड मुंह में से निकालते हुए कहा, “आज नहीं मालिनी जी अब और चुदाई नहीं, कम से कम अभी तो नहीं। अभी चूत और गांड को थोड़ा आराम के जरूरत है। इतनी चुदाई हुई है आज कि चूत और गांड दोनों में हल्का हल्का मस्ती वाला दर्द सा भी है। ये तो संदीप का मोटा लंड देख कर मुंह में लेने का मन हो गया।”
सब हंस पड़े। संदीप मेरी तरफ देखते हुए बोला, “अरे मैडम आपका मन नहीं कर रहा मेरा मोटा लंड मुंह में लेने का?”
मैंने उठते हुए कहा, “भोसड़ी वाले मेरे लिए तो तू घर की मुर्गी है, जब भी तेरा लंड चूसने का मन होगा आ जाऊंगी मुंह में लेने के लिए – तू तो हमेशा खड़े लंड लिए तैयार ही मिलता है।” नसरीन और असलम भी सोच रहे होंगे, ‘ये भाषा बोलती है ये देश विदेश के मशहूर मनोचिकित्स्क’?
फिर मैंने कहा, “आज के लिए बस चलते हैं संदीप सात बजने वाले हैं। प्रभा भी इंतजार कर रही होगी।”
संदीप भी बोला, “ठीक है मैडम, मगर जल्दी कोइ प्रोग्राम बनाओ। अगर दो गायें और दो सांडों वाला ना भी बने तो आप ही आ जाना।”
मैंने हंसते हुए कहा, “एक बात बता भोसड़ी वाले संदीप, दुनिया भर के रबड़ के लंड रबड़ की चूतें, रबड़ के चूतड़, मम्मे, होंठ सब कुछ तो तू सप्लाई करता है। तुझे चूतों की कमी है क्या? तू हर वक़्त मेरी चूत के पीछे क्यों पड़ा रहता है?”
अब संदीप थोड़ा सा संजीदा हो गया फिर बोला, “मैडम वैसे तो मुझे हमेशा से ही अच्छी लगती रही हैं। मैंने सैकड़ों चूतें, फुद्दियां चोदी हैं। मगर जब से मैंने आपकी की फुद्दी की झलक देखी, मैं आपकी फुद्दी का दीवाना हो गया। आपकी जैसी फुद्दी लाखों में नहीं तो हजारों में तो एक होती ही है – ऊंची फुद्दी, जिसमे लंड कर चुदाई करने का मजा ही का मजा ही अलग होता है, और आपकी फुद्दी की फांकें – मन करता है चूसते ही जाओ, चूसते ही जाओ। बस मैडम, तब से हमेशा मैं आपको चोदना चाहता था। मुझे आज तक भी ऐसी फुद्दी चोदने के लिए नहीं मिली।” ये कह कर संदीप ने अपना लंड जोर से खुजला दिया।
“ऊंची फुद्दी या ऊपर वाली चूत, और उभारदार फांके। लंड खड़ा करके ऊपर लेटो, और लंड चूत की फांकों पर रखो और अंदर की तरफ करके धकेल दो। लंड चूत में जाएगा ही जायेगा। चूत का छेद ढूंढने की भी जरूरत नहीं।”
मुझे अपनी चूत की ये खासियत मालूम ही थी, मगर असलम और नसरीन एक-दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे। हम उठे और चलने के लिए तैयार हो गए। जाते जाते मैंने संदीप से कहा, “संदीप फ़िक्र ना कर जल्दी ही चुसवाऊंगी भी और चुदवाऊंगी तुझ से।” और हम संदीप के ऑफिस से निकल गए।
कार में बैठते ही नसरीन ने पूछा, “मालिनी जी ये संदीप आपकी फुद्दी के बारे में क्या बता रहा था, कि आपकी फुद्दी अलग तरह की है?”
