हेलो दोस्तों, मेरा नाम अरुण है। मैं 22 साल का हट्टा-कट्टा जवान लड़का हूं। मेरे अलावा मेरे दो भाई बहन है, जो अभी छोटे हैं। पापा बाहर में रह कर जॉब करते हैं। मैं मम्मी के साथ घर पर रहता हूं, और उनकी काम में मदद करता हूं।
मम्मी का नाम रीता है। मम्मी का रंग गोरा और बदन छरहरा है। मम्मी साड़ी पहनती है और बहुत ही सुंदर लगती है। उनके चेहरे की बनावट पर कोई भी मोहित हो जाता है।
पापा के घर पर ना रहने से बाहर के लोग मम्मी पर लाइन मारते हैं। पर मम्मी घर की इज्जत बचाने के लिए कभी किसी को भाव नहीं देती। आस-पड़ोस की आंटी भी मम्मी को कई बाहर बहकाने की कोशिश की, पर मम्मी कभी भी उनकी बातों में नहीं आई।
मेरी मम्मी शुरुआत से ही एक संस्कारी औरत है। वह पूजा पाठ करती हैं, और पति को ही सब कुछ मानती है।
एक संस्कारी औरत के भीतर भी वासना होती है। वह भले ही समाज के डर से दब जाए, पर किसी ना किसी रूप में बाहर जरूर आती है। मम्मी की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। तो आपको बोर ना करते हुए कहानी पर ले चलता हूं।
यह कहानी यूपी की एक गांव की है। जहां मैं अपने मम्मी और भाई-बहन के साथ रहता हूं। गर्मी के मौसम चल रहे थे। रात के लगभग 2:00 बज रहे थे, कि मैं उठा और पानी पीने के लिए किचन में जाने लगा।
मैं फ्रिज से पानी निकाल कर साइड में खड़ा होकर पीने लगा। रूम में अंधेरा था, तभी पायलों की आवाज आई। मैं थोड़ा साइड हट गया। वह मेरी मम्मी थी। मम्मी मुझे नहीं देख पाई। वह फ्रिज के पास आई और फ्रिज से बैंगन निकाल कर हाथ में लेकर मसलने लगी। मैं यह देख कर स्तब्ध रह गया।
मैं धीरे से बोल: मम्मी आप इतनी रात को बैगन से क्या करोगी?
मम्मी मेरी आवाज़ सुन कर डर गई और बैंगन नीचे गिर गया।
मम्मी: अरुण तू यहां क्या कर रहा है? कब से यहां है?
मैं: मम्मी मैं तो यहां पानी पीने के लिए आया था। पर आप यह बैगन लेकर क्या कर रही हो?
मम्मी: अरे कुछ नहीं वह तो मैं बस ऐसे ही देख रही थी।
मैं: लेकिन मम्मी 2:00 रात को बैंगन कौन देखता है? क्या बात है मम्मी? आप मुझे बताओ, मैं आपका बड़ा बेटा हूं। पापा के बाद आप मेरी जिम्मेदारी हो।
मम्मी मेरी बात सुन कर थोड़ी शर्माई और अपनी नज़रें नीचे झुका ली। मैं मम्मी के पास गया, और उनके सर को ऊपर उठा कर उनकी आंखों में देखते हुए बोला-
मैं: मम्मी आपको शर्माने और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मैं आपके साथ हूं।
मम्मी मेरी बात सुन कर थोड़ी सी आश्वस्त हुई और बोली-
मम्मी: बेटा हर औरत के भीतर कामवासना की भावना होती है। बाहर के लोग हमारे घर की इज्जत को बदनाम ना कर दे, इसलिए मैं यह कदम उठाई।
मम्मी यह बात करते हुए रोने लगी। मैं मम्मी को गले लगा लिया और उनसे बोला-
मैं: मम्मी आप बिल्कुल भी गलत नहीं हो। आपको चिंता करने की कोई बात नहीं है। लेकिन फिर भी यदि आप बैंगन के साथ यह सब करोगी, तो आपकी वासना कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ने लगेगी।
मम्मी: तो फिर और क्या कर सकती हूं बेटा?
मैं: मम्मी आपको ऐसे व्यक्ति के साथ संबंध बनाने चाहिए, जो आपके संबंध को अपने तक रखें।
मम्मी: ऐसा विश्वास करने वाला भला इस दुनिया में कौन हो सकता है?
