मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-6

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-5

नसरीन बता रही थी, “जमाल को उस वक़्त इस तरह देख कर मेरी तो आवाज ही बंद हो गयी। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। मेरी चूत पूरी तरह गर्म थी। पैन का कवर मेरी चूत के अंदर ही था। मैं बस जमाल की तरफ देखती रही, और पैन का कवर चूत में आगे पीछे करती रही।”

“मुझे कुछ ना बोलते हुए देख जमाल आगे आया और धीरे से पैन का कवर मेरी चूत से निकल दिया। खड़े-खड़े जमाल ने अपनी पेंट और अंडरवेअर दोनों उतार दिए। जमाल का मोटा लंड डंडे की तरह एक-दम सीधा खड़ा था।”

“जमाल खड़े लंड के साथ एक कदम आगे आया और जो सलवार मैंने घुटनों तक सरकाई हुई थी, उसे पूरा उतार दिया।”

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