मैंने सोचा नसरीन का ज्ञानवर्धन करना चाहिए, साथ ही हमारे पाठकों का भी ज्ञानवर्धन हो जाएगा।
मैंने नसरीन से कहा, “देखो नसरीन लंड और चूत यानी फुद्दी कि बनावट अलग-अलग तरह की होती है। जैसे लंड छोटा मगर मोटा, छोटा और पतला, लम्बा मोटा या लम्बा पतला, आगे से फूला हुआ या आगे से कुछ पतला और पीछे से मोटा होता है, मतलब लंड की बनावट कई तरह की हो सकती है। ऐसे ही फुद्दी मोटी-मोटी तीन तरह की होती है। ऊंची फुद्दी, नीची फुद्दी या आम फुद्दी जिसे बीच की फुद्दी भी कह सकते हैं।
इनमें ऊंची फुद्दी और नीची फुद्दी किसी किसी-किसी की होती है मगर बीच की फुद्दी ज्यादा औरतों की होती है। मगर इसके उलट लंड चाहे जैसा भी हो वो मर्दों में एक ही जगह लगा होता है, जबकि तीनों किस्म की फुद्दियों में फुद्दी के छेद की जगह थोड़ी बदल जाती है।”
असलम और नसरीन सुन रहे थे। मैंने कहा, अब तीन तरह कि तीन तरह की फुद्दीयों का फर्क समझो। इन फुद्दियों में फर्क ये होता है कि नीची फुद्दी। इस फुद्दी के छेद और गांड के छेद में बहुत कम फर्क होता है – लगभग सवा इंच से डेढ़ इंच। बीच की फुद्दी में यही फ़र्क़ दो इंच आस-पास होता और ऊंचे फुद्दी में ये दो इंच से भी ज्यादा होती है। ऊंची फुद्दी की फांकें भी बहुत उभरी हुई होती हैं, और दरार भी सामने दिखाई पड़ती है। चूत की फांकें चूसने का मर्द को बहुत मजा आता है।”
मैं असलम और नसरीन को बता रही थी, “और बीच की फुद्दी में यही फांकों का उभार थोड़ा कम होता है, और नीचे की फुद्दी में ये फांकें दिखाई ही नहीं देती। नीचे की फुद्दी में चूत की दरार भी ढूंढ़नी पड़ती है। नीची फुद्दी में एक और भी बात होती है कि ऐसी चूत का दाना छेद के बिलकुल पास होता है – लगभग एक इंच के दूरी पर, जबकि दूसरी दो फुद्दियों में ये फर्क एक डेढ़ इंच या उससे भी थोड़ा सा ज्यादा तक भी हो सकता है।”
मैं बोल रही थी, “अब आते हैं इन फुद्दियों की चुदाई में। चुदाई में क्या फर्क होता है। ऊंची फुद्दी वाले औरत को जब मर्द ऊपर लेट कर चोदता है तो टाँगें उठाने साथ ही लंड बिलकुल छेद के सामने ही आ जाता है, जबकि आम फुद्दी मैं जरा सा लंड को ऊपर नीचे करके छेद ढूढ़ना होता है।”
“नीची फुद्दी वाले औरत में टाँगे और चूतड़ ज्यादा उठाने पड़ते हैं, तब कहीं जा कर चूत का छेद लंड के सामने आता है।”
“एक बात और, नीची फुद्दी वाली औरत को पीछे से चोदने और चुदवाने ज्यादा मजा आता है। एक तो चूतड़ों के पास होने के कारण लंड बिलकुल सीधा चूत में जाता है दूसरे चूत – फुद्दी का छेद और फुद्दी का दाना भी पास-पास होते हैं, इसलिए लंड की रगड़े चूत के छेद के साथ-साथ के दाने पर भी लगते हैं। दूसरी ओर ऊंची फुद्दी वाली औरत को जब पीछे से चोदते हैं तो चूतड़ ऊपर उठाने पड़ते हैं जिससे चूत का छेद लंड की सामने आ जाये।”
मैं कहा, “नसरीन मेरी फुद्दी ऊंची फुद्दी है, तुम्हारी बीच की फुद्दी हैं और मेरी एक जानकार हैं, रागिनी नाम है उसका, उसकी नीची फुद्दी है। संदीप को मुझे मेरे ऊपर लेट कर मुझे चोदना ज्यादा अच्छा लगता हैं, मगर जब वो रागिनी को चोदता हैं तो उसे पीछे से चोदता है।”
नसरीन हैरानी की साथ बोली, “मालिनी जी क्या आप इस रागिनी से साथ संदीप से चुदाई करवा चुके हैं?”
