पता नहीं कुछ भी अच्छा नहीं लगा। फिर बिस्तर से उठा, एक गिलास ठंडा पानी पिया, और जाके बिस्तर पर फिर से लेट गया, और आंखें बंद कर ली। तब सोते-सोते अचानक पड़ोस की भाभी का ख्याल आया, सोचा क्यों ना छत पर से उसको बुलाऊं। 4 घर छोड़ के एक भाभी रहती है। उसको मैंने इशारा किया। उसने भी मुझे इशारा किया।
वो कहने लगी: क्या हुआ?
मैंने कहा: बहुत मन कर रहा है। क्या तुम आ सकती हो?
वो फिर बोली: रुको मैं आती हूं।
सब की छत एक समान होने के कारण वो सीधे मेरे पास आई। वो मेरे सामने आई, और रियल में मुझे काफी पसंद थी।
फिर वो बोली: बोलो क्या बात है?
मैंने कहा: मेरी काफी इच्छा हो रही है सेक्स करने की। मैं तुम्हें पसंद करता हूं, इसीलिए मैंने तुम्हे सीधे बुला लिया। आपकी इच्छा हो तो ठीक, वरना तुम जा सकती हो। ऐसे ही हकलाते हुए आप, तुम, तू, ऐसे मिक्स वर्ड बोलने लगा।
फिर वो बोली: कब से ताड़ रहे हो मुझे?
मैं बोला: जब से तुम यहां आई हो, तब से उसने कहा-
वो: मुझमें ऐसा क्या है, जो तुम्हें आकर्षित करता है?
मैंने कहा: तुम्हारी कमर और खुली पीठ।
वो बोली: यही बात करोगे या अन्दर भी बुलाओगे?
जैसे ही वो अंदर आई, मैंने देखा उसने मस्त पीली साड़ी पहनी हुई थी। साथ में बड़े गले का पतली पट्टी वाला ब्लाउज पहनी हुई थी। एक-दम गोरी, चिकनी, दूध जैसी। उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। क्योंकि वो थी ही इतनी खूबसूरत, और लाजवाब दिखती थी। उसकी ऊंचाई 5.5 इंच या उसे थोड़ी उपर थी। फिगर 34-30-34, शायद इससे और भी ज्यादा था।
मस्त माल लगती थी। जैसी उसकी ऊंचाई वैसी उसकी साइज़। साड़ी में तो कमाल लगती थी, और उसे ऐसे भी सिंपल देखो, तो भी मुंह में पानी आ जाता था। दिल तो करता था कि बस पकड़ कर साला सब रस निकाल दूं, निचोड़ दूं उसको, मन ऐसा ही करता था। और मैं उसके सामने कुछ भी नहीं लगता, क्योंकि मेरी ऊंचाई उससे 2 इंच छोटी थी, और मैं पतला भी था।
लेकिन कुछ भी हो, कैसा भी दिखूं, पर भाभी तो गजब थी। उस दिन भाभी को पीली साड़ी पहन कर आई देख मेरे होश उड़ गए। मेरा लंड तो इतना तन गया कि अब चड्डी में ही दुखने लगा। एक दम खड़ा और गरम हो गया था। क्या फीलिंग थी आहा… मजा आ गया।
वो मेरे पास आकर जैसे ही बैठी, मेरे बॉडी में कांटे निकलने लगे। क्या खुशबू थी। यारो मैंने वैसा आनद किसी को चोदते वक़्त भी नहीं लिया होगा। कसम से बहुत अच्छा लगा।
उसने मेरे गालों को हाथ लगाया और बोली: जिसके लिए तरस रहे थे वो आज तुम्हारे सामने बैठी है। क्यों कुछ नहीं करोगे?
मैंने आव देखा ना ताव, उसको झटके से पकड़ा, बिस्तर पर लिटाया, और टूट पड़ा उसके होंठों पर। इस तरह से उसके होंठ चूसने लगा, जैसे खींच-खींच के मुंह से उसके होंठों रस निचोड़ रहा था। करीब पांच मिनट किसिंग ही चालू रखी। फिर एक मिनट उसकी आंखों में देखा और बोला-
मैं: देखने दो थोड़ा।
फिर उसकी जीभ को एक लोलीपॉप की तरह चूसने लगा। इसी तरह चुम्मा-चाटी चलती रही। उसके बाद मैं उसके गले को किस करने लगा। आह क्या महक थी उसके बदन की, और काफी गरम थी। ऐसा करने से मेरा लंड पूरा टाइट हो गया और उसने मेरे लंड को महसूस भी किया।
मैंने उसके गले पर, गाल पर, और होंठों पर चुम्बन की बारिश कर दी। फिर उसको उलटा लिटा कर पीछे से गर्दन को खुली पीठ पर किस करने लगा। वो भी मस्त होकर मजा लेने लगी। मैं उसके ऊपर लेट गया, और दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबाने लगा। फार पीछे पीठ को भी चूमने लगा। साथ-साथ लंड उसकी गांड में साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगा।
जैसे ही लंड का स्पर्श गांड पे हुआ, उसने थोड़े कुल्हे ऊपर कर दिए, जैसे लंड गांड की दरार में दबाने की कोशिश कर रही थी। काफी सुखद आनंद ले रहे थी। उसके बाद वो उठ खड़ी हो गयी। वो कामवासना में डूबी हो, ऐसी हवस भरी नजरों से मुझे देखने लगी। क्या माल लग रही थी। एक-दम सेक्सी लग रही थी।
मैं नीचे बैठा और उसकी नाभि को चाटने लगा। किस करने लगा। उसने मेरे बाल पकड़े, और ऊपर खींचने लगी। फिर मेरे मुंह को अपने बूब्स पर दबाने लगी। मैंने उसका ब्लाउज निकाल के फेंक दिया, और बूब्स चूसने लगा। ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। इतने कोमल बूब्स थे और चिकने लग रहे थे। बस मन कर रहा था खा जाऊं।
मैंने फिर ब्रा भी निकल कर फेंकी, और आम की गुठलियों की तरह चूसता गया, चूसता गया। इतना जोर से चूस रहा था मानों कि उसका दूध ही निकाल कर पी रहा हूं। दोनों बूब्स को बारी-बारी निचोड़ कर पी गया।
भाभी ने साड़ी उतारी, और घाघरे का नाड़ा भी खोल दिया। भाभी ने पीले कलर का ही जांघिया पहना था सेक्सी वाला। मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाया, और उसकी जांघों को चाटने लगा, चूमने लगा।
इसके आगे क्या हुआ वो आपको इस कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा। दोस्तों कहानी को लेके अपने विचार जरूर साँझे करे। अगर कोई गलती हो गई हो लिखने में तो माफ करें।