फिर साहब ने मुझे अपने ऊपर खींचा, और घुमा कर खुद ऊपर आ गए। फिर उन्होंने मेरे चेहरे पर से मेरी जुल्फें हटाई, और कान के पीछे कर दी। साहब ने फिर से मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए। मैं उनके बालों में हाथ डाल कर उनके बाल सहलाने लगी।
होंठ चूसने के बाद उन्होंने मेरी गर्दन का रुख किया, और मेरी गर्दन को चूमने-चाटने लगे। फिर वो और नीचे गए, और पेट पर से मेरी कुर्ती उठा कर मेरी नाभि चाटने लगे। इससे मानो मेरे जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। उन्होंने मेरी कुर्ती ऊपर की, और मैंने थोड़ी ऊंची हो कर कुर्ती निकाल दी। नीचे मैंने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जिसमें मेरे चूचे बहुत कसे हुए थे।
साहब ने मेरी ब्रा खींच कर मेरे दोनों चूचे बाहर निकाल लिए, और निपल्स मुंह में लेके चूसने लगे। मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था। इतने वक्त के बाद मेरे चूचों को मर्द का स्पर्श मिला था। वो मेरे निप्पलों को ऐसे चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो।
फिर वो नीचे गए, और मेरी लेगिंग्स नीचे खींच कर निकाल दी। मेरी जांघें देख कर वो मुस्कुराने लगे। शायद उनको मेरी जांघें खूबसूरत लग रही थी। फिर वो मेरी जांघों को चूमने लगे, उन्हें चाटने लगे, और कहीं-कहीं काट भी रहे थे। उनकी ये सारी हरकतें मेरी उत्तेजना को बढ़ा रही थी। मेरे पति के जाने के बाद मैं तरस गई थी इन चीजों के लिए, और साहब तो वो भी कर रहे थे, जो मेरे पति ने कभी नहीं किया था। एक औरत को खुश करने के सारे तरीके पता थे उन्हें। शायद इसी को अनुभव कहते है।
मेरी पैंटी अब चूत वाली जगह से भीग गई थी। साहब ने मेरी पैंटी उतारी, और अपने हाथ से मेरी चूत को खोल कर देखने लगे। पता नहीं वो मेरी चूत की गहराई देख रहे थे, या क्या कर रहे थे, लेकिन मेरी हलचल हर पल बढ़ती जा रही थी।
तभी उन्होंने मेरी चूत को मुंह लगा लिया, और जीभ से चाटने और चूसने लगे। उनकी इस हरकत से मेरा जिस्म कांपने लगा। ऐसा मेरे पति ने कभी नहीं किया था। मुझे पता भी नहीं था कि ऐसा करते भी है। मेरा हाथ अपने आप ही साहब के सर पर चला गया, और मैं उनके सर को अपनी चूत में दबाने लगी। तभी मेरे शरीर ने जोर का झटका मारा, और मेरा पानी निकल गया। साहब मेरे पानी पी गए।
फिर साहब मेरे ऊपर से हट गए, और अपने सारे कपड़े उतार दिए। उनका लंड पूरा तना हुआ था, एक-दम लोहे के सरिए जैसा सख्त था। वो मेरे बगल में लेट गए, और मुझे लंड चूसने को बोले। फिर मैं उनके ऊपर आई, और उनके लंड को चूसने लगी। वो मेरे सर पर हाथ रख कर लंड पर दबा रहे थे, जिससे लंड मेरे गले की दीवार को लग रहा था, और मुझे उल्टी जैसा महसूस हो रहा था। कुछ ही देर में लंड पूरा थूक से चिकना हो गया। फिर साहब बोले-
साहब: चल अब चढ़ जा मेरे ऊपर, और मेरे लंड की सवारी कर।
मैं फिर ऊपर आई और उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया। उसके बाद धीरे-धीरे मैं उनके लंड पर बैठने लगी। लंड चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर जाने लगा। मैं अब तक ज्यादा चुदी नहीं थी, तो मुझे दर्द हो रहा था। थोड़ा लंड अंदर जाने के बाद मैं रुक गई, क्योंकि मुझे दर्द हो रहा था। तभी साहब ने अपनी कमर उठा कर नीचे से धक्का दिया, और लंड अंदर डाल दिया। मेरी चीख निकली, और मैं ऊपर होने लगी, लेकिन साहब ने मेरे चूतड़ पकड़ कर वहीं रोके रखा।
फिर कुछ पल के इंतेज़ार के बाद वो मेरे चूतड़ों को आगे-पीछे करने लगे, जिससे लंड अंदर-बाहर होने लगा। मुझे मजा आने लगा और मैं सिसकियां भरने लगी। फिर मैं जब अपने आप से लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी, तो साहब ने मेरे चूतड़ छोड़ दिए, और मेरे उछलते हुए चूचे पकड़ लिए।
अब मैं मजे से लंड पर उछल रही थी, जिससे थप थप की आवाज आ रही थी। मेरे हाथों की चूड़ियां खन-खन कर रही थी, और मेरे मुंह से आह आह की आवाजें निकल रही थी। साहब मेरे चूचे दबाते हुए नीचे से धक्के मार रहे थे। उनकी उमर से कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि चुदाई में इतने सक्षम होंगे वो।
थोड़ी देर इसी पोजिशन में हमारी चुदाई चली। मुझे इतना मजा कभी नहीं आया, जितना उस वक्त आ रहा था। मैं तो जन्नत में थी। फिर साहब ने मुझे नीचे उतारा, और मेरे ऊपर आके मेरी चुदाई करने लगे। अब मुझे और भी मजा आने लगा। वो तेजी से मेरी चूत में लंड पेलने लगे, जिससे मुझे अपने अंदर बहुत सुकून मिल रहा था।
तकरीबन आधे घंटे तक मुझे जन्नत दिखाने के बाद उन्होंने अपना गरम लावा मेरी चूत में ही निकाल दिया। मैं बहुत संतुष्ट हो गई। उस दिन से बाद से हमारी बार-बार चुदाई होने लगी। मैंने सासू मां को इसके बारे में कुछ नहीं बताया, और ना ही अब मेरे पति के होने या ना होने से मुझे कोई फरक पड़ता है।
कहानी कैसी लगी gulati.gulati555@gmail.com पर मेल करने बताए।