मैंने कहा, “हां नसरीन करवा चुकी हूं आज की तरह ही दो गायें और दो सांड थे। नसरीन, मैं चुदाई की शौकीन भी हूं और मस्त चुदवाती भी करवाती हूं। मुझे चुदाई की वक़्त कहीं भी लंड लेने से परहेज़ नहीं होता। चूत गांड मुंह में। जब चुदवानी ही है तो पूरा मजा तो लो।”
नसरीन बोली, “ये तो आप ठीक ही कह रही हैं।”
मैंने असलम की तरफ मुड़ कर पूछा, “असलम निकहत कि फुद्दी किस किस्म कि है ऊंची, बीच की या नीचे वाली?”
असलम थोड़ा शरमाया और नसरीन की तरफ देखने लगा।
मैंने असलम से कहा, “असलम अब शर्माओ मत। मेरी ऊंची फुद्दी, नसरीन की बीच की फुद्दी का मजा तुम ले ही चुके हो। नीचे कि फुद्दी भी तुमने चोदी ही होगी।” ये कहते हुए मैंने एक आंख दबा दी। असलम भी समझ गया मेरा इशारा रागिनी की तरफ था।
असलम बोला, मगर मुझसे नहीं नसरीन से, “अम्मी निकहत की फुद्दी नीचे की फुद्दी है। तभी वो अक्सर मुझे पीछे से चोदने के लिए बोलती है। पीछे से चोदते हुए, उसके मुलायम चूतड़ देख कर ही तो उसकी गांड चोदे का मन होने लगता है।”
नसरीन बोली, “वाह असलम बड़ा किस्मत वाला है तू, ऐसी सुन्दर और ऐसे बढ़िया फुद्दी वाली बीवी मिली तुझे। चल अगर सब ठीक रहा तो निकहत की गांड में भी तेरा लंड चला ही जाएगा।”
असलम अब मुझसे बोला, ” सच बताऊं मालिनी जी मेरा मन निकहत की गांड चोदने का बहुत करता है। क्या मस्त नरम नरम चूतड़ हैं उसके। एक बार लंड डालने की कोशिश भी की थी मगर उसने तो अम्मी से मेरी शिकायत ही लगा दी।”
नसरीन बोली, “तो मैं क्या करती? उसे बोलती फड़वा ले अपनी गांड असलम से? लंड देखा है अपना कितना मोटा और लम्बा है?” हम सब हंस दिए।
नसरीन मुझसे बोली, “मालिनी जी वैसे कमाल है आप भी। जितनी बार भी आपसे मिलो हर बार आपकी कुछ अलग ही खासियत सामने आती है।”
फिर नसरीन असलम कि तरफ देखते हुए बोली, “असलम सच बताना, निकहत भी तुझसे ऐसे ही बेशर्म हो कर चुदवाती है, जैसे मैं और मालिनी जी चुदवाती हैं, या उसे एक बार मालिनी जी के पास ट्रेनिंग की लिए भेजना पड़ेगा।”
असलम कुछ सोचने लग गया। सोच रहा होगा कहीं मैं निकहत को संदीप से ही ना चुदवा दूं?
नसरीन ने असलम को सोचते हुए देखा तो सब समझ गयी। वो बोली, “क्या हुआ असलम, मैं तो मजाक कर रही थी। लेकिन तू कही ऐसा तो नहीं सोच रहा कि मालिनी जी निकहत को संदीप से ही ना चुदवा दें?”
