पिछला भाग पढ़े:- गांव से शहर आए दादा जी ने-2
नमस्कार दोस्तों, उम्मीद है इसके पिछले पार्ट्स को आपने पढ़ लिए होंगे। अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह पापा ने मम्मी और दादा जी की चुदाई देख ली, और बहुत गुस्से में कमरे के अंदर जाने लगे। अब आगे-
मैं कमरे के दरवाजे के पास खड़ी चुप-चाप उन्हें देख रही थी। मेरी आंखों के सामने धुंधला होने लगा। एक पल के लिए ऐसा लगा कि अब मम्मी और दादा जी को मेरे पापा के हाथों से कोई नहीं बचा सकता।
तभी मुझे ख्याल आने लगा कि इससे मेरा परिवार बिखर जाएगा। ऊपर से लोग क्या सोचेंगे, कि अपने ही घर में रंगरलियां मना रही थी इसकी मम्मी। हे भगवान…!
पापा के गुस्सा का सामना करने के लिए मैं निर्णय कर ली, और आगे बढ़ कर पापा को बाहों में पकड़ ली। पापा काफी मजबूत थे, वह मेरी बाहों के बाहू पास से नहीं रुकने वाले थे।
पापा बहुत ही भारी और धीमी आवाज में बोले: हट जाओ बेटी, आज इनकी करतूत की सजा इन्हें देकर रहूंगा।
मैं पापा के गले लगी हुई थी। मेरी स्तन उनके सीने में सटे हुए थे, और पापा मुझे हटाने की कोशिश कर रहे थे।
मैं पापा से बड़े ही मादक अंदाज में बोली: पापा एक बार ठंडे दिमाग से सोच लो। मामला अपने ही घर का है। बिगड़ गया तो पूरे शहर में बदनामी होगी।
पापा रुक गए और थोड़ा सोचते हुए पास में सोफे पर बैठ गए, और रोने लगे। मैं पापा की गोद में बैठ गई और उनके सर को अपने सीने से लगा ली। कमरे के अंदर से अभी भी मादक आवाज आ रही थी… आअह्ह्ह… बाबूजी…. उउउउउफ्फ्फ्फ़।
पापा मेरे सीने पर सर रख कर अपनी बाहों को मेरी कमर में लपेट लिए और रो रहे थे। मैं उन्हें चुप करा रही थी। पापा के सर को सहलाते हुए उन्हें चुप कराई, और उनकी आंखों से आंसू पोंछे और उनके माथे को चूम ली। पापा मेरे आंखों में बड़े प्यार से देख रहे थे। हम दोनों का चेहरा बिल्कुल पास था।
पापा ने मेरे सर को पकड़ा और उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया। हम दोनों का ललाट और नाक सटा हुआ था, बस होंठ में थोड़ा सा फासला था। हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे। मैं उनकी आंखों में देखते हुए उनके होंठ पर हल्की सी किस्स कर दी। और फिर उनके आंखों में देखने लगी। अभी भी हम दोनों का चेहरा सटा हुआ था, बस होंठ अलग-अलग थे।
पापा ने अपने सर को उठाया, और उन्होंने भी मेरे होंठों पर हल्की सी किस्स कर दी। हम दोनों अब कुछ सोच नहीं पा रहे थे। बस एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे। मैं पापा की गोद में दोनों ओर टांगे करके बैठी हुई थी। उनका लंड मेरे चूत के नीचे दबा हुआ था। हम दोनों एक लोअर और टी-शर्ट पहने हुए थे। मैंने अपने होंठ को धीरे से उनके होंठ की तरफ बढ़ाई, और सटा दी। हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे के होंठ को सटाए रखा। फिर पापा ने मेरे होंठ के निचले हिस्से को अपने होंठ में दबा लिए और धीरे-धीरे चूसने लगे।
मैं अपनी आंखें बंद कर ली। मैं उनकी गोद में बैठी हुई अपने बाहों को उनके गले में डाल कर बड़े प्यार से उनके होंठ को चूसने लगी। वह अपने दोनों हाथ को मेरे कमर में डाले हुए थे, और मेरी पीठ और कमर को सहला रहे थे। पापा मेरी टी-शर्ट को थोड़ा ऊपर उठा कर, नंगी पीठ और कमर को सहलाते हुए मेरे गाल और होंठ को चूमते रहे।
पापा मुझे वहीं सोफे पर लिटा दिए, और मेरे गाल और होंठ को चूमते हुए मेरी चूचियों को सहलाने लगे। उनका लंड टाइट हो चुका था। मैं अंदर पैंटी नहीं पहनी हुई थी, तो ऐसा लग रहा था जैसे अभी उनका लंड मेरी चूत में चला जाएगा।