मैं: आप बिल्कुल ठीक कह रही हो मम्मी। पर आप यदि बुरा ना मानो तो क्या वह मैं…?
मैं बिल्कुल चुप हो गया। मम्मी मेरी आंखों में देखने लगी। मैं डरा हुआ था। मम्मी फिर से मेरे गले लग गई और इस बार वह खुद मुझे अपनी बाहों में भर ली थी। मैं उनकी सहमति को समझ गया, और उन्हें अपनी बाहों में उठा कर किचन के स्लैब पर बिठा दिया। मम्मी मेरे चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी और मैं उन्हें।
हम दोनों की सांसे तेज हो चुकी थी, और थोड़ी ही देर में हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से मिल गए। मैं मम्मी के बदन को सहलाते हुए उनके होंठ चूसने लगा और मम्मी मेरे बालों को सहलाती हुई। मैं मम्मी के कोमल बदन को अपने हाथों से मसलते हुए उनके होंठ और गाल को चूम रहा था।
फिर मैं मम्मी के साड़ी को कमर तक उठाया, और पैंटी को नीचे सरका दिया, और उनके पैर को फैला कर चूत को देखने लगा। जिस चूत से मैं निकला था, वह चूत आज भी खूबसूरत और मालपुआ जैसी थी। मुझे रहा ना गया और मैं उसमें मुंह लगा कर चूत के रस को पीने लगा।
मम्मी: आआआहहहहहह बेटा उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़।
मम्मी के चूत को चूसते हुए उनकी मुलायम जांघों को चूम रहा था। फिर मैं अपने पैंट को नीचे सरका कर लंड को मम्मी के हाथों में दे दिया, मम्मी नीचे बैठ गई, और मेरे लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी। आज पहली बार मेरा लंड किसी के मुंह में गया था। गर्म थूक से सना लंड ऐसा लग रहा था, कि अभी लावा उगल देगा। मम्मी बहुत ही अच्छी तरीके से मेरे लंड को चूस रही थी।
फिर मैं मम्मी को किचन के सेट पर बिठाया, और उनके पैर फैला कर अपने लंड को उनके चूत में घुसाने लगा। धीरे-धीरे करके मैंने अपना सारा लंड उनकी चूत में घुसा दिया, और वह मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी। मैं धीरे-धीरे मम्मी को चोदने लगा।
मम्मी आज बहुत ही आनंद में थी। उनके चेहरे की चमक देख कर मैं और जोर-जोर से चोद रहा था। फिर मैं मम्मी को किचन के स्लैब से नीचे उतारा, और उनकी साड़ी को कमर तक किए किचन के स्लैब पर झुका दिया, और पीछे से मम्मी को चोदने लगा। मेरा लंड मम्मी के चूत में बड़े ही आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। मैं जोर-जोर से मम्मी को चोदना शुरू कर दिया।
उनकी दोनों चूचियों को मसलते हुए चोद रहा था। पूरे किचन में मम्मी की हल्की-हल्की सिसकियां और चूड़ियों की खनखनाहट सुनाई दे रही थी। फिर मैं मम्मी के एक पैर को स्लैब पर रखा, और एक नीचे, और फिर उनकी चूत में धक्के मारने लगा। मम्मी बड़े ही मजे से चूत चुदवा रही थी।
मम्मी की चूत कई बार पानी छोड़ चुकी थी। उनकी चूत की पानी जांघो से बहने लगी थी। मैं मम्मी की चूत में जोर-जोर से चोदते हुए अपना लावा उनकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों के भीतर का तूफान शांत हो गया। आज मम्मी के भीतर की गर्मी भी उनकी चूत के पानी बन कर उनकी जांघों पर बह रही थी।
मम्मी का चेहरा संतुष्ट दिखाई दे रहा था उनके चेहरे को देख कर आज मुझे बहुत खुशी मिल रही थी। मम्मी अभी भी मेरी बाहों में पड़ी हुई थी, और मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर निकल चुका था।
मम्मी मेरे माथे को चूमती हुई बोली: आज मेरा बेटा मुझे स्वर्ग का अनुभव कराया है। मैं आज तुमसे बहुत खुश हूं। अभी जाकर सो जाओ, कल सुबह बात करेंगे।
मैं मम्मी के होंठों को चूमा और वहां से अपने कमरे में चला आया।