असलम हड़बड़ा कर बोला, “नहीं-नहीं अम्मी, ऐसा मैं कैसे सोच सकता हूं। मैं मालिनी जी को अच्छे से जानता हूं, वो ऐसा कर ही नहीं सकती।”
मैंने ही बात की कमान संभाली, “नसरीन, अगर निकहत असलम को चुदाई का पूरा मजा दे रही है तो उसे मेरे पास उस किसी वजह से लाने की कोइ जरूरत नहीं। हां वैसे मैं निकहत से मिलना जरूर चाहूंगी, और अगर वो आती ही है, तो मैं उसे गांड चुदाई के लिए भी राजी कर लूंगी। जब से इस दुनिया में चुदाई शुरू हुई है, तब से ही चूत चुदाई के साथ-साथ गांड चुदाई भी तो होती रही है।”
मैंने आगे कहा, “अब देखो तुम भी गांड चुदवाती हो, वो रागिनी भी चुदवाती है और मैं भी चुदवाती हूं, तो फिर निकहत ही क्यों ना चुदवाए। रही बात निकहत को संदीप से चुदवाने की, तो निकहत मेरी बेटी की तरह नहीं मेरी बेटी ही है।”
नसरीन ने मेरे जांघ पर हाथ रखा और असलम की तरफ देखते हुए मेरी जांघ दबा दी और लोग कार में मेरे घर की तरफ निकल पड़े। रास्ते में मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन असलम ऐसा करते हैं तुम्हारे होटल चलते हैं वहां से कुछ कपड़े ले लो। इन कपड़ों में तो ना जाने किस-किस का पेशाब और लंड का पानी लगा हुआ होगा। मेरे घर चल कर नहा कर कपड़े बदल लेना। इन कपड़ों को धुलने के लिए डाल देंगे, साथ ही साथ सूख भी जायेंगे।”
असलम और नसरीन दोनों ने हंसते हुए ही हां कर दी। होटल पहुंच कर मैंने कहा, “असलम मैं यहीं गाड़ी में बैठती हूं, तुम जरूरी सामान ले कर आ जाओ।”
असलम बोला, “मालिनी जी ऐसे-कैसे आप यहां क्यों बैठेंगी। हमारे साथ ही चलिए, दस मिनट ही तो लगेंगे।”
मैंने कहा, “ठीक है चलो।”
हम रिसेप्शन के आगे से गुजर ही रहे थे कि मैनेजर भागता हुआ आया और हाथ जोड़ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और बोला, “नमस्ते डाक्टर जी आप यहां? आइये पधारिये।” मैंने उस मैनेजर को नहीं पहचाना। मैंने असलम और नसरीन की तरफ इशारा करते हुए कहा, “मैं इनके साथ आयी हूं। आज इनको यहां कानपुर में कुछ काम था तो मैं इनको ले गयी थी। ये आज की रात मेरे यहां मेहमान हैं।”
मैनेजर असलम को बोला, “सर आपने मैडम के बारे में बताया ही नहीं? आगे से आप जब भी हमारे होटल में आएं तो मैडम का नाम ले दें बस। आपको पच्चीस परसेंट डिस्काउंट मिलेगा। इस बार भी जिस दिन आपका चेकआउट होगा तो बस मैडम का रेफरेंस दे दीजियेगा, आपको डिस्काउंट मिल जाएगा।”
मैंने भी मैनेजर को कह दिया, “थैंक यू।”
मैनेजर बोला, “थैंक यू कैसा मैडम आपके तो बहुत एहसान हैं हम पर। क्या पियेंगी मैडम जी?”
मैंने कहा, “नही-नहीं कुछ नहीं, बस कुछ जरूरी सामान लेना है।” ये कह कर हम आगे बढ़ गए और मैनेजर अपनी जगह पर चला गया।
कमरे में पहुंचते ही नसरीन बोली, “मालिनी जी आपकी तो बड़ी वाह-वाह है। यहां कानपुर में आपको देखते ही होटल के मैनेजर ने इतनी छूट दे दी। जबकि लग रहा थी के आप उसे पहचान भी नहीं रही थी।”
मैंने कहा, “ये सच है नसरीन मैंने उसे नहीं पहचाना। किसी मशवरे के सिलसिले में मुझसे कभी मिला होगा। कानपुर में ऐसे बहुत लोग होंगे तो मुझे जानते होंगे। मगर मैं उन्हें नहीं जानती। यही एक वजह है कि मैं यहां इस शहर में चुदाई करवाने से परहेज करती हूं।”
नसरीन और असलम ने अपना जरूरी सामान उठाया और हम लोग घर पहुंचे। फिर ऊपर जा कर मैंने नसरीन और असलम को उनका कमरा दिखाया और प्रभा को बुला कर रात के खाने के बारे में पूछा। आठ बज चुके थे। प्रभा ने बताया खाना बिलकुल तैयार था।
मैंने कहा, “प्रभा ऐसा करो, खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दो और तुम आराम करो। हमें जब खाना होगा हम गरम करके खा लेंगे।”
मैंने असलम और नज़रें को उनका कमरा दिखाया और बोली, “नसरीन तुम लोग नहा कर फ्रेश हो जाओ असलम को भी साथ ही ले जाओ। इकट्ठे नहाओ, एक-दूसरे को आगे से पीछे से अच्छी तरह साफ़ करो। मैं भी नहा लेती हूं। फिर बैठ कर बातें करेंगे।”
नसरीन बोली, “अरे मालिनी जी आप भी आइये ना, आप भी हमारे साथ ही नहा लीजिये। इकट्ठे नाहते हुए थोड़े मस्ती भी कर लेंगे।” मैंने हंसते हुए कहा, “ठीक है मैं कपड़े लेकर आती हूं।”
मैं गयी और अपना नाईट गाऊन ले कर आ गयी। हम तीनों बाथ रूम में चले गए और कपडे उतार कर गर्म पानी का शावर चालू कर दिया। अच्छी तरह नहाने के बाद नसरीन ने असलम का लंड पकड़ लिया और मलते हुए बोली, “ला असलम इसकी अच्छे से सफाई कर दूं।”
असलम ने भी नसरीन को पकड़ कर उसकी गांड में उंगली डाल दी और बोला, “अम्मी आपकी गांड का क्या हाल है?”
