दोस्तों नमस्कार। आप सब को मेरी ही कहानी का इंतजार रहता है। क्योंकि मेरी कहानी आपको ओरिजनल फील देती हैं उसके लिए आप सब ने जो मेल किये उसके लिए तहे दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद। आइए आपको आज हम एक नई घटना के बारे में बताने वाले हैं। ध्यान से सब छोड़ के इत्मिनान से पढ़िये और डूब जाइये मेरी कहानी में।
दोस्तों ये तब की बात है, जब मेरे रेलवे के पेपर लगे हुए थे। मेरा सेंटर नासिक गया हुआ था। नासिक काफी अच्छी जगह है, जो गये होंगे उन्हें पता भी होगा। वहां का मौसम ना ज्यादा ठंड ना ज्यादा गर्म वाला था।
वैसे मेरा कोई सगा नहीं नासिक में, बस दूर की एक मौसी रहती थी। पर उनकी भी डेथ हो गई थी 2 साल पहले। उनकी एक बेटी और एक बेटा थे, जिनकी देखभाल के लिए मौसा ने फिर से शादी कर ली थी मौसी के गुजरने के डेढ़ साल के बाद। मेरी जान-पहचान बस मौसी से ही ज्यादा थी, और उनके बच्चों से, जो कि हमसे बात करते थे अक्सर।
नई वाली मौसी तो मेरे लिए पराई थी, तो मैं कभी उनसे बात नहीं की। बस कभी-कभी मौसा से होती थी। वो भी एक कम्पनी में सुपरवाइजर थे, तो ज्यादातर बिजी ही रहते थे। इसलिए बच्चों को ज्यादा समय दे नहीं पाते थे। बच्चे प्यार के भूखे थे। सगी मां जैसा प्यार सौतेली मां से मिल नहीं पा रहा था। पर पैसे की कोई तकलीफ नहीं थी, इसलिए सब ठीक ही चल रहा था।
उनकी बेटी काफी सुंदर थी, अभी कॉलेज के प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी। बेटा तो अभी 5वीं में था।
गोरी थी काफी ज्यादा, और अपनी उम्र से बड़ी लगती थी देखने में।
मैं जब नासिक गया तो रात रुकने के लिए सोचा फ़ोन करू, पर संकोच लगा। पर मैं जाना भी चाहता था, क्योंकि मुझे रिया से मिलना भी था।
वो काफी तेज बड़ी हो रही थी, तो मुझे उसे देखने की तमन्ना हुई।
तो मैंने जान-बूझ के वाट्सप पे स्टेटस लगाया कि मैं नासिक में था, और बार-बार चेक करने लगा कि रिया ने देखा कि नहीं। फिलहाल मैं ट्रेन में था तब, और करीब एक घण्टे बाद नासिक पहुंचना था। अगले दिन पेपर था।
आधे घण्टे में देखा कि रिया ने मेरा स्टेटस सीन किया। तब सुकून मिला कि अब जल्दी से काल आ जाये बस रिया का। वो भी हमे पसन्द करती थी, और भईया बोलती थी। फिलहाल 10 मिनट बाद कॉल आने लगी उसकी, तब मुझे चैन मिला।
रिया: हेलो भईया, आप नासिक में हो?
मैं: हां रिया।
रिया: कहां पहुंचे हो आप? अभी ट्रेन की आवाज आई मुझे।
मैं: हां जी मैं एक घण्टे में लगभग नासिक पहुंचूंगा।
रिया: ठीक है भईया, मैं डैड को भेज रही स्टेशन लेने के लिये।
तो मैं जान-बूझ के बोला: नहीं रिया मैं होटल लेके रुकूंगा। 3-4 लोग है साथ में।
तो वो बोली: मैं कुछ नहीं जानती भईया, आप इतने दिन पे बुलाते-बुलाते आज जाके आये हो नासिक। तो घर आना पड़ेगा। बाकी सब को भेज दो होटल।
सच कहूं तो मैं यही सुनना भी चाह रहा था। वो फ़ोन ले जाके पापा को पकड़ा आई। मौसा भी जिद किये कि नीरज यहीं आओ इनको बच्चों को अच्छा लगेगा तो मैं उनको मना नहीं कर पाया।
फिर वो मुझे लेने स्टेशन आये। हम साथ में घर बाइक से जा रहे थे। हाल-चाल सब हो रहा था। मैं बीच में रुक के आदित्य के लिए चॉकलेट और चिप्स वगैरह लिया, पर उसका पैसा भी मौसा ही दे दिए मुझसे पहले। मुझे अच्छा लगा अपनापन देख के, क्योंकि वो सगे भले नहीं थे, पर मानते थे वो हमें, तब से जब मौसी जिंदा थी।
