नेहा दीदी के होंठों में लंड की पहली आग-1

अगर उस कहानी के बारे में बताना भी शुरू करूं, तो पता नहीं यह खत्म होने में कितना वक्त लगेगा। क्योंकि दीदी के साथ बिताया हुआ हर पल बस एक चैप्टर में खत्म होगा, यह हो नहीं सकता। लेकिन मुझे यकीन है कि यह कहानी आपको ज़रूर पूरा मजा दिलाएगी।

कहानी शुरु करने से पहले मैं अपनी फैमिली के बारे में बताता हूं। हमारे घर में मैं, मम्मी-पापा और मेरी बड़ी दीदी नेहा रहते हैं। हमारा घर छोटा-सा था बस, जिसमें एक टेरेस और सिर्फ दो कमरे थे। तो मम्मी-पापा एक कमरे में सोया करते, और मैं और नेहा दीदी एक कमरे में सोते थे।

पहले इसमें कुछ भी ग़लत नहीं लग रहा था। लेकिन फिर नेहा दीदी हर साल बड़ी दिखने लग गई और साथ ही उनके शरीर में भी बदलाव आने लगा। उनके कंधे पहले से ज्यादा भरे-भरे लगने लगे, कमर पतली होती गई और उनकी छाती… वो तो जैसे हर साल और गोल, भारी और आकर्षक होती चली गई। जब वह टी-शर्ट पहनती थी, तो उनके उभरे हुए निपल्स की गोलाई साफ़ नज़र आती थी। पहले जो मामूली सा उभार था, वह अब भर कर ऐसे दिखता जैसे किसी की नज़र टिक जाए। ब्रा के कपड़ों से वो गोलाई और भी ज़्यादा उभर जाती थी।

जब वह घर में आराम से सलवार-कुर्ता या कभी-कभी टाइट टीशर्ट पहनती थी, तो उनकी हर हरकत में एक अजीब सा आकर्षण झलकता था। खास कर जब वह झुकती या बाल सुखाते हुए ऊपर हाथ उठाती, तो उनकी छाती का उठना और गिरना ऐसा लगता जैसे किसी के धड़कनों की रफ्तार बढ़ा दे।

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