नसरीन बोली, “ठीक ही होगी, बाकी खुद देख लेना जब इसमें लंड डालोगे। आज तुमसे गांड ही चुदवानी हैं।”
असलम बोला, “क्यों अम्मी संदीप का लंड गांड में लेने मजा नहीं आया?”
नसरीन बोली, “असलम, संदीप का लंड चूत के लिए तो ठीक है – मोटा है इसलिये रगड़ कर चूत में जाता है, और चूत को चुदाई के वक़्त फैला देता है। अगर असलम गांड के लिए तेरा लंड ही बढ़िया है, लम्बा है इसलिए गांड में पूरी गहराई तक जाता है।”
इतना सुनना था कि असलम ने नसरीन की गांड में उंगली और गहरे तक घुसेड़ दी और मेरे तरफ मुंह करके बोला, “और मालिनी जी आप? आप क्या चुदवाएंगी?”
मैंने कहा, “मैं भी गांड में ही लूंगी तुम्हारा लम्बा मोटा लंड। नसरीन ठीक कह रही है। तुम्हारा लंड गांड में बढ़िया काम करता है, अंदर तक जाता है तो महसूस होता है अंदर कुछ गया हुआ है।”
इतना सुनना था कि असलम ने नसरीन के गांड में से उंगली निकाल कर मेरी गांड में डाल दी। नसरीन मेरे पीछे आयी और हाथ डाल कर मेरे मम्मे पकड़ लिए और अपने मम्मे मेरी पीठ पर रगड़ते हुए बोली, “मालिनी जी आपका जिस्म कमाल का चिकना है। जो भी आपकी चुदाई करता होगा उसे मजा तो बड़ा आता होगा।”
मैंने हंसते हुए कहा, “असलम से पूछ लो कितना मजा आता है।” ये कह कर मैं हंस दी और नसरीन भी हंस दी और अपने मम्मे मेरी पीठ दबा दिए। असलम ने मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगा।
ऐसे ही मस्ती में हम नहाये और कपड़े पहन कर बाहर आ गये। नसरीन बोली, “मालिनी जी अपने तो इस गाऊन के नीचे कुछ भी नहीं पहना – ना चड्ढी ना ब्रा।”
मैंने कहा, “नसरीन जा थोड़ी देर में दोनों उतारनी ही हैं फिर डालनी ही क्यों।”
नसरीन हंस दी और बोली, “ये बात भी ठीक है।”
आधे दिन की चुदाई के बाद सब को भूख लगी हुई थी। प्रभा सारा सामान डाइनिंग टेबल पर रख गई थी।
इस बीच मैं थोड़ा ऊपर बने कमरों के बारे में बता दूं। रसोई को छोड़ कर ऊपर कुल पांच कमरे हैं। तीन बेड रूम, एक ड्राइंग रूम और पांचवां कमरा प्रभा का है। ऊपर दो गलियारे हैं। जो मेन गलियारा है उसके दोनों और दो-दो कमरे हैं दोनों कमरों के अंत में किचन है। एक छोटा गलियारा ड्राइंग रूम के साथ है जिसका रास्ता पीछे बने कमरे में जाता है जिसमे प्रभा रहती है सभी पांचों कमरों के साथ बाथरूम सटे हुए हैं। गलियारे के शुरू में में ही नीचे क्लिनिक में सीढ़ियां जाती हैं।