वो रास्ते में बताये: नीरज मेरी बाइक से जाना कल, मेरी ड्यूटी तो रात की है आज, और हमको लेने कम्पनी की बस आती है।
मैं बोला: ठीक है मौसा जी।
ख़ैर हम घर पहुंचे तो रिया मुझे मिल के उछल पड़ी, जैसे बहुत दिन बाद कोई किसी अपने से मिला हो वो हमसे लिपट गई आके। मुझे सच में बहुत ही अच्छा लगा।
आदित्य भी आके पैर छुआ, और हम अंदर गए। नई वाली मौसी के लिए तो हम अजनबी ही थे, पर फिर भी पैर छुए। बाकी सब रिया और मौसा ने बताया कि मैं कौन और कहां से था। उन्होंने हमसे ज्यादा बात तो नहीं की, पर चाय बना के लाई थी। वो एक-दम लाजवाब थी कसम से। उस टाइम 9 बजे थे।
तो मौसा बोले: नीरज आप आराम से खाना सब के साथ। हमें निकलना है तो खा लेते हैं।
हम बोले: हां ठीक है मौसा।
15 मिनट बाद मौसा चले गए।
तो मैं रिया से बोला: मुझे नहाना है।
वो अपनी टॉवल लाके दी, और मेरे आगे-पीछे घूमने लगी।
मैं बोला: रिया चलो मैं नहा के आया, तब साथ में खायेंगे। लेकिन लो तब तक आप लोग चिप्स और चॉकलेट खाओ
वो खुशी से झूम गई सच में, और अपनी सौतेली मम्मी से तारीफ करने लगी मेरी। मैं नहाने चला गया। मैं टॉवल टांग रहा था तो देखा कि वहां दो लेडीज चड्डी टांगी हुई थी, एक छोटी एक थोड़ी बड़ी थी। मतलब एक रिया की एक उसकी मम्मी की।
रिया वाली चड्डी को मैं उतार के उलट-पुलट के देखने लगा और सूंघा, तो काफी सेक्सी खुशबू आई नाक में। फिर मैंने टांग दी और नहाने लगा। मैं नहा के निकला तो देखा रिया और आदित्य मिल के टेबल पे खाने की तैयारी कर रहे थे। दोनों झगड़ रहे थे ये ऐसे नहीं ऐसे रखो, वो ऐसे नहीं ऐसे रखो। मुझे हंसी आ गई, तो आदित्य रूम में भाग गया शर्मा के।
आदित्य मुझसे ज्यादा बात नहीं किया था, बस रिया से ही हम खुले थे। खैर हम खाना खाए तीनों बैठ के साथ में। उसके बाद रिया अपनी मम्मी से बोली-
रिया: मम्मी जल्दी सो जाओ, आज लेट हो गया खाने में, और सुबह बर्तन धो लेना।
तो वो भी हंस के बोली: हां ठीक है बेटा। हम समझ गए तुम्हारे भईया आये हैं आज तो तुम हेल्प नहीं करने वाली इतनी खुश हो।
जाओ तुम अपने भईया को लेके घुस जाओ कमरे में। मेरी चिंता ना करो।
मेरे सामने ही बोली थी, तो मैं बोला: नहीं रिया, मम्मी के साथ हाथ बंटा के आओ। हम जाग रहे हैं।
तो बोली: ठीक है।
आदित्य खा पीके मम्मी वाले रूम में सोने चला गया, क्योंकि वो अभी छोटा था। मैं रिया के रूम में जाके लेट गया और मोबाइल देखने लगा।
खैर 15 मिनट बाद वो मम्मी के साथ आई और ओढ़ने के लिए एक कम्बल लेके आई। क्योंकि रात को पंखे में भी वहां ठंड लगने लगती थी।
मौसी हमसे पूछी: भईया कुछ चाहिये तो बताओ। नहीं तो मैं भी जाऊं आदित्य बुला रहा सोने के लिए।
तो रिया बोली मम्मी: तुम जाओ भईया हैं। मैं भी दे दूंगी जो चाहिए होगा।
मैं हंसा और ये सुन के मौसी चली गई।
मैं रिया से बोला: एक बोतल पानी ले आओ बस।
वो जाके पानी लाई और फिर रूम का दरवाजा अंदर से बंद करके कुंडी लगा ली। मैं बोला: कुंडी क्यों लगाई?
तो वो बोली: भईया बिल्ली आ जाती है रूम में, और मेरी चीजें गिरा के भाग जाती है। इसीलिए रोज ही बन्द करती हूं।
मैं बोला: ठीक है।
इसके आगे क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा।
अगला भाग पढ़े:- नासिक में मौसी की बेटी की सील तोड़ी-2