तभी अंदर का तूफान थम गया। दादा जी और मम्मी दोनों शांत हो गए। पापा मुझे छोड़ कर बिल्कुल शांत बैठ गए। मैं पापा से सटे बैठी रही। वह मुझे अपनी बाहों में लेकर शायद दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगे। मैं उठी और अंदर झांकने की कोशिश की तो देखी की मम्मी अभी दादा जी का लंड चूस रही थी। शायद एक राउंड और चुदवाएगी। दादा जी के लंड की प्यास इतनी आसानी से नहीं बुझने वाली थी।
मम्मी अभी मुंह में ही ली थी, कि दादा जी का लंड फिर से टाइट होने लगा। मम्मी बड़े प्यार से दादा जी के लंड को चूस रही थी।
जब मम्मी का लंड चूसना हो गया। उसके बाद दादा जी मम्मी के टांगों के बीच आकर उनकी मालपुआ का रस चूसने लगे। मैं पापा की गोद में आकर बैठ गई, और उन्हें बता दी कि इनका एक घंटा और लग सकता था। तब पापा ने मुझे गोद में ही उठा लिए और अपने कमरे में लेकर चले गए, और बेड पर लिटा कर मेरी टी-शर्ट को ऊपर उठा कर मेरे दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगे। आआआआहहहहह… पापा…… ऊऊह्ह्ह्ह…. चुसो….. आह्हः….
उधर कमरे से मम्मी की भी सिसकारियां आने लगी। पापा ने मेरी टी-शर्ट को निकाल कर अलग कर दिया, और फिर लोअर को भी निकाल कर नंगी कर दिया। वो खुद के भी कपड़े निकाल कर नंगे हो गए। पापा का बड़ा सा लंड झूलता हुआ देख कर मेरी आंखों में चमक आ गई। मैं पापा के लंड को लेकर सहलाने लगी, और पापा मेरी चूत के बीच में बैठ कर मेरी चूत के दाने को चाटने लगे। पापा बड़े प्यार से मेरी गुलाबी चूत के दाने को चाट रहे थे।
मैं मदहोश होकर पापा के लंड को मुट्ठी में हिला रही थी। फिर पापा 69 के पोजीशन में आए और अपना लंड को मेरे मुंह में डाल दिया, और मेरी चूत को अपने मुंह में भर लिया। मैं पापा के लंड को चूस रही थी, और पापा मेरी चूत को चूस रहे थे। हम दोनों एक-दूसरे को चूसते रहे। उसके बाद पापा सीधे हुए और मेरी टांगों को फैला कर मेरी चूत के बीच में अपने लंड को सेट किया, और धक्का मार के मेरी चूत में घुसा दिया।
एक बार में ही उनका पूरा लंड मेरे चूत में चला गया। वह मेरे ऊपर लेट गए और मेरे होंठों को अपने होठों से दबा कर मुझे चोदने लगे। पापा इतने प्यार से चोद रहे थे, कि मुझे चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था। मैं अपने कमर उठा-उठा कर उनसे चुद रही थी। पापा का हर एक धक्के का जवाब मैं अपने कमर उठा कर दे रही थी। उनकी पीठ के हर हिस्से को सहला रही थी।
मैं उनकी पीठ पर नाखून गड़ाने लगी। पापा और ज्यादा उत्तेजित होते और मुझे और जोर से चोदने लगते। वह मेरे होंठ तो कभी गाल तो कभी गर्दन पर चूमते और काटते। मैं अपने नाखूनों से उनके पीठ को खरोच रही थी, और उनके बालों को सहला रही थी। उफ्फ्फफ्फ्फ़…. पापा… हईई… हाआआहहहहह… अह्ह्ह्ह…
पापा जोर-जोर से मुझे चोदते रहे, और फिर मेरे अंदर ही झड़ गए। मैं भी उनके साथ ही झड़ गई और हम दोनों एक-दूसरे के बाहों में पड़े रहे। दूसरे कमरे में मम्मी और दादा जी का चुदाई काफी तेज चल रही थी।
पापा मेरे होठों को चूमे और मेरी आंखों में देखते हुए बोले: बेटी मुझे अब इस दुनिया के लोगों से कोई शिकायत नहीं है, मुझे मेरी बेटी मिल गई यही बहुत है।
पापा की बात सुन कर मैं उनके होठों पर एक जोरदार किस्स कर दी। और फिर हम दोनों हंसने लगे। पापा मुझे अपने ढीले लंड से ही दो-चार झटके मार दिए, और मेरे मुंह से चीखें निकल गई। पापा ने जितनी आराम से मेरी चुदाई की थी। मैं पापा से बहुत खुश थी।
मैं: पापा आपने तो मेरे अंदर ही छोड़ दिया। यदि मैं आपके बच्चे की मां बन गई तो?