नसरीन खाना गर्म करने लगी और मैंने असलम से कहा, “असलम चलो नीचे क्लिनिक से कुछ सामान ले आएं।”
असलम मेरे साथ चल पड़ा। नीचे आ कर मैंने जिन की बोतल निकाली और अलमारी में से रबड़ के दो लंड निकाल लिए।
असलम से मैंने पूछा, “असलम विआग्रा लेनी है? जिस तरीके से नसरीन मस्त हुई पड़ी है और चुदवा रही है, मुझे नहीं लगता आज वो तुम्हें सोने भी देगी।”
असलम बोला, “मुझे भी ऐसा ही लगता है मालिनी जी। अम्मी तो आज जैसे चुदाई की दीवानी हुई पड़ी है। पता नहीं कितनी चुदवायेगी, आधी विआग्रा खा लेता हूं।”
मैंने कहा, “आधी नहीं फिर मैं तुम्हें देसी विआग्रा देती हूं – सुहागरा 50, ये विआग्रा से कुछ कम पावर वाली है, मगर तुम्हारा काम चला देगी। वैसे भी तुम्हारा लंड ही जल्दी कहां झड़ता है।”
ये कहते हुए मैंने असलम के लंड पर हाथ फेर दिया। असलम ने भी मेरे मम्मे दबा दिए और मेरे होंठ चूसते हुए बोला, “चलिए मालिनी जी, कहीं अम्मी ये ना समझे कि हम दोनों फिर चुदाई करने लग गए हैं।”
मैंने हंसते हुए कहा, “चलो।” और हम ऊपर आ गए। नसरीन माइक्रो-वेव में खाना गरम कर चुकी थी। मैंने फ्रिज में से पेप्सी की बोतल निकाली और तीन गिलासों में जिन डाल कर उसमें पेप्सी मिला दी।
एक गिलास मैंने असलम को दे दिया और एक नसरीन को। नसरीन असलम की तरफ देखने लगी। असलम बोला, “थोड़ी पी लो अम्मी, रात को चुदाई का मजा दुगना हो जाएगा।”
नसरीन गिलास पकड़ते हुए बोली, “और कितना मजा देगा असलम अपनी अम्मी को आज, और कितना चोदेगा बेटा?”
असलम भी उसे लहजे में बोला, “जितना आप कहेंगी अम्मी। आज जितना आप कहेंगी उतनी चुदाई करूंगा आपकी, कहेंगी तो चोद-चोद कर फुला दूंगा आपकी चूत और गांड।”
नसरीन ने बस इतना ही कहा, “वाह, आज तो पूरी मस्ती में है मेरा बेटा।”
प्रभा ने चिकन बिरयानी बहुत बढ़िया बनाई थी। हम खाना खाते रहे और साथ जिन कि घूंट भरते रहे। खाना खत्म करके बर्तन डिश वॉशर – बर्तन धोने की मशीन में डाल दिए और मेरे साथ वाले कमरे में आ गए जिसमें असलम और नसरीन ने सोना था।
सभी कमरों सभी चार कमरों में बड़े साइज – 75 इंच कि TV लगी हुए हैं, साथ ही DVD प्लेयर भी हैं। मैंने DVD प्लेयर में चुदाई की फिल्म लगा दी और अपना गाऊन उतार कर नंगी सोफे पर बैठ गई।
नसरीन ने कहा, “क्या हुआ मालिनी जी गाऊन क्यों उतार दिया?”
मैंने कहा, “क्यों नसरीन क्या अकेले-अकेले चुदवाओगी अपने बेटे से?”
