फिर वो आ गए। हम दिल्ली एयरपोर्ट पर उनको लेने गए। जब मैंने पहली बार जीजू को देखा, तो मैं तो उनकी दीवानी हो गई। क्या खूबसूरत जवान मर्द था। मैं तो पहली ही नज़र में दिल हार बैठी। फिर जीजू हम सब से मिले। वो सब के गले लग रहे थे, और मेरे भी लगे। गले लगने से मेरी चूचियां उनकी सख्त छाती में दब गई, और मेरे जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। मुझे यकीन है मेरी नरम चूचियों के एहसास ने जीजू को भी मजा दिया होगा।
पहले हम उनकी अपने घर लेके आए। वो यहां 2 दिन रहने वाले थे। हमने बहुत सारी बातें की, लेकिन मुझे उनसे अकेले बातें करने का मौका नहीं मिला। 2 दिन ऐसे ही हसी मजाक में बीत गए। उनको देख कर मेरी चूत गीली होने लगी थी। लेकिन फिर वो अपने फ्लैट में रहने चले गए। मैं उनसे अकेले में मिलना चाहती थी, बातें करना चाहती थी। लेकिन पता नहीं कैसे करती?
फिर कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। एक दिन मुझे जीजू का फोन आया। उनका नंबर देख कर मेरी तो धड़कन तेज हो गई। फिर मैंने फोन उठाया। उन्होंने मुझसे कहा-
जीजू: कैसी हो प्रितंका?
मैं: मैं बढ़िया हूं जीजू, आप बताओ कैसे हो?
जीजू: मैं भी ठीक हूं। अच्छा मैं कल फ्री हूं, तो सोचा शहर घूम लूं। और तुम अगर मेरी गाइड बन जाओ, तो और भी मजा आएगा। तो क्या तुम चलोगी मेरे साथ मुझे शहर घुमाने?
मैं: जीजू मैं भी कल फ्री हूं, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन पहले मुझे पापा से पूछना पड़ेगा।
जीजू: अंकल से मैंने पूछ लिया है। उन्होंने इजाजत दे दी है। बस तुम्हारी हां की जरूरत है।
मैं: पापा की हां है, फिर तो हमारी हां ही हां है।
जीजू: चलो ठीक है, मैं कल सुबह 7 बजे तुम्हें पिक करने आ जाऊंगा।
मैं: ठीक है जीजू।
अब मैं अगले दिन का इंतेज़ार करने लगी। मैं इतनी उत्सुक थी, कि रात को नींद ही नहीं आ रही थी। फिर जैसे-तैसे मैं सोई। पलक झपकते ही रात निकल गई, और सुबह 5 बजे मैं उठी। मैं बहुत खुश थी। मैं जल्दी-जल्दी फ्रेश हुई, और तैयार होने लगी। मैंने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहनी। मेरी ब्रा स्पोर्ट्स ब्रा थी, जिससे मेरे चूचे और बड़े और टाइट नज़र आने लगे।
ऊपर मैंने लाल रंग की टी-शर्ट जो थोड़ी ऊंची थी (मतलब जब मैं बैठती थी, तो मेरी गोरी चिकनी कमर दिखाई देती थी) पहनी। साथ में मैंने नीले रंग की जेगिंग्स पहनी, जिसमें मेरी पूरी जांघों की शेप नज़र आ रही थी। सीधे-सीधे कहूं, तो मैं ऐसी बन कर गई थी, जिससे मुझे देख कर जीजू के मुंह से पानी बहने लगे।
अब 7 बज चुके थे, और इंतजार की घड़ियां खत्म होने वाली थी। फिर मेरा मोबाइल बजा। ये जीजू का फोन था। मैंने पहली घंटी में फोन नहीं उठाया, ताकि उनको ये ना लगे कि मैं कितनी बेसब्री से उनका इंतजार कर रही थी। 2-3 घंटियां बजने के बाद मैंने फोन उठाया।
जीजू बोले: प्रितंका हो गई तैयार?
मैं: जी जीजू।
जीजू: आ जाओ फिर बाहर, मैं गाड़ी में ही रुक हूं।
मैं: जीजू आप अंदर नहीं आओगे?
जीजू: नहीं, अगर अंदर आया, तो टाइम लग जाएगा, और हमारा घूमने का टाइम कम हो जाएगा। तुम आ जाओ जल्दी से।
फिर मैं निकल गई। बाहर आके देख तो जीजू ऑडी कार में बैठे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई फिल्म का हीरो मेरा इंतेज़ार कर रहा था। जैसे ही जीजू की नज़र मुझ पर पड़ी, वो भी मुझे देखते ही रह गए। फिर मैं कार में बैठ गई। जीजू ऊपर से नीचे मुझे देख रहे थे। मुझे यकीन है कि मुझे देख कर उनको प्यास लग रही होगी। पानी की नहीं, बल्कि किसी और चीज की।
फिर जीजू ने कार चलानी शुरू की। कुछ सेकंड्स तक हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। फिर वो बोले-
जीजू: आज अच्छी लग रही हो तुम।
मैं: क्यों आगे नहीं लगती?
जीजू: नहीं आगे भी लगती हो, लेकिन आज ज्यादा अच्छी लग रही हो। शायद आज पहली बार तुमसे अकेले में मिल रहा हूं, इसलिए ध्यान से देखने का मौका मिला है।
मैं: आप भी हैंडसम लग रहे हो। हमेशा ही लगते हो।
जीजू: थैंक्स (स्माइल करते हुए)!
और बताओ, क्या चल रहा है?
मैं: आप पूछो जीजू, क्या जानना चाहते है आप?
जीजू: तुम्हारा बॉयफ्रेंड है?
मैं: आह! सीधे बॉयफ्रेंड! पहले पढ़ाई वगैरा का पूछते है। बॉयफ्रेंड का तो आखिर में पूछते है।
जीजू: मैं इतना टाइम नहीं लगाता, सीधे मुद्दे पर आता हूं।
इस बात पर हम दोनों हंसने लगे। मैं समझ गई थी कि जीजू भी बाकियों की तरह ठरकी ही थे।
इसके आगे की कहानी मैं आपको अगले पार्ट में बताऊंगी। फीडबैक के लिए pritankagupta3@gmail.com पर मेल कीजिए।
अगला भाग पढ़े:- मैं बनी अपने जीजा की रांड-2