पापा हंसते हुए बोले: चिंता मत करो मेरी बेटी, मैं तुम्हारे लिए कल दवा लेकर आ जाऊंगा।
मैं: मर्दों की तो यही आदत ही होती है। पहले प्रेग्नेंट करेंगे और बाद में दवा दे देंगे।
पापा मेरी शिकायत सुन कर हंसने लगे और फिर से अपने ढीले लंड से झटका मारे और मेरी चीख निकल गई। पापा मेरे होंठ को चूम लिया, और मेरे ऊपर से हट गए। फिर मैं अपने कपड़े पहनी और पापा के गले लग गई, और उनके होंठ चूम कर बाहर आ गई। अभी भी मम्मी की चुदाई चल रही थी। मैं अपने कमरे में चली आई।
थोड़ी देर बाद मम्मी की चुदाई भी हो गई और वह भी अपने कमरे में चली गई। हम सभी लोग बड़े सुकून से उस रात सोए। सुबह सभी लोग खाने के टेबल पर बैठे। पापा ड्यूटी जाने के लिए तैयार थे। उनके चेहरे पर खुशी देख कर मुझे बहुत खुशी हुई। मम्मी भी बहुत खुश थी और दादा जी तो सबसे अधिक खुश थे। मेरा पूरा परिवार खुश था, इस बात से मुझे बहुत सुकून हुई। पापा अपने काम के लिए निकल गए, और मम्मी घर का काम करने लगी। मैं अपनी पढ़ाई करने लगी।
इसी तरह एक हफ्ते तक हम लोगों की लुका-छुपी वाली चुदाई चलती रही। उसके बाद मेरा भाई रोहित भी ट्रिप से वापस घर आ गया, और दादा जी से मिल कर बहुत खुश हुआ।
एक रात, मै अपने कमरे में भाई के साथ सो रही थी। भाई के कमरे में दादा जी सो रहे थे। तभी दादा जी मेरे कमरे में आए और मेरे बगल में लेट कर मुझे बाहों में पकड़ लिया, और मुझे किस्स करने लगे। मैं दादा जी को मना करने लगी की यही रोहित सोया हुआ है, जग गया तो अनर्थ हो जाएगा। पर दादा जी नहीं मान रहे थे।
मैं उन्हें बोली कि आप मम्मी के पास चले जाओ, पर वह बोल रहे हैं कि तुम्हारी मम्मी को तुम्हारे बाप छोड़ेगा तब ना। फिलहाल तो तुम ही मेरा मदद कर दो। और वह अपना लंड को मेरे गांड में घुसाते हुए मेरी चूत में उंगली करके मेरे चूचियों को दबाने लगे।
मुझे डर लग रहा था कि मेरा भाई बगल में ही सोया था, और दादा जी का इतना कड़ा लंड मेरे चूत में जाएगा, तो पूरे कमरे में मेरी सिसकारियां गूंजेगी। उफ्फ्फफ्फ्फ़….
इसके आगे मैं पाठको की सोच पर छोड़ती हूं। धन्यवाद।