नसरीन हंस दी और उसने भी अपने कपड़े उतर दिए। और असलम से बोली, “असलम अब तू क्यों कपड़े पहन कर बैठा है चल उठ उतार तू भी कपड़े।”
हंसते हुए असलम ने भी कपड़े उतार दिए। चुदाई की फिल्म टीवी पर चालू थी। कमाल था कि उस फिल्म में भी दो गायें और दो सांड – दो लड़के, दो लड़कियां – की ही फिल्म चल रही थी।
जिन पीते पीते हम फिल्म देख रहे थी। हमारा जिन का पहला गिलास खत्म हो चूका था। मैंने सब कि गिलासों में दुबारा जिन डाल दी। इस बार मैंने जिन का बड़ा बड़ा सा पेग बनाया। फिल्म में लड़कियों कि चुदाई देख कर हमारी चूतें गीली होने लगी थीं।
उधर सुहागरा भी अपना असर दिखा रही थी। असलम का लंड भी खड़ा हो कर सख्त होने लगा था।
एक सीन चल रहा था जिसमें लड़के को लड़का चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर टांगों में कुहनियां फंसा कर जोर-जोर से चोद रहा था। लड़की सिसकारियां ले रही थी। नसरीन ने एक में गिलास पकड़ा हुआ था, दूसरे हाथ से उसने असलम का लंड पकड़ लिया।
नसरीन बहुत बड़े-बड़े जिन के घूंट भर रही थी। नसरीन की नजरें TV पर से हट ही नहीं रही थी। जल्दी ही नसरीन को सुरूर हो गया। वो उठी और बेड पर अपने चूतड़ों कि नीचे तकिया लगा कर लेट गयी और टांगें उठा कर फैला दी और असलम से बोली, “असलम आओ डालो मेरे फुद्दी में लंड और ठंडा करो इसकी आग को इस चुदाई की फिल्म को देख कर ये आग लग गयी है इसमें।”
असलम ने मेरी तरफ देखा, हम दोनो मुस्कुराये। असलम उठा और सीधा नसरीन कि ऊपर लेट गया। फिल्म की ही तरह असलम ने भी नसरीन की टांगों के नीचे अपनी बाहें डाल नसरीन की टांगें ऊपर उठा दी – बिलकुल उस फिल्म के सीन की तरह।
असलम का लंड नसरीन की चूत के छेद के बिलकुल ऊपर था। असलम ने एक जोर का झटका लगाया और पूरा लंड नसरीन की चूत के अंदर टट्टों तक बिठा दिया। नसरीन की आवाज निकली, “आह मेरा बेटा …. मजा आ गया। चल अब चुदाई शुरू कर। दिखा अपनी अम्मी को चुदाई क्या होती है। दिखा अपनी अम्मी को अपने लंड का दम और करवा अपनी अम्मी को जन्नत की सैर।”
असलम ने मेरी और देखा और एक इशारा किया जैसे कह रहा हो, “देख लिया मालिनी जी, एक साल तक चूत में लंड ना लेने का नतीजा?”
असलम ने नसरीन की चुदाई शुरू की और बोलते बोलते ऐसे जोरदार धक्के लगाए की पंद्रह-पंद्रह मिनट तक लंड झेलने वाली नसरीन जोर-जोर से चूतड़ हिलाने लगी, “आह मेरे राजा असलम क्या मस्त चोदता है बेटा तू।”
असलम जोर-जोर से धक्के लगाते हुए बोला, “अम्मी आज रंडी समझ कर चोदूंगा आपको, वो भी पूरी रात। आपकी चूत को चोद-चोद कर उसका भोसड़ा बना दूंगा। गांड फाड़ दूंगा आज आपकी। पूरे एक साल से चुदाई नहीं करवाई आपने, आज पूरे एक साल की कसर निकालूंगा।”
असलम की इन बातों से अगले पांच मिनट में ही नसरीन ठंडी हो गयी। पांच मिनट में ही नसरीन की चूत पानी छोड़ गयी। पांच मिनट में ही नसरीन को मजा आ गया।
उधर असलम की बातों ने मेरी चूत में भी आग लगा दी। मैंने रबड़ का लंड उठाया और अपनी चूत में घुसेड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी।
असलम खड़े लंड के साथ अभी नसरीन के ऊपर ही था। नसरीन बोली, “असलम क्या चुदाई की तूने इतनी जल्दी मजा आ गया। चल उतर मेरे ऊपर से और ऐसी ही चुदाई मालिनी जी की भी कर। वो देख रबड़ का लंड डाला हुआ है उन्होंने अपने चूत में करा उनको भी जन्नत की सैर।”
अगला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-11